जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 361/2021 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-12.11.2021
परिवाद के निर्णय की तारीख:-06.06.2023
श्रीमती अर्चना बाजपेई, आयु लगभग 39 वर्ष पत्नी स्व0 आलोक कुमार बाजपेई, निवासी ई-2522, राजाजीपुरम, लखनऊ। ............परिवादिनी।
बनाम
1. एच.डी.एफ.सी. इरगो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, छठा तल, लीला बिजनेस पार्क, अंधेरी (पू0) मुम्बई-400059 द्वारा जनरल मैंनेजर।
2. प्रबन्धक, एच.डी.एफ.सी. इरगो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, रतन स्क्वायर द्वितीय तल, विधानसभा मार्ग, लखनऊ।
3 प्रबंधक, एच.डी.एफ.सी. बैंक, कृषि भवन के सामने, लखनऊ-226001 ।
...........विपक्षीगण।
परिवादिनी के अधिवक्ता का नाम:-श्री नरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव।
विपक्षी संख्या 01 व 02 के अधिवक्ता का नाम:-श्री विक्रम सोनी।
विपक्षी सं0 03 के अधिवक्ता का नाम:-श्री इस्तिखार हसन एवं श्री मुजीब इफेन्डी।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादिनी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा 34 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत विपक्षीगण से परिवादिनी को बीमा मृत्युदावा की धनराशि 27,88,381.00 रूपया मय 18 प्रतिशत ब्याज के अदा करने, मानसिक व शारीरिक कष्ट की क्षतिपूर्ति 25,00,000.00 रूपया एवं वाद व्यय 25,000.00 रूपया दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी के पति स्व0 आलोक कुमार बाजपेई ने विपक्षी संख्या 03 से भवन निर्माण हेतु 25 लाख रूपये का लोन दिनॉंक 24.06.2019 को लिया था साथ ही साथ उक्त लोन का इन्श्योरेंस विपक्षी संख्या 01 व 02 से दिनॉंक 31.07.2019 को कराया था। उक्त लोन के विरूद्ध विपक्षीगण द्वारा 05 किश्तें भी अग्रिम रूप से जमा करा ली गयी थी।
3. परिवादिनी के पति श्री आलोक कुमार बाजपेई द्वारा ली गयी पालिसी में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि उक्त इन्श्योरेंस में क्या-क्या और कितनी धनराशि बीमित है। परिवादिनी के पति श्री आलोक कुमार बाजपेई को दिनॉंक 21.08.2020 को अचानक सीने में दर्द, घबराहट तथा उलझन होने के कारण तत्काल बादशाहनगर रेलवे अस्पताल लखनऊ में भर्ती कराया गया जहॉं पर प्राथमिक उपचार के बाद उनका कोरोना टेस्ट कराया गया जो पाजिटिव पाये जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ के आदेशानुसार उन्हें लखनऊ हैरिटेज हास्पिटल चौक में भर्ती कराया गया जहॉं पर उपचार के दौरान सायंकाल 6.45 पर उनकी मृत्यु हो गयी।
4. बीमा धारक आलोक कुमार बाजपेई की मृत्यु दिनॉंक 21.08.2020 को Cardio Respiratory Arrest से हो जाने पर परिवादी विपक्षीगण को बीमादावा दिनॉंक 08.12.2020 को प्रस्तुत किया गया जिसे विपक्षीगण ने दिनॉंक 16.12.2020 को ई-मेल के द्वारा क्लेम नम्बर RR-C120-12198099 रजिस्टर किया तथा यह भी कहा कि क्लेम स्टेटस सात दिन में अपडेट हो जायेगा। अगर किसी अन्य अभिलेख की आवश्यकता होगी तो उसे आपको सूचित किया जायेगा।
5. विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी का बीमा क्लेम रजिस्टर के उपरान्त दिनॉंक 18.12.2020 को अस्वीकार कर दिया। विपक्षीगण द्वारा जारी इन्श्योरेंस सर्टिफिकेट में यह स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि होम क्रेडिट इश्योर में मेजर मेडिकल इलनेस एवं प्रोसीजरल सम्मिलित होने के बावजूद विपक्षीगण ने परिवादिनी के बीमा क्लेम को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि “ since the losses claimed under critical illness are not covered” विपक्षीगण ने परिवादिनी के बीमा क्लेम फार्म तथा उसके साथ संलग्न अन्य अभिलेखों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया। बीमित व्यक्ति आलोक कुमार बाजपेई ने भारतीय जीवन बीमा निगम से भी बीमा पालिसी लिया था।
6. परिवादिनी द्वारा आलोक कुमार बाजपेई की मृत्यु पर उक्त बीमा पालिसी के भुगतान का दावा करने पर एल0आई0सी0 ने क्लेम फार्म बी एवं बी-1 मेडिकल अटेन्डेन्ट्स सर्टिफिकेट तथा अस्पताल चिकित्सा का प्रमाण पत्र लखनऊ हेरिटेज हास्टिल के चिकित्सक जिन्होंने आलोक कुमार बाजपेई का इलाज किया था, ने अस्पताल चिकित्सा का प्रमाण पत्र (दावा प्रपत्र ब-1) के कालम नम्बर 7 में एल0आई0सी0 ने पूछा है कि ‘ क्या रोगी में अन्य कोई पूर्व रोग अथवा बीमारी थी जो कि चिकित्सालय में भर्ती होते समय साथ-साथ विद्यमान थी, यदि हॉ तो कौन सा रोग था। इसके उत्तर में चिकित्सा करने वाले चिकित्सक ने स्पष्ट रूप से लिखा है “ DM-2 for 5-6 years Hypertension for 10 years” इसी प्रकार क्लेम फार्म बी के कालम 5 और 7 में चिकित्सा करने वाले चिकित्सक ने बीमारी का वर्णन किया है तथा मृत्यु का प्रारम्भिक कारण Cardio Respiratory Arrest तथा द्वितीय कारण ARDR Covid+एवं Pneumonia, DM-2 and Hyerptension ” बताया है।
7. कोविड-19 जिसे भारत सरकार ने तथा डब्लू एच ओ ने महामारी घोषित किया है तथा कोविड से मरने वालों के लिये मुआवजा देने की घोषण की है, किन्तु विपक्षीगण ने जानबूझकर परिवादिनी द्वारा बीमा क्लेम से संबंधित प्रस्तुत अभिलेखों को बिना देखे एवं जॉंच किये बीमा दावे को नकार दिया। विपक्षीगण ने बीमाधारक जिस अस्पताल में भर्ती था वहॉं के किसी डॉक्टर से अथवा अस्पताल से कोई जॉंच नहीं किया, जबकि बीमाधारक द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम से ली गयी बीमा पालिसी का भुगतान अस्पताल जहॉं बीमाधारक भर्ती था वहॉं से जॉंच कर बीमा पालिसी का भुगतान कर दिया।
8. परिवादिनी द्वारा बीमा पालिसी में वर्णित शर्तों के अनुसार अपने पति आलोक कुमार बाजपूई द्वारा ली गयी बीमा पालिसी जो कि बीमाधारक की मृत्यु की दशा में 27,88,381.00 रूपये देय है, विपक्षीगण द्वारा बीमा धनराशि के भुगतान को जानबूझकर नकार दिये जाने के कारण विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्यापार प्रथा को प्रदर्शित करता है। परिवार के पालन पोषण हेतु धन न उपलब्ध होने के कारण बीमाधारक द्वारा लिये गये गृह ऋण की किश्तों की अदायगी संभव नहीं हो पा रही है, तथा बैंक के कर्मचारी आये दिन परिवादिनी के घर पर आकर प्रताडि़त करते रहते हैं।
9. विपक्षी संख्या 03 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए परिवाद पत्र के अधिकांश कथनों को इनकार करते हुए कहा कि परिवादिनी जिला आयोग के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आयी है तथा तथ्यात्मक तथ्यों को छिपाकर परिवाद प्रस्तुत किया गया है। परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में विपक्षी संख्या 03 के विरूद्ध किसी प्रकार का अनुतोश पाने की अधिकारी नहीं है। परिवाद को सिद्ध किये जाने का भार परिवादिनी पर है। विपक्षी संख्या 03 की बकाया ऋण की अदायगी ऋण अनुबन्ध के अनुसार किये जाने हेतु परिवादिनी का पूर्णतया दायित्व है। परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्या 03 से किसी प्रकार का कोई अनुतोष नहीं चाहा गया है, इसलिए विपक्षी संख्या 03 के विरूद्ध परिवाद पोषणीय नहीं है, निरस्त किये जाने योग्य है।
10. विपक्षी संख्या 01 व 02 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि कोई भी पालिसी पक्षकारों के बीच लागू होती है और टर्म एवं कन्डीशन के आधार पर ही बीमा कम्पनी भुगतान करती है तथा परिवादिनी को पालिसी में दिये गये रिस्क पर ही भुगतान करती है। परिवादिनी के पति की कोविड-19 पॉजिटिव होने के कारण अस्पताल में दिनॉंक 21.08.2020 को भर्ती हुए थे। पालिसी सेवा शर्तों के अनुसार उनका क्लेम क्रिटिकल इन्लेस होने के कारण उसमें कवर नहीं था। सरकार द्वारा ex-gratia के तहत क्षतिपूर्ति दिलाये जाने की व्यवस्था की गयी है न कि इन्श्योरेंस कम्पनी से।
11. परिवादिनी ने मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षी संख्या 01 व 02 द्वारा जारी होम क्रेडिट एश्योर इन्श्योरेंस सर्टिफिकेट, मृत्यु प्रमाण पत्र, बीमा क्लेम अस्वीकार किये जाने का पत्र, फार्म बी एवं बी-1, आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल किया है। विपक्षीगण ने भी होम क्रेडिट का प्रपत्र, हेरिटेज हास्पिटल का पर्चा, मृत्यु प्रमाण पत्र, मेडिकल अटेंडेंस सर्टिफिकेट, चिकित्सा प्रमाण पत्र आदि दाखिल किया है।
12. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
13. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि श्री आलोक कुमार बाजपेई को 21.08.2020 को अचानक सीने में दर्द, घबराहट तथा उलझन होने के कारण तत्काल बादशाहनगर रेलवे अस्पताल लखनऊ में भर्ती कराया गया जहॉं पर प्राथमिक उपचार के बाद उनका कोरोना टेस्ट कराया गया जो पाजिटिव पाये जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ के आदेशानुसार उन्हें लखनऊ हैरिटेज हास्पिटल चौक में भर्ती कराया गया जहॉं पर उपचार के दौरान सायंकाल 6.45 पर उनकी मृत्यु हो गयी।
14. विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि इन्श्योरेंस प्रमाण पत्र में यह व्यवस्था की गयी है कि केवल होम क्रेडिट पालिसी बीमा का हुआ था जिसका लोन एकाउन्ट नम्बर-2918202902416900000 है, तथा कवर डिटेल्स में यह लिखा गया है कि :- As per the case summary received insured was treated for Covid 19. The said ailment is not covered under Major medical illness section of policy. Please refer to diseases covered under Section 3 Major Medical Illness and Procedures-1- Cancer of specified variety. 2- Kidney failure requiring regular dialysis. 3-Multiple sclerosis with persistent symptoms. 4- Major Organ/Bone Marrow transplant. 5- Open Heart replacement or repair of heart valves. 6- Open chest Coronary artery bypass graft. 7- Stroke resulting in permanent symptoms. 8-Permanent Paralysis of Limbs. 9-First heart attack of specified severity. Since the losses claimed under Critical Illness are not covered, the claim is not admissible as per the policy terms and conditions.
15. Major Medical Illness and Procedures में sum Insured 27,88,381.00 रूपये लिखा है। Personal Accident Death में 27,88,381.00 का तस्करा किया गया है। परिवादिनी के कथानक से न तो एक्सीडेन्ट डेथ नहीं हुई है। विपक्षी का कथानक है कि जब कोई भी बीमा कराया जाता है तो बीमा की शर्तों को उभयपक्ष को मानना पड़ेगा और बीमा की शर्तों के तहत ही उसका भुगतान किया जायेगा।
16. परिवादिनी द्वारा यह कहा गया कि मृतक ने होम लोन लिया था। विपक्षी का भी यही कथानक है कि होम लोन लिया था तथा जिस राशि के बावत प्रीमियम लिया जा रहा है और उसी से संबंधित अगर कोई घटना घटती है तभी इन्श्योरेंस कम्पनी भुगतान करेगी।
1-Fire & Allied Perils – ऐसा कोई भी कथानक परिवादिनी का नहीं है।
2-Burglary & Theft- ऐसा भी कथानक परिवादिनी का नहीं है।
3-Personal Accident- स्वीकृत है कि कोविड-19 एवं Cardio Respiratory Arrest हो जाने के कारण मृत्यु हुई है यह दुर्घटना नहीं है।
4-Loss of Job – लॉस ऑफ जॉब से संबंधित नहीं है कही इनकार नहीं किया है।
5-Major Medical Illnesses & Procedures-रेपुडिएशन लेटर से विदित है कि Critical claim for the critical illness did not meet the requirements for it’s eligibility as per the terms and condition of the policy the claim was repudiated. यहॉं पर मेजर मेडिकल इल्नेस से इन्श्योर्ड है और Cardio Respiratory Arrest हो जाने के कारण मृत्यु हो गयी है। अत: यहॉं भी टर्म एण्ड कन्डीशन लागू नहीं हैं। जहॉं तक Cardio Respiratory Arrest का प्रश्न है Cardio Respiratory Arrest फेफड़े को प्रभावित करता है। जब फेफड़ा प्रभावित होगा तो Cardio Respiratory Arrest डिजीज हो सकता है, परन्तु अगर कोरोना न हो तो Cardio Respiratory Arrest एक अलग बीमारी हो सकती है। मृत्यु का कारण कोविड-19 का भी तस्करा किया गया है। जिस-जिस व्यक्ति को कोविड-19 की बीमारी हुई थी जो भारत सरकार द्वारा उन्हें एग्रोसिया के रूप में 5,00,000.00 रूपये का भुगतान कराया गया था।
17. जैसा कि विपक्षी का कथानक है कि प्रस्तुत प्रकरण में ही भारत सरकार द्वारा प्रदत्त एग्रोसिया लाभ प्राप्त करने के अधिकारी है। जब भारत सरकार की व्यवस्था एग्रोसिया है तो वह वहॉं से प्राप्त कर सकता था। शर्तों से पक्षकार बाधित हैं और जिस तरह से मृत्यु हुई है उसका न तो प्रीमियम लिया गया है और न ही बीमा में सुरक्षित है। ऐसी परिस्थिति में मेरे विचार से कोई सेवा में कमी नहीं की गयी है। परिवादिनी स्वतंत्र होगी की एग्रोसिया की धनराशि भारत सरकार से प्राप्त कर सकती है।
आदेश
परिवादिनी का परिवाद खारिज किया जाता है। परिवादिनी स्वतंत्र होगी की एग्रोसिया की धनराशि भारत सरकार से प्राप्त कर सकती है।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-06.06.2023