जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 244/2023
उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-23.05.2023
परिवाद के निर्णय की तारीख:-27.11.2024
Lt. Col. (Retd.) Aditya Pratap Singh, son of Awadhesh Pratap Singh, resident of C-122 (AWHO Colony) Tyagi Vihar, Near Bungla Bazar, Lucknow U.P. 226012. Through His Father Also attorney Lt. Col. (Ret) Shri Awadhesh Pratap Singh Chauhan, resident of C-122, AWHO Colony (Tyagi Vihar) Near Bungla Bazar, Lucknow, U.P. 226012. ..........Complainant.
Versus
1. The Managing Director, Government Employees Welfare Housing Organization (GEWHO) Having office;
(a) Site Office-F-6, Ganesham Tower, Vaishali Marg, Vaishali Nagar, Jaipur, Rajasthan.
(b) Branch Office-Shop No. L.G. 16.17 BB Plaza Below Axis Bank, Sonkh Adda, Junction Road, Mathura, U.P.
2. Shri Anil Kumar Sharma,
(a) Director M/s Gemini and Garg Developers Pvt Ltd 15, Ayuwan Singh Nagar, Near Gayatri Nagar, Durgapur, Jaipur, Rajasthan.
(b) Resident of 60, Brajraj Enclave, Sirasi Road, Panchawala, Jaipur, Rajasthan. ...............Opposite Parties.
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परिवादी के अधिवक्ता का नाम:-डॉ0 श्री राज नारायन सिंह एवं श्री विनीत तिवारी।
विपक्षी के अधिवक्ता का नाम:-कोई नहीं।
आदेश द्वारा-श्री कुमार राघवेन्द्र सिंह, सदस्य।
निर्णय
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्तर्गत धारा-35 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत इस आशय से संस्थित किया गया है कि विपक्षी को निर्देशित किया जाए कि वह प्लॉट पर भौतिक रूप से कब्जा दे तथा मानसिक व शारीरिक शोषण के लिये 10,00,000.00 रूपये दें अथवा वे प्लाट की सम्पूर्ण धनराशि पर 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करें। इसके अतिरिक्त वाद व्यय के लिये 1,00,000.00 रूपये दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया गया है।
2. संक्षेप में परिवाद के कथन इस प्रकार हैं कि विपक्षी द्वारा प्रापर्टी डीलिंग व भवन निर्माण का कार्य किया जाता है। परिवादी द्वारा विपक्षी से एक प्लाट संख्या सी-51, रकबा,1125 स्क्वायर फिट का क्रय किया गया था, जिसका मिलजुमला खसरा गाटा संख्या 100/131 व 100/132 था जो राजस्थान के अंतर्गत जिला-जयपुर, तहसील मंजामाबाद, पटवा हल्का महता ग्राम कल्याणसर में स्थित है। इस प्लॉट की रजिस्ट्री सब रजिस्ट्रार मंजामाबाद , जयपुर के रजिस्टर बुक नं0 1 जिल्द नं0 298, पेज नं0 4 के क्रमांक 2013003746 दिनॉंक 21.06.2013 पर अंकित है। परिवादी द्वारा विपक्षी को पूरा पैसा अदा करने पर यह रजिस्ट्री निष्पादित हुई थी, परन्तु विपक्षी द्वारा आज तक प्लॉट पर भौतिक कब्जा नहीं दिया गया।
3. परिवादी का कथानक है कि विपक्षी ने वायदा किया था कि वे प्लॉट पर निर्माण कार्य कराएंगे, परन्तु सेलडीड होने के बाद भी कोई निर्माण कार्य संभव नहीं हो सका है, क्योंकि भूमि पर भौतिक कब्जा परिवादी को प्राप्त नहीं हुआ है। जबकि परिवादी द्वारा कई बार कब्जा दिलाए जाने का अनुरोध किया गया है। विपक्षी परिवादी की परिस्थितियों का लाभ उठा रहे हैं। परिवादी बार-बार प्लॉट पर नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि उसके पैरेन्ट्स काफी बृद्ध हैं जिनकी देखरेख के कारण वह समय नहीं दे पा रहे हैं। विपक्षी ने दिनॉंक 03.06.2019 को एक विधिक नोटिस परिवादी को धमकाने की नियत से भेजा। परिवादी ने भी उत्तर स्वरूप दिनॉंक 11.06.2019 को उसके उत्तर में विपक्षी को विधिक नोटिस भेजा। उक्त नोटिस भेजने के बाद विपक्षी ने मौखिक रूप से वायदा किया कि वे जल्दी ही प्लॉट पर भौतिक कब्जा परिवादी को दे देगें। परन्तु उनके द्वारा प्लाट पर भौतिक कब्जा नहीं दिया गया। अत: परिवादी द्वारा पुन: एक विधिक नोटिस दिनॉंक 03.05.2023 को प्लॉट पर कब्जा दिलाये जाने के लिये भेजा गया।
4. विपक्षी से लगातार अनुरोध करने के उपरान्त भी उनके द्वारा परिवादी को प्लॉट पर भौतिक कब्जा नहीं दिया गया। अत: वाद का कारण सेलडीड निष्पादित करने की तिथि दिनॉंक 21.06.2013 से ही उत्पन्न होता है तथा लगातार विधिक नोटिस दिनॉंक 03.05.2023 तक निरन्तर वाद का कारण बना रहा और आज भी बना हुआ है।
5. परिवादी द्वारा अवगत कराया गया कि विपक्षी द्वारा प्लॉट की रजिस्ट्री करने के बाद कब्जा न देकर उसे निरन्तर उत्पीडि़त किया गया है। विपक्षी द्वारा अभी तक सेलडीड होने के बाद भी कब्जा न दिया जाना नि:संदेह सेवा में कमी की गयी है तथा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। ऐसी दशा में विपक्षीगण विवादित प्लॉट की कीमत 3,75,000.00 रूपये मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ आज तक दिलाये जाने हेतु जिम्मेदार है। अत: मानसिक व शारीरिक शोषण के लिये 10,00,000.00 रूपये क्षतिपूर्ति, व 1,00,000.00 रूपये वाद व्यय हेतु दिए जाने की मॉंग की गयी है।
6. परिवाद का नोटिस विपक्षीगण को भेजा गया, परन्तु विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं आया, अत: विपक्षीगण के विरूद्ध दिनॉंक 28.08.2024 को एकपक्षीय कार्यवाही अग्रसारित की गयी।
7. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य के रूप में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य के रूप में पॉवर ऑफ अटार्नी, सेलडीड, आईडी प्रूफ आदि की छायाप्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
8. आयोग द्वारा परिवादी के अधिवक्ता के तर्कों को सुना गया तथा पत्रावली का परिशीलन किया गया।
9. परिवादी का कथन है कि उसने विपक्षीगण से एक किता प्लॉट संख्या सी-51, रकबा 1125 स्क्वायर फिट का क्रय किया था जिसका मिलजुमला खसरा/गाटा संख्या 100/131 व 100/132 था जो राजस्थान के अंतर्गत जनपद जयपुर, तहसील मंजामाबाद पटवा, हल्का, महता ग्राम कल्याणसर में स्थित है। इस प्लॉट की रजिस्ट्री सब रजिस्ट्रार मंजामाबाद, जयपुर के रजि0 बुक संख्या 1 जिल्द नं0 298, पेज नं0 4 के क्रमांक 2013003746 दिनॉंक 21.06.2013 पर अंकित है।
10. परिवादी द्वारा पूरा पैसा विपक्षीगण को दिये जाने के बाद ही रजिस्ट्री की गयी थी, परन्तु प्लॉट पर आज तक परिवादी को भौतिक कब्जा नहीं दिया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को कई बार संपर्क किया गया तथा लिखित नोटिस भेजी गयी। आखिरी बार दिनॉंक 03.05.2023 को नोटिस भेजी गयी, परन्तु विपक्षीगण द्वारा प्लॉट पर न तो कब्जा दिया गया और न ही कोई उत्तर दिया गया। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्लॉट पर भौतिक कब्जा न देकर सेवा में कमी तथा अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनायी गयी है। परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति के साथ ही भौतिक कब्जा अथवा प्लाट की कीमत मय 18 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाये जाने का अनुरोध किया गया है।
11. पत्रावली के अन्तर्गत दाखिल सेलडीड का अवलोकन किया गया। सेलडीड के पृष्ठ 03 पर दोनों पक्षों के बीच यह तश्करा किया गया है कि भूखण्ड संख्या सी-51 पर संलग्न नक्शे के अनुसार जो विक्रय पत्र का अभिन्न अंग है, पर मौके पर वास्तविक कब्जा व कानूनी कब्जा प्रदान कर उसे कम्पनी के समान खातेदार मालिक व स्वामी बना दिया। विक्रय संपूर्ण हो गया। अब दोनों में से किसी पक्ष का विक्रय तोड़ने तथा विक्रय धन लौटाने का कोई किसी प्रकार का अधिकार नहीं रहा। क्रेता इस विक्रय पत्र तहत जरिए नामांतरण लैंड रेवेन्यू रिकार्ड में अपने नाम से इन्द्राज दुरूस्त करा ले।
12. सेल डीड के उक्त विवेचन में प्लॉट पर कानूनी कब्जा दिए जाने का तश्करा किया गया है। विक्रय धन लौटाने का अधिकार विपक्षी तथा पैसा वापस प्राप्त करने का अधिकार परिवादी के पास नहीं रह गया है। नामांतरण के लिये भी अधिकार दिया गया है। जहॉं तक प्लॉट पर भौतिक कब्जा दिलाए जाने का प्रश्न है उसका क्षेत्राधिकार उपभोक्ता आयोग को नहीं है। भौतिक कब्जा का आशय सेलडीड के अनुसार भूखण्ड की पैमाइश कराकर प्लॉट चिन्हित करके परिवादी को देने से है। सेलडीड में कानूनी /वास्तविक कब्जा दिए जाने की बात लिखी हुई है। यदि परिवादी द्वारा उस प्लॉट पर कब्जा नहीं किया गया है तो परिवादी की ही लापरवाही है। सेलडीड में स्पष्ट रूप से कानूनी कब्जा परिवादी के पक्ष में दिया गया है।
13. उपभोक्ता आयोग परिवादी की विपक्षीगण द्वारा सेवा में कमी व अनुचित व्यापार प्रक्रिया अपनाए जाने के प्रकरणों पर विचार कर निर्णय लेता है। प्रश्नगत प्रकरण में विपक्षीगण द्वारा विक्रय मूल्य लेकर परिवादी को प्लॉट विक्रय कर दिया तथा कानूनी कब्जा रजिस्टर्ड डीड से प्रदान कर दिया गया। उसके द्वारा सेवा में कोई कमी अथवा अनुचित व्यापार प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी है। परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता भी नहीं रह गया है। प्रश्नगत परिवाद की विषयवस्तु इस न्यायालय की क्षेत्राधिकारिता के अंतर्गत पोषणीय नहीं है। अतएव परिवाद पत्र खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
परिवादी का परिवाद खारिज किया जाता है। परिवादी यदि चाहे तो अपना परिवाद किसी सक्षम न्यायालय में योजित कर सकता है, इसके लिये वह स्वतंत्र होगा।
पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रार्थना पत्र निस्तारित किये जाते हैं।
निर्णय/आदेश की प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाए।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(कुमार राघवेन्द्र सिंह) (सोनिया सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
दिनॉंक:-27.11.2024