Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/120/2015

Shri Vinod Kumar - Complainant(s)

Versus

HDFC Standard Life Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)

Shri Ajay kumar Gupta

10 Aug 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-120/2015  

विनोद कुमार पुत्र श्री गुलफाम निवासी 82 ग्राम मानपुर कुलचौरा तहसील व जिला बदायूँ-243601                                               …....परिवादी

बनाम

एच.डी.एफ.सी. स्‍टैर्ण्‍ड लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा-

1-शाखा प्रबन्‍धक, शाखा कार्यालय 409 रूद्र प्‍लाजा, द्वितीय तल, पीडब्‍ल्‍यूडी गेस्‍ट हाउस के सामने सिविल लाइन्‍स मुरादाबाद-244001

2-मुख्‍य प्रबन्‍धक, रजिस्‍टर्ड आफिस रेमन हाउस, एच.टी. पारिख मार्ग, 169 वेकवे रिक्‍लेमेशन, चर्च गेट मुम्‍बई-400020(महाराष्‍ट्र) …....विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 26-10-2015                                                                                                                             निर्णय तिथि: 10.08.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे बीमित श्रीमती नेक्‍कसा की बीमित राशि पाँच लाख रूपये मय बोनस एवं अन्‍य देय लाभ(यदि कोई हो) 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाये। बीमा राशि के बराबर क्षतिपूर्ति तथा परिवाद व्‍यय परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगा है।   
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी की बुआ श्रीमती नेक्‍कसा ने दिनांक 09-12-2013 को विपक्षीगण से एक बीमा पालिसी सं.-16476840 ली थी, जिसकी बीमा राशि पाँच लाख रूपये थी। दिनांक 29-01-2014 को अचानक घर पर ही श्रीमती नेक्‍कसा का स्‍वर्गवास हो गया। इसकी सूचना परिवादी ने विपक्षी-1 को भेजी। मृत्‍यु दावे से संबंधित आवश्‍यक औपचारिकतायें पूरी करते हुए परिवादी ने बहैसियत नामिनी विपक्षी-1 के समक्ष बीमा दावा प्रस्‍तुत किया। परिवादी ने विपक्षी-1 के कार्यालय के अनेक चक्‍कर लगाये, उसे बताया गया कि उसकी क्‍लेम फाईल विपक्षी-2 के पास भेज दी गई है, वहां से जबाव आने पर उसे सूचना दे दी जायेगी। लगभग एक साल बाद विपक्षी-1 के कार्यालय में जाने पर परिवादी को बताया गया कि विपक्षी-2 ने उसका क्‍लेम अस्‍वीकृत कर दिया है। परिवादी को तत्‍संबंधी एक पत्र भी प्राप्‍त कराया गया। परिवादी बिना पढ़ा-लिखा है, उसने क्‍लेम दिये जाने हेतु विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भी भिजवाया किन्‍तु उसके बीमे दावे का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी के अनुसार विपक्षीगण ने उसका बीमा दावा इस आधार पर अस्‍वीकृत किया कि बीमा प्रस्‍ताव भरते समय बीमित की आयु के संबंध में दिये  गये वोटर आई.डी. कार्ड तथा जन्‍मतिथि के संबंध में दिये गये घोषणा पत्र में उल्लिखित जन्‍मतिथि में अन्‍तर पाया गया है। परिवादी के अनुसार श्रीमती नेक्‍कसा अनपढ़ थी, घोषणा पत्र बीमा कंपनी के एजेंट ने भरकर नेक्‍कसा के हस्‍ताक्षर करा लिये थे। नेक्‍कसा ने कोई धोखाधड़ी नहीं की, उसका दावा विपक्षीगण ने गलत तरीके से अस्‍वीकृत किया है। परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के साथ परिवादी द्वारा बीमा शैडयूल, रेपुडिएशन लेटर, नेक्‍कसा के राशन कार्ड तथा विपक्षीगण को परिवादी द्वारा भिजवाये गये कानूनी नोटिस की छायाप्रतियों को दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/7 लगायत 3/11 हैं।
  4. विपक्षीगण की ओर से संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/7 दाखिल हुआ, जिसमें बीमित श्रीमती नेक्‍कसा के आवेदन पर परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी जारी किया जाना और उसकी अभिकथित मृत्‍यु के आधार पर परिवादी द्वारा बहैसियत नामिनी बीमा दावा प्रस्‍तुत किया जाना और बीमित की आयु में अन्‍तर पाये जाने के कारण उसका बीमा दावा अस्‍वीकृत किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कथन किया गया कि बीमा प्रस्‍ताव फार्म के साथ बीमित के वोटर आईडी कार्ड में उसकी जन्‍मतिथि 31-12-1958 अंकित थी किन्‍तु क्‍लेम फार्म के साथ जो वोटर आईडी कार्ड लगाया गया था, वह प्रस्‍ताव फार्म के साथ लगाये गये वोटर आईडी कार्ड से भिन्‍न था। बीमा दावे की जांच में सर्वेयर द्वारा पाया गया कि प्रस्‍ताव फार्म के साथ जो वोटर आईडी लगाया गया था, वह चुनाव कार्यालय के अभिलेखों के अनुरूप नहीं था और फर्जी था। विपक्षीगण ने यह पाते हुए कि परिवादी ने फर्जी वोटर आईडी कार्ड दाखिल किया था, धारा-45 इंश्‍योरेंस एक्‍ट के अधीन सही तथ्‍य उदघाटित न किये जाने की वजह से परिवादी का बीमा दावा अस्‍वीकृत किया और ऐसा करके उन्‍होंने कोई त्रुटि नहीं की। विपक्षीगण की ओर से परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
  5. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/4 दाखिल किया, जिसके साथ उसने परिवाद के साथ दाखिल प्रपत्रों को बतौर संलग्‍नक पुन: दाखिल किया, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-8/5 लगायत 8/9 हैं। परिवादी ने अतिरिक्‍त साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-13/1 भी दाखिल किया।
  6. विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के मैनेजर श्री नीरज सिंह का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-15/1 लगायत 15/5 दाखिल हुआ, जिसमें उन्‍होंने प्रतिवाद पत्र के कथनों को दोहराया।
  7. किसी भी पक्ष की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
  8. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  9. परिवादी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 28-02-2015, जिसकी नकल कागज सं.-3/9 है, के माध्‍यम से परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने त्रुटि की। उनका यह भी तर्क है कि बीमा पालिसी लेते समय बीमित श्रीमती नेक्‍कसा ने अपनी आयु के संबंध में कोई धोखाधड़ी विपक्षीगण के साथ नहीं की और फर्जी वोटर आईडी दाखिल नहीं की, तत्‍संबंधी विपक्षीगण के कथन मिथ्‍या एवं आधारहीन हैं।
  10. प्रतिउत्‍तर में विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि बीमित नेक्‍कसा ने बीमा पालिसी लेने हेतु बीमा प्रस्‍ताव फार्म के साथ जो वोटर आईडी लगायी थी, उसमें और आयु के संबंध में दिये गये शपथपत्र में विसंगती थी और श्रीमती नेक्‍कसा ने अपनी आयु गलत बतायी थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह भी तर्क है कि श्रीमती नेक्‍कसा की अभिकथित मृत्‍यु के बाद परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत बीमा क्‍लेम की जब जांच करायी गई तो जांचकर्ता ने यह पाया कि क्‍लेम के साथ जो वोटर आईडी दाखिल की गई थी, उसका तो सरकारी अभिलेखों से मिलान हो गया था किन्‍तु बीमा प्रस्‍ताव के साथ दाखिल वोटर आईडी कार्ड फर्जी था। उन्‍होंने परिवादी का दावा अस्‍वीकृत किये जाने को सही बताया है।
  11. इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं किया जा सकता कि श्रीमती नेक्‍कसा द्वारा जो बीमा प्रस्‍ताव फार्म पालिसी लेने हेतु भरा गया था, उसका तथा बीमा प्रस्‍ताव के साथ अभिकथित रूप से दी गई वोटर आईडी कार्ड और शपथपत्र बीमा कंपनी के पास उपलब्‍ध होंगे। बीमा कंपनी के पास कदाचित बीमा दावे के साथ दाखिल प्रपत्र एवं वोटर आईडी भी उपलब्‍ध न होने का कोई प्रश्‍न नहीं है किन्‍तु विपक्षीगण ने उनमें से किसी भी अभिलेख की नकल पत्रावली पर दाखिल नहीं की। यहां तक कि जांचकर्ता की रिपोर्ट भी पत्रावली में विपक्षीगण की ओर से दाखिल नहीं की गई है। विधि का यह सुस्‍थापित सिद्धान्‍त है कि न्‍यायालय के समक्ष सर्वोत्‍तम साक्ष्‍य प्रस्‍तुत किया जाना चाहिए। अभिलेखीय साक्ष्‍य यदि उपलब्‍ध है तो उसका स्‍थान मौखिक कथन नहीं ले सकते। अभिलेखों के अभाव में विपक्षीगण द्वारा बीमित श्रीमती नेक्‍कसा तथा परिवादी के विरूद्ध अभिकथित रूप से धोखाधड़ी करने और धोखे से बीमा पालिसी प्राप्‍त करने विषयक जो आरोप लगाये हैं, वे स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं हैं।
  12. भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम श्रीमती प्रोमिला मल्‍होत्रा, I(2004)सीपीजे पृष्‍ठ-91(एनसी) में माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि मैटेरियल कंसीलमंट को सिद्ध करने का भार बीमा कंपनी पर है। इस बिन्‍दु पर न्‍यू इंडिया इंश्‍योरेंस कंपनी बनाम पी.पी. खन्‍ना, II(1997)सीपीजे पृष्‍ठ 1(एनसी) की निर्णयज विधि में माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा निम्‍न व्‍यवस्‍था दी गई है:-

“The onus probandi, in case of fraudulent suppression of material facts rests heavily on party allegingfraud namely the insurer. The insurer cannot avoid consequences of insurance contract by simply showing inaccuracy or falsity of statement. burden is cast on the insurer to show that the statement was on a material matter or facts have been suppressed which it was material for the policy holder to disclose. It is further to be proved that the statement was fraudulently made by the policy holder with the knowledge of the falsity of statementor that the suppression was of material facts which had not been disclosed. The courts will not be satisfiedwith proof which falls short of showing that intentional misrepresentation was made with the knowledge of perpetrating fraud.”

13.उपरोक्‍त विधि व्‍यवस्‍थाओं के दृष्टिगत अभिलेखों के अभाव में यह प्रमाणित नहीं माना जा सकता कि श्रीमती नेक्‍कसा ने बीमा प्रस्‍ताव के साथ फर्जी वोरटर आईडी कार्ड लगाया और अपनी आयु के संबंध में गलत शपथपत्र दिया और विपक्षीगण के साथ धोखा करके प्रश्‍नगत पालिसी प्राप्‍त की। विपक्षीगण यह भी प्रमाणित करने में सफल नहीं हुए हैं कि बीमा प्रस्‍ताव फार्म के साथ दिया गया वोटर आईडी कार्ड फर्जी था। 

14.उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर हम इस निष्‍कर्ष पर पहुंचे हैं कि रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 28-02-2015 द्वारा परिवादी का क्‍लेम अस्‍वीकृत करके विपक्षीगण ने त्रुटि की थी। विपक्षीगण से परिवादी को बीमा धनराशि पाँच लाख रूपये 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलाया जाना न्‍यायोचित दिखायी देता है। परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी को विपक्षीगण से अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी उचित होगा। परिवाद तद्नुसार स्‍वीकार होने योग्‍य है।

 

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित पाँच लाख रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादी के पक्ष में विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण से परिवादी परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने का भी अधिकारी होगा। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान परिवादी को एक माह में किया जाये।

 

(सत्‍यवीर सिंह)                                                                                                                          (पवन कुमार जैन)

  • सदस्‍य                                                                                                                                                अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)                                                                                                                            (पवन कुमार जैन)

  • सदस्‍य                                                                                                                                                    अध्‍यक्ष

दिनांक: 10-08-2018

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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