Shri Bhaskar Kumar filed a consumer case on 10 May 2018 against H.T.C India Pvt. Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/68/2016 and the judgment uploaded on 15 May 2018.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/68/2016
Shri Bhaskar Kumar - Complainant(s)
Versus
H.T.C India Pvt. Ltd. - Opp.Party(s)
Shri Rajveer Singh
10 May 2018
ORDER
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
परिवाद संख्या-68/2016
भास्कर कुमार पुत्र श्री त्रिलोक नाथ सैनी निवासी मौ. झांझनपुर मंदिर वाली गली पोस्ट सोनकपुर जिला मुरादाबाद। …...परिवादी
बनाम
1-एच.टी.सी. इंडिया प्रा.लि. ‘’कारपोरेट आफिस’’ द्वारा प्रबन्धक जी-4 बीपीटीपी पार्क एवेन्यू सेक्टर 30 निकट एमएच 8 गुड़गांव 122003 इंडिया।
2-मैसर्स न्यू सांई कम्यूनिकेशन द्वारा प्रबन्धक हरथला सोनकपुर निकट सीपीएस एजेंसी कांठ रोड मुरादाबाद।
3-अक्षत वर्ल्ड लिंक द्वारा प्रबन्धक जी 19 चडडा काम्पलेक्स जीएमडी रोड मुरादाबाद।
…......विपक्षीगण
वाद दायरा तिथि: 29-08-2016 निर्णय तिथि: 10.05.2018
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
(श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित)
निर्णय
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित मोबाइल के बदले नया मोबाइल अथवा उसकी कीमत अंकन-15000/-रूपये दिलाये जायें। क्षतिपूर्ति की मद में 25 हजार रूपये और परिवाद व्यय की मद में 10 हजार रूपये परिवादी ने अतिरिक्त मांगे हैं।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि दिनांक 12-11-2015 को विपक्षी-2 से परिवादी ने 15 हजार रूपये मूल्य का एक मोबाइल जिसका विवरण परिवाद के पैरा-1 में दिया गया है, खरीदा था। खरीदने के 8-10 दिन बाद से ही मोबाइल में ऑटो स्विच ऑन तथा बैटरी लो की समस्या आने लगी। विपक्षी-2 से परिवादी ने संपर्क किया। उसने विपक्षी-3 जो मोबाइल का सर्विस सेंटर है, के पास परिवादी को भेज दिया, विपक्षी-3 के पास जाकर परिवादी ने उक्त समस्या बतायी और ठीक करने के लिए मोबाइल उसे दे दिया। विपक्षी-3 ने कई बार सर्विस हेतु उक्त मोबाइल अपने पास जमा किया और हर बार यह कहकर परिवादी को वापस कर दिया कि मोबाइल ठीक हो गया है किन्तु मोबाइल में ऑटो स्विच ऑन तथा बैटरी लो की समस्या दूर नहीं हुई। माह फरवरी, 2016 में भी परिवादी ने इसी समस्या की वजह से विपक्षी-3 के पास मोबाइल जमा किया। इस बार भी एक हफ्ते के बाद परिवादी को यह कहकर मोबाइल वापस कर दिया कि यह ठीक हो गया है। पुन: वही समस्या आने पर 23-5-2016 को परिवादी ने विपक्षी-3 के पास मोबाइल जमा किया। विपक्षी-3 ने जॉबशीट परिवादी को दी। विपक्षी-3 ने यह कहकर मोबाइल ठीक हो गया है, इस बार भी मोबाइल परिवादी को वापस कर दिया। जून, 2016 में फिर वही समस्या मोबाइल में आयी तब दिनांक 13-6-2016 को परिवादी ने फिर मोबाइल विपक्षी-3 के पास जमा किया। कई बार जाने पर भी विपक्षी-3 ने परिवादी का मोबाइल वापस नहीं किया और न ही उसे ठीक किया गया। मजबूर होकर उसे यह परिवाद योजित करना पड़ा। उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादी द्वारा विपक्षीगण को भिजवाये गये कानूनी नोटिस दिनांकित 22-6-2016, मोबाइल की सेल इंवायस, विपक्षी-3 द्वारा दी गई जॉबशीट दिनांकित 23-5-2016, 13-6-2016 की नकलों तथा कानूनी नोटिस भेजे जाने की असल रसीदों को दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/8 लगायत 3/12 हैं।
विपक्षी-1 मोबाइल की निर्माता कंपनी है तथा विपक्षी-2 मोबाइल के विक्रेता हैं। तामील के बावजूद इन विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। अतएव फोरम के आदेश दिनांकित 06-02-2017 के अनुपालन में इन दोनों विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की सुनवाई एकपक्षीय की गई।
विपक्षी-3 मोबाइल का सर्विस सेंटर है, उसने प्रतिवाद पत्र कागज सं.-12/1 लगायत 12/3 दाखिल किया, जिसमें उत्तरदाता को मोबाइल का सर्विस सेंटर होना तथा दिनांक 23-5-2016 व 13-6-2016 को मोबाइल की जाबशीट परिवादी को दिया जाना तो स्वीकार किया गया है किन्तु शेष परिवाद कथनों को अस्वीकार किया गया। विपक्षी-3 की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि वह मोबाइल का मात्र सर्विस सेंटर है, मोबाइल को बदलने की उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं है, परिवादी को मोबाइल ठीक करके वापस कर दिया गया था किन्तु परिवादी मोबाइल का सही प्रकार से प्रयोग नहीं करता, जिसके कारण बार-बार खराब होना बताकर परिवादी उत्तरदाता विपक्षी के पास चला आता है। परिवादी का मोबाइल सही हालत में उत्तरदाता के पास है किन्तु परिवादी उसे नहीं ले रहा है, ऐसी दशा में परिवादी उत्तरदाता विपक्षी से किसी प्रकार का कोई अनुतोष पाने का अधिकारी नहीं है और उसका परिवाद खारिज होने योग्य है।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/5 दाखिल किया।
विपक्षी-3 की ओर से श्री रजनीश गुप्ता का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/2 दाखिल हुआ।
परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने परिवादी तथा विपक्षी-3 के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
परिवाद कथनों तथा परिवादी की ओर से दाखिल साक्ष्य का उत्तर देने हेतु विपक्षी-1 व 2 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुए। विपक्षी-2 प्रश्नगत मोबाइल के विक्रेता हैं, वह मोबाइल के निर्माता नहीं हैं। परिवादी ने ऐसा कोई कथन नहीं किया है, जिससे प्रकट हो कि प्रश्नगत मोबाइल में बतायी जा रहीं त्रुटियों का विपक्षी-2 से क्या संबंध है। कदाचित विपक्षी-2 के विरूद्ध परिवादी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ।
विपक्षी-1 मोबाइल की निर्माता कंपनी है। परिवादी ने परिवाद योजित करने से पूर्व विपक्षी-1 को कानूनी नोटिस भी भिजवाया था, जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं.-3/8 है किन्तु विपक्षी-1 की ओर से इस नोटिस का उत्तर देने अथवा परिवादी की समस्या का निराकरण करने का अपने स्तर से कोई प्रयास किया जाना दिखायी नहीं देता।
परिवादी ने अपने परिवाद कथनों को अपने शपथपत्र से प्रमाणित किया है। परिवादी द्वारा दाखिल जॉबशीट कागज सं.-3/11 व 3/12 को मोबाइल के सर्विस सेंटर के स्वामी श्री रजनीश गुप्ता ने अपने प्रतिवाद पत्र में स्वीकार करते हुए कहा है कि ये जॉबशीट दिनांकित 23-5-2016 और जॉबशीट दिनांकित 13-6-2016 उनके सर्विस सेंटर द्वारा जारी की गई थीं, इन दोनों जॉबशीट्स में स्वयं विपक्षी-3 के कर्मचारी ने मोबाइल में विद्यमान उन कमियों का उल्लेख किया है, जो परिवादी अपने परिवाद पत्र में कह रहा है। कहने का आशय यह है कि परिवादी ने जो मोबाइल खरीदा था, उसमें ऑटो स्विच ऑन तथा बैटरी लो की समस्या प्रारम्भ से विद्यमान होना प्रमाणित है और यह भी प्रमाणित है कि विपक्षी-3 द्वारा मोबाइल की उक्त समस्या को दूर नहीं किया गया, इसके विपरीत हास्यास्पद तरीके से विपक्षी-3 द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा-25 में यह कथन किया गया कि परिवादी मोबाइल का प्रयोग सही प्रकार से नहीं कर रहा, जिस वजह से वह मोबाइल को खराब बताकर बार-बार उसके पास चला आता है। परिवादी मोबाइल को सही प्रकार से प्रयोग नहीं कर रहा है, विपक्षी-3 के इस कथन का क्या स्रोत है, यह विपक्षी-3 ने उजागर नहीं किया। प्रकटत: सर्विस सेंटर के रूप में अपने कृत्यों का निर्वहन नहीं कर पाना और अपने दायित्व से बचने के लिए उसने सारा दोष परिवादी पर मढ़ने का असफल प्रयास किया। विपक्षी-3 का यह कथन भी स्वीकार योग्य नहीं है कि मोबाइल विपक्षी-3 के पास ठीक हालत में पड़ा है किन्तु परिवादी उसको नहीं ले जा रहा क्योंकि विपक्षी-3 की ओर से ऐसा कोई प्रमाण फोरम के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, जिससे प्रकट हो कि मोबाइल उसने ठीक कर दिया है और इसकी सूचना उसने परिवाद योजित करने से पूर्व परिवादी को दे दी थी, ऐसा लगता है कि विपक्षी-3 ने उक्त कथन अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए असत्य किया है।
किसी भी व्यक्ति को इस बात के लिए बाध्य किया जाना युक्तियुक्त दिखायी नहीं देता कि जब उसने मोबाइल का पूरा मूल्य देकर नया मोबाइल खरीदा हो तो वह बार-बार रिपेयर किया हुआ मोबाइल इस्तेमाल करे। परिस्थितियां तथा विपक्षी-1 व 3 के आचरण इंगित करते हैं कि मोबाइल में प्रारम्भ से ही निर्माण संबंधी दोष था। ऐसी दशा में विपक्षी-1 व 3 को प्रश्नगत मोबाइल के बदले परिवादी को मोबाइल का मूल्य ब्याज सहित दिलाये जाने हेतु आदेशित किया जाना न्यायोचित दिखायी देता है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अंकन-15000/-रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षी-1 व 3 के विरूद्ध स्वीकार किया जाता है। इन विपक्षीगण से परिवादी परिवाद व्यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त भी पाने का अधिकारी होगा।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)
अध्यक्ष
दिनांक: 10-05-2018
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