(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2000/2005
श्रीमती मोनिका श्रीवास्तव पत्नी डा0 राम सरन, निवासिनी 33, कसया रोड, बेतिया हाता, जिला गोरखपुर।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम्
गोरखपुर डेवलपमेंट अथारिटी, सेक्रेटरी, गोरखपुर डेवलपमेंट अथारिटी, गोरखपुर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री विशाल चौधरी, विद्वान
अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 24.02.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-325/1999, मोनिका श्रीवास्तव बनाम गोरखपुर विकास प्राधिकरण में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गोरखपुर द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.10.2005 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री विशाल चौधरी को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
2. परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादिनी द्वारा आवासीय योजना के अंतर्गत भूखण्ड प्राप्त करने के लिए अंकन 90 हजार रूपये दिनांक 30.07.1997 को जमा किए गए थे। विपक्षी द्वारा भूखण्ड संख्या-ए-70 परिवादिनी को आवंटित किया गया और कुल मूल्य का 40 प्रतिशत यानी अंकन 3,60,000/-रू0 दिनांक 07.05.1998 तक जमा करने के लिए कहा गया तथा फ्रीहोल्ड की मद में अंकन 1,08,000/-रू0 की मांग की गई, परन्तु विकास कार्य
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नहीं किए गए थे, इसलिए परिवादिनी द्वारा अपने जमा धन की मांग की गई। विपक्षी द्वारा पंजीकरण राशि का 60 प्रतिशत काटने के पश्चात केवल 36 हजार रूपये का चेक प्रदान किया गया, जबकि केवल 20 प्रतिशत की कटौती की जा सकती थी।
3. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने यह निष्कर्ष दिया कि पक्षकारों के मध्य निष्पादित करार के अनुसार निर्धारित समय में आवंटी द्वारा देय राशि का भुगतान नहीं किए जाने पर बकाया धन 24 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूला जाएगा, इसलिए ब्याज की राशि की कटौती की गई है, तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया। परिवादिनी ने सशपथ साबित किया है कि मौके पर प्राधिकरण द्वारा विकास कार्य नहीं किए गए, इसलिए अवशेष राशि जमा नहीं की गई और पंजीकरण राशि को वापस लौटाने का अनुरोध किया गया, इस स्थिति में 20 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि परिवादिनी को वापस लौटाई जानी चाहिए। तदनुसार प्रस्तुत अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
4. प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 05.10.2005 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी प्राधिकरण परिवादिनी को उसके द्वारा जमा की गई राशि में से 20 प्रतिशत की कटौती करने के पश्चात अवशेष राशि इस निर्णय की तिथि से 03 माह के अंदर अदा की जाए। यदि 03 माह में उपरोक्त आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तब परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय राशि पर 07 प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी देय होगा।
उभय पक्ष अपील का व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-3