ORDER | द्वारा- श्री पवन कुमार जैन - अध्यक्ष - इस परिवाद के माध्यम से परिवादिनी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे क्लेम राशि के 2,39,221/- रूपये दिलाऐ जाऐ। परिवाद व्यय परिवादिनी ने अतिरिक्त मांगा है।
- संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादिनी होण्डा सिटी कार सं0-यू0पी0-21-आर0- 3279 की पंजीकृत स्वामी है। यह कार उसने विपक्षी सं0-3 से खरीदी थी। कार दिनांक 19/02/2010 से 18/02/2011 तक की अवधि हेतु विपक्षी सं0-2 से बीमित थी। बीमा करते समय विपक्षी सं0-2 की ओर से परिवादिनी को अवगत कराया गया था कि किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर कार क्षतिग्रस्त होने की दशा में कार को ठीक कराने में जो भी खर्च आयेगा उसका भुगतान विपक्षी सं0-2 द्वारा किया जाऐगा। परिवादिनी के अनुसार दिनांक 08/07/2010 को परिवादिनी की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। दुर्घटनाग्रस्त कार को क्रेन के माध्यम से विपक्षी सं0-3 के वर्कशाप में पहुँचाया गया। क्रेन से वहॉं ले जाने में परिवादिनी के 3500/- रूपया खर्च हुऐ। विपक्षी सं0-3 ने परिवादिनी को विश्वास दिलाया कि कार रिपेयर करने में जो भी खर्चा आयेगा उसका भुगतान वह विपक्षी सं0-1 से प्राप्त कर लेगा। विपक्षी सं0-3 ने कार के दुघर्टनाग्रस्त हो जाने की सूचना विपक्षी सं0-1 को दे दी। विपक्षी सं0-1 ने अपने सर्वेयर द्वारा कार का निरीक्षण कराया। विपक्षी सं0-3 ने कार की रिपेयर होने के बाद परिवादिनी को सूचना दी। परिवादिनी जब कार की डिलिवरी लेने पहुँची तो विपक्षी सं0-3 ने उसे बताया कि कार रिपेयरिंग में 1,84,721/- रूपया खर्चा हुआ है और विपक्षी सं0-1 ने चॅूंकि यह खर्चा देने से इनकार कर दिया है अत: इसका भुगतान परिवादिनी को ही करना होगा। मजबूरन परिवादिनी ने 1,84,721/- रूपये का भुगतान विपक्षी सं0-1 को करके कार की डिलिवरी ले ली। इसके बाद परिवादिनी ने विपक्षीगण को पृथक-पृथक नोटिस प्रेषित करके वस्तु स्थिति से अवगत कराते हुऐ उनसे कार को क्रेन से भिजवाने तथा उसकी रिपेयर में हुऐ खर्चे की अदायगी की मांग की, किन्तु विपक्षीगण ने कोई सुनवाई नहीं की। काफी समय बाद विपक्षी सं0-1 ने मात्र 7996/- रूपये का एक चैक परिवादिनी को भेजा। परिवादिनी ने इसे प्राप्त नहीं किया और विपक्षी सं0-1 को वापिस कर दिया। परिवादिनी ने अग्रेत्तर कथन किया कि विपक्षी सं0-1 द्वारा भेजी गई धनराशि अत्याधिक कम थी उसने यह भी नहीं बताया कि कार की रिपेयर में हुई सम्पूर्ण धनराशि का वह भुगतान क्यों नहीं कर रहा। परिवादिनी के अनुसार विपक्षी सं0-1 व 2 की जिम्मेदारी थी कि वह परिवादिनी को सम्पूर्ण धन की अदायगी करते, किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया अत: परिवाद योजित करने की आवश्यकता हुई। परिवादिनी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवाद के समर्थन में परिवादिनी ने अपना शपथ पत्र कागज सं0-3/6 लगायत 3/9 दाखिल किया। सूची कागज सं0-3/10 के माध्यम से परिवादिनी द्वारा बीमा कवरनोट, विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 08/09/2010 की नकल, नोटिस भेजे जाने की डाकखाने की असल रसीद, विपक्षी सं0-3 को भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 08/09/2010 की कार्बन प्रति तथा इसे भेजे जाने की डाकखाने की असल रसीद को दाखिल किया, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-3/11 लगायत 3/15 हैं।
- विपक्षी सं0-3 की ओर से कम्पनी के अधिकृत प्रतिनिधि कमल मनचन्दा ने अपने शपथ पत्र कागज सं0-7/10 से समर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं0-7/1 लगायत 7/9 दाखिल किया। विपक्षी सं0-3 की ओर से प्रतिवाद पत्र में कहा गया कि उत्तरदाता विपक्षी के विरूद्ध परिवादिनी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ, परिवाद कथन आधारहीन है जिसमें कोई सार नहीं है। फोरम को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं है क्योंकि परिवाद में उठाऐ गऐ बिन्दु ‘’ उपभोक्ता विवाद ’’ के अन्तर्गत नहीं आते हैं। अन्यथा भी उत्तरदाता की ओर से परिवादिनी को सेवा प्रदान करने में कोई कमी नहीं की गई अत: परिवाद इन्हीं कारणों से खारिज होने योग्य है। उत्तरदाता विपक्षी सं0-3 की ओर से अग्रेत्तर कथन किया गया कि दिनांक 08 जुलाई, 2010 को परिवाद में उल्लिखित दुर्घटनाग्रस्त कार रिपेयर हेतु अंसल प्लाजा, वैशाली, गाजियाबाद स्थित उनके सर्विस स्टेशन पर लाई गयी थी जहॉं उसकी जॉबशीट तैयार हुई थी। विपक्षी सं0-3 ने कार रिपेयर का स्टीमेट तैयार कर परिवादिनी को सौंपा। इस पर परिवादिनी ने विपक्षी सं0-3 से कार की रिपेयर करने का अनुरोध किया, 14 अगस्त, 2010 को कार रिपेयर कर तैयार कर दी गई। परिवादिनी ने स्वेच्छा से कार रिपेयार के 1,84,721/- रूपये का भुगतान करके कार की डिलिवरी दिनांक 20/08/2010 को प्राप्त कर ली। विपक्षी सं0-3 की ओर से यह अभिकथित करते हुऐ कि परिवादिनी ने उसे अनावश्यक पक्षकार बनाया है और उसके विरूद्ध परिवादिनी को कोई वाद हेतुक उत्पन्न नहीं हुआ था परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। विपक्षी सं0-3 के प्रतिवाद पत्र के समर्थन दाखिल शपथ पत्र के साथ संलग्नक के रूप में कार बेचे जाते समय कराऐ गऐ कार के इंश्योरेंस की फोटो प्रति, दुर्घटनाग्रस्त कार की जॉबशीट, रिपेयर की रिटेल इनवायस, दिनांक 20/08/2010 को कार परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-3 के शोरूम से ले जाने सम्बन्धी गेट पास की फोटो प्रति को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-7/11 लगायत 7/15 हैं।
- विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र कागज सं0-13/1 लगायत 13/2 प्रस्तुत हुआ जिसमें यह कथन करते हुए कि उत्तरदाता विपक्षी सं0-2 विपक्षी सं0-1 के एजेन्ट के रूप में कार्य करता है उसने न तो बीमा पालिसी जारी की और न ही परिवादिनी के कलेम का उससे कोई सम्बन्ध है, परिवाद को आधारहीन बताते हुऐ अपने विरूद्ध सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की। विपक्षी सं0-2 की ओर से प्रतिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र कागज सं0-14 भी दाखिल हुआ।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से संयुक्त प्रतिवाद पत्र कागज सं0- 19/1 लगायत 19/3 दाखिल हुआ। इस प्रतिवाद पत्र में परिवाद में उल्लिखित कार का पंजीकृत स्वामी परिवादी को होना तथा दिनांक 19/02/2010 से 18/02/2011 तक की अवधि हेतु उक्त कार उत्तरदाता विपक्षीगण से बीमित होना तो स्वीकार किया गया है, किन्तु परिवाद के शेष कथनों से इ्न्कार किया गया है। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्तर कथन किया गया है कि दुर्घटना की सूचना परिवादिनी ने न तो सम्बन्धित थाने को दी और न उत्तरदाता विपक्षीगण को इसकी सूचना दी। बीमा कम्पनी की ओर से नियुक्त सर्वेयर की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कार में हुऐ नुकसान का नियमानुसार आंकलन करके डैप्रीसिएशन के आधार पर 7,996/- रूपये का चैक परिवादिनी को सही तौर पर भेजा गया था जिसे परिवादिनी ने बदनियति से वापिस कर दिया। उत्तरदाता विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र के पैरा सं0-23 में भुगतान योग्य पाई गई धनराशि का विवरण देते हुऐ कहा कि विपक्षीगण ने क्षति का नियमानुसार आंकलन किया है। परिवादिनी कदापि रिपेयर की मद में 1,84,721/- रूपये तथा क्रेन खर्च के रूप में 3500/- रूपया और क्षतिपूर्ति की मद में 50,000/- रूपया पाने की अधिकारी नहीं है। उत्तरदाता विपक्षीगण ने परिवाद को सव्यय खारिज किऐ जाने की प्रार्थना की।
- परिवादिनी ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/6 दाखिल किया। इसके साथ उसने विपक्षी सं0-1 एवं 3 को कथित रूप से भेजे गऐ नोटिस और डाकखाने की रसीदों की फोटो प्रमाणित प्रतियों, बीमा कवरनोट, परिवादिनी के अधिवक्ता द्वारा विपक्षी सं0-1 को भेजे गऐ नोटिस दिनांकित 09/12/2010 तथा इसे भेजे जाने की डाकखाने की रसीद, ए0डी0, नसीम क्रेन सर्विस नाम की 3500/- रूपया की रसीद की फोटो प्रतियों को दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-21/7 लगायत 21/14 हैं।
- विपक्षी सं0-3 की ओर से श्री कमल मनचन्दा ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-22/1 लगायत 22/6 दाखिल किया जिसके साथ शपथ पत्र दाखिल करने हेतु अधिकार पत्र, कार बेचने के समय कराऐ गऐ बीमा के कवरनोट, एक्सीडेन्टेड कार की चैक शीट, कार रिपेयर की रिटेल इनवायस और कार के गेट पास दिनांकित 20/08/2010 की फोटो प्रतियों को संलग्नक के रूप में दाखिल किया गया है, यह प्रपत्र पत्रावली के कागज सं0-22/7 लगायत 22/12 हैं।
- विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से बीमा कम्पनी के सहायक प्रबन्धक लीगल श्री आनन्द मिश्रा ने अपना साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-25/1 लगायत 25/2 दाखिल किया। इसके अतिरिक्त विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से अपने सर्वेयर विकास श्रीवास्तव की सर्वे रिपोर्ट की फोटो प्रमाणित प्रति को सूची कागज सं0-25/3 के माध्यम से दाखिल किया गया है, यह रिपोर्ट पत्रावली के कागज सं0-25/4 लगायत 25/7 हैं।
- पक्षकारों की ओर से अपनी-अपनी लिखित बहस दाखिल की गई।
- हमने पक्षकारों के विद्वान अधिवक्तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
- इस बिन्दु पर पक्षकारों के मध्य कोई विवाद नहीं है कि परिवादिनी की कार सं0-यू0पी0 21 आर-3279 दिनांक 19/02/2010 से 18/02/2011 के बीच की अवधि हेतु विपक्षी सं0-1 व 2 से बीमित थी। परिवाद के अनुसार कार दुर्घटना दिनांक 08/07/2010 को होना बताई गई है। कहने का आशय यह है कि अभिकथित दुर्घटना की तिथि को परिवादिनी की कार विपक्षी सं0-1 व 2 से बीमित थी। दुर्घटनाग्रस्त कार की रिपेयर्स विपक्षी सं0-3 के शोरूम पर हुई थीं इस तथ्य पर कोई विवाद नहीं है। रिटेल इनवायस कागज सं0-7/13 लगायत 7/14 के अनुसार रिपेयर का बिल 1,84,721/- रूपया का बना जिसका भुगतान परिवाद के पैरा सं0-11 के अनुसार परिवादिनी द्वारा विपक्षी सं0-3 को किया गया था।
- परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का आरोप है कि दुर्घटनाग्रस्त कार की रिपेयर में 1,84,721/- रूपया का खर्चा आया इसके बावजूद विपक्षी सं0-2 व 3 की ओर से क्लेम राशि के रूप में उसे मात्र 7,996/- रूपया का चैक भेजा गया। चॅूंकि क्लेम राशि अपर्याप्त और अत्याधिक कम थी अत: परिवादिनी ने उसे लेने से इनकार किया। परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि विपक्षी सं0-3 के शोरूम पर रिटेल इनवायस कागज सं0-7/13 लगायत 7/14 के अनुसार कार की रिपेयर में हुई 1,84,721/- रूपये की धनराशि और परिवाद में मांगी गई क्षतिपूर्ति पाने की परिवादिनी अधिकारिणीं है जो विपक्षीगण से उसे दिलाई जानी चाहिऐ।
- प्रत्युत्तर में विपक्षी सं0-3 के विद्वान अधिवक्ता ने कहा कि विपक्षी सं0-3 को परिवाद में अनावश्यक पक्षकार बनाया गया है। विपक्षी सं0-3 ने परिवादिनी के अनुरोध पर अभिकथित रूप से दुर्घटनाग्रस्त हुई कार की रिपेयर की थी जिसके बिल रूपया 1,84,721/- का भुगतान परिवादिनी ने विपक्षी सं0-3 को किया और भुगतान के बाद परिवादिनी अपनी कार उनके यहॉं से ले गई जैसा कि गेट पास कागज सं0- 7/15 से प्रकट है। विपक्षी सं0-3 के विद्वान अधिवक्ता ने यह भी कहा कि परिवादिनी का यह कथन मिथ्या है कि रिपेयर हेतु जब कार विपक्षी सं0-3 के शोरूम पर लाई गई थी तो परिवादिनी को विपक्षी सं0-3 द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि परिवादिनी की कार चॅूंकि बीमित है अत: रिपेयर में आये व्यय की राशि वह बीमा कम्पनी से स्वयं प्राप्त कर लेगा। विपक्षी सं0-3 के विद्वान अधिवक्ता के अनुसार परिवादिनी की कार जब रिपेयर हुई थी तो सूचित करने पर परिवादिनी विपक्षी सं0-3 के शोरूम पर आई थी और उसने रिपेयर में हुऐ व्यय की धनराशि का भुगतान विपक्षी सं0-3 को स्वविवेक से किया था।
- पत्रावली पर जो साक्ष्य सामग्री उपलब्ध है उसके आधार पर हम इस मत के हैं कि विपक्षी सं0-3 का कृत्य केवल इतना है कि कथित दुर्घटना के बाद कार रिपेयार हेतु उनके शोरूम पर लाने के बाद परिवादिनी के निर्देश पर विपक्षी सं0-3 द्वारा उसकी रिपेयर की गई थी और रिपेयर में हुऐ व्यय की धनराशि का भुगतान करने के बाद परिवादिनी कार को वहॉं से ले गई थी। चूँकि विपक्षी सं0-3 ने रिपेयर में हुऐ व्यय की धनराशि परिवादिनी से ली थी जिसका वह अधिकारी था अत: विपक्षी सं0-3 के विरूद्ध परिवादिनी कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणीं नहीं है।
- परिवादिनी ने अपने परिवाद में यह कहीं उल्लेख नहीं किया कि दिनांक 08/07/2010 को उसकी कार किस प्रकार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। अपने साक्ष्य शपथ पत्र कागज सं0-21/1 लगायत 21/6 में भी परिवादिनी ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त होने का क्या कारण था। विपक्षी सं0-1 व 2 की ओर से दाखिल सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-25/4 लगायत 25/7 के कालम सं0-11 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि क्लेम फार्म के अनुसार साईकिल सवार को बचाने में परिवादिनी की कार अनियन्त्रित होकर पत्थर पर चढ़ गई थी। उल्लेखनीय है कि परिवादिनी ने सर्वे रिपोर्ट में उल्लिखित दुर्घटना के कारण का कोई प्रतिवाद नहीं किया है। इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार दुर्घटनाग्रस्त कार का सर्वे सर्वेयर ने दिनांक 10/07/2010 को विपक्षी सं0-3 के गाजियाबाद स्थित शोरूम पर किया था। दुर्घटना दिनांक 08/07/2010 को हुई थी। प्रकट है कि विपक्षी सं0-1 व 2 के सर्वेयर ने सर्वे करने में किसी प्रकार की कोई देरी नहीं की। सर्वेयर द्वारा अपनी सर्वे रिपोर्ट में दुर्घटना के फलस्वरूप परिवादिनी को देय क्लेम राशि रूपये 7,996/- आंकलित की है और इस के आधार भी सकारण अपनी सर्वे रिपोर्ट में लिखे हैं। सर्वे रिपोर्ट के अन्त में सर्वेयर ने यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि सर्वे रिपोर्ट तैयार करने से पूर्व उन्होंने नुकसान के सम्बन्ध में बीमित अर्थात् परिवादिनी से भी विचार-विमर्श किया था। सर्वेयर ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में यह स्पष्ट उल्लेख किया है कि कार की कनेक्टिंग राड प्रश्नगत दुर्घटना में जैसा कि परिवादिनी ने बताई थी, डेमेज नहीं हो सकती। सर्वेयर ने कार के नीचे पत्थर लगने अथवा उससे कोई नुकसान होने के चिन्ह भी नहीं पाऐ। विधि का यह स्थापित सिद्धान्त है कि सर्वे रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण अभिलेख होता है जिसे मनमाने तरीके से अथवा उसमें उल्लिखित बातों से सहमत न होने के विशिष्ट कारण दर्शाये बिना अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिऐ। परिवादिनी की ओर से विपक्षी सं0-1 व 2 के के सर्वेयर की सर्वे रिर्पोट से असहमत होने के कोई कारण नहीं दर्शाऐ गऐ हैं। साथ ही साथ परिवादिनी यह भी प्रमाणित नहीं कर पाई कि विपक्षी सं0-3 की रिटेल इनवायस कागज सं0-7/13 लगायत 7/14 में उल्लिखित मदों में हुई रिपेयर दिनांक 08/07/2010 अभिकथित रूप से हुई कार दुर्घटना का सीधा परिणाम थी।
- हमारे विनम्र अभिमत में दुर्घटना में हुई रिपेयर की मद में परिवादिनी को सर्वे रिपोर्ट कागज सं0-25/4 लगायत 25/7 में संस्तुत 7,996/- रूपया तथा इसके अतिरिक्त दुर्घटनाग्रस्त कार को दुर्घटना स्थल से विपक्षी सं0-3 के शोरूम तक क्रेन के माध्यम से ले जाने में हुऐ व्यय की राशि 3,500/- रूपया (रसीद की फोटो कापी कागज सं0-21/14) कुल 7,996/- + 3,500/- रूपया = 11,496/- रूपया की धनराशि और उस पर परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज विपक्षी सं0-1 व 2 से दिलाया जाना न्यायोचित होगा। परिवादिनी विपक्षी सं0-3 से कोई अनुतोष पाने की अधिकारिणीं नहीं है। तदानुसार परिवाद सव्यय स्वीकार होने योग्य है।
परिवाद योजित किऐ जाने की तिथि से वास्तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 11,496/- (ग्यारह हजार चार सौ छियानवें रूपये केवल) की वसूली हेतु परिवादिनी के पक्ष में विपक्षी सं0-1 व 2 के विरूद्ध यह परिवाद स्वीकार किया जाता है। परिवाद व्यय की मद में विपक्षी सं0-1 व 2 से 2,500/- (दो हजार पाँच सौ रूपये) परिवादिनी अतिरिक्त पाने की अधिकारिणीं होगी। समस्त धनराशि की अदायगी इस आदेश की तिथि से एक माह के भीतर की जाऐ। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद 15.01.2016 15.01.2016 15.01.2016 हमारे द्वारा यह निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 15.01.2016 को खुले फोरम में हस्ताक्षरित, दिनांकित एवं उद्घोषित किया गया। (श्रीमती मंजू श्रीवास्तव) (सुश्री अजरा खान) (पवन कुमार जैन) सदस्य सदस्य अध्यक्ष - 0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद जि0उ0फो0-।। मुरादाबाद
15.01.2016 15.01.2016 15.01.2016 | |