Rajasthan

Ajmer

CC/344/2010

ANKUR MITTAL - Complainant(s)

Versus

HDFC BANK - Opp.Party(s)

ADV S.P GANDHI

06 Apr 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/344/2010
 
1. ANKUR MITTAL
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. H.D.F.C BANK
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

जिला    मंचए      उपभोक्ता     संरक्षण         अजमेर


श्री अंकुर मित्तल पुत्र  डाण् अषोक मित्तलए पुराना मित्तल अस्पतालए वैषालीनगरए मेन रोडए अजमेर ।  

                                                    .  प्रार्थी

                            बनाम

1ण्  एचण्डीण्एफण्सीण् बैंक लिमिटेड जरिए ष्षाखा प्रबन्धकए ष्षाखा कार्यालयए सूचना केन्द्र के पासए अजमेर । 
2ण् रिलायन्स केपीटल असेट मैनेजमेन्ट लिमिटेडए एक्सप्रेस बिल्डिंगए 4 फलोरए 14ई रोडए चर्च गेटए मुम्बई. 400020
3ण् रिलायन्स केपीटल असेट मैनेजमेन्ट लिमिटेड जरिए ष्षाखा प्रबन्धकए तृतीय फलोरए इण्डिया स्कवायरए इण्डिया मोटर सर्किलए कचहरी रोडए अजमेर.305001

                                                    .  अप्रार्थीगण 
                    परिवाद संख्या 340ध्2010

                            समक्ष
1ण् विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2ण् श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3ण् नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1ण्श्री सूर्यप्रकाष गांधी व श्री नवनीत तिवारी
                   एअधिवक्तागणए प्रार्थी
                  2ण्श्री रितेष यादवए  अधिवक्ता अप्रार्थी संण् 1
                  3ण्श्री मनमीत कपूरए अधिवक्ता अप्रार्थी संख्या  2 व 3 
                              
मंच द्वारा           रूः. आदेषरूः.      दिनांकः. 21ण्04ण्2016

1ण्            प्रार्थी ; जो  इस परिवाद में आगे चलकर उपभोक्ता कहलाएगाद्ध ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ए 1986 की धारा 12 के अन्तर्गत अप्रार्थी संख्या 1 लगायत 3 ;जो  इस परिवाद में आगे चलकर अप्रार्थी संण्1बैंक व अप्रार्थी संख्या 2 व 3  कम्पनी   कहलायेगंेद्ध  के विरूद्व संक्षेप में इस आषय का पेष किया है कि उसका अप्रार्थी बैंक के यहां बचत खाता संख्या 02051600002957 है । उसने दिनंाक 25ण्2ण्2008 को अप्रार्थी बैंक के जरिए रूण् 45ए000ध्. रिलायंस नेच्यूरल रिसोरसेज फण्ड में  निवेष किया ।  इस निवेष पर अप्रार्थी कम्पनी ने उसको यूनिट आवंटित किए।  जिनका फोलियों संख्या 46772911836 है । तत्पष्चात् उसने  अप्रार्थी बैंक के मैनेजर की सलाह अनुसार दिनांक 1ण्8ण्2009 को  रिंलायंस नेच्यूरल रिसोरसेज फण्ड  को स्विच  करने अर्थात  इस फण्ड में से राषि निकाल कर दूसरे फण्ड में  निवेष करने को कहा । उसने जब इस संबंध में अप्रार्थी बैंक के मैनेजर से जानकारी चाही तो उसने बतलाया कि उसका खाता स्विच नहीं हो सकता क्योंकि 27ण्07ण्2009 को ही समस्त फण्ड का रिडम्पषन कर दिया गया है यानि सारा पैसा निकाल लिया गया है ।  इस पर  उसने अप्रार्थी कम्पनी को जरिए पत्र दिनांक 4ण्8ण्2009 के  उनके द्वारा आवंटित फोलियों का रिडम्पषन करने की षिकायत की । दिनांक 9ण्9ण्2009 के पत्र द्वारा अप्रार्थी कम्पनी ने सूचित किया कि  उक्त फोलियों के सभी  यूनिट्स का रिडम्पषनए  उसका पता परिवर्तन करने व बैंक डिटल चेंज करने इत्यादि  के बाबत्   उसके आवेदन दिनांक 
20ण्7ण्2009 के आधार पर  आईसीआईसी बैंक खाते में किया गया है  ।  उक्त पत्र प्राप्त होने के बाद उसने  अप्रार्थी कम्पनी को पत्र दिनांक 22ण्9ण्2009  के द्वारा अवगत कराया कि  उसने ऐसा कोई आवेदन नहीं किया है ।  उसने तो केवल अन्य फण्ड में स्विच ओवर करने के लिए निवेदन किया थाए  साथ ही  रिलायंस नेच्यूरल रिसोरसेज फण्ड के षिकायत प्रकोष्ठ को भी उसके साथ फण्ड में हुई धोखाधडी की षिकायत की तथा अप्रार्थी बैंक को भी इस संबंध में षिकायत की । 
    उपभोक्ता का कथन है कि  इसके बाद अप्रार्थी बैंक ने पत्र दिनंाक 23ण्9ण्2009 के द्वारा  अप्रार्थी कम्पनी से  उन दस्तावेजात की प्रतियों की मांग की जिनके आधार पर  अप्रार्थी बैंक द्वारा उसके हस्ताक्षर प्रमाणित किए है ।  ताकि अप्रार्थी बैंक इस संबंध में आगे कार्यवाही कर सके ।  किन्तु  बैंक को कोई दस्तावेजात उपलब्ध नही ंकराए । उसने  अप्रार्थीगण को नोटिस भी भिजवाया  जिसका अप्रार्थी कम्पनी द्वारा  उन पर लगाए गए आरोपों से इन्कार किया । उपभोक्ता ने उक्त कृत्यों को सेवा में कमी बताते हुए  परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । 

2ण्    अप्रार्थी बैंक ने परिवाद का जवाब पेष किया जिसमें अप्रार्थी  बैंक ने  परिवाद की चरण संख्या 1 लगायत 3 को स्वीकार करते हुए दर्षाया है कि  उपभोक्ता द्वारा  स्वयं के फण्डध् खाताध् फोलियों के बारे में जानकारी करने पर  बताया गया  कि दिनंाक 27ण्7ण्2009 को उसके फण्ड का रिडम्पषन कर दिए जाने के कारण फण्डध् खाताध् फोलियों स्विच नहीं किया जा सकता ।  अप्रार्थी बैंक का यह भी कथन  है कि दिनंाक 27ण्7ण्2009 अथवा  किसी भी दिनंाक का दूसरा आवेदन रिडम्पषन हेतु अप्रार्थी कम्पनी से उत्तरदाता अप्रार्थी बैंक को  उपभोक्ता केे हस्ताक्षर सत्यापन हेतु प्राप्त नहीं हुए और ना ही  अप्रार्थी बैंक द्वारा उपभोक्ता के रिडम्पषन हेतु आवेदन पत्र व हस्ताक्षर को कभी सत्यापित किया गया ।  इसलिए उत्तरदाता  अप्रार्थी  की ओर से आवेदन पत्र व हस्ताक्षर सत्यापन के अभाव में हुए रिडम्पषन के लिए वह उत्तरदायी नहीं है । 
    अप्रार्थी बैंक का कथन है कि  उसने अप्रार्थी कम्पनी से इस संबंध में दस्तावेजात की मांग की किन्तु  उन्हें आज तक संबंधित दस्तावेजात उपलब्ध नही ंकराए गए ।  अन्त में परिवाद खारिज होनने योग्य दर्षाया  । 
3ण्    अप्रार्थी कम्पनी ने परिवाद का जवाब पेष कर दर्षाया है कि  दिनंाक 20ण्7ण्2009 को उपभोक्ता का आवेदन उसके फोलियो के संबंध में  उसके हस्ताक्षरए पता व बैंक बदलने का आईसीआईसीआई बैंक के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा सत्यापित किया हुआ प्राप्त हुआ और उक्त आवेदन को अग्रिम कार्यवाही हेतु हैदराबाद भेजा गया ।  जिसे अप्रार्थी बैंक से  सत्यापित नहीं होने के आधार पर निरस्त कर दिया गया । पुनः दिनंाक 27ण्7ण्02009 को   एक आवेदन  अप्रार्थी बैंक द्वारा सत्यापित  किया हुआ प्राप्त हुआ  और इसी आवेदन के आधार पर उत्तरदातागण ने नियमानुसार उपभोक्ता  द्वारा दिए गए  आईसीआईसीआई बैंक के  विवरण के  अनुसार रिडम्पषन की कार्यवाही करते हुए  सम्पूर्ण राषि उपभोक्ता के नए खाते मंे जो आईसीआईसीआई बैंक में थाए अन्तरित कर दी गई । इस समस्त कार्यवाही का विवरण  उत्तरदातागण द्वारा  पत्र दिनंाक 9ण्9ण्2009 के उपभोक्ता को दिया जा चुका है । उपभोक्ता  के पत्र दिनंाक 19ण्9ण्2009 के द्वारा चाही गई  समस्त जानकारी  पत्र दिनंाक 13ण्11ण्2009 के उसको उपलब्ध कराई जा चुकी है । इस प्रकार उनके स्तर पर कोई सेवा में कमी नहीं होना दर्षाते हुए परिवाद खारिज होना दर्षाया । 
4ण्    उभोक्ता के  विद्वान अधिवक्ता नें तर्क प्रस्तुत किया है कि उपभोक्ता द्वारा रिलायंष  नेच्यूरल रिसोरसेज फण्ड में रूण् 45ए000ध्. निवेष किए जाने के बाद कभी भी रिडम्पषन के लिए कोई   आवेदन नहीं किया । मात्ऱ अन्य फण्ड में स्विच ओवर  के लिए लिखा था । किन्तु इसके बावजूद फण्ड की राषि अवैध रूप से किसी अन्य व्यक्ति के खाते में रिडीम  कर दी गई । षिकायत  किए जाने के बावजूूद भी अप्रार्थीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई । इस संबंध में अप्रार्थी  बैंक  के समक्ष व्यक्तिषः सम्पर्क  भी किया गया ।  अनेकांे प़त्रव्यवहार किए जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई । अतः अब अवैध रूप् से किसी अन्य खाते में रिडिम की गई राषि मय ब्याज के दिलवाई जावे  एवं अप्रार्थीगण की दोषपूर्ण सेवा से हुई मानसिक एवं आर्थिक क्षति की राषि मय परिवाद खर्च के दिलवाई जावे । 
5ण्    अप्रार्थी संख्या 1 बैंक  के विद्वान अधिवक्ता ने बहस में उपभोक्ता का उनके बैंक में बचत खाता होनेएमिच्युअल फण्ड में  रूण् 45ए000ध्.  निवेष करने  एवं अप्रार्थी कम्पनी द्वारा उपभोक्ता को यूनिट  आवंटित किया जाना स्वीकार किया । किन्तु यह भी बताया  कि उपभोक्ता द्वारा कभी भी रिडम्पषन  हेतु उनके समक्ष न तो आवेदन किया गया और ना ही उसके हस्ताक्षर सत्यापित किए जाकर रिडम्षन हेतु आवेदन पत्र व हस्ताक्षर को सत्यापित करते हुए भिजवाया गया ।  यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि  अप्रार्थी संख्या 2 से अप्रार्थी संख्या 1 द्वारा तथाकथित  ओवदनध् हस्ताक्षर सत्यापन के दस्तावेजात की प्रति  मांगे जाने पर भी उपलब्ध नहीं करवाई गई । तथाकथित  फर्जीवाडा व धोखाधडी अप्रार्थी संख्या 2 कम्पनी के स्तर पर हुई है । रिडम्पषन के संदर्भ  में किसी प्रकार के हुए फर्जीवाडे  व धोखाधडी के लिए  अप्रार्थी संख्या 1 बैंक उत्तरदायी नहीं है । कुल मिलाकर उनकी बहस में तर्क यही रहा है कि उपभोक्ता की ओर से बैंक के  विरूद्व बेबुनियाद व आधारहीन मिथ्या  परिवाद प्रस्तुत  किया गया हैएजो खारिज होने योग्य है व  बैंक विषेष हर्जा खर्चा प्राप्त करने का अधिकारी है ।
6ण्     अप्रार्थी कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया है कि सर्वप्रथम दिनांक 20ण्7ण्2009 को उपभोक्ता का आवेदन हस्ताक्षरध्पता तथा बैंक बदलने के कथन के साथ प्रस्तुत हुआ था । जो आईसीआईसीआई  बैंक के  प्रतिनिधि द्वारा सत्यापित था । उक्त आवेदन को अविलम्ब कार्यवाही हेतु हैदराबाद भेजा गया थाए क्योंकि हस्ताक्षर  अप्रार्थी  संख्या 1 बैंक  द्वारा सत्यापित नहीं थे।  तत्पष्चात् इसी वजह से  इसे लौटा दिया गया । पुनः उपभोक्ता द्वारा  दिनंाक 27ण्7ण्2009 के  के आवेदन पत्र  द्वारा बैंकध्पता तथा हस्ताक्षर बदलने का निवेदन किया गया  । यह आवेदन अप्रार्थी संख्या 1 बैंक द्वारा सत्यापित था । अतः नियमानुसार उसके द्वारा  आईसीआईसीआई बैंक के   विवरण के अनुसार रिडम्षन की कार्यवाही की जाकर सम्पूर्ण  राषि उक्त आईसीआईसीआई  बैंक के  नए खाते में डाली गई ।  इस संबंध में अप्रार्थी संख्या 2 व 3 कम्पनी की ओर से कोई अनियमितता  अथवा अवैधानिकता नहीं की गई ।  समस्त कार्यवाही उपभोक्ता के  निवेदन एवं आवेदन के अनुसार सम्पन्न की गई  हैं ।  वे इस संबंध में किसी प्रकार के उत्तरदायी नहीं है । समस्त जिम्मेदारी उपभोक्ता की है ।  उपभोक्ता अप्रार्थी संख्या 2 व 3 कम्पनी से  किसी  प्रकार का कोई अनुतोष  प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है । 
7ण्    हमने परस्तपर तर्क सुने  एंव पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया । 
8ण्     परस्पर अभिवचनों के आधार पर यह  स्वीकृत सत्य है कि उपभोक्ता द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 बैंक  की अजमेर ष्षाखा में  बचत खाता खोला गया ए एवं बैंक के  जरिए  रिलायंस नेच्यूरल रिसोरसेज फण्ड  में दिनांक 
25ण्2ण्2008 को रूण् 45ए000ध्.  निवेष किए गए । इस निवेदन पर अप्रार्थी संख्या 2 व 3 कम्पनी द्वारा उपभोक्ता को जरिए खाताध् फोलियों यूनिट आवंटित कर दिए गए। अब प्रमुख मुद्दा यह रहा जाता है कि क्या  उपभोक्ता ने रिडम्पषन की  कार्यवाही हेतु अप्रार्थी संख्या 2 व 3  म्यूचुअल फण्ड  की कम्पनियों से स्विच ओवर करते हुए तथाकथित आईसीआईसीआई बैंक के खाते में पूर्व में  निवेष की गई राषि को स्थानान्तरित करने हेतु कोई आवेदन किया गया था  घ्
9ण्     इस संबंध में  अप्रार्थी संख्या 2 व 3 की ओर से दिनंाक 09ण्09ण्2009 को  उपभोक्ता  को संबोधित  पत्र की प्रति प्रस्तुत की गई है जिसमें उनके द्वारा उपभोक्ता की ओर से स्विच ओवर  किए जाने हेतु बैंकर आईसीआईसीआई बैंक से अपने हस्ताक्षर सत्यापित  किए जाने का आवेदन पत्र दिनंाक 20ण्7ण्2009 को प्राप्त होना बताया  है । जिसके अन्तर्गत उपभोक्ता के हस्ताक्षर  अप्रार्थी संख्या 1 बैंक द्वारा सत्यापित नहीं होने की स्थिति में लौटाए जाने व पुनः दिनंाक 27ण्7ण्2009 के पत्र द्वारा  अप्रार्थी संख्या 1  बैंक द्वारा हस्ताक्षर सत्यापित किए जाकर  पते में परिवर्तित करते हुए रिडम्पषन की कार्यवाही हेतु निवेदन  किए जाने पर तदनुसार जांच कर रिडम्पषन की कार्यवाही किए जाने का उल्लेख है ।  इसी के क्रम में पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों से यह भी प्रकट  होता है कि  उपभेाक्ता ने अप्रार्थी संख्या 2 व 3 कम्पनी के समक्ष पत्राचार कर  अपनी षिकायत दर्ज करवाई थी  कि उसके द्वारा न तो अपने हस्ताक्षर अप्रार्थी संख्या 1 बैंक  से सत्यापित कर रिडम्पषन हेतु पत्रव्यवहार किया गया और ना ही किसी प्रकार का पता परिवर्तन का आवेदन किया गया ।  इस प्रकार सम्पूर्ण अभिलेख को देखने से यह प्रकट होता है कि किसी अन्य व्यक्ति ने आईसीआईसीआई बैंक  में खाता खुलवाकर  स्वयं को उपभोक्ता अंकुर मित्तल दर्षाते हुए  अपने पते में परिवर्तन  करते हुए अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से अपने हस्ताक्षर प्रमाणित करवाते हुए इन सभी तथ्यों का फर्जीवाडा करते हुए उपभोक्ता द्वारा निवेदन की गई राषि को रिडीम करवा लिया । इस मंच के समक्ष उपभोक्ता ने अपना सर्वप्रथम संव्यवहार  अप्रार्थी संख्या 1 बैंक के माध्यम से म्यूचुअल  फण्ड  में निवेष  करते हुए किया । उसने इस  तथाकथित  फर्जीवाडे की जानकारी होते ही अविलम्ब अप्रार्थी संख्या 1 बैंक में सम्पर्क किया । उसने इसी संदर्भ में दिनांक 4ण्8ण्2009  को अप्रार्थी संख्या 2 व 3 कम्पनी को पत्र द्वारा षिकायत की  हैं। चूंकि उपभोक्ता का सीधा संबंध  प्रिविटी आफ कान्ट्रेक्ट अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से ही था व इस संबंध में   बैंक के माध्यम से  ही उसने  राषि निवेष की थी। अतः अप्रार्थी संख्या 1 बैंक  का यह दायित्व था कि यदि उसके खाताधारक ने  उक्त बैंक के माध्यम से  किसी प्रकार का कोई निवेष किया हैं एवं ऐसे खाताधारक के साथ  कोई धोखा धडी हुई है तो तुरन्त इस पर कार्यवाही की गई होती।  । उक्त  बैंक पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाता ताकि अनुसंधान के दौरान इन तथ्यों को खुलासा सम्भव हो सकता था कि क्या उपभोक्ता ने अप्रार्थी संख्या 1 बैंक के समक्ष  हस्ताक्षर प्रमाणित करवाएं  थे घ्  क्या उपभोक्ता की ओर से निवेष को स्विच ओवर करने की प्रार्थना पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही हुई घ् चूंकि अप्रार्थी संख्या 1 बैंक ने इस संबंध में किसी अज्ञात व्यक्ति के  विरूद्व उनकी जानकारी में आने के बावजूद भी किसी प्रकार की कोई आपराधिक कार्यवाही  करने हेतु पहल नहीं की  है।  अतः प्रारम्भिक रूप से एवं मुख्य रूप से बैंक  स्वयं  अपने लापरवाहीपूर्ण कृत्यों के लिए अपने खाताधारक  के प्रति  जिम्मेदार है । कहा जा  सकता है कि  अप्रार्थी संख्या 1 बैंक ने खाता धारक की षिकायत  पर त्वरित कार्यवाही नहीं करते हुए अपने कर्तव्य  के  प्रति घोर  उदासीनता का परिचय  देते हुए सेवा में कमी अथवा  दोष  का परिचय दिया है व एतद् द्वारा उपभोक्ता को अन्य आर्थिक व मानसिक क्षति के रूप में भरपाई हेतु  अप्रार्थी संख्या 1 ही जिम्मेदार है । 
10ण्    परिणामस्वरूप परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                       रूः. आदेषरूः.
11ण्    ;1द्ध   उपभोक्ताए अप्रार्थी संख्या 1 बैंक से  उसके बचत खाते में जमा कराई गई राषि रू45ए000ध्. अप्रार्थी संख्या 1 बैंक में जमा कराने की तिथि से ताअदायगी  9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर से  प्राप्त करने का अधिकारी होगा ।
            ;2द्ध    उपभोक्ता अप्रार्थी से मानसिक क्षतिपूर्ति के पेटे रूण् 10ए000 ध्. एवं परिवाद व्यय के पेटे रूण् 2500 ध्. भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
          ;3द्ध    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थी  संख्या 1 बैंक उपभोक्ता को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से उपभोक्ता के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 21ण्04ण्2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
;नवीन कुमार द्ध        ;श्रीमती ज्योति डोसीद्ध      ;विनय कुमार गोस्वामी द्ध
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

      

 

 

 


​                                         

 

 

 

 

 


    
 


    
 

 

 

 

 

 


  
   
    

    

 

 

    

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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