राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-685/2018
(मौखिक)
(जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद संख्या 132/2013 में पारित आदेश दिनांक 22.06.2017 के विरूद्ध)
अधिशासी अभियंता,
विद्युत नगरीय वितरण खण्ड-द्वितीय,
आफिस मुन्ना लाल पावर हाउस,
ग्वालियर रोड, सिविल लाइंस, झांसी
........................अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
गोविन्द दास वर्मा, पुत्र स्व0 हर लाल वर्मा,
निवासी मोहल्ला तारपाठा पुरा, ग्राम बडगांव, तहसील व जिला झांसी
...................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री दीपक मेहरोत्रा के सहयोगी
श्री मनोज कुमार, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 16.08.2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील विगत 03 वर्ष से अधिक समय से लम्बित है। कार्यालय द्वारा अपील को प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब की माफी हेतु विलम्ब क्षमा प्रार्थना पत्र न होने तथा अन्य कमियों/त्रुटियों को अपनी आख्या दिनांक 01.05.2018 द्वारा इंगित किया गया। तदोपरान्त लगभग 06 तिथियों पर अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को इंगित त्रुटियों के निवारण हेतु समय प्रदान किया गया।
प्रत्यर्थी/परिवादी गोविन्द दास वर्मा द्वारा परिवाद संख्या-132/2013 गोविन्द दास वर्मा बनाम अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी के सम्मुख प्रस्तुत किया गया, जिसके द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी के सम्मुख यह
-2-
कथन किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपने घरेलू प्रयोग के लिए विद्युत संयोजन प्राप्त किया गया था तथा यह कि दिनांक 20.05.2011 को अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी को कुल 1228/-रू0 का विद्युत देय का बिल भेजा गया, जिस बिल में मीटर की रीडिंग 6730 दर्शायी गयी, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उक्त विद्युत देय धनराशि का भुगतान अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी के कार्यालय में किया गया। तदोपरान्त दिनांक 20.11.2011 को अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के निवास से पुराने मीटर को उतारा गया तथा उक्त पुराने मीटर को उतारते समय सीलिंग सर्टीफिकेट भी प्राप्त कराया गया, जिस सीलिंग सर्टीफिकेट में मीटर में वर्णित कुल मीटर रीडिंग को दर्शाया गया तथा पुन: उसी दिन एक अन्य दूसरा सीलिंग सर्टीफिकेट भी अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा जारी किया गया, जिसमें तथा पूर्व में जारी सीलिंग सर्टीफिकेट में यूनिट संख्या में लगभग 4000 यूनिट का फर्क वर्णित किया गया। दिनांक 17.05.2013 को अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के विरूद्ध विद्युत देय से सम्बन्धित कुल धनराशि 26,917/-रू0 को जमा करने हेतु नोटिस प्रेषित किया गया। अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी के उपरोक्त कार्य को प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस दर्शाते हुए विभिन्न सम्बन्धित साक्ष्यों के साथ परिवाद प्रस्तुत किया गया।
अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद का जवाब दाखिल किया गया तथा अवगत कराया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा देय धनराशि को जमा नहीं कराया गया अर्थात् यह कि प्रत्यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी का बकायेदार अथवा डिफाल्टर है। अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी के सम्मुख कथन किया गया कि चूँकि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा विद्युत देय धनराशि जमा नहीं करायी गयी, अतएव प्रस्तुत परिवाद चलनसार नहीं है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा तथ्यों का सम्यक परिशीलन किया गया तथा उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत पत्रावली पर उपलब्ध
-3-
प्रपत्रों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह पाया गया कि अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी द्वारा स्वयं जब पुराना बिजली मीटर प्रत्यर्थी/परिवादी के निवास से दिनांक 20.11.2011 को उतारा गया तब जो सीलिंग सर्टीफिकेट जारी किया गया, उसमें जो विवरण अंकित किये गये तथा जो रीडिंग दर्शायी गयी उसके नीचे अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी के कर्मचारी गोविन्ददास के हस्ताक्षर पाये गये। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा यह भी पाया गया कि उसी दिनांक 20.11.2011 को जो दूसरा सीलिंग सर्टीफिकेट जारी किया गया है, उसमें दर्शित मीटर रीडिंग तथा जो विवरण अंकित किया गया है वह किसी भी प्रपत्र से समर्थित नहीं पाया गया तथा यह कि नवीन मीटर जो प्रत्यर्थी/परिवादी के निवास स्थान पर लगाया गया वह इलैक्ट्रॉनिक मीटर था, जिसके एवज में मीटर लगाने वाले कर्मचारी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी से 300/-रू0 प्राप्त किये गये। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उक्त देय धनराशि से सम्बन्धित कोई भी प्रपत्र नहीं पाया गया, परन्तु यह पाया गया कि जो दूसरा सीलिंग मीटर सर्टीफिकेट/प्रमाण पत्र जारी किया गया वह अपीलार्थी/विपक्षी विद्युत कम्पनी के किसी भी कर्मचारी अथवा अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित नहीं पाया गया। यह भी पाया गया कि नवीन जारी सीलिंग सर्टीफिकेट में उक्त मीटर परीक्षण से सम्बन्धित तिथि का भी विवरण नहीं किया गया तथा यह भी दृष्टिगत रखा गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा दिनांक 20.09.2010 से दिनांक 20.11.2010 के मध्य विद्युत प्रयोग से सम्बन्धित जो बिल भेजा गया उसको प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा जमा किया गया।
मेरे द्वारा प्रस्तुत अपील में वर्णित तथ्यों, संलग्न प्रपत्रों, जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.06.2017 तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के कथन सभी का सम्यक परीक्षण व परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि प्रस्तुत अपील में कोई ऐसा तथ्य नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश में किसी प्रकार की कोई कमी है और न ही ऐसी कोई कमी इंगित की जा सकी। प्रस्तुत अपील
-4-
निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1