(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-501/2011
(जिला आयोग, बलिया द्वारा परिवाद संख्या-72/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.12.2010 के विरूद्ध)
राम बचन पुत्र श्यामा हरिजन, सा0 मेउली कलासपुर, परगना सिकन्दरपुर पूर्वी तहसील सिकन्दरपुर जिला बलिया।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
1. शाखा प्रबंधक, सहकारी ग्राम विकास बैंक, शाखा बासंडीह परगना खरीद तहसील बांसडीह, जिला बलिया।
2. शाखा प्रबंधक, न्यू इंडिया इंश्योरेंस कं0लि0, हल्दी कोठी शहर बलिया, जिला बलिया।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी.एच. नकवी।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 15.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-72/2009, रामबचन बनाम शाखा प्रबंधक, सहकारी ग्राम विकास बैंक तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बलिया द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 14.12.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादी द्वारा ऋण दिनांक 31.03.1997 के पूर्व लिया गया है, इसलिए ऋण राहत योजना 2008 का लाभ परिवादी को प्रदान नहीं किया जा सकता, इसलिए बैंक द्वारा सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है।
3. परिवाद पत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि परिवादी द्वारा विपक्षी सं0-1 से अंकन 10,500/-रू0 का ऋण लिया गया था। दिनांक 13.12.1996 को अंकन 630/-रू0 एवं दिनांक 22.2.2002 को अंकन 5,000/-रू0 वापस जमा कर दिए गए। सेन्टर द्वारा ऋण में कुछ अनुदान दिया गया है, इस अनुदान को प्राप्त करने के लिए परिवादी भी अधिकृत है।
4. विपक्षी बैंक का यह कथन है कि ऋण सामान योजना के अंतर्गत लिया गया है, जिस पर बैंक द्वारा कोई अनुदान देय नहीं है। यह योजना दिनांक 1.4.1997 को लिए गए ऋण के संबंध में है, जबकि परिवादी ने दिनांक 18.12.1996 को ऋण प्राप्त किया है।
5. विद्वान जिला आयोग ने भी विपक्षी के उपरोक्त तर्क को स्वीकार करते हुए परिवाद को खारिज कर दिया है।
6. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता की ओर से यह तर्क दिया गया कि दिनांक 31.12.2007 को परिवादी पर ऋण बकाया था। दिनांक 29.02.2008 तक ऋण अदा नहीं किया गया था, इसलिए वह ऋण माफी योजना के अंतर्गत लाभ पाने के लिए अधिकृत है।
7. विद्वान जिला आयोग द्वारा संबंधित परिपत्र को विचार में लेते हुए अपना निष्कर्ष दिया गया है और इस परिपत्र का उल्लेख अपने निर्णय/आदेश में अंकित किया है कि दिनांक 31.3.1997 और दिनांक 31.3.2007 के बीच दिए गए ऋण के संबंध में ऋण माफी योजना लागू होगी। चूंकि परिवादी द्वारा दिनांक 31.3.1997 के पूर्व ऋण लिया गया है। अत: इस ऋण के संबंध में किसी प्रकार की माफी योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए परिवादी अधिकृत नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
8. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2