Rajasthan

Ajmer

CC/08/2013

KANARAM KUMAR - Complainant(s)

Versus

H.D.F.C IRGO GEN INS - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

27 Sep 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/08/2013
 
1. KANARAM KUMAR
MUSADA
...........Complainant(s)
Versus
1. H.D.F.C IRGO GEN INS
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 27 Sep 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री कानाराम  कुमार पुत्र श्री श्रवण लाल , निवासी-ग्राम दौलतपुरा(प्रथम), तहसील-मसूदा, जिला-अजमेर । 
                                                -         प्रार्थी


                            बनाम

एचडीएफसी इरगा जनरल इंष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,चतुर्थ मंजिल, के.सी. काम्पलेक्स, दौलतबाग के सामने, अजमेर -305001


                                               -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 08/2013  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री सूर्यप्रकाष गांधी, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री तेजभान भगतानी,  अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 06.10.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसका ट्रेक्टर जो अप्रार्थी बीमा कम्पनी के यहां  दिनंाक 29.10.2011 से 28.10.2012 तक की अवधि के लिए बीमित था, के  दिनंाक 10.11.2011 को चोरी हो जाने पर  इसकी सूचना अप्रार्थी बीमा कम्पनी के टोल फ्री नम्बर  पर दी व पुलिस थाना, बिजयनगर में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवानी चाही किन्तु  काफी प्रयास किए जाने के बाद जब सूचना दर्ज नहीं  की गई तो संबंधित न्यायालय में इस्तगासा पेष किया । इसके बाद  पुलिस ने प्रथम सूचना रिपोर्ट संख्या 228/6.12.0211 दर्ज की ।  तदोपरान्त प्रार्थी ने समस्त औपचारिकताए पूर्ण करते हुए अप्रार्थी बीमा कम्पनी के समक्ष क्लेम पेष किया  किन्तु बावजूद नोटिस दिनंाक 1.11.2012 के भी क्लेम का भुगतान नहीं कर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने सेवादोष किया है ।  प्रार्थी ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।  परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया ।  
2.          अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जवाब प्रस्तुत करते हुए प्रारम्भिक आपत्तियों में कथन किया है कि  प्रार्थी ने प्रगष्न वाहन जो उनके यहां बीमित था, के चोरी होने की सूचना दिनंाक 7.5.2012 को उनके टोल फ्री नम्बर पर  दी है जो कि वाहन चोरी होने के 17 दिन बाद दी है । इस प्रकार प्रार्थी ने अप्रार्थी को आवष्यक अनुसंधान से वंचित किया है ।  आगे चरण वार जवाब में भी इन्हीं तथ्यों को दोहराते हुए   प्रार्थी के प्रष्नगत वाहन का बीमा होना स्वीकार कर आगे यह  दर्षाया है कि प्रार्थी ने जानबूझकर अप्रार्थी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना समय पर नहीं दी है और इस प्रकार उसने बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो का उल्लंघन किया है ं अन्त में परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना करते हुए जवाब के समर्थन में  श्री नितिन कुमार, प्रबन्धक, विधि का ष्षपथपत्र पेष किया है । 

3.        प्रार्थी का तर्क रहा है कि ट्रेक्टर के बीमित होने, बीमित अवधि में दिनंाक 10.11.2011 को चोरी होने पर इसकी तत्काल बीमा कम्पनी को  टोल फ्री नम्बर पर सूचना  दी गई । पुलिस थाने में रिपोर्ट करवाने हेतु प्रयास किए गए किन्तु रिपोर्ट दर्ज नहीं किए जाने की स्थिति में  न्यायालय में इस्तगासा प्रस्तुत किया गया उसके बाद पुलिस ने दिनंाक 6.12.2011 को प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की । कालान्तर में वाहन का क्लेम बीमा कम्पनी को प्रस्तुत किया गया व लम्बे समय तक क्लेम राषि अदा नहीं किए जाने पर नेाटिस भिजवाया गया । नोटिस प्राप्ति के बावजूद भी न तो क्लेम राषि अदा की गई और ना ही क्लेम पर की गई कार्यवाही से   अवगत कराया गया है ।  प्रार्थी को हुए मानसिक एवं आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए परिवाद स्वीकार किया जाने योग्य है  एवं वांछित अनुतोष दिलवाया जाना चाहिए । 
4.        अप्रार्थी  के विद्वान अधिउवक्ता ने इस तथ्यों को पुरजोर  खण्डन किया  है व दलील दी है कि प्रार्थी ने प्रष्नगत वाहन के  दिनंाक 10.11.2011 को चोरी होने की सूचना दिनंाक 23.11.2011 को दी है । पुलिस थाने में भी तत्काल सूचना नहीं दी गई । तथाकथित टोल फ्री नम्बर से उनके पास प्रार्थी की ऐसी कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई । चूंकि चोरी की सूचना बीमा ंसविदा के अनुसार बीमा कम्पनी को समय पर नहीं दी गई है । अतः बीमा ष्षर्तो के उल्लंधन में निरस्त किया गया क्लेम उचित नहीं है ।   विनिष्चय थ्पतेज ।चचमंस छवण् 141ध्2009 ;छब्द्ध छमू प्दकपं ।ेेनतंदबम ब्व स्जक टे त्ंउ ।अजंत व्तकमत क्ंजमक  11.11.2013ए  त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 4028ध्12 ;छब्द्ध भ्नांउ ैपदही  टे न्दपजपमक प्दकपं प्देनतंदबम ब्व स्जक ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 442ध्13 ;छब्द्ध ैउज ैनउंद   टे व्तपमदइजपंस  प्देनतंदबम ब्व स्जक व्तकमत क्ंजमक 26.02.2013ए त्मअपेपवद च्मजपजपवद छव 4749ध्13 ;छब्द्ध ैीतप त्ंउ ळमदमतंस प्देनतंदबम ब्व स्जक    टे डंीमदकमत श्रंज व्तकमत क्ंजमक 16.12.2014ए  ब्पअपस  ।चचमंस  छवण् 6739ध्2010 ;ैब्द्ध व्तकमत क्ंजमक 17.8.2010  व्तपमदजंस प्देतंदबम ब्व स्जक टे च्ंतअमेी ब्ींदकमत ब्ींकीं     के प्रकाष में खारिज किया गया क्लेम उचित है ।  
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हंै एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चयों में प्रतिपादित सिद्वान्तों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    प्रष्नगत वाहन का बीमित होना, बीमित अवधि में उसके चोरी चले जाना विवाद का बिन्दु नहीं है । विवाद का बिन्दु मात्र चोरी की सूचना पुलिस थाने व बीमा कम्पनी को दिए जाने के  संबंध में है । प्रार्थी का कथन है कि उसने टोल फ्री नम्बर के माध्यम से बीमा कम्पनी को सूचित  किया था व पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने के प्रयास किए किन्तु रिपोर्ट दर्ज नही ंहोने पर न्यायालय में इस्तगासा  के माध्यम से रिपोर्ट दर्ज हुई है । अप्रार्थी ने इन तर्को को खण्डन  किया है । मात्र टोल फ्री नम्बर के लिख देने से यह नहीं माना जा सकता कि बीमा कम्पनी को सूचित कर दिया  गया हो ।  वाहन चोरी की सूचना  किस  के द्वारा , कब  और किस को सूचित किया गया, इसका कोई खुलासा नहीं किया गया है । प्रार्थी ने बीमा कम्पनी को अपने पत्र दिनंाक 23.11.2011 द्वारा  सूचित करना बताया है । प्रार्थी के पत्र दिनंाक 13.12.2011 के  अनुसार   उसका यह कथन रहा है कि उसके द्वारा दिनंाक 23.11.2011  को जरिए रजिस्टर्ड पत्र द्वारा उन्हें वाहन चोरी की सूचना प्रेषित की  जा चुकी है । कहने का तात्पर्य यह है कि  जहां वाहन का चोरी होना दिनंाक 10.11.2011 को अभिकथित है वहां इस आषय की सूचना बीमा कम्पनी को तत्काल  ही अथवा तथाकथित टोल फ्री नं. के माध्यम से  दिया जाना प्रमाणित नहीं है  अपितु उक्त पत्रों के प्रकाष में सर्वप्रथम बीमा कम्पनी ने इस आषय की सूचना  दिनंाक 23.11.2011 को  जरिए रजिस्टर्ड पत्र भेजी गई है ।  इस हिसाब से यह सूचना कम से कम 12-13 दिन  बाद दिया जाना  सामने आया है । हम विद्वान अधिवक्ता अप्रार्थी बीमा कम्पनी के इन तर्को से पूर्णतया सहमत है कि चोरी की सूचना पुलिस एवं बीमा कम्पनी को देरी से दिए जाने के कारण बीमा षर्तो  के उल्लंघन में क्लेम देय नहीं है जो विनिष्चय  प्रस्तुत हुए है, में माननीय राष्टीय आयोग व माननीय उच्चतम न्यायालय ने  यही सिद्वान्त प्रतिपादित किया है कि चोरी की सूचना देरी से दिए जाने के फलस्वरूप बीमा कम्पनी के मामले  में अनुसंधान करने में हुआ विलम्ब  बीमा षर्तो का उल्लंघन है व तदनुसार यदि क्लेम निरस्त किया गया है तो वह उचित है । हम इन विष्चियों में प्रतिपादित सिद्वान्तों से आदरपूर्वक सहमत व्यक्त करते हुए यह पाते है कि इन हालात में पवरिवाद स्वीकार किए जाने योग्य नहीरं है  तथा बीमा कम्पनी का उक्त कृत्य  किसी भी रूप में उनकी सेवाओं में कीम का परिचायक नहीं है । मंच की राय में प्राथी्र का परिवाद निरस्त होने योग्य है एवं आदेष है कि 
                             -ःः आदेष:ः-
7.           प्रार्थी का परिवाद स्वीकार होने योग्य नहीं होने से अस्वीकार  किया जाकर  खारिज किया जाता है । खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करें ।
            आदेष दिनांक 06.10.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।


 (नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    
           
 
.

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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