Uttar Pradesh

StateCommission

A/2012/1870

L I C - Complainant(s)

Versus

Gulban Nisha - Opp.Party(s)

A K Srivastava & Sanjay Jaiswal

04 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2012/1870
( Date of Filing : 27 Aug 2012 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. L I C
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gulban Nisha
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Rajendra Singh PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 04 Jun 2024
Final Order / Judgement

                                                       (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1870/2012

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, देवरिया द्वारा परिवाद संख्‍या-46/2007 में पारित निणय/आदेश दिनांक 24.7.2012 के विरूद्ध)

 

लाइफ इंश्‍योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया (एलआईसी)।

अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम

श्रीमती गुलबन निशा पत्‍नी स्‍व0 कलीमुल्‍लाह अंसारी, निवासी काला छप्‍पर, थाना मदरापाली, भरतराय, जिला देवरिया।

                                     प्रत्‍यर्थी/परिवादिनी

समक्ष:-                         

1. माननीय श्री राजेन्‍द्र सिंह, सदस्‍य।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित  : श्री संजय जायसवाल।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित   : कोई नहीं।

दिनांक:  04.06.2024  

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.        परिवाद संख्‍या-46/2007, श्रीमती गुलबन निशा बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, देवरिया द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश दिनांक 24.7.2012 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। यद्यपि प्रत्‍यर्थी पर आदेश दिनांक 5.9.2017 द्वारा तामीली पर्याप्‍त मानी जा चुकी है।  

2.        विद्वान जिला आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी को आदेशित किया है कि बीमा धनराशि अंकन 50,000/-रू0 एक प्रीमियम की राशि काटने के पश्‍चात 8 प्रतिशत ब्‍याज के साथ अदा करें।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार परिवादिनी के पति कलीमुल्‍लाह अंसारी द्वारा एक पालिसी दिनांक 28.12.2003 को अंकन 50,000/-रू0 के लिए प्राप्‍त की गई थी, जिनकी मृत्‍यु दिनांक 31.7.2004 को हो गई, परन्‍तु बीमा क्‍लेम इस आधार पर नहीं दिया गया कि 6/2004 की किश्‍त जमा नहीं की गई, इसलिए पालिसी कालातीत हो चुकी थी।

4.        विपक्षी की ओर से प्रस्‍तुत लिखित कथन में उल्‍लेख किया गया कि बीमाधारक की मृत्‍यु दिनांक 31.7.2004 को हुई है, जबकि बीमा पालिसी दिनांक 28.12.2003 से प्रभावी थी। 6/2004 में प्रीमियम की अदायगी होनी थी, परन्‍तु ग्रेस पीरियड 30 दिन की अवधि के पश्‍चात बीमाधारक की मृत्‍यु हुई है, इसलिए पालिसी कालातीत हो चुकी थी और पालिसी की शर्तों के अंतर्गत कोई भी धन देय नहीं है।

5.        विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्‍य की व्‍याख्‍या करने के पश्‍चात यह निष्‍कर्ष दिया कि अर्द्धवार्षिक प्रीमियम जून 2004 में देय था और बीमाधारक की मृत्‍यु दिनांक 31.7.2004 को हुई है, इसलिए एक माह के समय सीमा के अंतर्गत मृत्‍यु हुई है, इसलिए बीमा क्‍लेम देय है। यह भी निष्‍कर्ष दिया कि 30 दिन का तात्‍पर्य फरवरी माह के लिए किया गया है, जिसकी अवधि 30 दिन से कम होती है, इसलिए परिवादी को क्‍लेम प्राप्‍त करने के लिए अधिकृत माना गया और तदुनसार बीमा धनराशि अदा करने के लिए आदेशित किया गया।

6.        इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्‍तुत की गई है कि विद्वान जिला आयोग का निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है। अर्द्धवार्षिक प्रीमियम की राशि का भुगतान जून 2004 में किया जाना था और वास्‍तविक भुगतान की तिथि दिनांक 28.6.2004 थी, परन्‍तु 30 दिन ग्रेस पीरियड समाप्‍त हो जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया, इसलिए पालिसी के पुनर्चलन का कोई प्रयास नहीं हुआ। अत: कालातीत पालीसी पर कोई क्‍लेम देय नहीं है।

7.        अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने अपील के ज्ञापन में परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार अपने तर्क प्रस्‍तुत किए हैं तथा इस बिन्‍दु पर विशेष बल दिया है कि बीमाधारक की मृत्‍यु की तिथि पर पालिसी कालातीत हो चुकी थी। विद्वान जिला आयोग का यह निष्‍कर्ष तथ्‍यात्‍मक नहीं है कि दिनांक 28.6.2004 को अर्द्धवार्षिक प्रीमियम की राशि अदा की जानी थी। ग्रेस पीरियड की अवधि 30 दिन थी और 30 दिन की अवधि समाप्‍त होने के पश्‍चात भी प्रीमियम की राशि अदा नहीं की गई। बीमाधारक की मृत्‍यु दिनांक 31.7.2004 को हो गई, इसलिए पालिसी मृत्‍यु की तिथि को कालातीत थी। अत: प्रीमियम की राशि काटने के पश्‍चात बीमा धन अदा करने का आदेश देने का कोई वैधानिक औचित्‍य नहीं है। यह निर्णय/आदेश विधिक स्थिति के विपरीत है, इसलिए अपास्‍त होने और प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

8.        प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 24.7.2012 अपास्‍त किया जाता है।

          प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

निर्णय/आदेश आज खुले न्‍यायालय में हस्‍ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।

 

 

(राजेन्‍द्र सिंह)                           (सुशील कुमार)

सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

दिनांक 04.06.2024

 लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2

 

 
 
[HON'BLE MR. Rajendra Singh]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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