न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ
परिवाद संख्या-1203/2013
शालिनी सक्सेना -परिवादिनी
बनाम
एच0पी0 इंडिया सेल्स प्रा0लि0 एवं एक अन्य -विपक्षीगण
समक्ष
श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
श्रीमती गीता यादव, सदस्य
द्वारा श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
निर्णय
परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986
परिवाद पत्र के अनुसार, परिवादिनी का कथन, संक्षेप में, यह है कि उसने दि0 18.8.12 को एक ब्वउचंु च्तमेंतपव छवजम ठववा डवकमस छवण् ब्फ57200 ज्न् ैण्छवण्5ब्ठ1200छछल् विपक्षी सं0 2 के माध्यम से रू023520/-नकद देकर लिया । माह सितम्बर 2012 को नोट बुक पूरी तरह डेड हो गया। परिवादिनी ने इसकी शिकायत टोल फ्री नम्बर पर किया। इंन्जीनियर आया और उसने डिफेक्ट दूर कर दिया। दि0 27.7.2013 को नोट बुक पुनः डेड हो गया। परिवादिनी ने फिर शिकायत किया तो उसे बताया गया कि सर्विस सेंटर जाये। परिवादिनी सर्विस सेंटर गयी और नोट बुक दे आयी। दि0 27.7.2013 में उसमें पुनः कमियाॅ आने लगी। परिवादिनी नोट बुक फिर सर्विस सेंटर दे आयी। वहाॅ उसे दि0 16.8.13 को बताया गया कि यह वारन्टी अवधि में नहीं है
और उससेे रू0 7500/- नोट बुक ठीक करने हेतु माॅगा गया, जिसे देने से उसने मना कर दिया। ऐसा करके विपक्षी ने सेवा में कमी किया है और व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी सं0 1 से उक्त नोट बुक के बदले उसी कीमत का नया नोट बुक दिलाये जाने अथवा उसकी कीमत रू0 23520/- मय 18 प्रतिशत ब्याज सहित तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु रू015,000/-एवं वाद व्यय हेतु रू07500/- दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
विपक्षी सं0 1 ने अपने वर्जन/साक्ष्य में लिखा है कि विपक्षी सं0 1 कंपनीज एक्ट ,1956 के प्रावघान से आच्छादित है। विपक्षी सं0 1 की ओर से कोई कमी नहीं की गयी है न ही उन्होंने व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है। परिवादिनी ने मिथ्या तथ्यों पर वर्तमान परिवाद संस्थित कर दिया है जो कि निरस्त होने योग्य है।
विपक्षी को नोटिस जारी की गयी। नोटिसोंपरान्त भी विपक्षी सं0 2 न तो उपस्थित हुये और न ही उन्होंने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया है । विपक्षी सं0 1 ने अपना वर्जन/साक्ष्य दाखिल किया है ।
परिवादिनी ने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथपत्र दाखिल किया है एवं परिवाद पत्र/शपथपत्र के साथ अभिलेखीय साक्ष्यों की छायाप्रतियाॅ दाखिल किया है।
विपक्षी सं0 1 की ओर से ैचपतजीप डवनसप ने अपना शपथपत्र दाखिल किया है।
मंच ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को श्रवण किया एवं पत्रावली का सम्यक् अवलोकन किया।
परिवादिनी का तर्क है कि उसने दि0 18.8.12 को एक ब्वउचंु च्तमेंतपव छवजम ठववा डवकमस छवण् ब्फ57200 ज्न् ैण्छवण्5ब्ठ1200छछल् विपक्षी सं0 2 के माध्यम से रू023520/-नकद देकर लिया । माह सितम्बर 2012 को नोट बुक पूरी तरह डेड हो गया। परिवादिनी ने इसकी शिकायत टोल फ्री नम्बर पर किया। इंन्जीनियर आया और उसने डिफेक्ट दूर कर दिया। दि0 27.7.2013 को नोट बुक पुनः डेड हो गया। परिवादिनी सर्विस सेंटर गयी वहाॅ उसे बताया गया कि नोट बुक वारन्टी अवधि में नहीं है उससे रू0 7500/-नोट बुक ठीक करने हेतु माॅगा गया जो उसने नहीं दिया, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी सं0 1 से उक्त नोट बुक के बदले उसी कीमत का नया नोट बुक दिलाये जाने अथवा उसकी कीमत रू0 23520/- मय 18 प्रतिशत ब्याज सहित तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु रू015,000/-एवं वाद व्यय हेतु रू07500/- दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
उपरोक्त पर्यवेक्षणोंपरान्त मंच का यह अभिमत है कि प्रथम दृष्टया विपक्षी द्वारा सेवा में कमी प्रतीत होती है। ऐसा करके विपक्षी ने व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है। ऐसी स्थिति में मंच के समक्ष परिवादी के कथनों पर विश्वास करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है। परिवादी ने बार-बार विपक्षी से संपर्क किया है। परिवादी को विपक्षी के पास जाने आदि में भाग-दौड़ करनी पड़ी है, इससे स्वतः स्पष्ट है कि निश्चित रुप से परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हुआ है,
फलस्वरुप परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि सेे छः सप्ताह के अंदर परिवादी को विवादित नोट बुक की कीमत दें और यदि यह संभव न हो तो उसकी कीमत रू023520/-मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करंे। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0 1 परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू015000/- तथा रू05000/- वाद व्यय अदा करगें, यदि विपक्षी सं0 1 उक्त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते है तो विपक्षी सं0 1 को , समस्त धनराशि पर उक्त तिथि से ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा।
(गीता यादव) (गोवर्द्धन यादव) (संजीव शिरोमणि)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 21 जुलाई 2015