Uttar Pradesh

Unnao

CC/24/2015

Endal - Complainant(s)

Versus

Gramin Bank of Aryavart - Opp.Party(s)

Shri Ram Sharan Gupta Ad.

05 Jan 2019

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/24/2015
( Date of Filing : 10 Feb 2015 )
 
1. Endal
MAURAWA TEHSEEL PURWA
UNNAO
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. Gramin Bank of Aryavart
AGB HILAULI
UNNAO
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. DAMODAR SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 
For the Complainant:Shri Ram Sharan Gupta Ad., Advocate
For the Opp. Party: Jainendra Kumar Ad., Advocate
Dated : 05 Jan 2019
Final Order / Judgement

                                          परिवाद दाखिल करने की तिथि 10-02-2015

                                           बहस सुनने की तिथि        03-01-2019

                                           निर्णय घोषित करने की तिथि 05-01-2019

              जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, उन्नाव।

                 उपभोक्ता परिवाद संख्या  24 सन 2015

 

                         पीठासीन अधिकारी

 

1- दामोदर सिंह                       अध्यक्ष

2- पुरूषोत्तम सिंह                      सदस्य

 

इन्दल आयु लगभग 35 साल पुत्र बैजनाथ निवासी ग्राम मटेहना मजरा लउवा सिंहन खेड़ा परगना मौरावां तहसील पुरवा जिला उन्नाव।                      परिवादी

 

                              बनाम

 

1- ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त द्वारा शाखा प्रबन्धक ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त शाखा हिलौली जिला उन्नाव।

2-राज्य सरकार उत्तर प्रदेश द्वारा जिलाधिकारी,उन्नाव।              विपक्षीगण

 

                                    निर्णय

 

   परिवादी इन्दल ने यह उपभोक्ता परिवाद इस आधार पर प्रस्तुत किया है कि शारीरिक, मानसिक व आर्थिक कष्ट के लिए परिवादी को विपक्षी से हर्जाना के रूप में धनराशि, वाद खर्च एवं अन्य खर्च के रूप में धनराशि दिलायी जाय।

2-     संक्षेप में परिवादी का कथन है कि परिवादी एक गरीब किसान है। वर्ष 2006 में 25,000/-रूपये का किसान क्रेडिट कार्ड से विपक्षी ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त शाखा हिलौली से ऋण प्राप्त किया था। परिवादी द्वारा लगातार धनराशि जमा की जाती रही। दिनांक 09-7-2007 को सम्पूर्ण बकाया धनराशि जमा करते हुए ऋण खाता खत्म करके परिवादी ऋण मुक्त हो गया। दिनांक 26-04-2014 को विपक्षी संख्या-1 द्वारा परिवादी को नोटिस प्राप्त हुई कि दिनांक 31-03-2014 तक कुल बकाया धनराशि 36,864 /-रूपये है। परिवादी ने किसान क्रेडिट कार्ड के तहत सम्पूर्ण धनराशि जमा कर दिया और परिवादी ने विपक्षी से यह कहा कि उसका खाता संख्या-112177 के सम्पूर्ण स्टेटमेंट उपलब्ध करायें परन्तु विपक्षी द्वारा कोई स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट उपलब्ध नही कराया गया। परिवादी द्वारा 26,700/-रूपये की धनराशि जमा कर दिया गया है और उसका खाता भी बन्द हो गया है। विपक्षीगण द्वारा वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया है। परिवादी लगातार विपक्षी के यहां चक्कर लगाता रहा परन्तु विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नही की गयी। विपक्षी के कर्मचारी परिवादी से जबरन वसूली करने आये। इसलिए विपक्षीगण से विभिन्न मदों में हर्जाना व अन्य धनराशि दिलायी जाय।

3-     विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन अभिलेख संख्या- 19 प्रस्तुत किया गया है जिसमें यह कथन किया गया कि विपक्षी ने दिनांक 13-01-2006 को 25,000/-रूपये का ऋण खाता संख्या-112177 से प्राप्त किया। फसल तैयार होने पर छमाही के रूप में ऋण की अदायगी करनी होती है तथा एक वर्ष के अन्दर यदि ऋण की धनराशि अदा नही की जाती है तब उसका खाता अतिदेय की श्रेणी में आ जाता है। परिवादी द्वारा उक्त खाते का संचालन किया जाता रहा। अन्तिम बार दिनांक 09-7-2007 को ऋण अदा किया। पुनः उसी खाते से दिनांक 12-7-2007 को 25,000/-रूपये निकाला गया। फिर परिवादी से उक्त 23,000/-रूपये लिए। कोई ऋण अदा नही किया। इसलिए उनका खाता एन0पी0ए0 हो गया। परिवादी को अनेकों बार सूचनायें दी गयी परन्तु परिवादी ने उस पर कोई कार्यवाही नही किया तब रिकवरी प्रमाण पत्र जिलाधिकारी को भेज दिया गया।

4-     विपक्षी संख्या-2 की ओर से जवाबदावा अभिलेख संख्या- 15 प्रस्तुत किया गया जिसमें परिवादी के कथनों को इंकार किया गया और यह कहा गया कि विपक्षी संख्या-1 द्वारा भेजी गयी वसूली प्रमाण पत्र के आधार पर परिवादी से वसूली की कार्यवाही की जा रही है। परिवादी का परिवाद धारा- 330 जमींदारी विनाश अधिनियम एवं एग्रीकल्चर क्रेडिट ऐक्ट तथा पब्लिक मनी रिकवरी ऐक्ट से बाधित है। इसलिए परिवाद निरस्त किया जाय।

5-     विपक्षी संख्या-2 ने अपने लिखित कथन के समर्थन में परिवादी के नमूना हस्ताक्षर खाता खोलवाने के फार्म की छाया प्रति अभिलेख संख्या-22 के रूप में है। परिवादी के स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट की छाया प्रति है।

6-     पक्षों की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य एवं शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है जिसके अन्तर्गत अभिलेख संख्या-7 जन सूचना अधिकारी, उन्नाव द्वारा परिवादी को सूचना दी गयी है कि उनके ऋण खाता संख्या-112177 में दिनांक 13-01-2006 को 25,000/-रूपये स्वीकृत किया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 24-04-2006 को 600/-रूपये दिनांक 09-07-2007 को 26,700/-रूपये जमा किया गया। दिनांक 19-06-2013 को उपरोक्त खाते में वसूली न होने पर वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया। अभिलेख संख्या-8 शाखा प्रबन्धक द्वारा परिवादी को नोटिस भेजी गयी है। अभिलेख संख्या-9 द्वारा दिनांकित 22-01-2014 को भी नोटिस भेजी गयी है। अभिलेख संख्या- 10 परिवादी द्वारा बैंक को सूचना भेजी गयी है। अभिलेख संख्या- 11 परिवादी द्वारा जमा किया गया दोनों धनराशि दिनांकित 22-04-2006 से 600/-रूपये तथा दिनांक 09-07-2007 से 26,700/-रूपये जमा करने की रसीदों की छाया प्रति है।

7-     महत्वपूर्ण अभिलेख संख्या- 26 है जिसके अन्तर्गत दिनांक 12-07-2007 को परिवादी द्वारा 23,000/-रूपये की धनराशि निकाला गया है। परिवादी इसी धनराशि को निकालने से इंकार करता है। अभिलेख संख्या- 26 विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिस पर विपक्षी बैंक मैनेजर के हस्ताक्षर भी है। प्रथम दृष्टया इन्दल के हस्ताक्षर दोनों अभिलेखों पर समान प्रतीत होते हैं। यदि परिवाद में अपने हस्ताक्षर से किसी भी प्रकार से इंकार है तब उसको साबित करना होगा कि उक्त अभिलेख संख्या- 26 पर उसके हस्ताक्षर कूट रचित है और बैंक द्वारा फर्जी तरीके से तैयार करके पेश किया है परन्तु इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही परिवादी ने नही किया। अतः जब अभिलेख बैंक की अभिरक्षा से पेश हुए हैं तब इसके सही होने की उपधारणा की जायेगी। ऐसी अवस्था में उपभोक्ता परिवाद स्वीकार होने योग्य नही है।

                          आदेश

      उपभोक्ता परिवाद संख्या-24 सन 2015 इन्दल बनाम ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त आदि निरस्त किया जाता है। पक्षकार वाद व्यय स्वयं वहन करेगें।

  

 

 
 
[HON'BLE MR. DAMODAR SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER

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