Uttar Pradesh

StateCommission

A/2009/1371

U P P C L - Complainant(s)

Versus

Gunjan Gupta - Opp.Party(s)

Isar Husain

10 May 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2009/1371
( Date of Filing : 19 Aug 2009 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. U P P C L
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gunjan Gupta
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 10 May 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-1371/2009

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व दो अन्‍य

बनाम

गुन्‍जन गुप्‍ता पुत्र श्री सन्‍तोष गुप्‍ता

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री इसार हुसैन,  

                              विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 10.05.2024

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता          आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्‍या-138/2008 गुन्‍जन गुप्‍ता बनाम पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लि0 व दो अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 09.07.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 15 वर्ष से लम्बित है।

हमारे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री इसार हुसैन को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी को घरेलू विद्युत कनेक्‍शन 4 किलोवाट का स्‍वीकृत है, जिसका उसके द्वारा समय से भुगतान किया जा रहा था, परन्‍तु विपक्षी द्वारा दिनांक 16.04.2008 से दिनांक 16.05.2008 तक एक माह का बिल अंकन 39,125/-रू0, जिसमें अन्‍य देय के रूप में 37,920/-रू0 उल्लिखित था, परिवादी को प्रेषित करते हुए जबरन उक्‍त बिल जमा करने का दबाव बनाया गया। परिवादी द्वारा  उक्‍त  बिल  को

 

 

 

-2-

ठीक करने हेतु विपक्षी के यहॉं बार-बार सम्‍पर्क करने के बावजूद कोई सुनवार्इ नहीं की गयी तथा कनेक्‍शन काटने व बन्‍द करने की धमकी दी गयी।

परिवादी का कथन है कि परिवादी अपने आवास पर लगे विद्युत मीटर की रीडिंग के आधार पर विद्युत देय अदा करने हेतु जिम्‍मेदार है। परिवादी द्वारा विपक्षी संख्‍या-3 उपखण्‍ड अधिकारी से विद्युत बिल ठीक करने हेतु प्रार्थना करने पर अनुचित धनराशि की  मांग की गयी। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षी विद्युत विभाग की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया तथा मुख्‍य रूप से यह कथन किया गया कि परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन वाणिज्यिक श्रेणी में 2 किलोवाट का स्‍वीकृत है। दिनांक 29.10.2007 को चैकिंग करते समय परिवादी के यहॉं 7 किलोवाट विद्युत का प्रयोग करते हुए पाया गया। मौके पर मोटर व वैल्डिंग मशीन का प्रयोग होता पाया गया। परिवादी द्वारा स्‍वीकृत भार से  5 किलोवाट अधिक का उपभोग किया जा रहा था। अत: निर्धारण 31,200/-रू0 की वसूली हेतु दिनांक 13.11.2007 को नोटिस भेजा गया। परिवादी द्वारा बिल अदा नहीं किया गया। इस कारण बिल अवधि 16/4 से 16/5 में बकाया रकम 37,920/-रू0 को जोड़ा गया। इस प्रकार 39,125/-रू0 परिवादी पर देय है। तदोपरान्‍त 16/5 से 16/6 की अवधि हेतु बिल 40,474/-रू0 का भेजा गया। अधिक लोड इस्‍तेमाल करने के कारण परिवादी का विद्युत कनेक्‍शन विच्‍छेदित कर दिया गया। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त अपने निर्णय में उल्लिखित किया गया कि परिवादी द्वारा लोड बढ़ाये जाने

 

 

 

-3-

हेतु स्‍वयं प्रार्थना पत्र देने पर विपक्षी विभाग द्वारा लोड 2 किलोवाट से 4 किलोवाट किया गया। यहॉं यह प्रश्‍न भी विचारणीय है कि यदि पूर्व में उपभोक्‍ता के यहाँ 7 किलोवाट का उपभोग होता पाया गया तो 4 किलोवाट का लोड किस आधार पर स्वीकृत किया गया एवं लोड बढ़ाने से पूर्व निर्धारण बिल 31,200/-रू0 उपभोक्ता अर्थात् परिवादी से क्यों नहीं प्राप्त किये गये? इसके अतिरिक्त चैकिंग दिनांक 29.10.2007 में दिखायी गयी तथा निर्धारण बिल दिनांक 13.11.2007 में किया गया, परन्तु परिवादी को लगभग 5-6 महीने के बाद अन्य देय के रूप में 37,920/-रू0 का बिल कुल 39,125/-रू0 का भेजे जाने का क्या औचित्य था? इसके अतिरिक्त चैकिंग रिपोर्ट पर उपभोक्ता अथवा किसी अन्य के हस्ताक्षर भी नहीं पाये गये। स्वीकृत भार से अधिक भार इस्तेमाल किये जाने सम्बन्धी विवरण में स्‍थल निरीक्षण के समय न तो मोटरें या बैल्डिंग मशीन सील की गयी है, न ही अन्‍य अपेक्षित कार्यवाही ही की गई। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विपक्षी विद्युत विभाग की सेवा में त्रुटि पायी गयी तथा परिवाद निर्णीत करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

''परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी द्वारा जारी बिल दि0 16-4-08 से 16-5-08 में दर्शायी गयी देय धनराशि मु0 37,920/-रू0 को निरस्‍त किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्‍दर वादी के उक्‍त बिल को उपभोग की गयी यूनिट के आधार पर संशोधित करके वादी को उपलब्‍ध कराये। संशोधित बिल प्राप्‍त होने के 7 दिन के अन्‍दर वादी बिल का भुगतान करना सुनिश्चित करे।''

अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त            तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता             आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण  करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि विद्वान  जिला  उपभोक्‍ता                

 

 

 

-4-

आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु पर्याप्‍त आधार नहीं हैं।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थीगण द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गयी हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)            (विकास सक्‍सेना)     

              अध्‍यक्ष                      सदस्‍य

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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