Rajasthan

Ajmer

CC/235/2014

PAVNESH JAIN - Complainant(s)

Versus

GOYAL FASHION - Opp.Party(s)

ADV.MANISH SHARMA

18 Oct 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/235/2014
 
1. PAVNESH JAIN
AJMER
...........Complainant(s)
Versus
1. GOYAL FASHION
AJMER
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 18 Oct 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

श्री पवनेष जैन पुत्र श्री नरेष कुमार जैन, निवासी- केसरगंज, अजमेर ।  
                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

1. गोयल फैष्न्स(प्रा.लि.) 24, गोयल हाउस, अजमेर रोड़, जयपुर । 
2.अनन्ता स्पाॅ एण्ड रिसाॅर्टस, ग्राम लीला सेवड़ी, अजमेर पुष्कर रोड़, अजमेर । 

                                               -       अप्रार्थीगण
                 परिवाद संख्या 235/2014 

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री मनीष षर्मा, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री बसन्त विजयवर्गीय, अधिवक्ता अप्रार्थीगण

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 02.11.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि उसके द्वारा  दिनंाक 4.11.2013 को अप्रार्थी संख्या 2 के यहां  यथा स्थान पर वाहन पार्किंग कर उपस्थित होकर  खाद्य एवं पेय पदार्थो का सेवन कर  जो बिल संख्या 0077942  जारी किया  उसमें अप्रार्थी द्वारा 94/-  सर्विसचार्ज  के नियम विरूद्व वसूल किए गये हंै । अप्रार्थीगण द्वारा उक्त वसूली गई राषि राजकोष में जमा नहीं करवाई गई, जिसके लिए पृथक से दाण्डिक कार्यवाही अमल में लाने के अपने अधिकार को प्रार्थी ने सुरक्षित रखते हुए आगे कथन किया है कि उसे सर्व की गई खाद्य सामग्री झूठे बर्तनों में सर्व की गई जिसकी षिकायत किए जाने पर  अप्रार्थी के यहां उपस्थित  श्री विवियन विलसन ने अपने आपको अप्रार्थी संस्थान का कैप्टन होना बताते हुए गलती मानते हुए माफी मांगी और अपनी टिप्पणी बिल में अंकित की  है ।  अप्रार्थीगण के उक्त कृत्य के लिए उसने जरिए पत्र दिनंाक 7.11.2013 व नोटिस दिनांक 5.3.2014 के  सूचित भी किया। किन्तु अप्रार्थीगण ने कोई जवाब नहीं दिया । प्रार्थी ने इसे अप्रार्थीगण की सेवाओं में कमी बताते हुए परिवाद पेष कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है । परिवाद के समर्थन में स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
2.       अप्रार्थीगण ने जवाब प्रस्तुत कर  प्रार्थी द्वारा दिनंाक 4.11.2013 को उनके रिसोर्ट में  उपस्थित होकर खाद्य एवं पेय पदार्थो के सेवन से इन्कार करते हुए आगे कथन किया है कि  प्रार्थी द्वारा जो बिल प्रस्तुत किया है  उससेे यह सिद्व नहीं होता है कि वह प्रार्थी से संबंधित हो  क्योंकि उस पर न तो प्रार्थी के हस्ताक्षर हैं और ना ही उनके रिकार्ड में ही प्रार्थी के हस्ताक्षर हैं ।  उनके द्वारा  नियमित रूप से प्रति माह  सर्विस चार्ज की राषि राजकोष में जमा कराई जाती है ।  अप्रार्थीगण का यह भी कथन है कि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत बिल  पर अंकित इबारत पर किसी के हस्ताक्षर नहीं है इससे भी यही प्रकट होता है कि प्रार्थी ने  विवियल विलसन को धमका कर उक्त इबारत लिखवाई हो । ग्राहक ने बिल में अंकित राषि का भुगतान नहीं किया है इसलिए उक्त राषि विवियन विलसन के वेतन से काटी  जा रही है । अपने अतिरिक्त कथन में  यह दर्षाया है कि  प्रार्थी ने उनके रिसोर्ट की छवि धूमिल की है  इसलिए अलग से मानहानि की कार्यवाही किए जाने के अधिकार को वह सुरक्षित  रखते हुए परिवाद सव्यय निरस्त किए जाने की प्रार्थना की है । जवाब के समर्थन में श्री पृथ्वीपाल सिंह राठौड़, मुख्यत्यारआम का ष्षपथपत्र पेष किया है ।      
3.    प्रार्थी का प्रमुख तर्क है कि दिनंाक 4.11.2013 को अप्रार्थी के रिसोर्ट में खाद्य एवं पेय पदार्थो का सेवन किए जाने के बाद जारी बिल में नियम विरूद्व सर्विस चार्जेज के रूप में रू. 94 वसूल किए गए हैं, जो उनके  द्वारा राजकोष में जमा नहीं करवाए गए है ।  इस हेतु पृथक से दाण्डिक कार्यवाही अमल में लाई जाने के अपने अधिकार को सुरक्षित रखते हुए यह भी तर्क प्रस्तुत किया कि अप्रार्थीगण द्वारा तत्समय झूंठी प्लेट एवं बर्तनों में खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई गई थी। जिसके फोटोग्राफ््स भी प्रस्तुत किए गए हैं । इस कमी से अवगत कराए जाने पर मौके पर अप्रार्थी के  संबंधित अधिकारी ने जारी बिल में अपनी लिखित में गलती स्वीकार की है । उनकी ओर  से प्रदान की गई सेवा में घोर लापरवाही हेतु  नोटिस व पत्रों के माध्यम से सूचित किया गया। किन्तु इसका कोई जवाब नहीं दिया गया ।  इस प्रकार अप्रार्थीगण का यह व्यवहार उनकी सेवा मे ंकमी का द्योतक है । परिवाद स्वीकार कर वांछित अनुतोष दिलाया जाना चाहिए । 
4.    अप्रार्थीगण की ओर से प्रार्थी के इन तथ्यों का खण्डन किया गया व उनके उक्त रिसोर्ट में उपस्थित होने के तथ्य को अस्वीकार किया गया । प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत बिल का उसके द्वारा भुगतान नहीं किए जाने के कारण उक्त बिल के आधार पर प्रार्थी को उपभोक्ता  की श्रेणी में नहीं आना बताया । कथित बिल  को प्रार्थी से संबंधित नहीं होना बताते हुए उक्त बिल पर प्रार्थी अथवा अप्रार्थी के हस्ताक्षर नहीं होना बताया ।  सर्व की जाने वाली खाद्य सामग्री को झूठे बर्तनों में परोसने के तर्क को अस्वीकार किया । बिल पर अपने किसी अधिकृत प्रतिनिधि के हस्ताक्षरों का होना अस्वीकार करते हुए यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि ऐसे हस्ताक्षर  धमका कर या उनके नाम से बिल पर इबारत लिखी गई है । बिल का ग्राहक द्वारा भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में  उक्त बिल की राषि किन्हीं विवियल विलसन, जो कि उनके ही रिसोर्ट का प्रतिनिधि है, के नाम से अंकित की जाकर उसको देय वेतन में उक्त राषि की कटौती करना बताया । प्रार्थी द्वारा  भेजे गए पत्रों को गलत तथ्येां पर आधारित होने के कारण  जवाब की आवष्यकता  नहीं  होना बताते हुए अनावष्यक रूप से आरोप लगा कर रिसोर्ट की प्रतिष्ठा की मानहानि किए जाने हेतु अलग से कार्यवाही को सुरिक्षत रखते हुए परिवाद को विषेष खर्चे सहित खारिज किए जाने  योग्य बताया । 
5.    हमने परस्पर तर्क सुन लिए हैं व पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का भी ध्यानपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    जहां तक नियम विरूद्व सर्विस चार्जेज की राषि काटे जाने का प्रष्न है, इस संबंध में चूंकि प्रार्थी स्वयं ने अलग से कार्यवाही किए जाने का तर्क प्रस्तुत किया है। अतः इस बिन्दु पर यह मंच किसी प्रकार का कोई विवेचन अथवा निष्कर्ष पर पहुंचना उचित नहीं समझता है । 
7.    प्रार्थी ने दिनंाक 4.11.2013 को उक्त अप्रार्थीगण के रिसोर्ट में आना बताया है  तथा इस बाबत् उक्त रिसोर्ट का बिल मूल  ही प्रस्तुत किया है । जिस पर  अप्रार्थी के किन्हीं विवियल विलसन के द्वारा निम्नानुसार अंकित किया गया है -
       श् प् टपअपदंद ॅपसेवद ब्ंचजंपद व ि।दंदजं ैचं  - त्मेवतज  बवउउपजजमक  ं उपेजंाम - ंचवसवहप्रमक जवव ण् ज्ीपे जीपदह ूंदज इम तमचमंजमक ंहंपद ूपजी तमहंतकेण् टपअपदंद ॅपसेवद श्
                        श्प् ेमतअमक जीम हनमेज पद नेमक इवूस ूीपबी  पे  इपह उपेजंामश्
8.    इस बिल को अप्रार्थीगण द्वारा जारी किए जाने से इन्कार नहीं किया गया है अपितु इस बिल की राषि को उक्त विवियन विलसन के वेतन से काटे जाने का तर्क प्रस्तुत किया है ।  अतः यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि उक्त दिनांक को यह बिल अप्रार्थी रिसोर्ट द्वारा जारी किया तथा इस बिल के माध्यम से पेय एव खाद्य पदार्थो  का उपयोग एवं उपभोग किसी ग्राहक द्वारा किया गया । अप्रार्थीगण का यह तर्क कि इस बिल पर ग्राहक के हस्ताक्षर नहीं है तथा ग्राहक का नाम भी अंकित नहीं है, कतई स्वीकार किए जाने येाग्य नहीं है ।  अनुभव एवं प्रक्रिया  यह बताती है कि किसी भी रेस्टोरेण्ट में खाद्य एवं पेय पदार्थो के सेवन पश्चात्  जाने पर दिए जाने वाले बिल में न तो ग्राहक के हस्ताक्षर लिए जाते है और ना ही ग्राहक का नाम अंकित किया जाता है । प्रार्थी ने सषपथ उसे अप्रार्थीगण द्वारा यह बिल दिया जाना बताया है तथा इस बिल के अलावा उक्त रिसोर्ट में दिया गया पार्किंग टोकन  भी प्रस्तुत किया है। इसके अलावा उसके द्वारा  उसके साथ हुए व्यवहार बाबत् उसने अप्रार्थी को पत्र दिनांक 7.11.2013 व अधिवक्ता के माध्यम से दिए गए नोटिस द्वारा सूचित भी किया है एवं इनका अप्रार्थीगण की ओर से कोई खण्डन अथवा जवाब भी प्रस्तुत नहीं हुआ है । अतः यह कहा जा सकता है कि उक्त बिल प्रार्थी से संबंधित था तथा प्रार्थी को उक्त खाद्य एवं पेय पदार्थो के  उपभोग के बाद ऐसा बिल दिया गया था । उक्त बिल पर जो विवियन विलसन की अभ्युक्ति अंकित की गई है, के संबंध में  उसका कोई खण्डन स्वरूप ष्षपथपत्र भी प्रस्तुत नहीं हुआ है । यदि यह जबरन लिखवाया गया था तो इसकी तत्समय ही थाने में रिपोर्ट भी नहीं करवायी गई है और न ही इसका कोई विवाद उस समय किया गया है। अतः यह भी कहा जा सकता है कि ऐसा रिमार्क अपनी गलती मानते हुए उक्त विवियन विलसन  द्वारा ग्राहक के रूप में प्रार्थी को दिया गया था । यह तर्क स्वीकार  किए जाने योग्य नहीं है कि प्रार्थी द्वारा बिल का भुगतान नहीं किया गया हेै, अतः वह उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है । चूंकि  प्रार्थी, अप्रार्थीगण के उक्त रिसोर्ट में गया है उसने अप्रार्थीगण की सेवाओं को प्राप्त करने हेतु कतिपय खाद्य एवं पेय पदार्थो का आर्डर दिया है जिसके फलस्वरूप उक्त वस्तुए सर्व  की गई हैं इस हेतु इसका बिल भी जारी हुआ है। अतः कहा जा सकता है कि वह उपभोक्ता की श्रेणी में आता है । जो फोटोग्राफ््स प्रस्तुत हुए है, को देखने से भी यह प्रकट होता है कि उक्त खाद्य  सामग्री पूर्व में  इस्तेमाल किए गए  एवं बिना साफ किए  बर्तनों में प्रार्थी को सर्व की गई है । इस तथ्य की पुष्टि उक्त विवियन विलसन द्वारा  बिल में अंकित अभ्युक्ति  से भी होती है । इसके अलावा उक्त बिल की राषि अप्रार्थीगण  द्वारा उक्त विवियन विलसन के नाम काटी गई है । अतः यह सिद्व रूप से प्रकट होता है कि ऐसी खाद्य सामग्री ग्राहक के रूप में प्रार्थी को सर्व की गई है, जिसका उक्त भुगतान सामने आया था ।  
9.    कुल मिलाकर उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में यह स्वीकृत रूप से सामने आया है कि प्रार्थी द्वारा अप्रार्थीगण के उक्त रिसोर्ट में दिनंाक 4.11.2013 को दिए गए आर्डर के फलस्वरूप प्राप्त खाद्य सामग्री पूर्व में इस्तेमाल किए गए बर्तनों में सर्व की गई , जो अनुचित व्यापार व्यवहार के साथ-साथ उनकी सेवाओं में कमी का परिचायक भी रहा है । 
10.    अप्रार्थीगण का उक्त रिसोर्ट उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार अजमेर पुष्कर रोड पर स्थित है । पुष्कर नगरी विष्वप्रसिद्व धार्मिक स्थल है। जहां विष्व के कोने कोने से  पर्यटक  आते हंै । यदि  अप्रार्थीगण रिसोर्ट द्वारा इस प्रकार की सेवाएं प्रदान की जाती है तो इससे न सिर्फ उक्त संस्थान की छवि पर भी विपरीत असर पड़ेगा , बल्कि  पुष्कर जैसी विष्व प्रसिद्व धार्मिक नगरी  की ख्याति पर भी बुरा असर पड़ता है । अप्रार्थीगण रिसोर्ट के उक्त कृत्यों से न सिर्फ धार्मिक नगरी पुष्कर  की छवि धूमिल हुई है अपितु  भारतवर्ष की पुरातन संस्कृति में जहां  ’’ अतिथि देवो भवोः ’’ को सर्वोपरि माना गया है , की छवि पर भी विष्व पटल में  विपरीत असर पड़ेगा । मंच की राय में अप्रार्थीगण रिसोर्ट का इस प्रकार का व्यवहार  कतई उचित नहीं कहा जा सकता है ।   
11.,    सार यह है कि उपरोक्त विवेचन के प्रकाष में प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है एवं आदेष है कि 
                          :ः- आदेष:ः-
12.    (1)   प्रार्थी अप्रार्थीगण रिसोर्ट से  उसे हुए मानसिक संताप  पेटे रू. 11001/- प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
            (2)       प्रार्थी अप्रार्थीगण रिसोर्ट से ं परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/-भी  प्राप्त करने के  अधिकारी होगा ।               
            (3)    क्रम संख्या 1 लगायत 2 में वर्णित राषि अप्रार्थीगण रिसोर्ट प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
            (4)     साथ ही अप्रार्थीगण रिसोर्ट  रू. 21,000/- राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर को भी अदा करें और इस राषि डिमाण्ड ड्राफट राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष, जयपुर को देय इस निर्णय की दिनांक से दो माह के अन्दर इस मंच में जमा करावें ।
          आदेष दिनांक 02.11.2016 को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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