जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-188/2013
रमेष्वर प्रसाद उम्र करीब 65 वर्श पुत्र श्री राम रुप निवासी-पूरे सुखराम उपाध्याय का पुरवा (विषुनपुर सारा), पोस्ट नेवादा, तहसील सोहावल, थाना रौनाही, जिला फैजाबाद।
.............. परिवादी
बनाम
गुरु आटो मोबाइल्स (टैªक्टर एजेन्सी), सहादतगंज, (मुमताज नगर), फैजाबाद द्वारा प्रोपराइटर।
1. षिव कुमार वर्मा उम्र करीब 40 साल पुत्र श्री रामजस निवासी जुगवापुर, पोस्ट अरथर, थाना रौनाही, परगना मंगलसी, तहसील सोहावल, जिला फैजाबाद।
2. गुरु प्रसाद मौर्या उम्र करीब 40 साल पुत्र श्री राम मिलन निवासी कुड़ौली, पोस्ट मजनावां, परगना मगलसी, तहसील सोहावल, थाना रौनाही, जिला फैजाबाद।
........... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 03.02.2016
उद्घोशित द्वारा: श्री विश्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादी के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादी ने विपक्षी एजेन्सी से एक टैªक्टर महेन्द्रा षक्तिमान 45 एच पी (हार्स पावर) दिनांक 11.10.2011 को रुपये 1,00,000/- का चेक प्रदान कर के लिया। साथ मंे एक रसीद भी एजेन्सी ने दी। टैªक्टर लेने के बाद विपक्षी एजेन्सी द्वारा दिये गये मौखिक निर्देष के अनुसार परिवादी ने दिनांक 15.11.2011 को रुपये 1,10,000/- व दिनांक 10.02.2012 को रुपये 1,15,000/- विपक्षी एजेन्सी को दिये। उसके बाद परिवादी ने कई बार विपक्षी से टैªक्टर का रजिस्टेªषन परिवादी के नाम कराने को कहा तो विपक्षी संख्या 1 व 2 यह कह कर टालते रहे कि कुछ और पैसे का इन्तजाम करो तो परिवादी के नाम रजिस्टेªषन करवा देंगे। परिवादी ने विपक्षी को कुल रुपये 3,25,000/- दिया है। इस बीच टैªक्टर में कुछ तकनीकी खराबी आ गयी तो परिवादी ने इसकी सूचना विपक्षी को दी। करीब 6 माह बाद दिनांक 25-04-2012 को विपक्षीगण परिवादी के घर पहुंचे और उन्होंने कहा कि जो रसीद परिवादी को दी है वह रसीद दे दो जिस पर परिवादी के टैªक्टर को फाइनेन्स करवा देंगे। जिसमें परिवादी को फायदा रहेगा। टैªक्टर दिनांक 25-04-2012 को एजेन्सी पर पहुंचा देना जिससे सर्वेयर के आने पर टैªक्टर का सर्वे करवा देंगे और चेसिस नम्बर आदि छपवा लेंगे। जिससे फाइनेन्स आसानी से होगा और तकनीकी खराबी भी ठीक करवा देंगे। परिवादी ने विपक्षीगण की बातों में आ कर रसीद उनको दे दी और टैªक्टर भी एजेन्सी पर दिनांक 25.04.2012 को पहुंचा दिया। दिनांक 25.04.2012 के बाद परिवादी ने विपक्षी एजेन्सी से टैªक्टर वापस करने को कहा तो उन्होंने कहा कि अभी सर्वे नहीं हो पा रहा है। सर्वे हो जाने पर सूचित कर देंगे तब टैªक्टर ले जाना। कुछ समय बाद परिवादी पुनः अपना टैªक्टर लेने विपक्षी एजेन्सी के पास गया और टैªक्टर की मांग की मगर विपक्षीगण पुनः टाल मटोल करते रहे। इसी तरह कई महीने बीत गये विपक्षीगण ने न तो परिवादी को टैªक्टर वापस दिया और यह कहने पर टैªक्टर न मिल सके तो रकम रुपये 3,25,000/- वापस कर दें, इस पर विपक्षीगण ने परिवादी की एक बात नहीं सुनी और परिवादी को भद्दी भद्दी गाली देते हुए जाति सूचक षब्दों से गालियां दी तथा अभद्रता की। काफी प्रयास के बावजूद टैªक्टर न मिलने पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के जरिए विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस दिनांक 02.04.2013 को भेजा तथा उक्त नोटिस की एक एक प्रति पुलिस महानिरीक्षक फैजाबाद, वरिश्ठ पुलिस अधीक्षक व थाना अध्यक्ष थाना रौनाही को भी भेजी किन्तु विपक्षीगण ने न तो परिवादी को आज तक टैªक्टर दिया और न ही रुपये 3,25,000/- वापस ही किये। इसलिये परिवादी को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादी को विपक्षीगण से रुपये 3,25,000/-, 14 प्रतिषत ब्याज, रुपये 1,00,000/- क्षतिपूर्ति तथा रुपये 50,000/- परिवाद व्यय दिलाया जाय।
विपक्षीगण ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादी द्वारा टैªक्टर के लिये रुपये 1,00,000/- का चेक दिया जाना स्वीकार किया है तथा परिवादी के परिवाद के अन्य कथनों से इन्कार किया है। परिवादी फोरम के समक्ष स्वच्छ हाथों से नहीं आया है। परिवादी का परिवाद फर्जी, मनगढ़ंत व मिथ्या कथनों पर आधारित है। परिवादी ने एक महेन्द्रा टैªक्टर षक्तिमान 45 हार्स पावर का रुपये 5,82,745/- में तय किया और रुपये 1,00,000/- अदा कर के कहा कि एक माह में समस्त बकाया अदा कर देगा मगर परिवादी ने नियत समय में टैªक्टर की बकाया रकम अदा नहीं की। जिससे उत्तरदातागण को वित्तीय हानि का सामना करना पड़ा। परिवादी ने दिनांक 11.10.2011 को टैªक्टर का रुपये 1,00,000/- अदा कर के टैªक्टर अपनी अभिरक्षा में लिया और षेश बकाये का भुगतान नहीं किया और परिवादी रुपये 4,82,745/- का बकायेदार है। परिवादी ने टैªक्टर के सम्पूर्ण मूल्य का भुगतान नहीं किया इसलिये परिवादी के नाम पंजीकरण कराये जाने का प्रष्न ही नहीं उठता है। परिवादी का यह कहना कि उसने रुपये 3,25,000/- का भुगतान किया है सरासर गलत है। परिवादी का यह कहना कि उत्तरदातागण परिवादी के पास दिनांक 25.04.2012 को गये और रसीद ले कर टैªक्टर एजेन्सी पर भेजने की बात कही एक दम फर्जी व गलत है। सर्वे कराने की बात एक दम गलत हैै। परिवादी को टैªक्टर खरीद की कोई रसीद भी नहीं दी गयी थी। वाहन में न तो कोई मरम्मत कराई गयी और न ही मरम्मत कराने को कहा गया। परिवादी के साथ अभद्रता व गाली गलौज की बात एक दम गलत है। परिवादी ने अपना परिवादी झूठे कथनों पर दाखिल किया है जिससे टैªक्टर की बकाया धनराषि रुपये 4,82,745/- का भुगतान न करना पडे़। उत्तरदाता टैªक्टर के मूल्य की प्रति व बैंक लेजर की प्रति दाखिल कर रहा है। जिससे वास्तविकता प्रमाणित होती है। परिवादी का परिवाद पोशणीय नहीं है और सव्यय खारिज किये जाने योग्य है।
पत्रावली का भली भंातिपरिषीलन किया। परिवादी ने अपने परिवाद के समर्थन में षपथ पत्र, परिवादी का भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी पहचान पत्र की छाया प्रति, परिवादी के बचत खाते की छाया प्रति, विपक्षीगण को दिये गये नोटिस अदिनांकित की छाया प्रति, परिवादी की खतौनी की प्रमाणित छाया प्रतियां, परिवादी के पक्ष के समर्थन मंे राम सिंह पुत्र जगदीष प्रसाद निवासी ग्राम वासी का षपथ पत्र, परिवादी का साक्ष्य में षपथ पत्र, सूची पर परिवादी के बचत खातों के पास बुक की छाया प्रतियां, परिवादी का साक्ष्य में अतिरिक्त षपथ पत्र, परिवादी के पक्ष के सर्मथन में हरीष कुमार पुत्र रमेष्वर प्रसाद का षपथ पत्र, राम सिंह पुत्र जगदीष प्रसाद का षपथ पत्र तथा परिवादी के बचत खाते की पास बुक की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षीगण ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन, साक्ष्य में विपक्षी षिव कुमार वर्मा पुत्र श्री रामजस का षपथ पत्र, टैªक्टर की बिक्री के स्टेटमेंट की छाया प्रति, विपक्षीगण के बैंक खाते की पास बुक की छाया प्रति, परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दी गयी लीगल नोटिस की छाया प्रति तथा विपक्षीगण द्वारा परिवादी के लीगल नोटिस के उत्तर की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। परिवादी द्वारा कहा गया है कि उसने विपक्षी को रुपये 3,25,000/- का भुगतान किया है और टैªक्टर की कीमत रुपये 3,25,000/- थी, विपक्षी ने अपने सेल स्टेटमेंट की छाया प्रति दाखिल की है और उसमें दिखाया गया है कि टैªक्टर की कीमत रुपये 5,82,745/- है। विपक्षी ने अपने बैंक के खाते की पास बुक की छाया प्रति दाखिल की है जिसमें परिवादी द्वारा रुपये एक लाख प्राप्त किया जाना दिखाया गया है और जिसे विपक्षी ने स्वीकार भी किया है। परिवादी ने रुपये एक लाख के भुगतान को तो प्रमाणित किया है मगर रुपये 2,25,000/- का भुगतान परिवादी ने विपक्षी को किया है प्रमाणित नहीं है। विपक्षी का कथन है कि उसने परिवादी को कोई रसीद नहीं दी थी क्यों कि परिवादी ने टैªक्टर का पूरा भुगतान नहीं किया था। परिवादी का यह कहना कि उसने टैªक्टर विपक्षी की एजेन्सी पर दिनांक 25-04-2012 को ठीक करने के लिये छोड़ दिया था प्रमाणित नहीं है क्यों कि किसी भी सर्विस सेन्टर या एजेन्सी पर वाहन छोड़ने के समय उपभोक्ता को रसीद दी जाती है और उस पर उसका कारण लिखा होता है। इस प्रकार परिवादी का कहना गलत है कि उसने विपक्षी की एजेन्सी पर अपना टैªक्टर छोड़ दिया था। परिवादी ने अपनी बैंक के पास बुक की जो भी छाया प्रतियां दाखिल की हैं उनमें कहीं भी परिवादी द्वारा विपक्षी को किये गये भुगतान की बात प्रमाणित नहीं होती है। परिवादी ने विपक्षीगण को एक विधिक नोटिस दिया था जिसका भी उत्तर विपक्षीगण ने परिवादी को दिया है और परिवादी द्वारा लगाये गये आरोपों को गलत बताया है। परिवादी ने अपने परिवाद में कहा है कि उसने नोटिस की एक एक प्रति पुलिस महानिरीक्षक फैजाबाद, वरिश्ठ पुलिस अधीक्षक व थाना अध्यक्ष थाना रौनाही को भी भेजी थी मगर उक्त नोटिस को भेजे जाने का कोई प्रमाण परिवादी ने दाखिल नहीं किया है और इन उच्च अधिकारियों ने परिवादी के नोटिस पर क्या कार्यवाही की इसका भी हवाला नहीं दिया है। इस प्रकार परिवादी द्वारा पुलिस को सूचना दिया जाना गलत प्रमाणित होता है। परिवादी ने विपक्षीगण का बकाया भुगतान रुपये 4,82,745/- का नहीं किया है प्रमाणित होता है। परिवादी ने विपक्षीगण का एक तो रुपये 4,82,745/- का भुगतान नहीं किया दूसरे टैªक्टर को भी केवल रुपये 1,00,000/- का भुगतान कर के अपने पास ही रखे हुए हैं। इसीलिये विपक्षीगण ने परिवादी के टैªक्टर का पंजीकरण नहीं करवाया था। परिवादी अपना परिवाद प्रमाणित करने में असफल रहा है। विपक्षीगण ने अपनी सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादी ने विपक्षीगण के साथ धोखा किया है। जिसके लिये परिवादी को दण्डित किया जाना आवष्यक है जिससे कि भविश्य में परिवादी इस प्रकार का धोखे का काम किसी अन्य के साथ न करे तथा गलत तथ्यों पर अपना परिवाद दाखिल न करे। परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद सव्यय खारिज किया जाता है। परिवादी विपक्षीगण को रुपये 10,000/- का भुगतान आदेष की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। परिवादी यदि निर्धारित अवधि 30 दिन में विपक्षीगण को भुगतान नहीं करता है तो आदेष की दिनांक से तारोज वसूली की दिनांक तक रुपये 10,000/- पर 12 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज भी देय होगा।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 03.02.2016 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष