राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता फोरम,गोरखपुर द्वारा परिवाद संख्या- 148/2015 में पारित आदेश दिनांक 28.09.2015 के विरूद्ध)
अपील संख्या-190/2016
H.D.F.C. Ergo General Insurance Company Ltd through its Manager, 20A, Ratan Sq uare, Vidhan Sabha Marg Lucknow.
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- Smt. Hadish Fatima, wife of Sri Moinuddin Ansari, resident of 111 ENE Railway, Bauliya Colony, Gorakhpur. ..........प्रत्यर्थी/परिवादी
- Branch Manager, HDFC Bank, Prahlad Rai Trade Centre Bank Road, Gorakhpur.
..........प्रत्यर्थी/विपक्षी
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री मनोज कुमार दूबे ।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इमरान अहमद अब्बासी ।
विद्वान अधिवक्ता ।
एवं
अपील संख्या-245/2016
HDFC Bank LTD. Through the Branch Manager, Branch Office at- Prahlad Rai Trade Centre Bank Road, Gorakhpur.
..............अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
- Smt. Hadish Fatima, wife of Sri Moinuddin Ansari, resident of 111 ENE Railway, Bauliya Colony, Gorakhpur. ..........प्रत्यर्थी/परिवादी
- H.D.F.C. Argo General Insurance Company Ltd through Manager Legal, Office at Jeewan Bhawan, Phase-II, Sixth Floor, Nawal Kishore Road, Hazratganj, Lucknow.
..........प्रत्यर्थी/विपक्षी
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री बृजेन्द्र चौधरी ।
विद्वान अधिवक्ता ।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री इमरान अहमद अब्बासी ।
विद्वान अधिवक्ता ।
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
दिनांक: 15.12.2017
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
वर्तमान दोनों अपीलें परिवाद सं0-148/2015 श्रीमती हदीश फातिमा बनाम शाखा प्रबन्धक एचडीएफसी बैंक प्रहलाद राय ट्रेड सेन्टर रोड़ गोरखपुर व मैनेजर लीगल एचडीएफसी एरगो जनरल इं0कं0लि0 में जिला फोरम गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 28.09.2015 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
दोनों अपीलें एक ही आक्षेपित निर्णय और आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है अत: दोनों अपीलों का निस्तारण एक संयुक्त निर्णय के द्वारा किया जा रहा है।
आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवादिनी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह ऋण खाता सं0 22006878 में शहजाद अली पर जो धनराशि ऋण के रूप में बकाया होना बताया गया है, वह विपक्षीगण परिवादिनी से प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है। इसके अतिरिक्त परिवादिनी, विपक्षीगण से स्व0 शहजाद अली की नामिनी होने के सम्बन्ध में 4,00,000/-रू0(चार लाख रूपये) की धनराशि प्राप्त करने की अधिकारी है। चूंकि परिवादिनी को धनराशि प्रदान नहीं की गयी है, इसलिये परिवादिनी, विपक्षीगण से शारीरिक एवं मानसिक कष्ट के लिये 2,000/-रू0 एवं वादव्यय के लिये 2,000/-रू0 की क्षतिपूर्ति की धनराशि भी प्राप्त करने की अधिकारी है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि निर्णय व आदेश के दिनांक से एक माह की अवधि के अन्तर्गत समस्त आज्ञप्ति की धनराशि परिवादिनी को प्रदान करे अथवा बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से मंच में जमा करे, जो परिवादिनी को दिलायी जा सके। नियत अवधि में आदेश का परिपालन न किये जाने की स्थिति में परिवादिनी समस्त आज्ञप्ति की धनराशि पर 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज प्रार्थना पत्र के दिनांक से अंतिम वसूली तक विपक्षीगण से प्राप्त करने का अधिकारी होगी एवं समस्त आज्ञप्ति की धनराशि विपक्षीगण से विधि के अनुसार वसूल की जाएगी।"
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर उपरोक्त परिवाद के विपक्षी एचडीएफसी बैंक की ओर से उपरोक्त अपील संख्या– 245/2016 और विपक्षी एचडीएफसी एरगो जनरल इं0कं0लि0 की ओर से उपरोक्त अपील संख्या- 190/2016 प्रस्तुत की गयी है।
अपील की सुनवाई के समय अपील संख्या– 245/2016 में अपीलार्थी एचडीएफसी बैंक की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री बृजेन्द्र चौधरी तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इमरान अहमद अब्बासी उपस्थित हुए है जबकि उपरोक्त अपील संख्या- 190/2016 में एचडीएफसी एरगो जनरल इं0कं0लि0 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज कुमार दूबे तथा प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इमरान अहमद अब्बासी उपस्थित हुए है।
मैंने दोनों अपीलों में उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि उसके भाई स्वर्गीय शहजाद अली पुत्र किफायत अली ने विपक्षी संख्या-01 से 2.80 लाख रूपये का पर्सनल लोन लिया था और विपक्षी संख्या-01 के आग्रह पर उसके भाई ने विपक्षी संख्या-02 से सर्वसुरक्षा पालिसी प्राप्त की थी जिसका नम्बर-2950200305950000000 था। पालिसी की प्रीमियम धनराशि 1481/-रू0 थी और यह पालिसी दिनांक 01.08.2012 से 31.07.2016 तक वैध थी। परिवाद पत्र के अनुसार पालिसी के अन्तर्गत दुर्घटना हित लाभ की बीमित धनराशि 4 लाख रूपये थी तथा प्रत्यर्थी/परिवादिनी के भाई ने प्रत्यर्थी/परिवादिनी को पालिसी में अपना नामिनी बनाया था।
परिवादपत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी के भाई जो रेलवे में कारपेन्टर ग्रेड-1 के पद पर कार्यरत थे, को दिनांक 01.01.2014 को कार्य करते समय चोट लग गयी और उनका इलाज ललित नारायण हास्पिटल में किया गया परन्तु दिनांक 06.04.2014 को उनकी मृत्यु हो गयी। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि प्रत्यर्थी/परिवादिनी के भाई की मृत्यु की सूचना विपक्षीगण संख्या-01 और 02 को दी गयी और क्लेम की धनराशि के भुगतान हेतु कहा गया तब विपक्षी संख्या-02 ने दिनांक 25.05.2014 को प्रत्यर्थी/परिवादिनी को पत्र भेजा तथा क्लेम फार्म सम्बन्धी कागजात मांगे जिसे प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने विपक्षी संख्या-02 को प्रदान किया फिर भी विपक्षीगण ने बीमा की धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादिनी को अदा नहीं की। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादिनी का कथन है कि उसने अधिवक्ता के माध्यम से विपक्षीगण को नोटिस भेजा फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अत: प्रत्यर्थी/परिवादिनी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
जिला फोरम ने विपक्षीगण को नोटिस भेजा जो उनपर तामील हुआ है फिर भी विपक्षीगण की ओर से कोई भी जिला फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं हुआ है और उनकी ओर से कोई लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया है। अत: जिला फोरम ने परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करते हुये उपरोक्त प्रकार से निर्णय और आदेश पारित किया है।
दोनों अपील में अपीलकर्ता/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के विरूद्ध है और एकपक्षीय है। जिला फोरम ने संगत बिन्दुओं पर उचित ढंग से विचार और विवेचना किये बिना एकपक्षीय निर्णय और आदेश पारित किया है।
अपील संख्या- 190/2016 में अपीलार्थी/विपक्षी एचडीएफसी एरगो जनरल इं0कं0लि0 के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि इस अपीलार्थी/विपक्षी का पता 20ए, रतन स्क्वायर, विधानसभा मार्ग लखनऊ है जबकि परिवाद में उसका पता जीवन भवन फेज-द्धितीय छठवा तल नवल किशोर रोड़ हजरतगंज लखनऊ अंकित किया गया है। अत: परिवाद में उसका पता गलत अंकित किये जाने के कारण उसपर नोटिस का तामीला नहीं हो सका है। इस कारण वह जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्तुत नहीं कर सका है।
अपील संख्या-245/2016 के अपीलार्थी/विपक्षी एचडीएफसी बैंक के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश में स्वयं परिवादपत्र में प्रत्यर्थी/परिवादिनी द्वारा स्वीकृत तथ्यों पर विचार नहीं किया है और अपीलार्थी/विपक्षी एचडीएफसी बैंक के लोन की वसूली पर रोक लगाकर जो अपीलार्थी बैंक को प्रत्यर्थी बीमा कम्पनी के साथ बीमित धनराशि प्रत्यर्थी/परिवादिनी को अदा करने हेतु आदेशित किया है वह पूर्णत: त्रुटिपूर्ण है और कायम रहने योग्य नहीं है।
प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है। जिला फोरम द्वारा दोनों अपीलों के अपीलार्थी/विपक्षीगण को रजिस्ट्ररी डाक से नोटिस भेजी गयी है जो अदम तामील वापिस नहीं आयी है। फिर भी उन्होंने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर अपना लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया है अत: जिला फोरम ने विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से करके जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह अनुचित और अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है।
मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क पर विचार किया है। परिवाद पत्र में विपक्षी संख्या-02 एचडीएफसी एरगो जनरल इं0कं0लि0 जीवन भवन फेज-द्धितीय छठवा तल नवल किशोर रोड़ हजरतगंज लखनऊ को बनाया गया है। परिवाद के विपक्षी संख्या-02 जो अपील संख्या-190/2016 के अपीलार्थी है का वास्तविक पता 20ए, रतन स्क्वायर, विधानसभा मार्ग लखनऊ है। अत: यह स्पष्ट है कि परिवाद में इस अपीलार्थी/विपक्षी का पता गलत अंकित किया गया है। अत: उसे नोटिस गलत पते पर भेजे जाने पर रजिस्ट्ररी लिफाफा वापिस न आने पर जो तामीला की अवधारणा बनायी गयी है वह विधि की दृष्टि से उचित नहीं है क्योंकि गलत पते पर उसे नोटिस भेजी गयी है। अत: यह मानने हेतु उचित आधार है कि परिवाद के विपक्षी संख्या-02 जो बीमा कम्पनी है उस पर नोटिस का तामीला पर्याप्त एवं उचित ढंग से हुये बिना जिला फोरम ने आक्षेपित निर्णय और आदेश उसके विरूद्ध गलत पते के आधार पर पारित किया है। अत: उचित यह प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश अपास्त कर पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाये कि जिलाफोरम अपीलार्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी को अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर पुन: विधि के अनुसार निर्णय यथाशीघ्र पारित करे।
बीमित धनराशि के भुगतान का दायित्व विपक्षी बीमा कम्पनी पर है और बीमित धनराशि से मृतक बीमाधारक के ऋण की अदायगी विधि के अनुसार की जा सकती है। अत: ऐसी स्थिति में यह आवश्यक प्रतीत होता है कि परिवाद के विपक्षी संख्या-01 एचडीएफसी बैंक द्वारा प्रस्तुत अपील संख्या-245/2016 भी स्वीकार की जाए और इस अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध पारित आदेश अपास्त करते हुये उसे लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए।
उपरोक्त् निष्कर्ष के आधार पर परिवाद के दोनों विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त् अपील संख्या-190/2016 एवं अपील संख्या-245/2016 दोनों स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त करते हुये पत्रावली जिला फोरम को इस निर्देश के साथ प्रत्यावर्तित की जाती है कि जिलाफोरम दोनों विपक्षीगण को इस निर्णय में हाजिरी हेतु निश्चित तिथि से 30 दिन के अन्दर अपना लिखित कथन प्रस्तुत करने का अवसर दे और उसके बाद उभयपक्ष को साक्ष्य और सुनवाई का अवसर देकर 03 मास के अन्दर यथाशीघ्र परिवाद में निर्णय विधि के अनुसार पारित करे।
उभयपक्ष दिनांक 25.02.2018 को जिला फोरम के समक्ष उपस्थित हो।
जिला फोरम द्वारा परिवाद के दोनों विपक्षीगण को लिखित कथन प्रस्तुत करने हेतु इस निर्णय में निश्चित हाजिरी की तिथि से 30 दिन का समय दिया जाएगा और उसके बाद लिखित कथन हेतु पुन: समय प्रदान किये बिना विधि के अनुसार परिवाद में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
दोनों अपीलों में उभयपक्ष अपना-अपना वादव्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत जमा धनराशि दोनों अपीलों के अपीलकर्ता को अर्जित ब्याज सहित नियमानुसार वापिस की जाएगी।
इस निर्णय की मूल प्रति अपील संख्या-190/2016 में रखी जाएगी एवं प्रमाणित प्रतिलिपि अपील संख्या-245/2016 में रखी जाएगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
सुधांशु श्रीवास्तव, आशु0
कोर्ट नं0-1