Uttar Pradesh

StateCommission

A/347/2020

Kanpur Development Authority - Complainant(s)

Versus

Gyan Niketan School - Opp.Party(s)

Arvind Kumar & Manoj Kumar

20 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/347/2020
( Date of Filing : 07 Oct 2020 )
(Arisen out of Order Dated 10/10/2019 in Case No. C/227/2016 of District Kanpur Nagar)
 
1. Kanpur Development Authority
Kanpur Nagar Through its Vice Chairman Motijheel
...........Appellant(s)
Versus
1. Gyan Niketan School
Through its General Secretary Harpreet Singh S/O Sri Sardar Pardaman Singh Loicated at 122/689 and 690 Harihar nath Shashtri nagar Kanpur Nagar
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Gobardhan Yadav PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Rajendra Singh JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 20 Jan 2021
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

अपील संख्‍या-347/2020

(सुरक्षित)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या 227/2016 में पारित आदेश दिनांक 10.10.2019 के विरूद्ध)

KANPUR DEVELOPMENT AUTHORITY, KANPUR, through its Vice Chairman Motijheel Kanpur Nagar.

................अपीलार्थी/विपक्षी सं01

बनाम

1. GYAN NIKETAN SCHOOL, through its General Secretary Harpreet Singh aged about 46 years son of Sri Sardar Pardaman Singh, located at 122/689 and 690, Harihar Nath Shashtri Nagar, Kanpur Nagar.

2. JOINT EDUCATION DIRECTOR DEPARTMENT, through its Secretary situated at Nawabganj Road, Tilak Nagar, Kohana Kanpur-208002.

              ...................प्रत्‍यर्थीगण/परिवादी एवं विपक्षी सं02

समक्ष:-

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सर्वेश कुमार शर्मा,                               

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय,                               

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी सं02 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 09.02.2021

मा0 श्री गोवर्धन यादव, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील जिला उपभोक्‍ता आयोग, कानपुर नगर द्वारा परिवाद संख्‍या-227/2016 ज्ञान निकेतन स्‍कूल बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण व एक अन्‍य में पारित निर्णय व आदेश दिनांक 10.10.2019 के विरूद्ध इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

 

-2-

उक्‍त अपील अपीलार्थी द्वारा 12 माह के विलम्‍ब से योजित की गयी है एवं विलम्‍ब क्षमा प्रार्थना पत्र मय शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। इस आयोग द्वारा आदेश दिनांक 09.10.2020 के द्वारा विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के निस्‍तारण हेतु प्रत्‍यर्थी को नोटिस जारी की गयी थी।

अपीलार्थी एवं प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍तागण को विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र पर सुना गया।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ अपील में गुणदोष के आधार पर भी तर्क प्रस्‍तुत किये गये और यह तर्क किया गया कि चूँकि जिला उपभोक्‍ता आयोग का निर्णय दिनांकित 10.10.2019 विधि विरूद्ध है एवं क्षेत्राधिकार का उल्‍लंघन करते हुए पारित किया गया है अतैव विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है। अत: अपील का निस्‍तारण गुणदोष के आधार पर किये जाने योग्‍य है।

अपीलार्थी द्वारा विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ दिये गये शपथ पत्र, जो कि राजीव रतन प्रताप सिंह द्वारा सत्‍यापित किया गया है, का परिशीलन किया गया। उक्‍त शपथ पत्र के माध्‍यम से यह क‍थन किया गया है कि निर्णय दिनांक 10.10.2019 की सत्‍यापित प्रतिलिपि अपीलार्थी द्वारा दिनांक 17.10.2019 को प्राप्‍त की गयी एवं अपीलार्थी के कार्यालय आदेश दिनांक 23.10.2019 द्वारा अपील योजित करने की प्रक्रिया के लिए कार्यवाही शुरू की गयी और अपीलार्थी के अधिकारियों द्वारा दिनांक 18.11.2019 के

 

-3-

द्वारा अपील योजित करने की संस्‍तुति प्रदान की गयी एवं अधिवक्‍ता नामित करने के लिए कहा गया।

अपीलार्थी द्वारा शपथ पत्र के प्रस्‍तर-4 में यह कथन किया गया है कि अपीलार्थी के कुछ कर्मचारियों द्वारा पत्रावली को अनाधि‍कृत रूप से अपने पास रखा गया तथा जब उक्‍त निर्णय के अनुपालन हेतु प्रक्रिया शुरू हुई उसके पश्‍चात् प्राधिकरण द्वारा अपने अधिकारियों से सम्‍पर्क स्‍थापित किया गया एवं उक्‍त निर्णय के विरूद्ध अपील में की गयी कार्यवाही की जानकारी मांगी गयी। प्राधिकरण के अधिवक्‍ता द्वारा यह बताया गया कि उक्‍त वाद से सम्‍बन्धित पत्रावली उनको प्राप्‍त नहीं हुर्इ है और न ही कोई अपील इस आयोग के समक्ष योजित की गयी है।

अपीलार्थी के अधिकारियों द्वारा तत्‍काल कार्यवाही की गयी और दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की संस्‍तुति की गयी तथा नये उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अन्‍तर्गत 50 प्रतिशत राशि का बैंक ड्राफ्ट बनवाया गया एवं उक्‍त अपील इस आयोग के समक्ष योजित की गयी। उपरोक्‍त प्रकरण में 12 महीने का विलम्‍ब हुआ है, जो कि जानबूझकर नहीं किया गया है। विलम्‍ब जानबूझकर न किये जाने के कारण क्षमा किये जाने योग्‍य है। उक्‍त शपथ पत्र के माध्‍यम से अपीलार्थी द्वारा प्रस्‍तर-9 में यह भी कथन किया गया है कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा Singam Chetty Attendrooloo V/s State of T.N. (2001)            5 SCC 700 और N. Balakrishnan V/s M.  Krishnamurthy

 

-4-

(1998) 7 SCC 123 और Collector Land Acquisition V/s M. Katiji (1987) 2 SCC 107 और Bhivchandra Shankar V/s Balu Gangaram (2019) 6 SCC 387 में विधिक सिद्धान्‍त प्रतिपादित किया गया है कि यदि किसी वाद में क्षेत्राधिकार का बिन्‍दु निहित है तो सिर्फ विलम्‍ब के कारण अपील को खारिज करना उचित नहीं है एवं न्‍यायालय का कर्तव्‍य है कि क्षेत्राधिकार में त्रुटि को अपील के माध्‍यम से ठीक किया जाये। आगे यह कथन किया गया है कि उक्‍त प्रकरण को श्रवण करने का क्षेत्राधिकार उपभोक्‍ता मंच को नहीं है एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा आक्षेपित निर्णय पारित करने में विधिक भूल की गयी है। इन कथनों के साथ अपीलार्थी द्वारा अपील योजित करने में हुए विलम्‍ब को क्षमा किये जाने की याचना की गयी है।

     प्रत्‍यर्थी द्वारा उक्‍त विलम्‍ब माफी प्रार्थना पत्र का विरोध किया गया तथा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी द्वारा विलम्‍ब क्षमा किये जाने हेतु उचित आधार नहीं लिया गया है तथा यह भ्रामक तथ्‍य प्रस्‍तुत किया गया है कि अपीलार्थी के कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही की संस्‍तुति की गयी है। अपीलार्थी द्वारा उक्‍त कथन के समर्थन में कोई भी साक्ष्‍य नहीं प्रस्‍तुत किया गया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को वाद सुनने का पूर्ण क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

     प्रत्‍यर्थी द्वारा यह भी तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि अपीलार्थी द्वारा पूर्व में इस  आयोग  के  समक्ष  पुनरीक्षण  सं0  97/2016

 

-5-

योजित की गयी थी और उस पुनरीक्षण में यह समस्‍त आपत्ति उठायी गयी थी, किन्‍तु इस आयोग ने आदेश दिनांक 05.10.2016 के द्वारा किसी भी आपत्ति को नहीं माना एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग को शीघ्र परिवाद के निस्‍तारण के लिए कहा गया।

     प्रत्‍यर्थी द्वारा सन्‍दर्भित माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा SLP (C) No. 4272 of 2015 PUNJAB URBAN PLANNING AND DEVELOPMENT AUTHORITY (NOW GLADA) VERSUS VIDYA CHETAL WITH SLP (C) No. 5237 OF 2015 PUNJAB URBAN DEVELOPMENT AUTHORITY AND ANOTHER VERSUS RAM SINGH में पारित निर्णय दिनांक 16.09.2019 के द्वारा पूर्व विधि व्‍यवस्‍था HUDA vs. Sunita को ओवर रूल करते हुए यह विस्‍थापित की गयी कि शमन शुल्‍क के वाद उपभोक्‍ता फोरम में पोषणीय नहीं हैं। अपीलार्थी द्वारा किया गया यह कथन कि उपभोक्‍ता मंच को वाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है नितान्‍त असत्‍य है।

     प्रत्‍यर्थी ने माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय की विधि THE STATE OF MADHYA PRADESH & ORS. VERSUS BHERULAL SLP (C) DIARY NO. 9217 OF 2020 में पारित आदेश दिनांक 15.10.2020 का सहारा लिया है, जिसके द्वारा (QUOTE Para 4, 5, 6) माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा राज्‍य की अपील में 25,000/-रू0 जुर्माना भी आरोपित किया गया।

 

-6-

     उभय पक्ष के तर्कों को सविस्‍तार सुना गया एवं पत्रावली का गहन परिशीलन किया गया।

     अपीलार्थी द्वारा उक्‍त अपील इस आयोग के समक्ष 365 दिन के विलम्‍ब से योजित की गयी है। विलम्‍ब का कारण अपीलार्थी के कर्मचारियों द्वारा अवैधानिक रूप से पत्रावली को प्रोसेस/अग्रसारित नहीं किया गया है। अपीलार्थी द्वारा अपने शपथ पत्र के प्रस्‍तर-5 में यह अभिकथन किया गया है कि दोषी कर्मचारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही प्रस्‍तावित है। उक्‍त के अलावा अपीलार्थी द्वारा कोई भी दस्‍तावेज साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं किया गया जिससे यह पता लग सके कि कौन कर्मचारी दोषी थे और उनके खिलाफ क्‍या कार्यवाही की गयी वह नहीं बताया गया है। माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा THE STATE OF MADHYA PRADESH & ORS. VERSUS BHERULAL में प्रतिपादित विधि व्‍यवस्‍था इस प्रकरण में पूर्ण रूप से लागू होती है। प्रस्‍तुत अपील विलम्‍ब के बिन्‍दु पर ही निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

     अपीलार्थी द्वारा यह तर्क प्रस्‍तुत किया गया कि‍ प्रत्‍यर्थी स्‍कूल है एवं वाणिज्‍य हेतु कार्य कर रहा है। प्रत्‍यर्थी द्वारा अवैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए फोर्थ फ्लोर पर भी निर्माण करवाया गया है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को वाद श्रवण करने का आर्थिक क्षेत्राधिकार प्राप्‍त नहीं था जैसा कि साक्ष्‍य से विदित है कि पूर्व में भी अपीलार्थी द्वारा पुनरीक्षण सं0 97/2016 योजित की गयी थी जिस पर आयोग द्वारा दिनांक  05.10.2016  के  आदेश  द्वारा

 

-7-

पुनरीक्षण याचिका को निरस्‍त करते हुए जिला उपभोक्‍ता आयोग को वाद का निस्‍तारण तीन माह में करने का निर्देश दिया गया।

     प्रत्‍यर्थी द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के समक्ष दाखिल साक्ष्‍यों को लिखित तर्क के माध्‍यम से दाखिल किया गया तथा यह बताया गया कि प्रत्‍यर्थी एक रजिस्‍टर्ड सोसायटी है, जिसका उद्देश्‍य गरीब बच्‍चों को नि:शुल्‍क शिक्षा प्रदान करना है एवं विद्यार्थियों को मिनिमम शुल्‍क में शिक्षा प्रदान की जाती है तथा प्रत्‍यर्थी सोसायटी के सचिव होने के नाते स्‍वयं स्‍कूल में कार्यरत है तथा स्‍कूल से ही जीविकोपार्जन करता है। उक्‍त के समर्थन में आई0टी0आर0 तथा अभिभावकों द्वारा दिया गया शपथ पत्र संलग्‍न किया गया है, जिसमें विद्यार्थियों का शुल्‍क माफ किया गया है। लिखित तर्क के माध्‍यम से प्रमाण पत्र दिनांक 22.01.2008 जो कि सचिव माध्‍यमिक शिक्षा परिषद उत्‍तर प्रदेश द्वारा दिया गया है (WA PG 43, 44, 45, 46, 47) इसके द्वारा प्रत्‍यर्थी का संस्‍थान                 ए श्रेणी की ख्‍याति प्राप्‍त है। प्रत्‍यर्थी द्वारा प्रार्थना पत्र दिनांक 07.09.2018 के माध्‍यम से शमन शुल्‍क 5,00,000/-रू0 का डी0डी0 (WA PG 53, 54) अपीलार्थी को प्राप्‍त कराया गया। मुख्‍य अग्निशमन अधिकारी द्वारा जारी पत्र दिनांक 09.08.2010 में यह स्‍पष्‍ट है कि विद्यालय परिसर मानक के अनुरूप है (WA PG 58)। कार्यालय सहायक अभियन्‍ता चतुर्थ कानपुर प्रखण्‍ड निचली गंगा नहर कानपुर द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र दिनांक 27.06.2016 (WA PG 59) द्वारा यह सत्‍यापित किया  गया  है

 

-8-

कि विद्यालय का भवन पूर्ण रूप से स्‍ट्रेचरली सुरक्षित एवं भुकम्‍परोधी है। कक्षा कक्ष हवादार एवं रोशनी युक्‍त हैं।

अपीलार्थी द्वारा अपील में आर्थिक क्षेत्राधिकार का बिन्‍दु उठाया गया है। प्रत्‍यर्थी का तर्क है कि उक्‍त बिन्‍दु अपीलार्थी ने अपने जवाब दावा में जिला फोरम के समक्ष नहीं उठाया                 था तथा माननीय राष्‍ट्रीय आयोग द्वारा SHARPMIND CONSULTANCY SERVICES (P) LTD. & ORS. versus LIBORD INFOTECH LTD. III (2016) CPJ 551 (NC) में यह विधि दी गयी है कि आर्थिक क्षेत्राधिकार का बिन्‍दु आरम्‍भ में उठाया जाना चाहिए अन्‍यथा अपील के स्‍तर पर उक्‍त बिन्‍दु को देखा नहीं जायेगा क्‍योंकि आर्थिक क्षेत्राधिकार का बिन्‍दु अपीलार्थी द्वारा अपने जवाब दावे में नहीं उठाया गया है और इस आयोग द्वारा RP/97/16 में आदेश दिनांक 05.10.2016 के द्वारा किया गया तथा जिला मंच को निर्देशित किया गया कि वह तीन माह में वाद का निस्‍तारण करे अतएव इन परिस्थितियों में जिला मंच को वाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्‍त है।

प्रत्‍यर्थी द्वारा माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय की विधि Punjab University V/s Unit Trust of India (2015) 2 SCC 669 का Refrence लिया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि विद्यालय अगर म्‍युचुअल (Mutual) फण्‍ड में अपने कर्मचारियों के लिए धन जमा करता है तो सेवाओं में कमी के लिए उपभोक्‍ता वाद सुना जा सकता है, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि  अगर  कोई  संस्‍थान

 

-9-

विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान कर रहा है तो वह उपभोक्‍ता की श्रेणी में आयेगा। अत: अपीलार्थी की अपील मय हर्जा 25,000/-रू0 विलम्‍ब के बिन्‍दु पर निरस्‍त की जाती है और यह भी निर्देशित किया जाता है कि दोषी कर्मचारियों से उक्‍त हर्जा वसूल किया जाये और अपीलार्थी 10,000/-रू0 अपील व्‍यय भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को एक माह के अन्‍दर प्रदान करे।      

 

          (राजेन्‍द्र सिंह)                   (गोवर्धन यादव)             सदस्‍य                              सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. Gobardhan Yadav]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
JUDICIAL MEMBER
 

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