समक्ष न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम महोबा
परिवाद सं0-130/2012 उपस्थित- श्री बाबूलाल यादव, अध्यक्ष,
डा0 सिद्धेश्वर अवस्थी, सदस्य,
श्रीमती नीला मिश्रा, सदस्य
गीता सिंह पत्नी श्री क़ष्णेन्द्र सिंह निवासिनी-ग्राम- लाडपुर तहसील-कुलपहाड जिला-महोबा
....परिवादिया
बनाम
1.प्रबंधक,एच0डी0एफ0सी0इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी छठा तल लीला बिजनेस पार्क अंधेरी कुर्ला रोड,अंधेरी,मुम्बई पूर्व 400059 ।
2.शाखा प्रबंधक,एच0डी0एफ0सी0इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0 शाखा एन0आई0सी0फरीदाबाद जिला-फरीदाबाद 121001 ........विपक्षीगण
निर्णय
श्री बाबूलाल यादव,अध्यक्ष द्वारा उदधोषित
परिवादिया गीता सिंह ने यह परिवाद खिलाफ विपक्षीगण प्रबंधक,एच0डी0एफ0सी0इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपनी,अंधेरी,मुम्बई व फरीदाबाद बाबत दिलाये जाने बीमित धनराशि 2,40,800/-रू0 व अन्य अनुतोष प्रस्तुत किया है ।
संक्षेप में परिवादिया का कथन इस प्रकार है कि परिवादिया बोलेरो जीप सं0 यू0पी095ए 2146 की पंजीक़त स्वामिनी है और उसने अपने उपरोक्त वाहन का कंप्रेहेंसिव बीमा विपक्षीगण की शाखा फरीदाबाद कार्यालय से कराया था,जिसका कवरनोट सं.002301032984 है । यह पालिसी विपक्षीगण के महोबा में कार्यरत एजेंट द्वारा महोबा शहर में ही परिवादिया को जारी की गई थी तथा इसकी बीमा पालिसी सं.2311200152536500000 परिवादिया के घर के पते पर प्राप्त कराई गई थी,जिसकी वैधता दिनांक:04.11.2011 से 03.11.2012 तक थी । उपरोक्त बीमा पालिसी के अस्तित्व में रहने के दौरान परिवादिया अपने पुत्र अभिषेक सिंह के साथ अपने नाती आयुष्मान सिंह का इलाज कराने हेतु दिनांक:12.11.2011 को मेडिकल कालेज के गेट नंबर 04 के सामने मां वैष्णो हास्पिटल,झांसी गया था । परिवादिया के पुत्र द्वारा उपरोक्त दिनांक को अपने उपरोक्त वाहन को वहीं अस्पताल गेट के सामने पार्किंग में लॉक कर के खड़ा कर दिया था लेकिन जब वह अस्पताल के बाहर आया तो उनको अपना वाहन वहां नहीं मिला । काफी तलाशने पर जब उसका वाहन नहीं मिला तो तत्काल उन्होंने इसकी सूचना क्षेत्रीय पुलिस को दी । इसके अलावा परिवादिया ने अपने मोबाइल से उसी समय बीमा जारीकर्ता शाखा विपक्षी सं02 को इसकी सूचना दी । क्षेत्रीय पुलिस द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज न किये जाने पर दिनांक:19.11.2011 को परिवादिया ने उपरोक्त घटना की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक,झांसी को पंजीक़त डाक से भेजी । तत्पश्चात पुलिस द्वारा घटना की जांच करने पर पुलिस द्वारा मु0अ0सं0160/2011 अंतर्गत् धारा-379 भा0दं0सं0 थाना-नबाबाबाद झांसी में अज्ञात व्यक्ति के नाम दर्ज की गयी । उपरोक्त मामले को विवेचना के पश्चात संबंधित थाने की पुलिस द्वारा तमाम प्रयास के बावजूद वाहन बरामद न कर पाने एवं भविष्य में इसकी संभावना न होने के कारण अंतिम आख्या न्यायालय में दाखिल कर दी गई । परिवादिया की सूचना पर विपक्षीगण द्वारा अपने सर्वेयर के माध्यम से सर्वे कार्य कराया गया था लेकिन जब परिवादिया द्वारा अपने वाहन की बीमा पालिसी में निर्धारित टोटल वैल्यू 2,40,800/-रू0 की मांग की गई तो उनके द्वारा व्यापारिक कदाचरण करते हुये झूठे एवं अवैधानिक तथ्यों को उल्लिखित करते हुये दिनांक:10.06.2012 को परिवादिनी का क्लेम आवेदन नौ क्लेम कर दिया गया,जिससे परिवादिया को मानसिक कष्ट हुआ । इन्हीं परिस्थितियों में परिवादिया ने यह परिवाद मा0 फोरम में प्रस्तुत किया है ।
विपक्षीगण की ओर से जबाबदावा प्रस्तुत किया गया है,जिसमें उन्होनें परिवादिया का परिवाद विधि एवं तथ्यों के विपरीत बताया और यह कहा है कि परिवादिया का परिवाद मा0फोरम के क्षेत्राधिकार के बाहर है और चलने योग्य नहीं है । उनका यह भी कथन है कि परिवादिया ने घटना की प्रथम रिपोर्ट घटना के 28 दिनों के बाद अंकित कराई है तथा विपक्षीगण को चोरी की सूचना 37 दिन बाद प्राप्त कराई गई है । इस प्रकार परिवादिनी का परिवाद नेशनल कमीशन द्वारा निर्णीत निर्णय बीरेंद्र कुमार बनाम न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कंपनी लि0 व अन्य आदेश पारिज दिनांक:07.11.2012 में दिये गये के अनुसार खारिज किये जाने योग्य है । उनकी और से यह भी कहा गया है कि उक्त वाहन के संबंध में पूर्व में जारी बीमा पालिसी का सत्यापन नहीं कराया जा सका था,इस कारण भी परिवादिया का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है । विपक्षीगण की और से यह भी कहा गया है कि परिवादिया द्वारा बीमा कंपनी द्वारा बार-बार मांगने पर भी कागजात उपलब्ध नहीं कराये गये । इन समस्त परिस्थितियों में उन्होंने परिवादिया का परिवाद खारिज किये जाने की प्रार्थना की है ।
परिवादिया ने अपने परिवाद के समर्थन में स्वयं का शपथ पत्र कागज सं04ग प्रस्तुत किया है तथा अभिलेखीय साक्ष्य में परिवादिया को जारी किये गये नौ क्लेम लेटर की छायाप्रति 6ग/1 व 6ग/2,वाहन का पंजीयन प्रमाण पत्र की छायाप्रति कागज सं0 16ग,वाहन के बीमा के कवरनोट की छायाप्रति कागज सं0 17ग,प्रथम सूचना रिपोर्ट की छायाप्रति कागज सं018ग/1, अंतिम रिपोर्ट की छायाप्रति 18ग/2 व 19ग तथा बीमा कंपनी द्वारा जारी पत्र की छायाप्रति कागज सं0 20ग दाखिल की गई है ।
विपक्षीगण की ओर से अपने जबाबदावा के समर्थन में शपथ-पत्र द्वारा प्रबंधक,एच0डी0एफ0सी0 एग्रो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि0,लखनऊ व सलाउददीन सर्वेयर के शपथ पत्र दाखिल किये गये है,जो कि क्रमश: कागज सं0 14ग/1 व 14ग/2 एव कागज सं0 21ग हैं ।
फोरम द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया ।
उभय पक्ष का यह तथ्य स्वीकार है कि परिवादिया के वाहन का बीमा विपक्षी बीमा कंपनी से था,जिसकी वैधता दिनांक:04.11.2011 से 03.11.2012 तक थी । विपक्षीगण की और से परिवादिया के क्लेम को दो बिन्दुओं के आधार पर नो क्लेम किया गया है । विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह कहा है कि प्रथम बिन्दु यह है कि परिवादिया के उपरोक्त वाहन का बीमा इसके पूर्व के वर्ष में आई0सी0आई0सी0आई0लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी से था तथा वह पालिसी अजीजुर्हमान के नाम के व्यक्ति के नाम से था,जो कि फर्जी पाई गई । परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता ने इस तथ्य से इंकार किया है और यह कहा है कि विपक्षीगण का यह आरोप निराधार है । वर्तमान पालिसी के पूर्व की पालिसी भी सत्य थी । विपक्षीगण की और से इसके समर्थन में कोई ऐसा साक्ष्य दाखिल नहीं किया जा सका,जिसके आधार पर यह कहा जा सकता कि पूर्व में जारी बीमा पालिसी फर्जी थी जबकि वह इससे संबंधित अभिलेखीय साक्ष्य बखूबी न्यायालय में दाखिल कर सकते थे । अंत: विपक्षीगण द्वारा इस आधार पर क्लेम निरस्त किया जाना सही नहीं पाया जाता है ।
दूसरा बिन्दु विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता ने यह उठाया है कि परिवादिया का वाहन दिनांक:12.11.2011 को चोरी जाना बताया गया है,जबकि इसकी सूचना विपक्षी बीमा कंपनी को उसने अत्यंत देरी से अर्थात 37 दिनों के बाद दी है । ऐसी परिस्थिति में मा0राष्ट्रीय आयोग के निर्णय बीरेन्द्र कुमार बनाम न्यू इण्डिया इंश्योरेंस कं0लि0 दिनांकित 07.11.2012 के प्रकाश में बीमा क्लेम निरस्त किया जाना न्यायोचित बताया है । जबकि परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता ने यह कहा है कि सूचना चोरी वाले दिन ही दे दी गई थी तथा संबंधित थाने की पुलिस को भी सूचना उसी दिन दे दी गई थी तथा पुलिस अधीक्षक को भी पंजीकत डाक से सूचित किया गया था लेकिन पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक:17.11.2012 को अंकित की थी और विवेचना के उपरांत पुलिस ने अंतिम आख्या दाखिल की गई थी और वाहन की बरामदगी भविष्य में भी संभव न होने की बात कही थी । परिवादिया के विद्वान अधिवक्ता ने इस संबंध में यह बहस की है कि मा0 उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0 बनाम नितिन खंडेलवाल 2013(।।।) सी0पी0आर0 644 (सुप्रीम कोर्ट) व अमलेन्दु साहू बनाम ओरियेंटल इंश्योरेंस कंपनी लि0 2013 (।।।) सी0पी0आर0 (सूप्रीम कोर्ट) में यह मत व्यक्त किया है कि ऐसे केसेस में जहां वाहन के चोरी होना पाया जाता है और वाहन का बीमा कंप्रेहेंसिव होता है उन केसेस में बीमा कंपनी को बीमा क्लेम देने से उन्मुक्त नहीं किया जा सकता । ऐसे केसेस में बीमित धनराशि का निर्धारण नोन स्टैण्डर्ड बेसेस पर किया जायेगा,जिसके लिये मा0 उच्चतम न्यायालय ने बीमित धनराशि का 75 प्रतिशत दिलाये जाने को न्यायोचित माना है । यह फोरम मा0 उच्चतम न्यायालय के उपरोक्त निर्णय के प्रकाश में यह न्यायोचित पाता है कि विपक्षी बीमा कंपनी परिवादिया को बीमित धनराशि का 75 प्रतिशत बीमा क्लेम देने के लिये उत्तरदाई है,जो कि बीमित धनराशि 2,40,800/- रू0 का 75 प्रतिशत 1,80,600/-रू0 होता है,जिसे परिवादिया बीमा कंपनी से प्राप्त करने की अधिकारिणी है ।
आदेश
परिवादिया का परिवाद खिलाफ विपक्षीगण आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है । विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादिया को बीमित धनराशि के रूप में 1,80,600/-रू0 का भुगतान इस निर्णय के अंदर एक माह करें । इसके अलावा परिवादिया विपक्षीगण से 10,000/-रू0 मानसिक कष्ट के एवज में एवं 2,500/-रू0 वाद व्यय के एवज में भी प्राप्त करने की हकदार होगी । विपक्षीगण उपरोक्त धनराशि इस निर्णय के अंदर एक माह परिवादिया को प्रदान करें अन्यथा परिवादिया विपक्षीगण से उक्त धनराशि पर 9 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज भी पाने की अधिकारिणी होगी ।
(डा0सिद्धेश्वर अवस्थी) (श्रीमती नीला मिश्रा) (बाबूलाल यादव)
सदस्य, सदस्या, अध्यक्ष,
जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा। जिला फोरम,महोबा।
18.03.2015 18.03.2015 18.03.2015