राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-2233/2015
(जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-74/2013 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2015 के विरूद्ध)
1. अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, रनिया, कानपुर देहात।
2. अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, विद्युत कालोनी, गोविन्द नगर, कानपुर देहात।
...........अपीलार्थीगण/विपक्षीगण।
बनाम
गोविन्द कुमार तिवारी पुत्र राधेलाल निवासी ग्राम चिलौली, कानपुर देहात।
............ प्रत्यर्थी/परिवादी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री मनोज कुमार विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 28-02-2023.
मा0 श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-74/2013 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2015 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में अपीलार्थी का कथन है कि प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2015 अतार्किक, एक पक्षीय और क्षेत्राधिकार के परे है।
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विद्वान जिला आयोग ने एक पक्षीय कार्यवाही की जबकि अपीलार्थी को कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुई। विद्वान जिला आयोग ने नोटिस की तामीली के सम्बन्ध में गलत निष्कर्ष दिया। इस मामले में विद्युत देने के सम्बन्ध में कोई विवाद नहीं है और न बिल के सम्बन्ध में ही विवाद है। परिवाद इसलिए प्रस्तुत किया गया कि उसके द्वारा जमा प्राक्कलन धनराशि 1,57,306/- रू0 अधिक जमा की गई है जबकि उसे 1,14,728/- रू0 होना चाहिए। उसने 42,578/- रू0 की वापसी के लिए परिवाद प्रस्तुत किया।
विद्वान जिला आयोग ने यह नहीं देखा कि विद्युत कनेक्शन का प्राक्कलन 1,57,306/- रू0 का है जो परिवादी ने जमा किया। परिवादी ने ऐसा कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया कि प्राक्कलन इससे कम मूल्य का है। अत: माननीय राज्य आयोग से निवेदन है कि विद्वान जिला फोरम का प्रश्नगत निर्णय अपास्त करते हुए अपील स्वीकार की जाए।
हमने अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री मनोज कुमार की बहस सुनी तथा पत्रावली का सम्यक रूप से परिशीलन किया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
हमने विद्वान जिला आयोग के प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का अवलोकन किया जिसमें निम्न आदेश पारित किया गया है :-
‘’ परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एक पक्षीय रूप से संयुक्त व पृथक-पृथक मु0 42,578/- रू0 के लिए इस पर आज से वसली तक 8 प्रतिशत वार्षिक ब्याज हेतु तथा 3000/- रू0 वाद व्यय हेतु स्वीकार किया जाता है। निर्णय के दिनांक से एक माह के अन्दर परिवादी को अदायगी न होने पर फोरम के माध्यम वसूल करने का अधिकार होगा। ‘’
प्रस्तुत मामले में सर्वप्रथम हमने विद्युत कनेक्शन के प्राक्कलन की प्रति का अवलोकन किया जिसके अनुसार स्वीकृत प्राक्कलन की धनराशि
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1,57,306/- रू0 अंकित है जो परिवादी ने जमा की। इसके अतिरिक्त यह पूर्ण जमा योजना के अन्तर्गत था और इसमें प्राक्कलन कहीं भी 1,14,728/- रू0 अंकित नहीं है बल्कि 1,57,306/- रू0 की धनराशि अंकित है। अगर प्रत्यर्थी/परिवादी का यह कथन है कि प्राक्कलन 1,14,728/- रू0 था तब इसको सिद्ध करने का भार भी परिवादी का है, जो वह सिद्ध नहीं कर सका है। अत: ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता कि प्राक्कलन दी गई धनराशि से कम था।
परिवाद की कार्यवाही एक पक्षीय की गई किन्तु यह एक विधिक प्रक्रिया है जहॉं पर प्राक्कलन के अनुसार ही धनराशि जमा की गई है, अत: विद्वान जिला आयोग ने स्वमेव यह निर्धारित किया कि प्राक्कलन 1,14,728/- रू0 का है।
जहॉं तक अपील विलम्ब से योजित करने का प्रश्न है उसका स्पष्टीकरण मय शपथ पत्र दिया गया है जिसके खण्डन में प्रत्यर्थी की ओर से कोई प्रतिशपथ पत्र नहीं दिया गया है। ऐसी स्थिति में विलम्ब क्षमा करने का आधार पर्याप्त है और अपील योजित किए जाने में हुआ विलम्ब क्षमा किया जाता है।
उपरोक्त परिस्थितियों में विद्वान जिला आयोग का निर्णय विधि सम्मत न होने के कारण अपास्त होने योग्य है और वर्तमान अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, कानपुर देहात द्वारा परिवाद सं0-74/2013 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-02-2015 अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
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उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
प्रमोद कुमार
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.