(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील सं0- 13/2018
Regional Manager, Food Corporation of India, District Office Jhansi, Elite Cinema, Civil Lines, District Jhansi through its Area Manager and another.
…….Appellants
Versus
Govind Das Sharma son of Lage Mukund Prasad Sharma, Resident of 357/3C, Behind old State Bank of India, Civil Lines, Jhansi.
………Respondent
समक्ष:-
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री धीरेन्द्र सिंह,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री आलोक रंजन,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 11.10.2022
माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद सं0- 298/2015 गोविन्ददास शर्मा बनाम क्षेत्रीय प्रबंधक भारतीय खाद्य निगम एवं एक अन्य में जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 07.10.2017 के विरुद्ध यह अपील धारा- 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अंतर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
2. अपीलार्थीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री धीरेन्द्र सिंह उपस्थित हैं। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित हैं। अपील विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत की गई है। अपीलार्थी ने विलम्ब का पर्याप्त कारण दर्शित किया है, अत: विलम्ब माफी प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाता है और अपील प्रस्तुत करने में हुए विलम्ब को क्षमा किया जाता है। उभयपक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध अभिलेखों का सम्यक परिशीलन किया गया।
3. उपभोक्ता परिवाद सं0- 298/2015 इस अनुरोध के साथ प्रस्तुत किया गया कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इलाज पर जो खर्च किया गया उसकी प्रतिपूर्ति अपीलार्थीगण/विपक्षीगण द्वारा की जाए। परिवाद पत्र के अवलोकन से जाहिर होता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी, अपीलाथीगण/विपक्षीगण के कार्यालय से सेवामुक्त कर्मचारी है। सेवामुक्त होने के पश्चात भी इलाज में जो खर्च होता है उसकी प्रतिपूर्ति हेतु अपीलार्थीगण/विपक्षीगण उत्तरदायी हैं। यह सही है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा इलाज में जो खर्च किया जाता है विधिक तर्क एवं नियमों के तहत नियोक्ता द्वारा भुगतान किया जा सकता है, परन्तु यह परिवाद उपभोक्ता वाद नहीं है, अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा क्षेत्राधिकार विहीन निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। अत: प्रश्नगत निर्णय व आदेश अपास्त होने योग्य एवं अपील स्वीकार किए जाने योग्य है।
आदेश
4. अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त किया जाता है, परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादी को यह अवसर प्रदान किया जाता है कि वह सक्षम प्राधिकारी अथवा न्यायालय के समक्ष वाद प्रस्तुत कर अपने अनुतोषों की मांग कर सकता है।
अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्यय स्वयं वहन करेंगे।
अपील में धारा 15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थीगण द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार अपीलार्थीगण को वापस की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय व आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
शेर सिंह, आशु0,
कोर्ट नं0- 2