Uttar Pradesh

StateCommission

A/1184/2022

Rachit Srivastava - Complainant(s)

Versus

Grand Venice Mall & other - Opp.Party(s)

Piyush Mani Tripathi

19 Dec 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1184/2022
( Date of Filing : 02 Nov 2022 )
(Arisen out of Order Dated 23/09/2022 in Case No. Complaint Case No. CC/27/2019 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. Rachit Srivastava
1647 Brahmaputra Apartment Sector 9 Noida
...........Appellant(s)
Versus
1. Grand Venice Mall & other
Grand Venice Mall Sh 3 Site 4 Greater Noida
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 19 Dec 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-1184/2022

रचित श्रीवास्‍तव पुत्र श्री संजय श्रीवास्‍तव, निवासी म0नं0-1647 ब्रम्‍हपुत्र अपार्टमेंट सैक्‍टर-29 नोएडा जिला गौतम बुद्ध नगर।

...........अपीलार्थी/परिवादी

बनाम

ग्रैड वैनिश मॉल प्‍लॉट संख्‍या-एस0एच03 साईट-4 ग्रेटर नोएडा जिला गौतम बुद्ध नगर द्वारा प्रबन्‍धक निदेशक आदि।

.............प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष              

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री पियूष मणि त्रिपाठी

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : श्री नवीन कुमार तिवारी

दिनांक :- 19.12.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गौतम बुद्ध नगर द्वारा परिवाद सं0-27/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23.9.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी  दिनांक 26-10-2018 को अपीलार्थी/परिवादी विपक्षी ग्रैड वैनिश मॉल में धूमने हेतु अपने दोस्तों के साथ गया था, जहां पर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्या-2 में रोकवॉल क्लाइम्बिंग करने हेतु काउन्टर से अंकन 350/-रूपये का टिकिट खरीदा गया, जिसको दूसरे काउन्टर पर एन्ट्री रजिस्टर में करने के बाद वापस ले लिया गया। उक्त खेल में अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं-3 श्री अमित कुमार व प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-4 श्री पाण्‍डेय से सुरक्षा सम्बन्धित मानकों के

-2-

सम्बन्ध में पूंछा गया, जिस पर उनके द्वारा आस्वस्त किया कि उक्त खेल में सुरक्षा के मानकों का पूर्ण रूप से ध्यान रखा गया है और यह सुरक्षित है। उपरोक्‍त प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के बताये जाने अनुसार अपीलार्थी/परिवादी द्वारा रॉकवॉल क्लाईम्बिग के खेल में हिस्सा लिया गया तथा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-3 व 4 के निर्देशानुसार वॉल पर चढ़कर जम्प किया, जिससे अपीलार्थी/परिवादी के पैर की एडी की हडिड्या टूट गयी। अपीलार्थी/परिवादी को चोट लगने के उपरान्त भी प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण द्वारा पूर्णतः लापरवाही बरती गयी तथा अपीलार्थी/परिवादी को हॉस्पिटल पहुंचाने में कोई सहयोग नहीं किया गया। चोट लगने के बाद अपीलार्थी/परिवादी को भारद्वाज हॉस्पिटल नोएडा लाया गया, जहॉ उसको एक्सरे के बाद कैलाश अस्पताल सैक्टर-27 नोएडा में भर्ती कराया गया। जहॉ पर एड़ी की सर्जरी हुई और ऐड़ी में स्कू लगाकर जोड़ा गया। अपीलार्थी/परिवादी का इलाज दिनांक     26-10-2018 से दिनांक 31-8-2018 तक किया गया, जिसमें अपीलार्थी/परिवादी का लगभग 75,000/-रूपये का खर्चा हुआ। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी का उक्त कृत्य उनकी लापरवाही, सेवा में कमी व अनुचित व्यापार प्रथा को दर्शाता है अतः क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

 जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्या-2 व 3 की ओर से अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया गया और यह कथन किया गया कि अपीलार्थी/परिवादी द्वारा असत्य झूठे कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। दिनांक 26-10-2018 को जिस घटना का वर्णन किया गया है ऐसी कोई घटना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी के यहॉ घटित नहीं हुई। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 या माल के किसी अन्य कर्मचारी या अधिकारी को उक्त घटना की सूचना नहीं दी गई तथा प्रत्‍यर्थी

-3-

संख्या-4 के रूप में जिस प्रत्‍यर्थी/विपक्षी को दर्शाया गया है वह स्पष्ट नहीं है कि श्री पाण्डेय कौन है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जिस चोट के बारे में बताया गया है उस प्रकार की कोई धटना प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 के यहॉ नहीं हुई है। इस प्रकार की किसी घटना की कोई शिकायत किसी व्यक्ति द्वारा प्रत्‍यर्थी/विपक्षी संख्या-2 के यहां लिखित या मौखिक रूप से नहीं दी गई है। अपीलार्थी/परिवादी द्वारा फर्जी घटना दर्शाते हुए प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध यह फर्जी परिवाद माननीय न्यायालय में प्रसतुत किया है। प्रत्‍यर्थी/विपक्षी सं0-2 व 3 के विरूद्ध लापरवाही किये जाने का कोई कारण उत्पन्न नहीं होता है। अतः अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद खण्डित किए जाने योग्य है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को खारिज कर दिया है, जिससे क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/परिवादी की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री पियूष मणि त्रिपाठी तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री नवीन कुमार तिवारी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया अपीलार्थी/परिवादी यह सिद्ध करने में असफल रहा है कि अपीलार्थी/परिवादी को चोट किस प्रकार और किस कारण से आई थी। चोट के सम्‍बन्‍ध में मात्र यह कहा गया है कि अपीलार्थी/परिवादी को चोट रॉकवॉल क्लाईम्बिग के खेल में हिस्‍सा लेते

-4-

समय आयीं थी, परन्‍तु चोट के सम्‍बन्‍ध में कोई सूचना प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण को दिया जाना प्रमाणित नहीं है, न ही प्रत्‍यर्थी/विपक्षीगण के डॉक्‍टर से अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्राथमिक इलाज कराया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि मात्र अनुचित लाभ प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से असत्‍य एवं झूठे कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। ऐसी स्थिति में अपीलार्थी/परिवादी को उपभोक्‍ता नहीं माना जा सकता है तद्नुसार परिवाद भी पोषणीय होना स्‍वीकार किये जाने योग्‍य नहीं है।

इस सम्‍बन्‍ध में समस्‍त तथ्‍यों पर विस्‍तृत चर्चा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत निर्णय में की गई है, जो कि मेरे विचार से विधि अनुकूल है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है, तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                    

                                           अध्‍यक्ष                                                                                                                                

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.