Rajendra Trading Co. filed a consumer case on 02 Mar 2015 against H.D.B. Financial Services ltd. in the Jaipur-IV Consumer Court. The case no is CC/426/2014 and the judgment uploaded on 12 Mar 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर
पीठासीन अधिकारी
डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-426/2014 (पुराना परिवाद संख्या 472/2013)
मैसर्स राजेन्द्र ट्रेडिंग कम्पनी प्रोपराईटर सविता अग्रवाल, निवासी- प्लाॅट संख्या 30, कुमावत काॅलोनी मार्ग, प्रेम नगर, खातीपुरा रोड, झोटवाड़ा, जयपुर ।
परिवादिनी
बनाम
01. एच.डी.बी. फाईनेन्शियल सर्विसेज लिमिटेड जरिये मैनेजर, प्रथम मंजिल, पिंकसिटी पेट्रोल पम्प के सामने, पार्क स्ट्रीट, एम.आई.रोड, जयपुर ।
02. श्री जीवराज सिंह, कार्यरत् एजेन्ट एच.डी.बी. फाईनेन्शियल सर्विसेज लिमिटेड, प्रथम मंजिल, पिंकसिटी पेट्रोल पम्प के सामने, पार्क स्ट्रीट, एम.आई.रोड, जयपुर ।
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादिनी की ओर से श्री रवि कुमार शर्मा/श्री अशीष गौत्तम, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री अनिल गुप्ता, एडवोकेट
विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही
निर्णय
दिनांकः- 02.03.2015
यह परिवाद, परिवादिनी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 01.04.2013 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादिनी के पास विपक्षी संख्या 1 का एजेन्ट विपक्षी संख्या 2 आया और उसने परिवादिनी को अपने बैंक की व्यक्तिगत ऋण योजना के बारे में बताया । इस पर परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 2 के माध्यम से विपक्षी संख्या 1 के यहां 2,50,000/-रूपये के व्यक्तिगत ऋण के लिए आवेदन किया । परिवादिनी को उक्त ऋण स्वीकृत होने पर उसे खाता संख्या 6729 प्रदान किया गया । परिवादिनी को उक्त ऋण की मासिक अदायगी 9,808/-रूपये करनी थी । परिवादिनी ने फरवरी,2011, मार्च,2011 एवं अप्रेल,2011 में विपक्षी संख्या 1 के पास उक्त ऋण राशि की नकद किश्त अदायगी की तथा रसीद प्राप्त कर ली । लेकिन उक्त किश्तों का परिवादिनी द्वारा नकद भुगतान किये जाने के बावजूद विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी द्वारा सिक्योरिटी पेटे जारी चैकों का दुरूपयोग किया । अप्रेल,2011 में विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी को चैक अनादरित होने की सूचना लिखित में दी । माह फरवरी, मार्च एवं अप्रेल,2011 में परिवादिनी ने नकद राशि देकर ऋण किश्तों की अदायगी की थी । जिनकी रसीद भी परिवादिनी के पास उपलब्ध हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 ने जैसे ही परिवादिनी को नोटिस दिया परिवादिनी ने विपक्षी संख्या 1 के पास जाकर उसे रसीदें दिखाई । लेकिन विपक्षी संख्या 1 द्वारा कोई संतोषजनक कार्यवाही नहीं की गई । जो विपक्षीगण का सेवादोष हैं और इस सेवादोष के आधार पर परिवादिनी अब विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद के मद संख्या 11 एवं 14 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी हैं ।
विपक्षी संख्या 1 की ओर से दिये गये जवाब में कथन किया गया है कि परिवादिनी और विपक्षी संख्या 1 के मध्य प्रमुख विवाद हिसाबफेमी का हैं । विपक्षी संख्या 1 द्वारा परिवादिनी के चैक की अदायगी नहीं होने के कारण चैक बाऊसिंग चार्जेज परिवादिनी से वसूल किये गये हैं । फरवरी,2012 में परिवादिनी के जिम्मे प्रश्नगत ऋण खाते में 72,976/-रूपये बकाया थे । परिवादिनी से विपक्षी संख्या 1 ने 3,896/-रूपये डिले पेमेन्ट चार्ज के रूप में वसूल किये हैं, जो नियमानुसार सही हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 द्वारा किये गये किसी भी कृत्य से उसका कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होता हैं । अतः परिवाद, परिवादिनी निरस्त किया जावें ।
विपक्षी संख्या 2 आरम्भ से ही अनुपस्थित रहा हैं । अतः अब उसके विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही अमल में लाई जाती हैं ।
परिवाद के तथ्यों की पुष्टि में परिवादिनी श्रीमती सविता अग्रवाल ने स्वयं का शपथ पत्र एवं कुल 03 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये । जबकि जवाब के तथ्यों की पुष्टि में विपक्षी संख्या 1 की ओर से श्री विनित शर्मा का शपथ पत्र एवं कुल 16 पृष्ठ दस्तावेज प्रस्तुत किये ।
बहस अंतिम सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिनी की ओर से जो तथ्य परिवाद के मद संख्या 5 और 6 में अंकित किये गये हैं उसमें यह अंकित हैं कि परिवादिनी सेे विपक्षी संख्या 1 ने फरवरी, मार्च एवं अप्रेल,2011 की तीन किश्तों के पेटे नकद राशि के साथ-साथ सिक्योयरिटी पेटे जारी किये गये चैकों के माध्यम से भी राशि प्राप्त करके चैकों का दुरूपयोग किया हैं । लेकिन वास्तविक तथ्य परिवादिनी के उक्त तथ्यों के विपरीत हैं । क्योंकि विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रस्तुत परिवादिनी के स्टेटमेन्ट आॅफ अकाउन्ट प्रदर्श आर-1/4 के पृष्ठ संख्या 2/5 पर यह स्पष्ट रूप से अंकित हैं कि क्रमशः दिनांक 04.01.2011, 04.02.2011, 04.03.2011 एवं 04.04.2011 को परिवादिनी द्वारा ऋण के पेटे जारी किये गये चैक्स बाऊन्स हो गये । इसके बाद परिवादिनी ने उक्त ऋण किश्तों के लिए क्रमशः दिनांक 30.01.2011, 28.02.2011, 29.03.2011 एवं 29.04.2011 को नकद किश्त अदा की थी । जिनकी रसीदें दिनंाक 30.01.2011, 28.02.2011, 29.03.2011 एवं 29.04.2011 परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत की गई हैं ।
इसलिए चूंकि परिवादिनी द्वारा प्रथमतः उक्त माहों की किश्तों पेटे जारी किये गये चैकों का भुगतान नहीं हो सका और वे अनादरित हो गये तो परिवादिनी की ओर से उक्त दिनांकों को यानि दिनंाक 30.01.2011, 28.02.2011, 29.03.2011 एवं 29.04.2011 को मासिक किश्त की राशि नकद भुगतान की गई हैं । जो नियमानुसार परिवादिनी द्वारा की जानी चाहिये थी और उसका यह उत्तरदायित्व था कि वह मासिक किश्तें समय पर अदा करें । इसलिए विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी से उक्त चार माहों की किश्तों पेटे चैक और नकद भुगतान के माध्यम से दो बार ऋण किश्त वसूल की हो, यह नहीं माना जा सकता और जो नकद भुगतान परिवादिनी द्वारा विपक्षी संख्या 1 को किया गया है, वह नियमानुसार हैं । इसलिए विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी से न तो कोई अतिरिक्त राशि वसूल की है और न ही किसी प्रकार का सेवादोष नकद वसूल की गई माह फरवरी, मार्च और अप्रेल,2011 की किश्तों के माध्यम किया गया हैं।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर विपक्षीगण का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं हैं और परिवादिनी विपक्षीगण से कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारिणी नहीं हैं । अतः परिवाद, परिवादिनी विपक्षीगण के विरूद्ध अस्वीकार किया जाता हैं ।
आदेश
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादिनी विपक्षीगण के विरूद्ध निरस्त किया जाता हैं ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय आज दिनांक 02.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।
अनिल रूंगटा डाॅं0 अलका शर्मा डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
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