जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 132/2017 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-03.05.2017
परिवाद के निर्णय की तारीख:-07.04.2022
Anil Kumar Mishra aged about 55 years, Son of Sri Lalu Mishra resident of 538 Ka/ 1755, Shivlok, Triveni Nagar-III, Sitapur Road, Lucknow. ...........Complainant.
Versus
1. HDFC Ergo General Insurance Company Limited, 6th Floor, Leela Business Park, Andheri, Kurla Road Andheri (E), Mumbai-400059.
2. HDFC Bank Limited, 31/31, Second Floor, Mahatma Gandhi Marg, Hazratganj, Lucknow. Through its Branch Manager.
Also At:
HDFC Bank House, Senapati Bapat Marg, Lower Parel (West), Mumbai-400013. ...........Opp. Parties.
आदेश द्वारा- श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय.
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत विपक्षीगण से 5,00,000.00 रूपये स्व0 अभिषेक मिश्रा की दुर्घटना में हुई मृत्यु के कारण पालिसी नम्बर 41635456 द्वारा दिलाया जाए। साथ ही साथ मानसिक क्षति 50,000.00 रूपये एवं वाद व्यय 25,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि स्व0 अभिषेक मिश्रा की डेंगू का मच्छर काटने से अस्पताल में मृत्यु हो गयी। स्व0 अभिषेक मिश्रा ने 2,08,000.00 रूपये का व्यक्तिगत लोन लिया था जिसका लोन एकाउन्ट नम्बर 41042767 है। उक्त लोन की अदायगी 36 किश्तों में होनी थी, जिसकी ई0एम0आई0 70505.00 रूपये थी। उक्त लोन एकाउन्ट की स्व0 अभिषेक मिश्रा द्वारा जनरल इ0 पालिसी नम्बर 41635456 ली गयी। यह सर्व सुरक्षा पालिसी जो दिनॉंक 27.05.2014 से 26.05.2017 तक प्रभावी थी, जिसका प्रीमियम 2532.00 रूपये स्व0 अभिषेक मिश्रा के लोन एकाउन्ट से दिनॉंक 18.07.2016 से काटी जा रही थी। उसके सापेक्ष में इन्श्योरेंस कम्पनी द्वारा 5,00,000.00 रूपये का एक्सीडेन्टल कवरेज दिया गया था।
3. विपक्षी संख्या 01 के यहॉं मृत्यु की सूचना स्पीडपोस्ट से दी गयी थी। विपक्षी संख्या 01 द्वारा उनके प्रार्थना पत्र को यह कहकर खारिज कर दिया गया कि Dengue. Hemorrhagic Fever, Dengue Shock Syndrome, Multi Organ Failure, Acut Kidney Injury and Sudden Cardiac Arrest के कारण इनकी मृत्यु हुई थी। दुर्घटना से नहीं हुई थी।
4. विपक्षी संख्या 01 द्वारा अपने उत्तर पत्र में बीमा होना स्वीकार किया है तथा प्रीमियम लिया जाना भी स्वीकार किया गया और यह कहा गया कि मृतक की मृत्यु Dengue. Hemorrhagic Fever, Dengue Shock Syndrome, Multi Organ Failure, Acut Kidney Injury and Sudden Cardiac Arrest के कारण हुई है न कि दुर्घटना के कारण हुई थी। अपने अतिरिक्त कथनों में यह भी कहा गया कि मृतक की मृत्यु सामान्य स्थिति में हुई थी न कि दुर्घटना में हुई थी। अत: परिवादी कोई भी धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
5. विपक्षी संख्या 02 की ओर से अपने उत्तर पत्र में कहा गया कि परिवाद पत्र पोषणीय नहीं है। बैंक से लोन लिया था जिसकी किश्त 7505.00 रूपये थी।
6. परिवादी द्वारा अपने परिवाद के कथानक के समर्थन में मृत्यु प्रमाण पत्र, डेथबुक प्रमाण पत्र, एच0डी0एफ0सी0 के पेमेन्ट का प्रपत्र, इ0कं0पत्र के क्लेम रेपुडिएशन फार्म, पुन: विचारणीय प्रार्थना पत्र, अखबार की कटिंग, विधिक सूचना आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है।
7. विपक्षीगण द्वारा अपने कथानक के समर्थन में पॉवर ऑफ अटार्नी, लोन प्रमाण पत्र फार्म, ट्रम्स एण्ड कन्डीशन, स्टेटमेंट ऑफ एकाउन्ट, एवार्ड आदि दाखिल किया गया है।
8. हमने परिवादी एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना, तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन किया।
9. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि स्व0 अभिषेक मिश्रा की मृत्यु हो गयी। यह भी तथ्य स्वीकृत है कि उन्होंने विपक्षी संख्या 01 के यहॉं से एक सर्व सुरक्षा पालिसी ली थी जिसकी वैधता दिनॉंक 27.05.2014 से 26.05.2017 तक थी और परिवादी विपक्षी संख्या 01 के यहॉं से अनुतोष के संबंध में दाखिल किया गया है। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि विपक्षी संख्या 01 द्वारा बीमा धनराशि प्राप्त करने हेतु प्रार्थना को निरस्त कर दिया गया है और यह कहकर निरस्त कर दिया है कि उसकी मृत्यु दुर्घटना में नहीं बल्कि Dengue. Hemorrhagic Fever, Dengue Shock Syndrome, Multi Organ Failure, Acut Kidney Injury and Sudden Cardiac Arrest से हुई है जो कि एक स्वाभाविक मृत्यु की श्रेणी में आती है।
10. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मौखिक तर्क यह प्रस्तुत किया गया कि मृत्यु डेंगू मच्छर के काटने से हुई है और मच्छर का काटना एक दुर्घटना की श्रेणी में आता है और मच्छर न काटता तो वह दुर्घटना नहीं होती। ठीक इसके विपरीत विपक्षी संख्या 01 द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि परिवादी की मृत्यु सामान्य रूप से हुई थी और मृत्यु का कारण Dengue. Hemorrhagic Fever, Dengue Shock Syndrome, Multi Organ Failure, Acut Kidney Injury and Sudden Cardiac Arrest था। परन्तु विचारणीय बिन्दु यह है कि मच्छर का काटना एक्सीडेन्टल माना जाए या नहीं माना जाए।
11. परिवादी की ओर से जितेन्द्र कुमार देव (मृतक)बनाम मनगमा फाइनेन्स कारपोरेशन लिमि0 व अन्य II (2014) CPJ 576 (NC) नेशनल कंज्यूमर डिप्यूट रिडर्सल कमीशन द्वारा पारित निर्णय का ससम्मान पूर्वक अवलोकन किया। वर्तमान तथ्य परिस्थितियों से भिन्न होने के कारण लागू नहीं होते हैं। विष्णु चन्द्र शर्मा पुत्र श्री सोनाराम शर्मा बनाम श्रीराम फाइनेन्स कम्पनी लिमि0 एवं अन्य रिवीजन पिटीशन नम्बर 2030-2031/2016 में माननीय न्यायालय द्वारा पारित निर्णय का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियॉं भिन्न होने के कारण लागू नहीं है। इन्स्टालमेंट सप्लाई लिमि बनाम कांगड़ा एक्स सर्विसमैन ट्रान्सपोर्ट कम्पनी व अन्य I (2007)CPJ 34 (NC) में माननीय न्यायालय द्वारा पारित विधि व्यवस्था का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। विधि व्यवस्था भिन्न होने के कारण लागू नहीं है। इन्डस्इन्ड बैंक लिमि0 बनाम शाह जफर महमूद व अन्य प्रथम अपील नम्बर 205/2010 में माननीय राज्य आयोग उत्तराखण्ड द्वारा पारित विधि व्यवस्था का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। मामले के तथ्य एवं परिस्थितियॉं भिन्न होने के कारण लागू नहीं हैं तथा माननीय राज्य आयोग उत्तर प्रदेश द्वारा पारित अपील संख्या 2780/2012 हिन्दुजा लीलैण्ड फाइनेन्स लिमि0 व अन्य बनाम राजेश तिवारी में पारित आदेश का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। मामले के तथ्य व परिस्थितियॉं भिन्न होने के कारण लागू नहीं होते हैं। नवनीत झा बनाम मैग्मा सराची फाइनेन्स लिमि0 में माननीय राज्य आयोग छत्तीसगढ़ द्वारा पारित विधि व्यवस्था का ससम्मानपूर्वक अवलोकन किया। मामले के तथ्य व परिस्थितियॉं भिन्न होने के कारण लागू नहीं होते हैं।
12. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश- नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमि0 बनाम मौसमी भटट चटर्जी एवं अन्य II (2019) CPJ 4 (SC) का संदर्भ दाखिल किया गया। मैने माननीय न्यायालय द्वारा पारित विधि व्यवस्था का ससम्मान अवलोकन किया। विपक्षी अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि मच्छर का काटना इन्सेफेलाइटिस मलेरिया से मृत्यु को दुर्घटना मृत्यु नहीं माना है। मलेरिया भी मच्छर के काटने से होता है और प्रस्तुत प्रकरण डेंगू से संबंधित है। डेंगू भी मच्छर के काटने से होता है।
13. माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मच्छर काटने को दुर्घटना मृत्यु की श्रेणी में नहीं माना गया है। चॅूंकि प्रस्तुत प्रकरण में डेंगू भी मच्छर के काटने से होता है तथा डेंगू दुर्घटना में नहीं माना जायेगा। मृत्यु की आख्या के परिशीलन से विदित है कि Dengue. Hemorrhagic Fever, Dengue Shock Syndrome, Multi Organ Failure, Acut Kidney Injury and Sudden Cardiac Arrest आदि बीमारियों के कारण मृत्यु हुई है जो कि स्वाभाविक मृत्यु हुई है।
14. परिवादी भी इस विधि व्यवस्था पर बल देता है। इस विधि व्यवस्था में यद्यपि पैसा दिलाये जाने का भी आदेश पारित किया गया है। जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 का लाभ देते हुए आदेश पारित किया जो माननीय न्यायालय की अर्न्तनिहित शक्तियों के अन्तर्गत है जिसमें यह भी लिखा गया है कि पैसों का भुगतान किया जा चुका है। उपरोक्त परिस्थिति में मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने भुगतान दिलाया है जो वर्तमान परिवाद में प्रासंगिक नहीं है। अत: इस स्तर पर परिवादी कोई लाभ प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है।
15. ऐसी परिस्थिति में विपक्षी संख्या 01 द्वारा जो क्षतिपूर्ति दिये जाने के संबंध में रेपुडिएशन है वह उपर्युक्त आधार है। ऐसी परिस्थिति में परिवादी को कोई भी क्षतिपूर्ति प्रदान किया जाना न्यायसंगत नहीं है।
आदेश
16. परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक 07.04.2022