Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/336

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Gyanendra Kumar - Opp.Party(s)

Isar Husain

23 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/336
( Date of Filing : 02 Mar 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gyanendra Kumar
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Apr 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-336/2009

यू0पी0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड

बनाम

ज्ञानेन्‍द्र कुमार पुत्र श्री गोपीनाथ

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 23.04.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-261/2004 ज्ञानेन्‍द्र कुमार बनाम पॉंवर कारपोरेशन उ0प्र0 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 01.01.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 15 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता   श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी का नलकूप कनेक्‍शन 10 हार्स पावर का स्‍वीकृत था। विपक्षी द्वारा गलत तरीके से उक्‍त स्‍वीकृति को 12.5 हार्स पावर करके उसी हिसाब से बिल लिया जाता रहा, जबकि उक्‍त 10 हार्स पावर को कभी भी 12.5 हार्स पावर का नहीं कराया गया था। विपक्षी द्वारा यह कार्यवाही वर्ष 1980 से की जाती रही तथा परिवादी से 2.5 हार्स पावर का अधिक भुगतान लिया जाता रहा। परिवादी द्वारा विपक्षी से उक्‍त  लोड  को

 

 

 

-2-

सही कराने हेतु कहने पर विपक्षी द्वारा उक्‍त त्रुटि को सही नहीं किया गया तथा डिमाण्‍ड नोटिस जारी कर दिया गया। अत: क्षुब्‍ध  होकर परिवादी द्वारा विपक्षी के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता  आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी द्वारा अपने नलकूप को 12.5 हार्स पावर से चलाकर बिलों का भुगतान किया जाता रहा है। वाद का कारण कब उत्‍पन्‍न हुआ इसकी बाबत परिवादी द्वारा कोई उल्‍लेख नहीं किया गया। परिवादी द्वारा 2 वर्ष से ज्‍यादा उपभोग की गयी विद्युत का बिल जमा किया जाता रहा है, अत: परिवाद समय सीमा से बाधित है। परिवादी द्वारा कभी भी विपक्षी से विद्युत भार को कम किये जाने की बाबत नहीं कहा गया है। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया है:-

''परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह वादी के नाम जारी डिमान्‍ड नोटिस दि0 27-1-04 से पूर्व के 2 साल के बिलों में 2.5 हार्सपॉवर की अतिरिक्‍त जमा की गयी धनराशि को वादी के अग्रिम बिलों में समायोजित करे। उक्‍त अवधि का सरचार्ज भी वादी से वसूला नहीं जायेगा।

पक्षकार अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करें।''

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त           तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता           आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का  परिशीलन  व  परीक्षण 

 

 

 

-3-

करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता               आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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