Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/862

S B I - Complainant(s)

Versus

Gulali Shankar Tiwary - Opp.Party(s)

D P Dwivedi

18 Oct 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/862
( Date of Filing : 02 May 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. S B I
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gulali Shankar Tiwary
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 18 Oct 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-862/2008

State Bank of India

Versus

Sri Gulab Shanker Tiwari son of Sri Ram Sunder Tiwari & others

समक्ष:-                                                            

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

उपस्थिति:-

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री शरद द्विवेदी, विद्धान अधिवक्‍ता  

 

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री एन0एन0 पाण्‍डेय, विद्धान अधिवक्‍ता

दिनांक :18.10.2024 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

  1.           परिवाद सं0 427/2003, गुलाब शंकर तिवारी बनाम स्‍टेट बैंक आफ इंडिया व अन्‍य मे विद्धान जिला आयोग, सन्‍त रविदास नगर भदोही द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 14.02.2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री शरद द्विवेदी एवं प्रत्‍यर्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री एन0एन0 पाण्‍डेय के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
  2.           जिला उपभोक्‍ता आयोग ने विपक्षी सं0 1 को आदेशित किया है कि परिवादीको अंकन 50,000/-रू0 क्षतिपूर्ति अदा करे तथा परिवादी द्वारा जो धनराशि अधिक जमा की गयी है, उसको वापस करे, परंतु कितनी धनराशि वापस कर दी है, इसके संबंध में कोई निष्‍कर्ष नहीं दिया गया। इस तरह का इस प्रकृति का निर्णय पारित करना जिसमें धनराशि जमा राशि सुनिश्चित न की गयी हो। निश्चित रूप से अवैध श्रेणी का निर्णय कहा जा सकता है।
  3.             पत्रावली के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा अपीलार्थी स्‍टेट बैंक से ऋण प्राप्‍त किया गया था और रिकवरी सर्टिफिकेट राजस्‍व कर्मचारियों के पास प्रेषित हो चुका था, जिस पर परिवादी द्वारा रिट याचिका प्रस्‍तुत की गयी थी और रिट याचिका में पूर्ववत किश्‍तों में अवशेष ऋण जमा करने का आदेश दिया गया था तथा तीन सप्‍ताह के अंदर प्रत्‍यावेदन निस्‍तारण करने के लिए भी बैंक को निर्देशित किया गया था। परिवादी का यह कथन है कि बैंक द्वारा प्रत्‍यावेदन का निस्‍तारण नहीं किया गया था तब अवमानना याचिका माननीय उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद के समक्ष प्रस्‍तुत की जा सकती थी। परिवादी ने परिवाद पत्र में स्‍वीकार किया है कि उसके विरूद्ध रिकवरी सर्टिफिकेट जारी हो चुका था, जिसके विरूद्ध मा0 उच्‍च न्‍यायालय इलाहाबाद में अपील प्रस्‍तुत की गयी थी। अत: एक ही वाद कारण के लिए प्रत्‍येक स्‍तर के फोरम का इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता। आर0सी0 के विरूद्ध मात्र रिट याचिका संधारणीय है। इस अनुतोष का लाभ उठाने के पश्‍चात उपभोक्‍ता परिवाद प्रस्‍तुत करने का कोई वैधानिक औचित्‍य नहीं था। इस परिवाद पर पारित सम्‍पूर्ण आदेश अपास्‍त होने योग्‍य है।
  4.  

              अपील स्‍वीकार की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश अपास्‍त किया जाता है।

              उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगे।

       प्रस्‍तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित अपीलार्थी को यथाशीघ्र विधि के अनुसार वापस की जाए।

   आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

         

(सुधा उपाध्‍याय)(सुशील कुमार)

सदस्‍य सदस्‍य

 

   

      संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2

  

 

 

 

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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