जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:-343/2016 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-15.10.2016
परिवाद के निर्णय की तारीख:-14.08.2023
1. श्री दीपक सिंह 2 नव मानकनगर, लखनऊ-11
2. श्रीमती गुड्डी कुमारी सी-54/8, मानक नगर, लखनऊ-11
...........परिवादीगण।
बनाम
श्री आनंत पाण्डेय, प्रमुख प्रबन्ध निदेशक, ग्रीन एबीसी इंफ्रा डेवल्पर्स प्रा0लि0 दूसरी मंजिल बिजनसआर्कडे गौतमबुद्ध पार्क के पीछे आशियाना, कानपुर रोड, लखनऊ। ...........विपक्षी।
परिवादीगण के अधिवक्ता का नाम:-श्री दीपक सिंह एवं श्रीमती गुड्डी कुमारी स्वयं।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-श्री प्रशान्त मिश्रा।
आदेश द्वारा-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद विपक्षी की कम्पनी में प्लाट की कीमत के रूप में जमा धनराशि नियमानुसार देय वार्षिक दर से चक्रबृद्धि ब्याज सहित वापस लौटाने एवं मानसिक, शारीरिक एवं न्यायालय खर्च के रूप में 2,00,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि परिवादी ने विपक्षी की प्लाटिंग योजना में निम्न ग्राहकों ने 301.00 रूपये प्रतिवर्ग फुट की दर से 1000 वर्गफुट साइज के प्लाट बुक कराये थे। प्लाट बुकिंग के लिये प्लाट की कीमत 25 प्रतिशत अग्रिम धनराशि परिवादी संख्या 01 द्वारा दिनॉंक 01.02.2015 की रसीद संख्या 0102 तथा दिनॉंक 23.07.2015 की रसीद संख्या एस.डी.आर.0401 के अन्तर्गत भुगतान के पश्चात प्लाट की कीमत की शेष धनराशि 36 मासिक किश्तों में भुगतान करना तय हुआ था।
2. परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
ग्राहक का नाम | प्लाट संख्या | प्लाट साइज | जमा धनराशि | पता |
श्री दीपक सिंह | ए-402 | 1000 वर्गफुट | 1,31,939.00 | 2 नव मानक नगर लखनऊ |
श्रीमती गुड्डी कुमारी | ए-342 | 1000 वर्गफुट | 74475.00 | सी-54/8/1 मानक नगर लखनऊ। |
प्लाट बुक करते समय कम्पनी द्वारा बताया गया था कि प्लाटिंग योजना की समस्त जमीन कम्पनी के नाम पर रजिस्टर्ड है। जमीन के कागजात दिखाने पर कहा गया था कि कागजात कचहरी से मिलने पर दिखा दिये जायेंगे। कागजात दिखाने पर पाया गया कि प्लाटिंग की जमीन कम्पनी के नाम रजिस्टर्ड नहीं है, लेकिन किसान से पॉंच बीघा जमीन का एग्रीमेंट करवा कर कम्पनी द्वारा कम्प्यूटर से निर्मित लगभग 50 बीघा जमीन के लेआउट प्लान में लम्बी-चौड़ी सड़के बड़े-बड़े पार्क व अलग-अलग साईज के लगभग 400 प्लाटों की प्लाटिंग दिखा कर सुनियोजित षडयंत्र के अन्तर्गत प्लाट बुक कराने के उद्देश्य से ग्राहकों के साथ सरासर धोखाधड़ी व छलकपट किया गया है।
3. कम्पनी द्वारा ग्राहकों को डामर रोड, सीवर लाइन, पानी निकासी के लिये पक्की नालियों का निर्माण पानी व बिजली की सप्लाई सुविधाये प्रदान करने के संबंध में नियम और शर्तों में कतई उल्लेख नहीं किया गया है। उपरोक्त सुविधाये प्रदान करने के संबंध में अलग से कम्पनी के लेटर हैड पैड में लिखित रूप में देकर ग्राहकों के साथ सरासर धोखाधड़ी की गयी है। दिनॉंक 01.08.2015 की रसीद 0425 के अन्तर्गत 1250 वर्गफुट एरिया के प्लाट नम्बर बी-34 के लिये श्री ए0के0बोस द्वारा 376250.00 रूपये प्लाट की पूरी कीमत भुगतान तथा प्लाट की रजिस्ट्री करने के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अभी तक प्लाट की रजिस्ट्री नहीं करवा सकी है क्योंकि कम्पनी के नाम जमीन रजिस्टर्ड नहीं है।
4. कम्पनी द्वारा भूखंड के चारों ओर कम्पनी के मलिकाना हक होने के साइन बोर्ड न लगवाने पक्की निशानदेही न करवाने और आश्वासन देने के बावजूद भी विकास कार्य प्रारम्भ न करवाने से ग्राहकों को स्पष्ट संदेह है कि कम्पनी के नाम जमीन रजिस्टर्ड नहीं है। परिस्थितियों के कारण ग्राहकों द्वारा प्लाट कैंसिल करवाने की स्थिति में कम्पनी द्वारा अपने नियम व शर्तों में ग्राहकों की कम्पनी में जमा धनराशि का 25 प्रतिशत कटौती करके ग्राहक को धनराशि लौटने का प्राविधान है। कम्पनी स्वयं ग्राहकों से भूखण्ड में विकास कार्य करवाने के लिये स्पष्ट रूप से असमर्थता व्यक्त कर चुकी है।
5. रजिस्टर्ड ऑफ कम्पनीस कानपुर के पत्र के अनुसार कम्पनी एक्ट 2013 के अन्तर्गत यह कम्पनी क्रय-विक्रय का कारोबार करने के लिये ग्रीन ए.बी.सी. इन्फ्राटेक हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड नाम से रजिस्टर्ड है, लेकिन कम्पनी के लेटर हैड पर जारी की गयी रसीद के अनुसार ग्रीन ए.बी.सी. इन्फ्रा डेवलपर्स प्रा0लि0 नाम से रेजिडेन्सियल/कार्मशियल प्लाट एलाटमेंट करने का अनाधिकृत कराबोर कर रही है जो कि ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी है।
6. वर्तमान में कम्पनी सुल्तानपुर रोड पर स्थित जमीन 501.00 रूपये प्रतिपुट की दर से प्लाट बुक कर रही है। कम्पनी की ओर से स्पष्ट रूप से असमर्थता व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया था कि ग्राहक अपना प्लाट निरस्त करवाने के लिये आवेदन पत्र कम्पनी कार्यालय में सम्मिलित कर दें उन्हें अर्जी जमा करने की तारीख से 60 दिन के अन्दर कम्पनी में अब तक जमा उनकी धनराशि का भुगतान कर दिया जायेगा। परन्तु धनराशि लौटाने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया गया है, इस प्रकार कम्पनी का ग्राहकों की जमा पूरी हड़पने का इरादा है।
7. इस संबंध में हस्ताक्षरियों द्वारा दिनॉंक 20/22.07.2016 के आवेदन पत्र तथा 09/08.2016 व 31.08.2016 के अनुस्मारक पत्रों द्वारा श्री आनंत पाण्डेय, प्रमुख प्रबन्ध निदेशक महोदय से प्लाट बुकिंग व प्लाट की कीमत के रूप में कम्पनी में जमा की गयी धनराशि पर देय 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से धनराशि वापस लौटाने का अनुरोध किये हुये पूरे दो माह की अवध व्यतीत हो जाने के बावजूद कम्पनी द्वारा अभी तक जमा की गयी धनराशि नहीं लौटायी और न ही प्लाटिंग योजना के भूखण्ड में विकास कार्य ही प्रारम्भ किया गया है।
8. विपक्षी ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत करते हुए कथन किया गया विपक्षी ग्रीन ए.बी.सी. इन्फ्रा डेवलपर्स प्रा0लि0 एक विधिवत पंजीकृत कम्पनी है जो कार्यालय, दुकान, फ्लैट, आदि विक्रय करने का कार्य कर रही है। परिवादीगण दीपक सिंह व श्रीमती गुड्डी कुमारी उत्तरदाता विपक्षी कम्पनी द्वारा प्लाटिंग कर विक्रीत किये जा रहे भूखण्ड क्रय करने हेतु पृथक-पृथक आवेदन पत्र दिया था एवं जिसे कि स्वीकार किया गया था। पंजीकरण धनराशि प्राप्त करने के पश्चात विपक्षी कम्पनी ने परिवादी दीपक सिंह को प्लाट नम्बर ए-402 रकबा 1000 वर्गफुट व परिवादी श्रीमती गुड्डी कुमारी को प्लाट संख्या ए-342 रकबा 1000 वर्गफुट आवंटित कर दिया गया था।
9. आवंटन के पश्चात परिवादीगण भूखण्ड के मूल्य की शेष धनराशि किस्तो में जमा करने लगे एवं परिवाद में परिवादीगण द्वारा दर्शित धनराशि विपक्षी कम्पनी के समक्ष जमा किया जाना स्वीकार्य है। परिवादीगण को भूखण्ड विक्रय कुछ नियम व शर्तों के तहत किया जा रहा था, परन्तु उन शर्तों का उल्लंघन करते हुए परिवादीगण ने असमय व अकारण भूखण्ड के मूल्य हेतु किश्तों का भुगतान करना बंद कर दिया। परिवादीगण भूखण्ड क्रय करने के इच्छुक नहीं हैं एवं अपने भूखण्ड की बुकिंग को निरस्त कराना चाहते हैं । विपक्षी कम्पनी परिवादीगण को उनके द्वारा दी गयी धनराशि को उसमें से तयशुदा नियम व शर्तों में उल्लिखित कटौती करके उनकी धनराशि लौटाने को तैयार है।
10. यदि परिवादीगण भूखण्ड क्रय करने के इच्छुक हैं तो तयशुदा नियम व शर्तों का पालन करते हुए भूखण्ड विक्रय मूल्य की शेष धनराशि बकाया समस्त किश्तों का भुगतान एवं उल्लिखित अन्य देयों का भुगतान करते हैं तो विपक्षी कम्पनी परिवादीगण को भूखण्ड का शान्तिपूर्ण कब्जा देने एवं विक्रय पत्र को निष्पादित एवं पंजीकृत करने हेतु पूर्णतया तत्पर है। विपक्षी कम्पनी ने अनेकों सम्मानित ग्राहकों को भूखण्ड विक्रय किया है एवं कब्जा सौंपा है जो कि कम्पनी से पूर्णता: संतुष्ट हैं।
11. कम्पनी ने प्लाटिंग करने हेतु कई सक्रंमणीय भूमिधरों से विधिवत भूमि क्रय की है जो कि राजस्व अभिलेखों में कम्पनी के नाम दर्ज है। तय शुदा नियम व शर्तों के अनुसार विपक्षी कम्पनी प्लाटिंग में विकास कार्य करवा भी रही है। परिवादीगण के साथ कोई भी नाजायज व्यापार आचरण नहीं किया है और परिवाद भ्रामक तथ्यों पर दाखिल किया है जो कि सव्यय निरस्त किये जाने योग्य है।
12. परिवादी ने अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में विपक्षी द्वारा जारी रसीद, विलम्ब शुल्क की रसीद, एकाउन्ट स्टेटमेंट, जमीन का ले-आउट प्लान, नियम व शर्तें, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला लखनऊ शाखा के एकाउंट की फोटोकापी, अनुस्मारक पत्र आदि की छायाप्रति दाखिल की गयी हैं। विपक्षी की ओर से शपथ पत्र, प्राधिकार शपथ पत्र, आदि दाखिल किया गया है।
13. मैंने उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
14. विदित है कि परिवादीगण द्वारा प्लाट की कीमत में जमा की गयी धनराशि चक्रबृद्धि ब्याज के साथ वापस दिलाये जाने के संबंध में यह परिवाद संस्थित किया गया है।
15. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिये निम्नलिखित दो आवश्यक तथ्यों को साबित किया जाना आवश्यक है। 1-परिवादी का उपभोक्ता होना 2- सेवा प्रदाता द्वारा सेवा में कमी का प्रमाणित होना। तथ्यों को साबित करने का भार परिवादी के ऊपर है।
16. परिवादी के कथानक के अनुसार प्लाट संख्या ए-402 एवं ए-342 परिवादीगण के नाम एलाट किये गये जो 1000 वर्गफुट के थे, जिसकी कीमत 1,31,939.00 रूपये एवं 74475.00 रूपये थी। विपक्षी द्वारा अपने उत्तर पत्र में परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि को प्राप्त होना स्वीकार किया गया है, तथा उक्त प्लाट क्रय किये जाने के संबंध में धनराशि प्राप्त की गयी है। अत: परिवादीगण विपक्षी के उपभोक्ता हैं।
17. परिवादीगण का कथानक है कि परिवादी ने विपक्षी की प्लाटिंग योजना में ग्राहकों ने 301.00 रूपये प्रतिवर्ग फुट की दर से 1000 वर्गफुट साइज के प्लाट बुक कराये थे। प्लाट बुकिंग के लिये प्लाट की कीमत 25 प्रतिशत अग्रिम धनराशि परिवादी संख्या 01 द्वारा दिनॉंक 01.02.2025 की रसीद संख्या 0102 तथा दिनॉंक 23.07.2015 की रसीद संख्या एस.डी.आर.0401 के अन्तर्गत भुगताने के पश्चात प्लाट की कीमत की शेष धनराशि 36 मासिक किश्तों में भुगतान करना तय हुआ था। प्लाट बुक करते समय कम्पनी द्वारा बताया गया था कि प्लाटिंग योजना की समस्त जमीन कम्पनी के नाम पर रजिस्टर्ड है। जमीन के कागजात दिखाने पर कहा गया था कि कागजात कचहरी से मिलने पर दिखा दिये जायेंगे। कागजात दिखाने पर पाया गया कि प्लाटिंग की जमीन कम्पनी के नाम रजिस्टर्ड नहीं है।
18. विपक्षी द्वारा यह कहा गया कि परिवादीगण को प्लाट आवंटित किये गये थे और परिवादीगण को भूखण्ड विक्रय कुछ शर्तों के अन्तर्गत किये गये थे, परन्तु परिवादीगण द्वारा उपरोक्त शर्तों का उल्लंघन करते हुए समय पर किश्तों का भुगतान करना बन्द कर दिया गया। यदि परिवादीगण प्लाट को निरस्त कराना चाहते हैं तो शर्तों के अनुसार धनराशि काटकर निरस्त किया जा सकता है।
19. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी द्वारा पैसा प्राप्त करने के संबंध में कहा गया। यह भी तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी ने पैसा मांगा है और कोई शर्त है जिसके तहत पैसा काटकर भुगतान किया जायेगा। एग्रीमेंट देखने से विदित होता है कि किश्तों का भुगतान नहीं हुआ तो 25 प्रतिशत धनराशि काटकर प्लाट कैन्सिल करके पैसा वापस कर दिया जायेगा।
20. विपक्षी का कथानक है कि समय से उन्होंने किश्तें अदा नहीं की, जबकि परिवादी का कथानक है कि प्लाट विकसित नहीं कर रहे हैं, और न ही कागजात दिखा रहे हैं और परिवादीगण द्वारा स्वयं यह स्वीकार किया गया है कि ग्राहकों का 25 प्रतिशत काटकर धनराशि वापस की जायेगी। अगर विपक्षी की यह बात मान भी ली जाए कि समय से पैसा अदा नहीं किया गया तो भी परिवादीगण जमा की गयी धनराशि में से 25 प्रतिशत काटकर शेष धनराशि प्राप्त करने का अधिकारी है।
21. विपक्षी द्वारा परिवादीगण को भुगतान न करना सेवा में कमी है और जहॉं तक परिवादीगण का कथानक है कि चक्रबृद्धि ब्याज पर पैसा वापस दिलाया जाए, तो व्याज के संबंध में जब तक कि संविदा में तथ्य उल्लिखित नहीं हो कि चक्रबृद्धि ब्याज से धनराशि भुगतान कराया जाना संभव नहीं है। अत: परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को निर्देशित किया जाता है कि परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराशि में से 25 प्रतिशत धनराशि काटकर शेष धनराशि 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ परिवादीगण द्वारा धनराशि जमा करने की तिथि से, निर्णय की तिथि से 45 दिन के अन्दर अदा करेंगे। परिवादीगण को हुए मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं वाद व्यय के लिये मुबलिग:-30,000.00 (तीस हजार रूपया मात्र) भी अदा करेंगें। यदि निर्धारित अवधि में आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो उपरोक्त सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भुगतेय होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ
दिनॉंक:-14.08.2023