Rajasthan

Jaipur-IV

CC/621/2012

Vinaya Pal Yadav - Complainant(s)

Versus

H.C.L. Info System ltd. - Opp.Party(s)

Yogesh Kumawat & Others

04 Mar 2015

ORDER

          जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जयपुर चतुर्थ, जयपुर

                      पीठासीन अधिकारी
      डाॅ. चन्द्रिका प्रसाद शर्मा, अध्यक्ष
                         डाॅ. अलका शर्मा, सदस्या
श्री अनिल रूंगटा, सदस्य
परिवाद संख्या:-621/2012 (पुराना परिवाद संख्या 1556/2009)
श्री विनयपाल यादव पुत्र श्री सरदार सिंह यादव, आयु 39 वर्ष, निवासी- सी-50 कृष्णा मार्ग, सिवाड एरिया, बापू नगर, जयपुर । 
परिवादी
बनाम
01. मैनेजर/प्रबन्धक, एच.सी.एल.टावर, पता- ग्राउण्ड फ्लोर, मरोल मरोसी बस स्टैण्ड के पास, 360, मरोल मिल्ट्री रोड, अंधेरी ईस्ट, मुम्बई ।
02. इन्द्रा स्विच जरिये प्रोपराईटर, कार्यालय पता- हवा सड़क, जयपुर । 
विपक्षीगण
उपस्थित
परिवादी की ओर से श्री योगेश कुमावत, एडवोकेट
विपक्षीगण के विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही

निर्णय
दिनांकः- 04.03.2015
यह परिवाद, परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध दिनंाक 18.11.2009 को निम्न तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया हैः-
परिवादी ने विपक्षी संख्या 1 द्वारा निर्मित एक लेपटाॅप विपक्षी संख्या 2 से 28,990/-रूपये में दिनांक 08.11.2008 को जरिये प्दअवपबम छवण् 2690 अपने कार्यालय हेतु क्रय किया था । इस लेपटाॅप पर विपक्षीगण की ओर से एक वर्ष की गारण्टी प्रदान की गई थी । परिवादी ने उक्त लेपटाॅप को जब काम में लिया तो उसे पता चला कि लेपटाॅप का कैमरा काम नहीं कर रहा हैं । इस पर परिवादी जब दिनांक     09.11.2008 को उक्त लेपटाॅप को लेकर विपक्षी संख्या 2 के पास गया तो उसने लेपटाॅप रिपेयर करके दे दिया लेकिन उसे बदलने से मना कर दिया । इसके बाद दिनंाक 03.03.2009 को उक्त लेपटाॅप ने पूर्णतः कार्य करना बन्द कर दिया तथा वह चालू नहीं हुआ । जिस पर परिवादी दिनांक 04.03.2009 को पुनः लेपटाॅप लेकर विपक्षी संख्या 2 के पास गया और विपक्षी संख्या 2 ने लेपटाॅप को अपने पास रखते हुए एक-दो दिन उसके पास छोड़ने को कहा । जिसकी विपक्षी संख्या 2 के अधिकृत प्रतिनिधि ने मैनेजर विश्वेश भाटिया के कार्ड पर उक्त लेपटाॅप प्राप्ति की रसीद लिख कर दी ।
तदुपरान्त दिनंाक 05.03.2009 को विपक्षी संख्या 2 द्वारा उक्त लेपटाॅप ठीक होने की बात कहकर परिवादी को वापस लौटा दिया । परिवादी द्वारा लेपटाॅप को चालू करने पर पाया कि वह ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर रहा था । इस पर विपक्षी संख्या 2 के इंजीनियर ने उक्त लेपटाॅप कम्पनी के सर्विस स्टेशन पर ले जाने के कहा तो परिवादी दिनंाक 06.03.2009 को उक्त लेपटाॅप को लेकर कम्पनी के सर्विस स्टेशन पर गया । जिसे वहां उपलब्ध कर्मचारियों ने लेपटाॅप एक-दो दिन में आकर ले जाने को कहा । जब परिवादी दो दिन बाद कम्पनी के सर्विस स्टेशन पर गया तो वहां उपस्थित स्टाफ ने उक्त लेपटापॅ के हार्डवेयर में खराबी होना बताते हुए इसके डिमाण्ड कम्पनी के यहां भिजवा देना बताया तथा कथन किया कि पाटर््स आते ही लेपटाॅप ठीक करके दे दिया जायेगा । परिवादी द्वारा विपक्षी संख्या 1 कम्पनी के सर्विस स्टेशन पर दो-तीन चक्कर लगाने के उपरान्त 14 दिन बाद दिनांक 20.03.2009 को उक्त लेपटाॅप ठीक होने का कथन करते हुए परिवादी को वापस लौटा दिया ।
परिवादी ने जब लेपटाॅप को चैक किया तो पाया कि उसके कार्य की गति धीमी हो गई हैं । इसकी शिकायत पुनः विपक्षी संख्या 2 से करने पर उसने कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया और लेपटाॅप बदलने से साफ इन्कार कर दिया। इस पर परिवादी दिनांक 31.03.2009 को उक्त लेपटाॅप को पुनः सर्विस स्टेशन पर लेकर गया । जिसे सर्विस स्टेशन ने रिपेयर करके परिवादी को वापस लौटा दिया । लेकिन इसके बाद लेपटाॅप ने पूर्णतया कार्य करना ही बन्द कर दिया । इसके बाद परिवादी दिनंाक     30.07.2009 एवं 31.07.2009 को विपक्षी संख्या 2 के पास एवं दिनांक 01.08.2009 को कम्पनी के सर्विस स्टेशन पर लेपटाॅप लेकर गया लेकिन लेपटाॅप ठीक नहीं हुआ । इस पर परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से लेपटाॅप बदलकर देने का निवेदन किया तो उसने लेपटाॅप बदलकर देने से साफ तौर पर इन्कार कर दिया ।
इस प्रकार विपक्षीगण ने परिवादी को उत्पादकीय त्रुटि से युक्त लेपटाॅप विक्रय करके और उसे नहीं बदलकर अनुचित व्यापार व्यवहार एवं सेवादोष कारित किया हैं । और इस सेवादोष के आधार पर परिवादी अब विपक्षीगण से परिवाद के मद संख्या 23 में अंकित सभी अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी हैं ।  
विपक्षी संख्या 1 के विरूद्ध दिनांक 24.06.2014 एवं विपक्षी संख्या 2 के विरूद्ध दिनंाक 10.10.2014 को एकतरफा कार्यवाही अमल मेें लाने के आदेश दिये गये । 
साक्ष्य एकतरफा में परिवादी श्री विनयपाल यादव ने स्वयं के शपथ पत्र के साथ  प्रदर्श-1 से प्रदर्श-11 दस्तावेज प्रस्तुत किये ।
बहस एकतरफा सुनी गई एवं पत्रावली का आद्योपान्त अध्ययन किया गया ।
प्रस्तुत प्रकरण में परिवादी ने विपक्षी संख्या 2 से दिनंाक 08.11.2008 को एक लेपटाॅप 28,990/-रूपये में क्रय किया था। यह तथ्य प्रदर्श-1 टंज प्दअवपबम से प्रमाणित हैं । इसके बाद इस लेपटाॅप में अनेक प्रकार की त्रुटियां/खराबियां पैदा होती रही । जिनके लिए परिवादी ने इस लेपटाॅप को विपक्षी कम्पनी के सर्विस सेन्टर पर दिया । यह तथ्य ब्नेजवउमत ब्ंसस ब्नउ ैमतअपबम त्मचवतज प्रदर्श-5 दिनंाकित          20.03.2009, प्रदर्श-6 दिनांकित 31.03.2009 एवं प्रदर्श-7 दिनांकित 12.08.2009 से प्रमाणित हैं । इससे पूर्व परिवादी ने इस लेपटाॅप में टंज प्दअवपबम प्रदर्श-2 दिनंाकित 31.03.2009 के माध्यम से 300/-रूपये की एसेसरीज लगवाई एवं टंज प्दअवपबम प्रदर्श-3 दिनंाकित 01.07.2009 के माध्यम से इस लेपटाॅप की मरम्मत करवाई । विपक्षी संख्या 2 के शाॅप मैनेजर ने परिवादी से दिनांक 04.03.2009 को यह लेपटाॅप ठीक करने के लिए लिया था । यह तथ्य प्रदर्श-4 से प्रमाणित हैं ।
इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रस्तुत किये गये सभी दस्तावेजों प्रदर्श-2 से प्रदर्श-7  के अवलोकन से यह प्रमाणित हैं कि परिवादी द्वारा लेपटाॅप दिनंाक 08.11.2008 को खरीदने के बाद इस लेपटाॅप में दिनंाक 31.03.2009 से 12.08.2009 तक 6 बार खराबियां आईं । जिन्हें ठीक करने के लिए परिवादी ने उक्त लेपटाॅप बार-बार विपक्षीगण को दिया । लेकिन लेपटाॅप में विद्यमान कमियां दूर नहीं हुई । जो इस बात का पक्का प्रतीक और प्रमाण हैं कि परिवादी द्वारा क्रय किया गया लेपटाॅप निर्माण संबंधी दोष से ग्रस्त था । इस संबंध मेें परिवादी ने विपक्षीगण को प्रदर्श-8 नोटिस भी दिया । लेकिन विपक्षीगण ने इसके उपरान्त भी परिवादी के लेपटाॅप का ठीक करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया । परिवादी द्वारा यह परिवाद प्रस्तुत करने के बाद विपक्षीगण को नोटिस जारी किये गये । लेकिन बावजूद नोटिस तामील विपक्षीगण की ओर से किसी के उपस्थित नहीं आने पर उनके विरूद्ध एकतरफा कार्यवाही अमल में लाई गई हैं । इसलिए भी धारा 8 (5) (2) सी.पी.सी. के प्रावधानों में यह मानकर चला जावेगा कि विपक्षीगण परिवादी द्वारा लगाये गये सभी आरोपों को अक्षरशः स्वीकार करते हैं ।
अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह प्रमाणित हेैं कि परिवादी को विपक्षीगण ने प्रदर्श-1 टंज प्दअवपबम दिनंाकित 08.11.2008 के माध्यम से जो लेपटाॅप विक्रय किया था, वह निर्माण संबंधी दोष से ग्रस्त था । इसलिए परिवादी अब लेपटाॅप निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 1 से विवादित लेपटाॅप की कीमत 28,990/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विपक्षी संख्या 1 से विवादित लेपटाॅप की कीमत प्राप्त करते समय विपक्षी संख्या 1 को विवादित लेपटाॅप सम्भलवायेगा । परिवादी को विपक्षीगण के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।  विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
                            आदेश
 अतः उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर परिवाद, परिवादी स्वीकार किया जाकर आदेश दिया जाता है कि परिवादी लेपटाॅप निर्माता कम्पनी विपक्षी संख्या 1 से विवादित लेपटाॅप की कीमत 28,990/-रूपये प्राप्त करने का अधिकारी हैं । परिवादी विपक्षी संख्या 1 से विवादित लेपटाॅप की कीमत प्राप्त करते समय विपक्षी संख्या 1 को विवादित लेपटाॅप वापस सम्भलवायेगा । परिवादी को विपक्षीगण के इस सेवादोष से हुए आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक संताप की क्षतिपूर्ति के रूप में 5,000/-रूपये एवं परिवाद व्यय के रूप में 2,500/-रूपये पृथक से दिलवाये जाने के आदेश दिये जाते हैं ।  विपक्षी संख्या 2 का कोई सेवादोष प्रमाणित नहीं होने से परिवादी उसके विरूद्ध कोई अनुतोष प्राप्त करने का अधिकारी नहीं हैं ।
विपक्षी संख्या 1 को आदेश दिया जाता है कि वह उक्त समस्त राशि परिवादी के रिहायशी पते पर जरिये डी.डी./रेखांकित चैक इस आदेश के एक माह की अवधि में उपलब्ध करवायेगा ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष


निर्णय आज दिनांक 04.03.2015 को पृथक से लिखाया जाकर खुले मंच में हस्ताक्षरित कर सुनाया गया ।

अनिल रूंगटा              डाॅं0 अलका शर्मा            डाॅ0 चन्द्रिका प्रसाद शर्मा 
  सदस्य             सदस्या              अध्यक्ष

 

 

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