Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/256

Dakshnanchal Vidyut Nigam Ltd - Complainant(s)

Versus

Gopi Ram - Opp.Party(s)

M N Mishra

01 Nov 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/256
( Date of Filing : 01 Feb 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Dakshnanchal Vidyut Nigam Ltd
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Gopi Ram
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Nov 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(मौखिक)                                                                                  

अपील संख्‍या:-256/2008

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0 द्वारा अधिशासी अभियंता

बनाम

श्री गोपीराम पुत्र हर चन्‍द

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री इसार हुसैन

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 01.11.2023

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील, अपीलार्थी/ विद्युत विभाग की ओर से इस आयोग के सम्‍मुख धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, दि्वतीय आगरा द्वारा परिवाद सं0-39/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 28.11.2007 के विरूद्ध योजित की गई है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवाद स्‍वीकार किया जाता है एतद् द्वारा विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि आदेश की दिनांक से 30 दिन के भीतर परिवादी के परिसरपर जाकर परिवादी का लोड चेक कर उसे परिवर्तित करें। साथ ही 1500.00 रू0 परिवाद व्‍यय का अदा करें। अवहेलना करने पर 09 प्रतिशत ब्‍याज 1500.00 रू0 पर आदेश की दिनांक से वास्‍तविक भुगतान की दिनांक तक देय होगा।''

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी  की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

 

-2-

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के परिसर में 7.5 एच0पी0 का कनेक्‍शन स्‍वीकृत था एवं विद्युत शुल्‍क 315.00 रू0 निर्धारित किया गया था। बिना स्‍वीकृति के कुछ दिन बाद से 10 एच0पी0 का भार कर दिया गया, जिसकी शिकायत की गई तो प्रत्‍यर्थी/परिवादी के नलकूप से आगे के 03 खम्‍बों के तार काट कर ले गये, जिसमें स्‍वयं प्रत्‍यर्थी/परिवादी व अन्‍य कनेक्‍शन धारकों को बिजली की समस्‍या पैदा हो गई। बिजली वोल्‍टेज कम आने के कारण 03 एच0पी0 की मोटर लगवा ली गई, जिसकी सूचना दिनांक 02.01.2007 को दे दी गई, परन्‍तु प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बिल पुराने स्‍वीकृत भार के आधार पर भेजे गये अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया।

अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत कर परिवाद पत्र के कथनों को अस्‍वीकार किया तथा यह कथन किया गया कि विद्युत बिल इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के नियमों के आधार पर लिए जाते हैं एवं बिना किसी व्‍यवधान के विद्युत सप्‍लाई दी जा रही है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा कभी भी लोड कम कराने के लिए प्रार्थना पत्र नहीं दिया गया। परिवाद वैधानिक रूप से पोषणीय नहीं है। जिला उपभोक्‍ता आयोग को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है एवं परिवाद इलेक्ट्रिसिटी एक्‍ट, 2003 के प्रावधानों से बाधित है, इसलिए निरस्‍त होने योग्‍य है।  

प्रस्‍तुत अपील विगत 15 वर्षों से लम्बित है एवं पूर्व में अनेकों तिथियों पर अधिवक्‍तागण की अनुपस्थिति के कारण स्‍थगित की जाती रही है अत्एव आज हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश व पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता अनुपस्थित है।

हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत

-3-

निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि सम्‍मत है, परन्‍तु जहॉ तक विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध वाद व्‍यय के मद में रू0 1,500.00 (एक हजार पॉच सौ रू0) की देयता निर्धारित की गई हैं, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को दृष्टिगत रखते हुए अनुचित प्रतीत हो रही है, तद्नुसार उसे समाप्‍त किया जाना उचित पाया जाता है अत्एव प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

अपीलार्थी को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि में किया जाना सुनिश्चित करें। अंतरिम आदेश यदि कोई पारित हो, तो उसे समाप्‍त किया जाता है।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

   

 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                (सुशील कुमार)            

                 अध्‍यक्ष                                         सदस्‍य                                                                                  

 

 

हरीश सिंह

वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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