Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/455

Gati Desk TO DesK Cargo - Complainant(s)

Versus

H Roy Private Limited - Opp.Party(s)

B L Jaiswal, R.K. Verma

23 Aug 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/455
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Gati Desk TO DesK Cargo
A
...........Appellant(s)
Versus
1. H Roy Private Limited
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 23 Aug 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

                                       मौखिक       

अपील सं0-४५५/२००१

 

(जिला मंच, जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या १६७/१९९८ में बहुमत के पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १२-०२-२००१ के विरूद्ध)

 

१. गति डेस्‍क टू डेस्‍क कार्गो, लाजपत नगर, मलदहिया, वाराणसी द्वारा ब्रान्‍च मैनेजर।

 

२. गति डेस्‍क टू डेस्‍क कार्गो, १-७-२९३, ए0जी0 रोड, पोस्‍ट बॉक्‍स नं0-२०, सिकन्‍दराबाद।

   .............   अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।

बनाम

एच0 राय प्राईवेट लिमिटेड, इण्‍डस्ट्रियल ऐस्‍टेट, चॉदपुर, वारणसी।

                                               ............  प्रत्‍यर्थी/परिवादी।

समक्ष:-

१-  मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य।

२-  मा0 श्री संजय कुमार, सदस्‍य।

 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित  : श्री रोहित वर्मा विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित       : कोई नहीं।

 

दिनांक :- ०८-०३-२०१७.

 

मा0 श्री उदय शंकर अवस्‍थी, पीठासीन सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या १६७/१९९८ में बहुमत के पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १२-०२-२००१ के विरूद्ध योजित की गयी है।

संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार हैं कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार वह के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी के नाम से वैज्ञानिक तुला एवं साइन्‍टीफिक बेलेंस का निर्माण एवं बिक्री करता है। उसने १० वैज्ञानिक तुला नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन, नीलकंठ नगर, भुवनेश्‍वर को आपूर्ति करने के लिए अपीलार्थी के द्वारा डी0ए0सी0सी0 (डिलीवरी अगेन्‍स्‍ट कंसाइनी कापी) के आधार पर १६६९/- रू० का भुगतान करके बुक कराया था तथा अपीलार्थी को निर्देशित किया कि नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन से उपरोक्‍त कन्‍साइनमेट का भुगतान एवं फार्म-सी प्राप्‍त करके उसे कंसाइनी कापी दे दी जाय। फार्म-सी न दिए जाने की स्थिति में ३८७०/- रू० का भुगतान करने के लिए भी कहा गया था।

 

 

-२-

अपीलार्थी को कंसाइनी कापी प्राप्‍त करने के उपरान्‍त ही डिलीवरी देनी थी, किन्‍तु अपीलार्थी कम्‍पनी ने बिना उपरोक्‍त कंसाइनी कापी प्राप्‍त किए दिनांक १४-०६-१९९८ को माल की डिवली नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन को करके पी0डी0ओ0(प्रूफ आफ डिलीवरी) परिवादी को सौंप दिया। नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन ने उक्‍त माल का भुगतान नहीं किया और उसके द्वारा जारी किए गये दो चेक बैंक से डिसऑनर होकर वापस लौट आये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार अपीलार्थी कम्‍पनी ने जानबूझकर सेवा में त्रुटि की, जिससे प्रत्‍यर्थी/परिवादी को हानि हुई। अत: कंसाइनमेण्‍ट के माल का मूल्‍य ६७,०८०/- रू0 अपीलार्थी कम्‍पनी से मय ब्‍याज प्राप्‍त करने तथा क्षतिपूर्ति की अदायगी हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।

अपीलार्थी द्वारा प्रतिवाद पत्र जिला मंच के समक्ष प्रस्‍तुत किया गया। अपीलार्थी के कथनानुसार प्रत्‍यर्थी/परिवादी उपभोक्‍ता नहीं है। अपीलार्थी कम्‍पनी द्वारा के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी के निर्देशानुसार माल की डिलीवरी नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन को की गयी तथा इसका भुगतान भी नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन से प्राप्‍त कर लिया गया। इसके बाबजूद परिवाद जिला मंच में योजित किया गया। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन द्वारा जारी किये गये चेकों के डिसऑनर होने के बाबजूद उसके विरूद्ध कोई कार्यवाही प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नहीं की गयी। परिवाद में नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन को पक्षकार न बनाये जाने का दोष है।

विद्वान जिला मंच ने प्रश्‍नगत निर्णय द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया तथा अपीलार्थी कम्‍पनी को आदेशित किया कि वह आदेश के ०३ माह के अन्‍दर कन्‍साइनमेण्‍ट का मूल्‍य ६७,०८०/- रू० तथा फार्म-सी न मिलने की वजह से व्‍यापार कर की अतिरिक्‍त देयता ३८७०/- रू०, कन्‍साइनमेण्‍ट का भाड़ा १६६९/- रू० तथा दिनांक ०७-०६-१९९७ से ११ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ परिवादी को भुगतान करेगा। इसके अतिरिक्‍त अपीलार्थी कम्‍पनी परिवादी को ५०००/- रू० बतौर क्षतिपूर्ति भी प्राप्‍त करेगी। निर्धारित अवधि में भुगतान न किए जाने की स्थिति में सम्‍पूर्ण धनराशि की अदायगी की तिथि तक परिवादी १५ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा।

 

 

-३-

हमने अपीलार्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री रोहित वर्मा के तर्क सुने तथा अभिलेखों का अवलोकन किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी को परिवादी में उल्लिखित पते पर पंजीकृत डाक से नोटिस प्रेषित की गयी, किन्‍तु नोटिस इस पृष्‍ठांकन के साथ वापस प्राप्‍त हुई कि प्राप्‍तकर्ता इस पते पर नहीं रहते।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि प्रश्‍नगत प्रकरण में माल परिवादी एच0 राय प्रा0लि0 द्वारा बुक नहीं किया गया बल्कि के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा बुक किया गया। के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी तथा एच0 राय एण्‍ड कम्‍पनी दो अलग-अलग कम्‍पनी हैं। परिवाद में परिवादी द्वारा यह स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है कि के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा परिवाद क्‍यों नहीं योजित किया गया और न ही यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि एच0 राय एण्‍ड कम्‍पनी किस प्रकार के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी की लाभार्थी है और न ही यह स्‍पष्‍ट किया गया कि श्री एस0आर0 चौधरी जिनके माध्‍यम से प्रश्‍नगत परिवाद योजित किया गया ने किस हैसियत से परिवाद योजित किया। न ही यह स्‍पष्‍ट किया गया कि उन्‍हें के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा परिवाद योजित किए जाने हेतु अधिकृत किया गया है।

निर्विवाद रूप से प्रश्‍नगत प्रकरण में माल के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा अपीलार्थी कम्‍पनी को नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन को वितरण हेतु बुक किया गया। के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा परिवाद क्‍यों नहीं योजित किया गया, इसका कोई स्‍पष्‍टीकरण प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा प्रेषित नहीं किया गया। अपीलार्थी द्वारा लिखित कथन में इस सन्‍दर्भ में स्‍पष्‍ट आपत्ति के बाबजूद कि के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी तथा एच0 राय प्रा0लि0 दो अलग-अलग कम्‍पनी हैं, प्रत्‍यर्थी /परिवादी द्वारा स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं की गयी। ऐसी परिस्थिति में परिवादी एच0 राय प्रा0लि0 को अधिनियम की धारा-२(१)(घ) के अन्‍तर्गत परिभाषित उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता।

अपीलार्थी की ओर से यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि स्‍वयं परिवादी यह स्‍वीकार करता है कि माल का वितरण गन्‍तव्‍य स्‍थान पर नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन     को किया गया। अपीलार्थी का यह कथन है कि माल का वितरण के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी

 

 

-४-

द्वारा नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन से प्राप्‍त कर लिया गया। यह तथ्‍य निर्विवाद है कि नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन द्वारा प्रश्‍नगत माल के सन्‍दर्भ में दो चेक के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी को प्रदान किए गये। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के कथनानुसार इन चेकों का भुगतान उसे प्राप्‍त नहीं हुआ किन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी और न ही प्रश्‍नगत परिवाद में उसे पक्षकार बनाया गया।

प्रतिवाद पत्र के अभिकथनों से यह विदित होता है कि अपीलार्थी के कथनानुसार के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा टेलीफोन पर दिए गये निर्देशानुसार नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरेशन को माल का वितरण किया गया। अत: नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन भी प्रश्‍नगत परिवाद के सन्‍दर्भ में आवश्‍यक पक्षकार था किन्‍तु परिवादी ने नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को पक्षकार नहीं बनाया। परिवाद में आवश्‍यक पक्षकार न बनाये जाने का आदेश है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के इस तर्क में बल है।

यह तथ्‍य निर्विवाद है कि प्रश्‍नगत माल की डिलीवरी अपीलार्थी ने नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को किया। अपीलार्थी के कथनानुसार यह डिलीवरी कंसाइनी कापी न प्राप्‍त होने के कारण अपीलार्थी के कर्मचारियों द्वारा नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को न दिए जाने पर के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी के टेलीफोन पर दिए गये निर्देशानुसार माल की डिलीवरी नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को की गयी। अपीलार्थी का यह भी कथन है कि प्रश्‍नगत माल का भुगतान वस्‍तुत: के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन से प्राप्‍त कर लिया गया है। उल्‍लेखनीय है कि परिवाद के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी द्वारा योजित नहीं किया गया एवं नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को परिवादी में पक्षकार भी नहीं बनाया गया है। निश्चित रूप से इस सन्‍दर्भ में निष्‍कर्ष निकालने के लिए कि के0 राय एण्‍ड कम्‍पनी ने भुगतान प्राप्‍त कर लिया है अथवा नहीं।  नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को पक्षकार बनाया जाना भी आवश्‍यक था, किन्‍तु परिवाद में नेशनल साइन्‍टीफिक कारपोरशन को पक्षकार नहीं बनाया गया है। परिवादी में आवश्‍यक पक्षकार न बनाये जाने का भी दोष है।

 

 

-५-

हमारे विचार विद्वान जिला मंच द्वारा बहुमत द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय उपरोक्‍त तथ्‍यों पर विचार न करते हुए पारित किया गया है, जो त्रुटिपूर्ण है, अत: अपास्‍त किए जाने योग्‍य है। तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार करते हुए परिवाद निरस्‍त किए जाने योग्‍य है।

आदेश

    प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला मंच, वाराणसी द्वारा परिवाद संख्‍या १६७/१९९८ में बहुमत का पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक १२-०२-२००१ अपास्‍त करते हुए परिवाद निरस्‍त किया जाता है।

      इस अपील का व्‍यय-भार उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

                                    

                                    (उदय शंकर अवस्‍थी)

                                                  पीठासीन सदस्‍य

 

 

                                                   (संजय कुमार)

                                                      सदस्‍य

 

 

प्रमोद कुमार

वैय0सहा0ग्रेड-१,

कोर्ट नं.-२.  

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Udai Shanker Awasthi]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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