Uttar Pradesh

Barabanki

CC/28/2018

Laxmi Narayan - Complainant(s)

Versus

Gramin Bank of Aryawart & Others - Opp.Party(s)

Pankaj Nigam & Others

21 Feb 2023

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, बाराबंकी।

परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि       12.02.2018

अंतिम सुनवाई की तिथि            01.02.2023

निर्णय उद्घोषित किये जाने के तिथि  21.02.2023

 

परिवाद संख्याः 28/2018

1.(मृतक) लक्ष्मी नरायन बालिग पुत्र राम बिलास निवासी ग्राम व पोस्ट-धौरहरा जनपद-बाराबंकी।

1/1. मायावती बेवा पत्नी स्व0 लक्ष्मी नारायन

1/2. कुलदीप कुमार बालिग पुत्र स्व0 लक्ष्मी नारायन

1/3. दीपक कुमार नाबालिग पुत्र स्व0 लक्ष्मी नारायन वर्मा संरक्षिका माता        

1/4 कोमल वर्मा  नाबालिग पुत्र स्व0 लक्ष्मी नारायन वर्मा संरक्षिका माता

1/5 काजल नाबालिग पुत्री स्व0 लक्ष्मी नारायन वर्मा संरक्षिका माता

        समस्त निवासीगण ग्राम व पोस्ट धौरहरा तहसील-नवाबगंज जिला-बाराबंकी।

द्वारा-श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

श्री संजय कुमार वर्मा, अधिवक्ता

                                         श्री धीरज कुमार गुप्ता, अधिवक्ता

श्री हेमन्त कुमार जैन, अधिवक्ता

 

बनाम

1.  शाखा प्रबंधक ग्रामीण बैंक आॅफ आर्यावर्त शाखा इब्राहिमाबाद जनपद-बाराबकी।

2.  दि ओरियंटल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड शाखा कार्यालय इन्दिरा मार्केट, बाराबंकी।

3.  मेसर्स थ्राट इनवेस्टीगेटर (Throught Investigator) सिटी आफिस 152/1 टिकैतराय एल. डी. ए.  

     कालोनी लखनऊ-17 द्वारा प्रबंधक।

द्वारा-श्री टी0 यू0 चैधरी, अधिवक्ता विपक्षी संख्या-01 व 02

 

समक्षः-

माननीय श्री संजय खरे, अध्यक्ष

माननीय श्रीमती मीना सिंह, सदस्य

माननीय डा0 एस0 के0 त्रिपाठी, सदस्य

उपस्थितः परिवादी की ओर से -श्री पंकज निगम, अधिवक्ता

         विपक्षी सं0-01 व 02 की ओर से-श्री टी0 यू0 चैधरी, अधिवक्ता

              विपक्षी सं0-03 की ओर से- कोई नहीं

द्वारा-श्री संजय खरे, अध्यक्ष

निर्णय

            परिवादी ने यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्व धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 प्रस्तुत कर याचीजन को विपक्षीजन से क्लेम की धनराशि रू0 3,00,000/- 18% ब्याज सहित दिलाये जाने तथा ट्रैक्टर चोरी होने के बाद वाहन का बीमा किये जाने में लिये गये प्रीमियम की धनराशि 6,160/-18% ब्याज सहित  तथा शारीरिक, मानसिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 1,00,000/-दिलाये जाने का अनुतोष चाहा है।

            संक्षेप में परिवादी का अपने परिवाद में मुख्य रूप से अभिकथन है कि परिवादी संख्या-01 ने विपक्षी संख्या-01 ग्रामीण बैंक से एक ट्रैक्टर लोन कराया था जिसका खाता संख्या-टी. एल. एन. 50017 है यह लोन सितम्बर 2009 में स्वीकृत किया गया था। जिस समय ट्रैक्टर लोन हुआ था एवं ट्रैक्टर क्रय किया था उसका बीमा विपक्षी संख्या-01 द्वारा विपक्षी संख्या-02 ओरियन्अल इंश्योरेन्स से कराया गया था। ट्रैक्टर का इंजन नम्बर, चेचिस नम्बर कवर नोट में सही अंकित किया लेकिन वाहन सं0 यू0 पी0 41 एल. 4473 के स्थान पर यू0 पी0 41 एल. 4423 अंकित कर दिया, जिसे विपक्षी संख्या-01 ने उसे सुधरवाने के लिये कहा था। परिवादी समय-समय पर ट्रैक्टर ऋण की अदायगी विपक्षी संख्या-01 के यहाँ करता रहा। याची संख्या-01 का ऋण से लिया गया ट्रैक्टर यू0 पी0 41 एल. 4473 का अस्थाई कवरनोट संख्या-994344 दिनांक 19/01/2011 है। बीमा दिनांक 26/09/2011 से 25/09/2012 तक वैध था। याची संख्या-01 का उपरोक्त ट्रैक्टर दिनांक 20/10/2011 को चोरी हो गया, जिसकी सूचना मोहनलालगंज थाना जनपद लखनऊ को दी गई, जांचोपरान्त प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुये मुकदमा अपराध संख्या-119/2011 पंजीकृत हुआ। विपक्षी संख्या-02 के सर्वेयर आये और पूछताछ की तथा सादे क्लेम फार्म व अन्य कागजातों पर हस्ताक्षर करवाये तथा याची संख्या-01 के पास जो भी अभिलेख थे सर्वेयर को उपलब्ध करा दिये गये।  इसी बीच जांच अधिकारी विपक्षी संख्या-03 ने कहा कि यदि याचीजन रू0 25,000/-रिपोर्ट लगाने का दे दे तो क्लेम की धनराशि जल्दी भुगतान हो जायेगी। धनराशि दिये जाने में परिवादी ने असमर्थता जताई। ट्रैक्टर चोरी के बावजूद भी परिवादी बराबर ऋण की अदायगी करता रहा। ट्रैक्टर चोरी होने के उपरान्त भी विपक्षी संख्या-01 बराबर ट्रैक्टर का बीमा कराया गया, जिस हेतु रू0 6,160/-का प्रीमियम लिया गया जिसे परिवादीजन को वापस किया जाय। परिवादी संख्या-02 से बराबर क्लेम की धनराशि हेतु सम्पर्क करता रहा। विपक्षी संख्या-02 के निर्देश पर विपक्षी संख्या-03 सर्वेयर से भी सम्पर्क किया। विपक्षी संख्या-03 ने जांच अधिकारी धर्मपाल सिंह से कुछ कागजात लेने हेतु याची संख्या-01 से रू0 2000/-लिया तथा अंतिम रिपोर्ट की फोटो प्रति याची संख्या-01 को दे दिया। बराबर भागदौड़ करने के बावजूद भी परिवादी संख्या-01 को क्लेम की धनराशि का भुगतान नहीं किया गया। परिवादी ने दिनांक 26/09/2017 को जन सूचना के अंतर्गत विपक्षी संख्या-01 को प्रार्थना पत्र दिया जिसमे विपक्षी संख्या-01 ने प्रश्न सं0-1 , 2, 8, 9, 10, 12, 17 का उत्तर दिया बाकी का उत्तर नहीं दिया। विपक्षीजन द्वारा आज तक परिवादीगण के बीमा क्लेम का निस्तारण नहीं किया गया। विपक्षीगण के उक्त कृत्य से परिवादीजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः परिवादीजन ने उक्त अनुतोष हेतु प्रस्तुत परिवाद योजित किया है। परिवाद के समर्थन में शपथपत्र दाखिल किया गया है।

             परिवादी ने दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में सूची दिनांक 09/02/2018 से प्रथम सूचना रिपोर्ट, अंतिम रिपोर्ट तथा कवर नोट की छाया प्रति दाखिल की है।

             परिवादी ने सूची दिनांक 27/03/2019 से कवर नोट 6 वर्क, प्रथम सूचना रिपोर्ट, प्रार्थना पत्र, नकल तहरीर, वाहन आर0 सी0, अंतिम रिपोर्ट की छाया प्रति दाखिल की है

           विपक्षी संख्या-01 द्वारा वादोत्तर दाखिल करते हुये परिवाद की धारा-1 लगायत 3 को स्वीकार किया है। दिनांक 20/10/2011 को प्रथम सूचना लिखे जाने के तथ्य को भी स्वीकार किया है। ऋण अदायगी समय-समय पर किये जाने के तथ्य को भी स्वीकार किया है। विपक्षी संख्या-02 द्वारा दिनांक 20/08/2013 को परिवादी का दावा नो क्लेम कर दिया गया जिसकी सूचना परिवादी को दी गई। विपक्षी बैंक की सेवा में कोई कमी नहीं है। क्लेम के निस्तारण का दायित्व विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी का है। परिवादी द्वारा दिनांक 08/09/2018 को खाता संख्या-03677200000108 लोक अदालत में सुलह समझौते के आधार पर ऋण की अदायगी करने पर खाता बन्द कर दिया गया। इस प्रकार परिवादी विपक्षी का उपभोक्ता नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की है।

              विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी द्वारा वादोत्तर योजित करते हुये कहा है कि ट्रैक्टर संख्या-यू0 पी0 41 एल 4473 का बीमा, बीमा अवधि दिनांक 26/09/2011 से 25/09/2012 तक कृषि कार्य हेतु जरिये पालिसी संख्या-22/302/47/212/807 पर किया गया था। परिवादी से प्राप्त सूचना के आधार पर वाहन की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराया जाना स्वीकार है। सूचना प्राप्त होने पर सर्वेयर द्वारा जांच करायी गई। सर्वेयर ने अपनी जांच दिनांक 09/04/2012 को प्रस्तुत किया। विपक्षी बीमा कम्पनी ने पक्षपात रहित होकर अपने सर्वेयर की रिपोर्ट के आधार पर दावा नो क्लेम किया तथा नो क्लेम का कारण कथित चोरी के समय ट्रैक्टर में ट्राली लगाकर रेत ढोने का कार्य किया जा रहा था, जबकि ट्रैक्टर का बीमा कृषि कार्य के लिये ही था। ट्रैक्टर के साथ ट्राली का उपयोग करना पालिसी की शर्तो के विरूद्व है। परिवाद कालबाधित है। दावा निरस्तीकरण की सूचना पंजीकृत डाक से दिनांक 20/08/2013 को परिवादी व विपक्षी संख्या-01 को भेज दिया गया था। दावा निरस्तीकरण के पाँच वर्ष बाद परिवाद दाखिल किया गया है। परिवादी किसी भी अनुतोष को पाने का अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किये जाने की याचना की गई है।

                परिवादी ने अतिरिक्त साक्ष्य दाखिल किया है।

               परिवादी ने सूची दिनांक 22/01/2021 से प्रार्थना पत्र दिनांक 08/01/2018, 28/02/2018, रिसीविंग रसीद दिनांक 24/08/2012, पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट दिनांक 16/03/2018, असल लिफाफा, असल सत्यापित प्रति प्रभारी निरीक्षक दिनांक 11/12/2011, अंतिम रिपोर्ट 03/02/2020, नक्शा नजरी दिनांक 03/09/2020 व प्रार्थना पत्र दिनांक 13/08/2020 दाखिल किया है।

                 लक्ष्मी नारायन का मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किया गया है।

                 परिवादी द्वारा मायावती पत्नी स्व0 लक्ष्मी नारायन का शपथपत्र योजित किया है।

                 परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

                 विपक्षी संख्या-01 ने अपनी लिखित बहस दाखिल की है।

                 उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन किया।

              परिवादी लक्ष्मी नरायन द्वारा ट्रैक्टर संख्या यू0 पी0 41 एल 4473 का विपक्षी संख्या-02 से दिनांक 2609.2011 से 25/09/2012 तक की वैधता का कवरनोट संख्या-994344 दिनांकित 19/01/2011 से बीमा कराया जाना विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को स्वीकृत तथ्य है। परिवादी लक्ष्मी नरायण का यह ट्रैक्टर दिनांक 20/10/2011 को चोरी होना और उसकी रिपोर्ट अपराध संख्या-119/2011 पर सम्बन्धित थाने में लिखाया जाना भी विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को स्वीकृत तथ्य है। परिवादी का यह भी कथन है कि पुलिस द्वारा विवेचना पश्चात प्रकरण धारा-406 भारतीय दंड संहिता से धारा-379 दंड संहिता में तरमीम किया गया और किसी मुलजिम का पता न लगने और ट्रैक्टर बरामद न होने के आधार पर विवेचना पश्चात अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की।

            परिवादी का कथन है कि विपक्षी संख्या‘02 बीमा कम्पनी के समक्ष ट्रैक्टर की बीमा धनराशि दिलाने का क्लेम प्रस्तुत किया। अनेको बार पता करने के पश्चात भी विपक्षी संख्या-02 द्वारा यह सूचित नहीं किया गया कि क्लेम के संबंध में बीमा कम्पनी ने क्या निर्णय लिया। विपक्षी बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवादी का दावा नो क्लेम करते हुये निरस्त कर दिया गया था।

            उपरोक्त आधार पर विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी का कथन है कि परिवादी का बीमा क्लेम निरस्त करने की सूचना पंजीकृत डाक से दिनांक 20/08/2013 को परिवादी को व विपक्षी संख्या-01 बैंक को प्रेषित कर दी गयी थी। विपक्षी संख्या-02 का यह भी कथन है कि दावा निरस्तीकरण के लगभग पाँच वर्ष पश्चात परिवाद प्रस्तुत किया गया जो कालबाधित है। परिवादी का बीमा क्लेम ट्रैक्टर में ट्राली लगाकर रेत ढ़ोने का कार्य किया जा रहा था, ट्रैक्टर का प्रयोग कृषि कार्य के लिये नहीं किया जा रहा था। ट्रैक्टर के साथ ट्राली का उपयोग पालिसी की शर्तो के विरूद्ध है।

            उभय पक्षों के उपरोक्त तर्को में सर्वप्रथम परिवाद पत्र के कालबाधित होने के तर्क का विवेचन करना उचित होगा। परिवादी द्वारा जिला आयोग के समक्ष वर्तमान परिवाद संस्थित किये जाने की दिनांक 12/02/2018 के आदेश पत्र में यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि विलम्ब पर विचार विपक्षी द्वारा प्रश्न उठाने पर किया जायेगा। वर्तमान प्रकरण में विपक्षी संख्या-02 ने अपने जवाबदावे में स्पष्ट रूप से परिवाद पत्र के कालबाधित होने का तर्क लिया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्राविधानो के अनुसार वाद कारण उत्पन्न होने की दिनांक से दो वर्ष के अंदर परिवाद संस्थित किया जाना चाहिये। परिवाद पत्र में वर्णित तथ्य से विदित है कि परिवादी ने वाद पत्र में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि उसके बीमा क्लेम का निस्तारण होने की कोई भी सूचना परिवादी को नहीं मिली। विपक्षी बीमा कम्पनी ने अपने जवाबदावे में बीमा क्लेम के निस्तारण पश्चात पंजीकृत डाक से सूचना प्रेषित करने का तथ्य अंकित किया है परन्तु पंजीकृत डाक से प्रेषित उक्त सूचना परिवादी पर तामील हुई, इसका कोई भी पुष्टिकारक साक्ष्य पत्रावली पर नहीं है। जब तक परिवादी को विपक्षी संख्या-02 द्वारा क्लेम के निरस्तीकरण की सूचना नहीं मिल जाती तब तक परिवादी का वाद कारण Continuing माना जायेगा और इस आधार पर वर्तमान परिवाद कालबाधित नहीं माना जा सकता।

            वर्तमान प्रकरण में द्वितीय मुख्य बिन्दु विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी के ट्रैक्टर चोरी होने के आधार पर बीमा क्लेम के निरस्तीकरण के विवेचन का है। विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी ने अपने जवाबदावे के प्रस्तर-10 में यह स्पष्ट रूप से अंकित किया है कि विपक्षी उत्तरदाता द्वारा पक्षपात रहित होकर सर्वेयर के रिपोर्ट के आधार पर दावा नो क्लेम किया गया तथा नो क्लेम का कारण चोरी के समय ट्रैक्टर में ट्राली लगाकर रेत ढ़ोने का कार्य किया जाना अंकित था, जबकि ट्रैक्टर का बीमा केवल कृषि कार्य के लिये ही था। ट्रैक्टर के साथ ट्राली का उपयोग करना पालिसी की शर्तो के विरूद्व था। ट्रैक्टर चोरी होने पर पुलिस चैकी मोहनलालगंज, लखनऊ में बुद्धू पुत्र सियाराम द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। नकल तहरीर हिन्दी वादी (टाइपशुदा) की प्रति परिवादी ने स्वयं वाद पत्र के साथ अन्य अभिलेखों की प्रति के साथ दाखिल किया है जिसमे यह स्पष्ट रूप से अंकित है कि बुद्धु पुत्र सियाराम ट्रैक्टर स्वामी लक्ष्मी नरायन के ट्रैक्टर ट्राली से रेत ढ़ोने का कार्य करता है। दिनांक 20.10.2011 को जैराना से बालू खदान से बालू लादकर रमाबाई मैदान लखनऊ पर मैने एक ट्राली उतारी थी  वहाँ पर मुझे राकेश नाम का व्यक्ति मिला तथा उसने मुझसे एक ट्राली रेत बृन्दावन कालोनी में डालने को कहा तब मैं दुबारा से एक ट्रैक्टर ट्राली में रेत भरकर लाया और उतरटिया पुल पर गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट के इन तथ्यों से स्पष्ट है कि घटना के समय ट्रैक्टर में ट्राली लगी हुई थी और ट्रैक्टर और ट्राली से बालू खदान से बालू लादकर दूसरे स्थान पर ले जाने हेतु व्यवसायिक उद्देश्य से प्रयोग किया जा रहा था। परिवादी की ओर से सूची से दाखिल प्रपत्रों में ट्रैक्टर के पंजीयन प्रमाण पत्र की प्रति भी संलग्न है जिसमे ट्रैक्टर को कृषि हेतु पंजीकृत कराया गया है। ट्रैक्टर चोरी की घटना के दिनांक 20/10/2011 के समय ट्रैक्टर की प्रचलित बीमा पालिसी अभिलेख की प्रति परिवादी ने दाखिल की है, जिसमे यह बीमा 26/09/2011 से 25/09/2012 तक बीमा है। ट्रैक्टर का बीमा किसान पैकेज पालिसी (के. पी. पी.) में किया गया है जिससे स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा प्रश्नगत ट्रैक्टर का प्रयोग केवल कृषि कार्य के लिये किया जा सकता था। प्रश्नगत ट्रैक्टर का प्रयोग कृषि कार्य से भिन्न व्यवसायिक रूप से किये जाने पर निश्चित रूप से बीमा संविदा का उल्लघंन है और ऐसी स्थिति में विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी का ट्रैक्टर चोरी होने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त किया जाना है और परिवादी के ट्रैक्टर चोरी के आधार पर बीमा कम्पनी द्वारा निरस्त किये जाने (No Claim) पर सेवा प्रदाता विपक्षी संख्या-02 द्वारा सेवा में कोई कमी किया जाना सिद्व नहीं होता है। अतः इस बिन्दु पर परिवादी का तर्क बलहीन है।

            परिवाद पत्र में परिवादी पक्ष का यह कथन है कि ट्रैक्टर दिनांक 20/10/2011 को चोरी हुआ जिसके संबंध में उसी दिन प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखे जाने के बाद परिवादी ने ट्रैक्टर चोरी की सूचना विपक्षी संख्या-01 बैंक को दी। विपक्षी संख्या-01 आर्यावर्त ग्रामीण बैंक ने जवाबदावे के पैरा-4 में परिवादी से प्राप्त सूचना के आधार पर दिनांक 20/10/2011 को बीमित ट्रैक्टर के चोरी होने की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना मोहनलालगंज, लखनऊ लिखाया जाना स्वीकार किया है। यह प्रक्रिया के अनुसार स्वीकृत तथ्य है कि प्रश्नगत ट्रैक्टर के प्रत्येक वर्ष बीमा नवीनीकरण कराये जाने पर बीमा की प्रीमियम की धनराशि बीमा धारक के खाते में बैंक द्वारा स्वयं काटकर बीमा कम्पनी को प्रेषित की जाती थी और बीमा कम्पनी उसके आधार पर ट्रैक्टर का उक्त अवधि का नवीनीकृत बीमा करती थी। दिनांक 20/10/2011 को ट्रैक्टर चोरी होने के वर्ष का बीमा विपक्षी संख्या-02 ओरियन्टल इंश्योरेन्स कम्पनी द्वारा करने की बीमा पालिसी की प्रति दाखिल है जिसके अवलोकन से विदित है कि परिवादी का ट्रैक्टर विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी से दिनांक 26/09/2011 से 25/09/2012 तक बीमित था। जब दिनांक 20/10/2011 को ट्रैक्टर चोरी हो गया था उसकी प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखायी जा चुकी थी। दिनांक 25/09/2012 इस बीमा की अवधि तक चोरी का ट्रैक्टर बरामद न होने की स्थिति में परिवादी के चोरी गये ट्रैक्टर का दिनांक 26/09/2012 से आगामी वर्ष के लिये बीमा नहीं हो सकता था, क्योंकि जिस ट्रैक्टर का बीमा होना था, उक्त ट्रैक्टर चोरी हो चुका था और उसकी बरामदगी भी नहीं हुई थी। ऐसी स्थिति में दिनांक 26/09/2012 से 25/09/2013 तक ट्रैक्टर का बीमा कराने के लिये विपक्षी संख्या-01 बैंक द्वारा बीमा की प्रीमियम धनराशि रू0 6,160/-परिवादी के खाते से काटकर बीमा कम्पनी को भेजना विधि विरूद्व है और विपक्षी संख्या-01 बैंक के इय कृत्य से परिवादी खाताधारक को दी जाने वाले सेवा में कमी होना सिद्व होता है। अतः इस बिन्दु पर परिवादी पक्ष का तर्क स्वीकार किये जाने योग्य है।

            उपरोक्त समस्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि परिवादी अपने परिवाद में अंकित विपक्षीजन से बीमा क्लेम की धनराशि रू0 3,00,000/-दिलाये जाने को सिद्व करने में असफल रहा है।

            परिवादी ने परिवाद पत्र में द्वितीय अनुतोष विपक्षीगण से प्रीमियम की धनराशि रू0 6,160/-मय ब्याज वापस दिलाये जाने का माँगा है। पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य तथा पूर्व में किये गये विवेचन से स्पष्ट है कि ट्रैक्टर चोरी दिनांक 20/10/2011 को हुआ है। बीमा पालिसी दिनांक 26/09/2011 से 25/09/2012 तक प्रभावी थी। बीमा पालिसी की अवधि दिनांक 25/09/2012 को समाप्त होनी थी। तब तक चोरी गया ट्रैक्टर बरामद नहीं हुआ या ट्रैक्टर जब परिवादी, बैंक या बीमा कम्पनी के कब्जे में ही दिनांक 26/09/2012 को नहीं था, तो दिनांक 26/09/2012 से 25/09/2013 तक का बीमा कराने के लिये बैंक द्वारा किस आधार पर परिवादी के खाते से रू0 6,160/-प्रीमियम धनराशि काटकर विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को प्रेषित की गई। विपक्षी संख्या-01 बैंक ने विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी के यहाँ परिवादी के ट्रैक्टर चोरी के संबंध में बीमा क्लेम भी प्रस्तुत किया था। ऐसी स्थिति में विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी द्वारा ट्रैक्टर चोरी की जानकारी होते हुये भी बीमा पालिसी किन परिस्थितियों में जारी की गई, इसका कोई संतोषजनक साक्ष्य विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत नहीं किया गया है। उपरोक्त से यह स्पष्ट है कि विपक्षी संख्या-01 बैंक की गम्भीर त्रुटि के कारण परिवादी के खाते से रू0 6,160/-प्रीमियम धनराशि काटकर विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को मिली। इस प्रकार इस प्रीमियम धनराशि के लाभार्थी विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी है। अतः बीमा धनराशि मय छह प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से (निर्धारित अवधि में न दिये जाने पर) नौ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से विपक्षी संख्या-02 से दिलाया जाना उचित होगा।

            विपक्षी संख्या-01 बैंक द्वारा गम्भीर त्रुटि कारित करते हुये परिवादी के खातें से प्रीमियम की धनराशि रू0 6,160/-गलत तरीके से काटकर विपक्षी संख्या-01 को भेजे जाने के कारण ही गलत बीमा हुआ। ऐसी स्थिति में विपक्षी संख्या-01 बैंक से परिवादी को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 5,000/-तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1,000/-परिवादी को दिलाया जाना न्यायोचित है।

           

             उपरोक्त समस्त विवेचन के आलोक में परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किये जाने योग्य है।

आदेश

            परिवाद संख्या-28/2018 आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी संख्या-02 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि रू0 6,160/-(रूपये छह हजार एक सौ साठ), प्रीमियम प्राप्त करने की दिनांक से लेकर अंतिम भुगतान तक, परिवादी को छह प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर से पैतालिस दिन के अंदर अदा करें। उपरोक्त निर्धारित अवधि में धनराशि न देने पर नौ प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज देय होगा।

            विपक्षी संख्या-01 को आदेशित किया जाता है कि वह शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक क्षतिपूर्ति के रूप में रू0 5,000/-(रूपये पाँच हजार) तथा वाद व्यय के रूप में रू0 1,000/-(रूपये एक हजार) पैंतालिस दिन की अवधि में परिवादी को अदा करें। 

(डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

         सदस्य                    सदस्य             अध्यक्ष

 

यह निर्णय आज दिनांक को  आयोग  के  अध्यक्ष  एंव  सदस्य द्वारा  खुले न्यायालय में उद्घोषित किया गया

     ((डा0 एस0 के0 त्रिपाठी)       (मीना सिंह)         (संजय खरे)

         सदस्य                    सदस्य             अध्यक्ष

 

 

 

दिनांक 21.02.2023

 

 

 

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