Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/2048

Jahanganj Cold Storage - Complainant(s)

Versus

Gyanendra Singh - Opp.Party(s)

J P Saxena

18 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/2048
( Date of Filing : 18 Sep 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Jahanganj Cold Storage
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gyanendra Singh
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Mahesh Chand PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 18 Apr 2018
Final Order / Judgement

सुरक्षित

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ

 

(जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 770/1997 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.08.2012  के विरूद्ध)

 

 

अपील संख्‍या  2048 सन 2012

 

मै0 जहानगंज कोल्‍ड स्‍टोरेज, जहानगंज, द्वारा साझेदार प्रदीप  कुमार कटियार, पो0 जहानगंज, जिला फरूखाबाद ।

                                           .......अपीलार्थी/प्रत्‍यर्थी

-बनाम-

 

ज्ञानेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री मुकुट सिंह निवासी ग्राम ज्‍योंता पो0 ज्‍योंता जिला फरूखाबाद।

. .........प्रत्‍यर्थी/परिवादी

 

 

समक्ष:-

मा0   श्री महेश चन्‍द, पीठासीन  सदस्‍य।

मा0    श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  श्री जे0पी0 सक्‍सेना।

प्रत्‍यर्थी   की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता  -  सुश्री तारा गुप्‍ता।

 

दिनांक:-

 

श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

निर्णय

 

      प्रस्‍तुत अपील, जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम, फरूखाबाद द्वारा परिवाद संख्‍या 770/1997 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16.08.2012  के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है ।

      संक्षेप में, प्रकरण के आवश्‍यक तथ्‍य इस प्रकार हैं परिवादी/प्रत्‍यर्थी  ने दिनांक 06.03.1997 को 55 बोरा तथा दिनांक 07.03.1997 को 116 बोरा आलू विपक्षी/अपीलार्थी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित किया। परिवादी/प्रत्‍यर्थी  ने उक्‍त आलू बोने के लिए भण्‍डारित किए थे। दिनांक 14.10.97 को परिवादी/प्रत्‍यर्थी  जब अपना  उक्‍त भण्‍डारित आलू निकलवाने के लिए विपक्षी/अपीलार्थी के कोल्‍ड स्‍टोर पर  गया तो पाया कि विपक्षी की लापरवाही के कारण आलू खराब हो गया था तथा आलू में एक - डेढ बालिश्‍त लम्‍बे किल्‍ले बोरा फाड़कर बाहर निकल आ‍ऐ थे। परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने इसकी शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी से की तथा भण्‍डारित आलू का मूल्‍य 250.00 रू0 प्रति कुन्‍तल की दर से अदा करने को कहा जिसे अदा करने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी तैयार नहीं हुआ । परिवादी/प्रत्‍यर्थी का कहना है कि भण्‍डारित आलू खराब होने से उसे 25,822.50 रू0 की हानि हुयी है तथा वह समय से आलू की बुबाई भी नहीं कर सका, अत: परिवादी ने 25,822.50 रू0 आलू का मूल्‍य तथा 5000.00 रू0 क्षतिपूर्ति हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद योजित किया।

      जिला मंच के समक्ष अपीलार्थी/ विपक्षी ने परिवाद का विरोध करते हुए उल्लिखित किया कि प्रस्‍तुत प्रकरण उ0प्र0 कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम के प्राविधानों से वाधित होने के कारण जिला मंच की सुनवाई के क्षेत्राधिकार से बाहर है। अपीलार्थी/विपक्षी का यह भी कथन है कि पर्याप्‍त सूचना के बाद भी कृषकों ने शीतगृह से देय भाड़े का भुगतान करके यथा समय आलू नहीं निकाला क्‍योंकि आलू का बाजार भाव बहुत कम था, जिसके कारण आलू खराब हो गया जिसे नष्‍ट करने में उसका काफी व्‍यय हुआ है। 

      जिला मंच ने उभय पक्ष  के साक्ष्‍य एवं अभिवचनों के आधार पर निम्‍न आदेश पारित किया :-

      '' परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस आदेश के दिनांक से तीन दिवस के अन्‍दर परिवादी को भण्‍डारित आलू 153.29 कुन्‍तल का मूल्‍य 22,686.00 रू0 मय दिनांक 01.01.98 से भुगतान करने की दिनांक तक 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज की दर के साथ ब्‍याज सहित भुगतान करना सुनिश्चित करे। विपक्षी को यह भी आदेशित किया जाता है कि उपरोक्‍त समयावधिर्न्‍तगत परिवादी को मानसिक एवं शारीरिक क्षति की क्षतिपूर्ति हेतु रू0 1500.00 एवं परिवाद व्‍यय के रूप में 200.00 रू0 भुगतान करना सुनिश्चित करें। ''

      उक्‍त आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपील मै0 शाहगंज कोल्‍ड स्‍टोरेज, जहानगंज द्वारा प्रस्‍तुत की गयी है।

अपील के आधारों में कहा गया है कि जिला मंच का प्रश्‍नगत निर्णय विधिपूर्ण नहीं है तथा सम्‍पूर्ण तथ्‍यों को संज्ञान में लिए बिना प्रश्‍नगत निर्णय पारित किया गया है जो अपास्‍त किए जाने योग्‍य है।

      हमने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍ता गण के तर्क विस्‍तारपूर्वक सुने एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍यों का सम्‍यक अवलोकन किया।

      पत्रावली का अवलोकन करने से स्‍पष्‍ट होता है कि परिवादी ने दिनांक 06.03.1997 को 55 बोरा तथा दिनांक 07.03.1997 को 116 बोरा आलू विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित किया, जो विपक्षी की लापरवाही के कारण खराब हो गया था परिवादी ने इसकी शिकायत विपक्षी से की तथा भण्‍डारित आलू का मूल्‍य 250.00 रू0 प्रति कुन्‍तल की दर से अदा करने को कहा जिसे अदा करने के लिए विपक्षी तैयार नहीं हुआ । जबकि विपक्षी का कथन है कि प्रस्‍तुत प्रकरण उ0प्र0 कोल्‍ड स्‍टोरेज अधिनियम के प्राविधानों से वाधित होने के कारण जिला मंच की सुनवाई के क्षेत्राधिकार से बाहर है। विपक्षी का यह भी कथन है कि पर्याप्‍त सूचना के बाद भी कृषकों ने शीतगृह से देय भाड़े का भुगतान करके यथा समय आलू नहीं निकाला क्‍योंकि आलू का बाजार भाव बहुत कम था, जिसके कारण आलू खराब हो गया जिसे नष्‍ट करने में उसका काफी व्‍यय हुआ है। 

      पत्रावली पर उपलब्‍ध साक्ष्‍य के परिशीलन से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी/प्रत्‍यर्थी ने विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोर में दिनांक 06.03.1997 को 55 बोरा तथा दिनांक 07.03.1997 को 116 बोरा रखा था। उक्‍त आलू परिवादी ने अगली फसल बोने हेतु सुरक्षित किया था लेकिन विपक्षी की लापरवाही के कारण उक्‍त आलू खराब हो गया जिसकी क्षतिपूर्ति मांगने के बावजूद विपक्षी/अपीलार्थी द्वारा नहीं की गयी और उल्लिखित किया गया कि आलू का बाजार भाव कम होने के कारण किसानों ने अपना आलू शीतगृह से नहीं उठाया और न ही आलू भण्‍डारण का शुल्‍क अदा किया। जबकि परिवादी का कथन है कि जब‍ वह अपना आलू शीतगृह से लेने गया तो पाया कि आलू शीतगृह में उचित तापमान में न रखने के कारण अंकुरित हो गया था और उसमे बालिश्‍त बरावर किल्‍ले निकल आए थे जिसके कारण वह बुवाई के योग्‍य नहीं रह गया था । यदि शीतगृह में आलू उचित ताममान में रखा गया होता तो वह खराब नहीं होता। शीतगृह में रखा आलू खराब होने के परिवादी को क्षति हुयी है तथा वह अगली आलू की फसल उगाने से वंचित रहा। स्‍पष्‍ट रूप से यह विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज के कर्मचारियों की लापरवाही एवं सेवा में कमी है। यदि तत्‍समय आलू का बाजार भाव कम रहा होता तो परिवादी अपना आलू निकलवाने शीतगृह जाता ही नहीं जैसा कि विपक्षी/अपीलार्थी का कथन है कि आलू का बाजार भाव कम होने के कारण किसान आलू निकलवाने कोल्‍डस्‍टोर नहीं आए और आलू को नष्‍ट करने में उसे अतिरिक्‍त व्‍यय करना पड़ा।  चूंकि परिवादी ने अपना आलू नियमानुसार शुल्‍क अदा करके विपक्षी के कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित किया है, अत: वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में आता है और जिला मंच को उक्‍त वाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार है।

पत्रावली में उपलब्‍ध साक्ष्‍य एवं अभिलेख का भलीभांति परिशीलन करने के पश्‍चात हम यह पाते हैं कि जिला मंच द्वारा साक्ष्‍यों की पूर्ण विवेचना करते हुए प्रश्‍नगत परिवाद में विवेच्‍य निर्णय पारित किया है, जो कि विधिसम्‍मत है एवं उसमें हस्‍तक्षेप करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। तदनुसार प्रस्‍तुत अपील खारिज किए जाने योग्‍य है।

      

आदेश

 

            प्रस्‍तुत अपील खारिज की जाती है।

      उभय पक्ष इस अपील का अपना अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     

 

 

        (महेश चन्‍द्)                           (गोवर्धन यादव)

       पीठासीन सदस्‍य                                                         सदस्‍य

          कोर्ट-5

        (S.K.Srivastav,PA)

 
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
MEMBER

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