Shri Roopram filed a consumer case on 13 Dec 2017 against HDFC Standard Life Insurance Company Ltd. in the Muradabad-II Consumer Court. The case no is CC/94/2015 and the judgment uploaded on 16 Dec 2017.
Uttar Pradesh
Muradabad-II
CC/94/2015
Shri Roopram - Complainant(s)
Versus
HDFC Standard Life Insurance Company Ltd. - Opp.Party(s)
Shri Ajay kumar Gupta
13 Dec 2017
ORDER
परिवाद प्रस्तुतिकरण की तिथि: 10-8-2015
निर्णय की तिथि: 13.12.2017
कुल पृष्ठ-5(1ता5)
न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद
उपस्थिति
श्री पवन कुमार जैन, अध्यक्ष
श्री सत्यवीर सिंह, सदस्य
परिवाद संख्या-94/2015
रूपराम पुत्र श्री नत्थूराम निवासी 21बी ग्राम गौतरा पटटी भोगी, तहसील दातागंज जिला बदायूँ। …...परिवादी
बनाम
एच.डी.एफ.सी. स्टैर्ण्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लि. द्वारा-
1-शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय 409 रूद्र प्लाजा द्वितीय तल पी.डब्ल्यू.डी. गेस्ट हाउस के सामने, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद पिन-244001
इस परिवाद के माध्यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे पुत्र की मृत्यु के फलस्वरूप उसकी बीमा राशि अंकन-4,96,210/-रूपये मय 12 प्रतिशत ब्याज तथा देय बोनस एवं अन्य लाभ सहित दिलायी जाये। बीमाधन के बराबर क्षतिपूर्ति और वाद व्यय परिवादी ने अतिरिक्त मांगा है।
संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं परिवादी के पुत्र सतवीर ने अपने जीवनकाल में विपक्षीगण से एक बीमा पालिसी सं.-16673066 दिनांक 27-02-2014 को ली थी। बीमित राशि अंकन-4,96,210/-रूपये थी। दिनांक 09-4-2014 को अचानक पेट में दर्द होने पर सतवीर की घर पर ही मृत्यु हो गई। डाक्टर ने उसे देखकर मृत घोषित कर दिया। परिवादी पालिसी में नामिनी है। विपक्षीगण को सूचित कर उसने मृत्यु दावा विपक्षी-1 के कार्यालय में प्रस्तुत किया। क्लेम राशि दिये जाने हेतु उसने विपक्षी-1 के कार्यालय के अनेक चक्कर लगाये। अन्तत: लगभग 10 माह बाद विपक्षी-1 के कार्यालय से उसे क्लेम अस्वीकृति का पत्र उपलब्ध कराया गया और कहा गया कि तुम्हारा दावा विपक्षी-2 के कार्यालय से अस्वीकृत हो गया है। क्लेम अस्वीकृत करने का आधार यह लिया गया कि सतवीर ने प्रश्नगत पालिसी लेने से पूर्व अन्य बीमा कंपनियों से भी बीमा पालिसी ले रखी थी और उक्त तथ्य उसने प्रस्ताव फार्म भरते समय विपक्षीगण से छिपाया था। परिवादी ने यह कहते हुए कि क्लेम अस्वीकृत किये जाने का आधार असत्य है, उसके पुत्र ने कोई पालिसी नहीं ले रखी थी, परिवाद में अनुरोधित अनुतोष विपक्षीगण से दिलाये जाने की प्रार्थना की।
परिवाद के साथ परिवादी ने रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 09-4-2015, पालिसी लेने हेतु सतवीर द्वारा भरे गये प्रस्ताव फार्म को स्वीकृत कर लिये जाने संबंधी विपक्षीगण द्वारा प्रेषित किये गये पत्र, पालिसी शैडयूल तथा परिवादी द्वारा क्लेम राशि दिये जाने हेतु विपक्षीगण को भेजे गये नोटिस की छायाप्रति को दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/9 हैं।
विपक्षीगण ने प्रतिवाद पत्र कागज सं.-7/1 लगायत 7/6 दाखिल किया, जिसमें यह तो स्वीकार किया गया कि परिवादी के पुत्र स्व. सतवीर के आवेदन पर प्रस्ताव फार्म में भरे गये तथ्यों के आधार पर उसके नाम परिवाद के पैरा-1 में उलिलखित पालिसी दिनांक 27-02-2014 को जारी की गई थी किन्तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। अग्रेत्तर कथन किया गया कि बीमित की मृत्यु की सूचना प्राप्त होने पर विपक्षीगण ने जब बीमा दावे की जांच करायी तो पाया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी लेने से पूर्व बीमित ने भारती एक्सा तथा टाटा एआईजी नामक बीमा कंपनियों से भी बीमा पालिसी ले रखी थीं और इस तथ्य को उसने प्रश्नगत पालिसी लेते समय भरे गये प्रस्ताव फार्म में छिपाया था। इस कारण इंश्योरेंस एक्ट की धारा-45 की व्यवस्थानुसार महत्वपूर्ण सूचना छिपाये जाने के आधार पर रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 09-4-2015 द्वारा परिवादी का बीमा दावा विपक्षीगण ने खारिज कर दिया और ऐसा करके उन्होंने न तो कोई त्रुटि की और न ही सेवा में कमी की। विपक्षीगण ने परिवाद को सव्यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
परिवादी ने अपना साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-10/14 लगायत 10/4 दाखिल किया, जिसके साथ उसने परिवाद योजित किये जाते समय दाखिल प्रपत्रों की छायाप्रतियों को पुन: दाखिल किया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-10/5 लगायत 10/12 हैं।
विपक्षीगण की ओर से विपक्षी-1 के शाखा प्रबन्धक श्री नीरज सिंह का साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/2 दाखिल हुआ, जिसके साथ पालिसी प्रपत्र, बीमित द्वारा भरे गये प्रस्ताव फार्म, बीमित की वोटर आईडी, राशन कार्ड तथा रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 09-4-2015 की छायाप्रतियों को बतौर संलग्नक दाखिल किया गया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-13/9 लगायत 13/18 हैं।
विपक्षीगण का साक्ष्य शपथपत्र दाखिल होने के उपरान्त परिवादी ने अपना अतिरिक्त साक्ष्य शपथपत्र कागज सं.-17 दाखिल किया, जिसके साथ उसने पूर्व में दाखिल अपने साक्ष्य शपथपत्र के साथ प्रस्तुत प्रपत्रों की नकले बतौर संलग्नक दाखिल करते हुए उन्हें प्रमाणित किया।
परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई।
हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी। पत्रावली का अवलोकन किया।
पक्षकारों के मध्य इस बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है कि बीमित स्व. सतवीर के प्रस्ताव फार्म में उल्लिखित तथ्यों के आधार पर विपक्षीगण ने परिवादी के पुत्र सतवीर के नाम दिनांक 27-02-2014 को प्रश्नगत बीमा पालिसी जारी की थी, जिसकी बीमित राशि अंकन-4,96,210/-रूपये थी। विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र अथवा साक्ष्य शपथपत्र में बीमित सतवीर की मृत्यु दिनांक 09-4-2014 को हो जाने के तथ्य से इंकार नहीं किया है। रेपुडिएशन लेटर दिनांकित 09-4-2015 में बीमा दावे को अस्वीकृत किये जाने का आधार विपक्षीगण ने यह लिया है कि बीमित सतवीर ने प्रश्गनत बीमा पालिसी लेने से पूर्व अन्य बीमा कंपनियों से भी पालिसियां ले रखी थीं और इस तथ्य को उसने बीमा प्रस्ताव फार्म भरते समय विपक्षीगण से छिपाया था। विपक्षीगण के साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-8 के अनुसार बीमित ने प्रश्नगत बीमा पालिसी लेने के पूर्व भारती एक्सा और टाटा एआईजी से भी बीमा पालिसी ले रखी थी, इस तथ्य का परिवादी ने अपने साक्ष्य शपथपत्र के पैरा-7 में स्पष्ट रूप से खण्डन करते हुए कहा है कि उसके पुत्र सतवीर ने प्रश्गनत पालिसी लेने से पूर्व किसी अन्य कंपनी की कोई बीमा पालिसी नहीं ले रखी थी। ऐसी दशा में विपक्षीगण का दायित्व था कि वे इस बात का अभिलेखीय प्रमाण प्रस्तुत करते कि बीमित ने प्रश्नगत बीमा कराने से पूर्व अभिकथित रूप से भारती एक्सा और टाटा एआईजी से भी बीमा पालिसी ले रखी थी। चूंकि विपक्षीगण ने किसी अभिलेखीय प्रमाण द्वारा अपने उक्त कथनों को प्रमाणित नहीं किया है, ऐसी दशा में बीमित द्वारा प्रश्नगत बीमा पालिसी लेने से पूर्व अन्य किसी बीमा कंपनी से पालिसी लिया जाना सिद्ध नहीं होता।
II(2017)सीपीजे पृष्ठ 463(एनसी), अविवा लाईफ इंश्योरेंस कंपनी लि. एण्ड अदर्स बनाम रेखाबेन रामजीभाई परमार की निर्णयज विधि में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, नई दिल्ली द्वारा यह व्यवस्था दी गई है कि यदि बीमित द्वारा बीमा प्रस्ताव में पूर्व में अन्य बीमा कंपनी से ली गई बीमा पालिसियों का उल्लेख नहीं किया है तो उक्त आधार पर बीमा कंपनी बीमा दावा अस्वीकृत नहीं कर सकती। माननीय राष्ट्रीय आयोग की इस विधि व्यवस्था के दृष्टिगत यदि यह मान भी लिया जाये कि परिवादी के स्वर्गीय पुत्र सतवीर ने प्रश्गनत बीमा पालिसी लेने के पूर्व अन्य बीमा कंपनियों से भी पालिसी ले रखी थीं तो उनका बीमा प्रस्ताव फार्म में उल्लेख नहीं किये जाने के आधार पर परिवादी का बीमा दावा विपक्षीगण द्वारा अस्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए था।
परिवादी का बीमा दावा अस्वीकृत करके विपक्षीगण ने त्रुटि की और सेवा प्रदान करने में कमी की है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि परिवादी को उसके स्वर्गीय पुत्र सतवीर की मृत्यु के फलस्वरूप उसकी बीमा पालिसी की बीमा राशि अंकन-4,96,210/-रूपये बोनस तथा अन्य लाभ सहित (यदि को हो) 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वाद दायरा तिथि तावसूली दिलायी जानी चाहिए। परिवादी को क्षतिपूर्ति की मद में अंकन-10,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्त दिलाया जाना भी न्यायोचित होगा। तद्नुसार परिवाद स्वीकार होने योग्य है।
परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण स्वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण को आदेशित किया जाता है कि विपक्षीगण इस आदेश से एक माह के अंदर प्रश्गनत बीमा पालिसी की राशि अंकन-4,96,210(चार लाख छियानवे हजार दो सौ दस) रूपये बोनस तथा अन्य लाभ सहित (यदि कोई हो) 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ
वाद दायरा तिथि तावसूली परिवादी को अदा करें। विपक्षीगण अंकन-10,000(दस हजार) रूपये क्षतिपूर्ति एवं अंकन-2500/-रूपये वाद व्यय भी परिवादी को अदा करें।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया।
(सत्यवीर सिंह) (पवन कुमार जैन)
सदस्य अध्यक्ष
दिनांक: 13-12-2017
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