Uttar Pradesh

Muradabad-II

CC/63/2017

Smt. Kusuma - Complainant(s)

Versus

HDFC standard life insurance co. ltd. - Opp.Party(s)

11 Jun 2018

ORDER

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

परिवाद संख्‍या-63/2017  

श्रीमती कुसमा पत्‍नी स्‍व. श्री हरपाल निवासी 22, नरपत नगला, तहसील दातागंज जिला बदायूँ-243641(उ.प्र.)                                  परिवादनी

बनाम

एच.डी.एफ.सी. स्‍टेण्‍डर्ड लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि. द्वारा-

1-शाखा प्रबन्‍धक, शाखा कार्यालय, द्वितीय तल, 409 रूद्र प्‍लाजा, पी.डब्‍ल्‍यू.डी. गेस्‍ट हाउस के सामने, सिविल लाईन्‍स, मुरादाबाद-244001

2-महाप्रबन्‍धक, रजिस्‍टर्ड आफिस, द आई.एल. एण्‍ड एफ.एस. फाईनेंशियल सेंटर, 5वां तल, प्‍लाट सं. सी-22, जी ब्‍लॉक, वान्‍दरा कुरला काम्‍पलेक्‍स, वान्‍दरा(ईस्‍ट) मुम्‍बई-400051(महाराष्‍ट्र)                                                                                                                                     विपक्षीगण

वाद दायरा तिथि: 20-06-2017                                  निर्णय तिथि: 11.06.2018         

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षीगण से उसे अपने पति की मृत्‍यु के फलस्‍वरूप उनकी बीमा राशि 5 लाख रूपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में 5 लाख रूपये और वाद व्‍यय की मद में अंकन-5500/-रूपये परिवादनी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।  
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि परिवादनी के पति स्‍वर्गीय श्री हरपाल ने अपने जीवन काल में पाँच लाख रूपये की बीमा पालिसी हेतु विपक्षीगण के समक्ष आवेदन किया था, जिसपर दिनांक 29-11-2014 को उनके पक्ष में बीमा पालिसी जारी की गई, यह पालिसी 25 वर्ष की थी और इसका प्रीमियम अंकन-25,255/-रूपये वार्षिक था। दिनांक 16-12-2014 को परिवादनी के पति का अचानक स्‍वर्गवास हो गया। परिवादनी पालिसी में नामिनी है, उसने विपक्षी-1 को सूचना देते हुए समस्‍त औपचारिकतायें पूरी करके मृत्‍यु दावा प्रेषित किया। परिवादनी ने अनेक चक्‍कर लगाये और अन्‍तत: लगभग एक वर्ष बाद परिवादनी को बताया गया कि उसका बीमा दावा विपक्षी-2 को भेज दिया गया है। काफी इंतजार के बाद विपक्षी-2 की ओर से भी बीमा दावे के संबंध में कोई सूचना प्राप्‍त नहीं हुई। परिवादनी ने विपक्षीगण को कानूनी नोटिस भी भिजवाया किन्‍तु उसका भी उन्‍होंने कोई जबाव नहीं दिया। परिवादनी के अनुसार विपक्षीगण के उक्‍त कृत्‍य सेवा में कमी हैं, उसने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के साथ परिवादनी द्वारा पालिसी डाकुमेंट, डाक्‍टर आर.डी. राजपूत बदायॅू द्वारा दिया गया मेडिकल सर्टिफिकेट, पति का मृत्‍यु प्रमाण पत्र और विपक्षीगण को भिजवाये गये नोटिस की छायाप्रतियों  को दाखिल किया गया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/5 लगायत 3/11 हैं।
  4. विपक्षीगण की ओर से संयुक्‍त प्रतिवाद पत्र कागज सं.-8/1 लगायत 8/3 दाखिल हुआ, जिसमें परिवादनी के पति श्री हरपाल के आवेदन पर उसे परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी जारी किया जाना और बीमित की अभिकथित मृत्‍यु होने पर परिवादनी द्वारा बतौर नामिनी दिनांक 30-03-2016 को बीमा दावा प्रस्‍तुत किया जाना तो स्‍वीकार किया गया है किन्‍तु शेष परिवाद कथनों से इंकार किया गया। प्रतिवाद पत्र में अग्रेत्‍तर कहा गया कि बीमा प्रस्‍ताव भरते समय परिवादनी के पति ने इस तथ्‍य को छिपाया था कि उसने अन्‍य पालिसियां भी ले रखी हैं। परिवादनी के पति ने बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय अन्‍य बीमा पालिसियां पूर्व में लिये जाने के तथ्‍य को छिपाया था, इस आधार पर विपक्षीगण ने पत्र दिनांकित 28-12-2015 द्वारा प्रश्‍नगत बीमा पालिसी को निरस्‍त कर दिया गया था, ऐसी दशा में विपक्षीगण प्रश्‍नगत बीमा पालिसी के सापेक्ष कोई धनराशि अदा करने के लिए उत्‍तरदायी नहीं है। उक्‍त कथनों के आधार पर विपक्षीगण ने परिवाद को सव्‍यय खारिज किये जाने की प्रार्थना की।
  5. परिवादनी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-11/1 लगायत 11/3 दाखिल किया, जिसके साथ उसने बतौर संलग्‍नक वे प्रपत्र पुन: दाखिल किये, जो उसने परिवाद योजित करते समय परिवाद के साथ दाखिल किये है। ये संलग्‍नक पत्रावली के कागज सं.-11/4 लगायत 11/8 हैं।
  6. विपक्षीगण की ओर से बीमा कंपनी के प्रबन्‍धक श्री आदित्‍य सिंह का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-13/1 लगायत 13/2 दाखिल हुआ, जिसमें इंश्‍योरेंस एक्‍ट की धारा-45 का अवलम्‍ब लेते हुए यह कहा कि परिवादनी के पति ने चूंकि बीमा प्रस्‍ताव फार्म में उसके द्वारा ली गई अन्‍य पालिसियों को छिपाया था, अतएव उसकी बीमा पालिसी निरस्‍त करके उन्‍होंने कोई त्रुटि नहीं की। उन्‍होंने अपने साक्ष्‍य शपथपत्र में परिवाद को खारिज किये जाने की पुन: प्रार्थना की।
  7. विपक्षीगण की ओर से दाखिल साक्ष्‍य शपथपत्र के साथ बीमा पालिसी निरस्‍त किये जाने विषयक पत्र दिनांकित 28-12-2015, बीमा प्रस्‍ताव फार्म, प्रश्‍नगत बीमा पालिसी की बीमित राशि दिलाने हेतु परिवादनी द्वारा विपक्षी-1 को लिखे गये पत्र, बीमित के मृत्‍यु प्रमाण पत्र, परिवादनी तथा मृतक की वोटर आई.डी., राशन कार्ड, परिवादनी की बैंक पासबुक, मृत्‍यु दावा तथा डाक्‍टर आर.डी. राजपूत बदायॅू द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट इत्‍यादि की नकलों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया है, ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-13/3 लगायत 13/48 हैं।
  8. परिवादनी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं हुई। विपक्षीगण की ओर से लिखित बहस दाखिल हुई।
  9. हमने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना और पत्रावली का अवलोकन किया।
  10. पक्षकारों के मध्‍य इस बिन्‍दु पर कोई विवाद नहीं है कि बीमित हरपाल के आवेदन पर विपक्षीगण ने उसके नाम परिवाद के पैरा-1 में उल्लिखित बीमा पालिसी दिनांक 29-3-2014 को जारी की थी। दिनांक 16-12-2014 को बीमित हरपाल की मृत्‍यु हो गई, इस बिन्‍दु पर भी विपक्षीगण ने अपने प्रतिवाद पत्र में कोई विवाद नहीं किया है। बीमा डाकुमेंट की छायाप्रति पत्रावली का कागज सं.-3/5 लगायत 3/6 है। इस बीमा डाकुमेंट के अनुसार परिवादनी पालिसी में नामिनी है और बीमा राशि 5 लाख रूपये है।
  11. विपक्षीगण के अनुसार बीमा प्रस्‍ताव फार्म भरते समय बीमित ने चूंकि उसके द्वारा पूर्व में ली गई अन्‍य बीमा पालिसियों को छिपाया था, अतएव पत्र दिनांकित 28-12-2015 के माध्‍यम से उन्‍होंने प्रश्‍नगत बीमा पालिसी निरस्‍त कर दी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता ने इस पत्र दिनांकित 28-12-2015, जिसकी नकल पत्रावली का कागज सं.-13/3 है, की और हमारा ध्‍यान आकर्षित करते हुए तर्क दिया कि विपक्षीगण ने चूंकि मृत्‍यु दावा प्रस्‍तुत होने से पूर्व प्रश्‍नगत बीमा पालिसी निरस्‍त कर दी थी, अतएव वे बीमा राशि देने के लिए बाध्‍य नहीं हैं। हम विपक्षीगण के इस तर्क से सहमत नहीं हैं। II(2017) सीपीजे पृष्‍ठ 463 (एनसी), अविवा लाईफ इंश्‍योरेंस कंपनी लि. आदि बनाम रेखा बेन रामजी भाई परमार की निर्णयज विधि में माननीय राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता आयोग, नई दिल्‍ली द्वारा यह व्‍यवस्‍था दी गई है कि अन्‍य बीमा पालिसियों का बीमा प्रस्‍ताव में उल्‍लेख न करना इंश्‍योरेंस एक्‍ट की धारा-45 से आच्‍छादित नहीं होता और ऐसे नॉन डिसक्‍लोजर के आधार पर बीमा कंपनी बीमा दावा रेपुडिएट नहीं कर सकती। यह निर्णय विधि वर्तमान मामले के तथ्‍यों पर पूर्णतया लागू होती है। इस निर्णयज विधि में दी गई विधि व्‍यवस्‍था के अन्‍तर्गत विपक्षीगण ने बीमा पालिसी निरस्‍त करके और बीमित राशि के भुगतान से इंकार करके त्रुटि की है। परिवादनी को ब्‍याज सहित बीमित राशि पाँच लाख रूपये दिलाया जाना न्‍यायोचित दिखायी देता है। क्षतिपूर्ति की मद में दस हजार रूपये तथा परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त दिलाया जाना भी न्‍यायोचित होगा। तद्नुसार परिवाद स्‍वीकार होने योग्‍य है।

परिवाद योजित किये जाने की तिथि से वास्‍तविक वसूली की तिथि तक की अवधि हेतु 9 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित पाँच लाख रूपये की वसूली हेतु यह परिवाद परिवादनी के पक्ष में विपक्षीगण के विरूद्ध स्‍वीकृत किया जाता है। विपक्षीगण से परिवादनी क्षतिपूर्ति की मद में दस हजार रूपये और परिवाद व्‍यय की मद में अंकन-2500/-रूपये अतिरिक्‍त पाने की भी अधिकारिणी होगी। इस आदेशानुसार समस्‍त धनराशि का भुगतान परिवादनी को एक माह में किया जाये।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •       अध्‍यक्ष

आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

(सत्‍यवीर सिंह)(पवन कुमार जैन)

  •      अध्‍यक्ष

दिनांक: 11-06-2018

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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