जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम फैजाबाद ।
उपस्थित - (1) श्री चन्द्र पाल, अध्यक्ष
(2) श्रीमती माया देवी शाक्य, सदस्या
(3) श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य
परिवाद सं0-220/2008
1. अभय प्रताप ) पुत्रगण स्व0 श्री गिरजा प्रसाद तिवारी निवासी ग्राम बरई
) कलंा परगना मंगलसी तह0 सोहावल जिला फैजाबाद।
2. अष्वनी कुमार उर्फ )
अमरेष तिवारी ) .............. परिवादीगण
बनाम
1. फैजाबाद क्षेत्रीय ग्रीमीण बैंक बड़ागंाव परिवर्तित नाम बड़ौदा पूर्वी उ0प्र0 ग्रामीण बैंक षाखा बड़ागंाव फैजाबाद द्वारा षाखा प्रबन्धक।
2. दि न्यू इण्डिया इन्ष्योरेन्स कमपनी लि0 बृज भूशण नर्सिंग होम के सामने जेल गार्डेन रोड रायबरेली - 229001 द्वारा प्रबन्धक।
3. फैजाबाद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक परिवर्तित बर्तमाननाम बड़ौदापूर्वी उ0प्र0 ग्रामीण बैंक प्रधान कार्यालय फैजाबाद द्वारा प्रबन्धक। .......... विपक्षीगण
निर्णय दिनाॅंक 04.06.2015
उद्घोषित द्वारा: श्री विष्णु उपाध्याय, सदस्य।
निर्णय
परिवादीगण के परिवाद का संक्षेप इस प्रकार है कि परिवादीगण के पिता गिरजा प्रसाद तिवारी पुत्र स्व0 श्री छेदी तिवारी जिनकी वाहन दुर्घटना से दिनांक 11.12.2007 को मृत्यु हो गयी। कृशक थे और उनका किसान मैत्री कार्ड संख्या बी0आर0जी0 /38/2868 दिनांकित 20.06.2001 जिसकी स्वीकृति सीमा रुपये 25,000/- थी उनके पास था। दिनांक 06.12.2007 को मृतक ने अपने के0सी0सी0 खाते में रुपये 8,100/- जमा किया। परिवादीगण के पिता का चालू खाता संख्या 4341 जो विपक्षी 1 के बैंक में है दिनांक 18-03-2002 को खोला गया था। विपक्षी संख्या 1 द्वारा गन्ने की बिक्री का रुपया चालू खाते में आने पर ऋण की अदायगी चालू खाते में जमा धनराषि से जमा कर के समायोजित कर दी जाती थी। इस प्रकार परिवादीगण के पिता का किसान मैत्री कार्ड नियमित था। किसान मैत्री कार्ड नियमित होने से परिवादीगण के पिता की दुर्घटना में मृत्यु होने पर रुपये 50,000/- के लिये बीमित थे। परिवादीगण मृतक गिरजा प्रसाद तिवारी के विधिक वारिस हैं। गिरजा प्रसाद तिवारी की मृत्यु वाहन दुर्घटना में दिनांक 11.12.2007 को हो गयी, जिसके सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना रुदौली जनपद फैजाबाद में अपराध संख्या 886 सन 2007 पंजीकृत हुई और पोस्ट मार्टम भी उसी दिन हुआ। परिवादीगण के परिवार रजिस्टर की नकल दाखिल है। परिवादी संख्या 1 ने दिनांक 01.01.2008 को विपक्षी संख्या 1 के यहां समस्त अभिलेख प्रार्थना पत्र के साथ दिया कि बीमा से देय धनराषि परिवादीगण को समय से प्राप्त हो जाय। विपक्षी संख्या 1 ने परिवादीगण से मौखिक रुप में 3 माह का समय मांगा। परिवादीगण ने पुनः दिनांक 02.04.2008 को एक प्रार्थना पत्र विपक्षी संख्या 1 को दिया। जिस पर विपक्षी ने 4 माह का और समय मंागा। चार माह बाद विपक्षी संख्या 1 से मिलने पर विपक्षी संख्या 1 हीला हवाली करने लगे तो परिवादीगण को अपना परिवाद दाखिल करना पड़ा। परिवादीगण को विपक्षी संख्या 1 व 2 से दुर्घटना बीमा धनराषि रुपये 50,000/- परिवाद व्यय व अधिवक्ता फीस दिलायी जाय।
विपक्षी संख्या 1 व 3 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा गिरजा प्रसाद तिवारी की मृत्यु के कारण से जानकारी के अभाव में इन्कार किया है। विपक्षीगण ने मृतक के नाम किसान मैत्री कार्ड जारी होना स्वीकार किया है तथा परिवादीगण के परिवाद के अन्य कथनों से इन्कार किया है। उत्तरदातागण के यहां मृतक गिरजा प्रसाद तिवारी का किसान मैत्री कार्ड दिनांक 20.06.2001 को जारी हुआ। जिसके एवज में मृतक ने अपनी भूमि बन्धक रखी थी। तथा किसान मैत्री कार्ड 19.06.2004 तक वैध था। किसान क्रेडिट कार्ड जारी करते समय सारी बातें किसान को बता दी जाती हैं। किसान क्रेडिट कार्ड 3 वर्श के लिये वैध होता है तथा किसान खाते का समय से पूर्व नवीनीकरण कराने के बाद ही उन्हें व्यक्तिगत बीमे का लाभ दिया जा सकता है। विपक्षी संख्या 1 सभी किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को समय से नवीनीकरण हेतु अवगत कराता रहा है तथा इस आषय का एक बडे़ आकार का विज्ञापन बैंक के मुख्य द्वारा पर स्थित सूचना पट एवं बैंक की दीवारों पर लिखा रहता है। जिससे किसान अपने कार्ड का नवीनीकरण करा कर दी जाने वाली सुविधा का लाभ उठा सकें। परिवादीगण के पिता ने अपने जीवन काल में अपने किसान क्रेडिट कार्ड का नवीनीकरण नहीं कराया था। इसलिये परिवादीगण कथित योजना दुर्घटना बीमा का लाभ पाने के अधिकारी नहीं हैं। सूचना पट पर लिखे इष्तहार से स्पश्ट है कि निश्क्रिय किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को उक्त सुविधा का लाभ प्राप्त नहीं होगा। परिवादीगण ने विधिक वारिस होने का मान्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। इसके अलावा सी.सी. खाता भी दिनांक 02.09.2008 को बन्द हो चुका है। परिवादीगण उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। इस आधार पर परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जाना चाहिए। मृतक का सम्बन्ध उत्तरदातागण से लोनी एवं क्रेडिटर का है जो फोरम के क्षेत्राधिकार से बाहर है। परिवादीगण याचित उपषम पाने के अधिकारी नहीं हैं। परिवादीगण का परिवाद विषेश हर्जे के साथ खारिज किया जाये।
विपक्षी संख्या 2 ने अपना उत्तर पत्र प्रस्तुत किया है तथा परिवादीगण के परिवाद के कथनों से इन्कार किया है। विपक्षी संख्या 2 ने कहा है कि दिनांक 31.01.2008 को विपक्षी बैंक का एक पत्र गिरजा प्रसाद तिवारी की व्यक्तिगत दुर्घटना के सम्बन्ध में प्राप्त हुआ। जिसके उत्तर में दिनांक 12.02.2008 को उत्तरदाता ने बैंक को दावे के सम्बन्ध में फार्म बी. व सी. तथा दावा निबटाने के लिये अन्य प्रपत्रों की मंाग बैंक से की थी। विपक्षी बैंक द्वारा क्लेम फार्म व पालिसी तथा अन्य प्रपत्र उपलब्ध न कराने के कारण उत्तरदाता द्वारा दावे का निबटारा करना असंभव था। उत्तरदाता द्वारा दिनांक 23.10.2008 को पुनः एक पत्र विपक्षी संख्या 1 को भेजा गया है। उत्तरदाता ने अपनी ओर से सेवा में कोई कमी नहीं की है। परिवादीगण को उत्तरदाता से कोई कार्यकारण उत्पन्न नहीं है। परिवादीगण उत्तरदाता के उपभोक्ता नहीं हैं। उपरोक्त आधारों पर परिवादीगण का परिवाद उत्तरदाता के विरुद्ध मय हर्जे खर्चे के निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादीगण एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्तागण की बहस को सुना एवं पत्रावली का भली भंाति परिषीलन किया। परिवादीगण ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना षपथ पत्र, किसान मैत्री कार्ड की पास बुक की छाया प्रति, गिरजा प्रसाद तिवारी के मृत्यु प्रमाण पत्र की छाया प्रति, खतौनी की छाया प्रति, पोस्ट मार्टम रिपोर्ट की छाया प्रति, प्रथम सूचना रिपोर्ट की छाया प्रति, परिवार रजिस्टर की छाया प्रति, विपक्षी बैंक को दिये प्रार्थना पत्र दिनांक 01-01-2008 की छाया प्रति, विपक्षी बैंक को दिये गये पत्र दिनांक 02.04.2008 की छाया प्रति तथा ग्रामीण बैंक के सरकुलर संख्या 50 दिनांक 01.08.2007 की छाया प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 1 व 3 ने अपने पक्ष के समर्थन मंे अपना लिखित कथन, अजय श्रीवास्तव प्रबन्धक बड़ौदा उ0प्र0 ग्रामीण बैंक का षपथ पत्र तथा बैंक के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्षित सूचना के प्रपत्र की एक प्रति दाखिल की है जो षामिल पत्रावली है। विपक्षी संख्या 2 बीमा कम्पनी ने अपने पक्ष के समर्थन में अपना लिखित कथन दाखिल किया है जो षामिल पत्रावली है। परिवादीगण एवं विपक्षीगण द्वारा दाखिल प्रपत्रों से प्रमाणित है कि परिवादीगण के पिता का के0सी0सी0 खाता विपक्षी बैंक मेें था और वह नियमित था विपक्षी बैंक का यह कथन गलत है कि मृतक का के0सी0सी0 खाता अनियमित हो गया था। मृतक ने दिनांक 06.12.2007 को रुपये 8,100/- जमा किया है जो पास बुक में अंकित है और दिनांक 11.12.2007 को खाता धारक की दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी। यदि मृतक का के0सी0सी0 खाता अनियमित होता तो विपक्षी बैंक मृतक के खाते में पैसा जमा नहीं करते। परिवादीगण ने विपक्षी बैंक को एक प्रार्थना पत्र दिनांक 01.01.2008 को दिया था उक्त प्रार्थना पत्र के साथ जो भी प्रपत्र दाखिल किये गये थे उक्त प्रार्थना पत्र पर अंकित हैं और उन सभी प्रपत्रों की छाया प्रतियां परिवादीगण ने परिवाद पत्र पर दाखिल की हैं। परिवादीगणों ने एक अनुस्मारक पत्र भी विपक्षी बैंक को दिनांक 02.04.2008 को दिया था जो कि पत्रावली पर षामिल है। किन्तु विपक्षी बैंक ने परिवादीगण के प्रपत्र व क्लेम फार्म बीमा कम्पनी को भेजे ही नहीं हैं जिसे कि बीमा कम्पनी ने अपने उत्तर पत्र में स्वीकार किया है जब कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने विपक्षी बैंक को एक पत्र दिनांक 12.02.2008 को लिखा था तथा दूसरा पत्र दिनांक 23.10.2008 को लिखा था। यही नहीं विपक्षी बैंक ने विपक्षी बीमा कम्पनी को मृतक की सूचना दिनांक 31.01.2008 को दी थी। इस प्रकार विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कमी की है। विपक्षी बैंक ने बीमा कम्पनी को परिवादीगण के प्रपत्र क्लेम के लिये भेजे ही नहीं थे, इसलिये विपक्षी बैंक परिवादीगण के प्रति उत्तरदायी है। परिवादीगणों ने समय से सभी कागजात विपक्षी बैंक को दे दिये थे। विपक्षी बैंक ने अपनी सेवा में कमी की है। मृतक का के0सी0सी0 खाता नियमित था। परिवादीगण का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाषिक रुप से स्वीकार एवं अंाषिक रुप से खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादीगण का परिवाद विपक्षीगण के विरुद्ध अंाशिक रुप से स्वीकार एवं अंाशिक रुप से खारिज किया जाता है। विपक्षी संख्या 2 बीमा कम्पनी के विरुद्ध परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जाता है। विपक्षीगण संख्या 1 व 3 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादीगण को किसान दुर्घटना बीमा की धनराषि रुपये 50,000/- का भुगतान आदेश की दिनांक से 30 दिन के अन्दर करें। यदि विपक्षीगण निर्धारित अवधि मंे परिवादीगण को भुगतान नहीं करते हैं तो वह रुपये 50,000/- पर परिवाद दाखिल करने की तिथि से तारोज वसूली की दिनांक तक परिवादीगण को 4 प्रतिषत साधारण वार्शिक ब्याज का भी भुगतान करेंगे। विपक्षीगण 1 व 3 परिवादीगण को परिवाद व्यय के मद में रुपये 5,000/- का भी भुगतान करें।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
निर्णय एवं आदेश आज दिनांक 04.06.2015 को खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं उद्घोषित किया गया।
(विष्णु उपाध्याय) (माया देवी शाक्य) (चन्द्र पाल)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष