राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(सुरक्षित)
अपील संख्या :2248/2015
(जिला मंच, उन्नाव द्धारा परिवाद सं0-126/2012 में पारित निर्णय/ आदेश दिनांक 28.9.2015 के विरूद्ध)
1- U.P. Power Corporation Ltd., Shakti Bhawan, Lucknow.
2- Executive Engineer, EDD II, Safipur Unnao.
3- Madhyanchal Vidyut Vitran Nigam Ltd. 4 A Gokhley Marg, through its Managing Director.
........... Appellants/Opp. Parties
Versus
Gopali aged about 72 years, S/o Gani, R/o Roori Sadik Pur, Pargana Bangermau, Tehsil Safipur, District- Unnao.
……..…. Respondent/Complainant.
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री एस0पी0 पाण्डेय
दिनांक :31/03/2017
मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद सं0-126/2012 गोपाली बनाम उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड आदि में जिला मंच, उन्नाव द्वारा दिनांक 28.9.2015 को निर्णय पारित करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया गया है:-
"परिवादी श्री गोपाली का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध इस प्रकार स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी के नलकूप में निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर ट्रान्सफारमर लगाकर परिवादी द्वारा सन्शोधित बिल का भुगतान करने पर विद्युत आपूर्ति करना सुनिश्चित करें तथा विद्युत विभाग द्वारा समय से विद्युत आपूर्ति न करने के कारण परिवादी के खेतों में सिंचाई के अभाव के कारण कृषि उपज क्षतिपूर्ति के रूप में मु0 रूपया 1,00,00.00 (एक लाख रूपया) एवं इतने
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वर्षो तक मानसिक तथा शारीरिक कष्ट हेतु 5,000.00 रूपया तथा वाद व्यय के रूप में 2,500.00 रूपया भी अदा करें। विपक्षीगण परिवादी को सन्शोधित बिल बनाते समय परिवादको देय क्षतिपूर्ति की उपरोक्त धनराशि विद्युत बिल में विपक्षीगण समायोजित कर सकते हैं।"
उक्त वर्णित आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थीगण/विपक्षीगण की ओर से वर्तमान अपील इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गई है।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री इसार हुसैन तथा प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री एस0पी0 पाण्डेय को विस्तार पूर्वक सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय व उपलब्ध अभिलेखों का अवलोकन किया गया।
प्रकरण संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने खेतों की सिंचाई के लिए ट्यूवबेल चलाने हेतु पॉच हार्स पावर की मोटर लगायी थी, जिसको चलाने के लिए परिवादी ने विपक्षी से एक विद्युत कनेक्शन लिया है, जिसको बिजली मुस्तफाबाद से रूरी सादिकपुर जाने वाली विद्युत लाइन से मिलती है एवं विद्युत विभाग द्वारा नियुक्त किये गये लाइन मैंन नाजायज पैसे की मॉग करते है और आंधी के कारण लाइन के तार टूट गये तो उसकी शिकायत की गई, परन्तु लाइन नहीं जोड़ी गई, जिससे परिवादी व अन्य काश्तकारों के ट्यूवबेल नहीं चल सके। वर्ष-2009 में पुराने तार बदलवाकर नये तार लगवाने के बाद मात्र दो दिन परिवादी व अन्य ट्यूवबेल धारक काश्तकारों को बिजली मिली, इसके बाद इकरार अहमद लाइन मैंन ने मुस्तफाबाद से लाइन काट दी और आज तक लाइन नहीं जोड़ी गयी। विपक्षीगण ने बिजली आपूर्ति हेतु ट्रान्सफारमर चन्दिका कुर्मी के खेत के पास प्रभू के खेत में रखा, जिसे विद्युत विभाग के जे0ई0 व लाइन मैंन ने तीन वर्ष पूर्व उठा ले गये और जो आज तक नहीं जोड़ा गया है। उपरोक्त के संबंध में शिकायत परिवादी व अन्य काश्तकारों ने दिनांक 02.9.2009, 23.7.2009, 08.9.2009, 11.9.2011 तथा दिनांक 22.12.2011 को सक्षम अधिकारियों, उर्जा मंत्री उ0प्र0 शासन तथा मुख्य मंत्री को की, परन्तु
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कोई कार्यवाही नहीं की गई। जिससे परिवादी व अन्य काश्तकारों की फसल पानी के अभाव में सूख गई। परिवादी को यह नुकसान बिजली विभाग की लापरवाही व सेवा में कमी के कारण हुआ है, जिसके फलस्वरूप परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध ट्यूवबेल चलाने हेतु बिजली की आपूर्ति किये जाने तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने हेतु जिला मंच के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षीगण की ओर से जिला मंच के समक्ष अपना लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद पत्र के कथन को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया और यह अभिवचित किया गया है कि परिवादी द्वारा बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया गया है, इसलिए परिवादी का परिवाद चलने योग्य नहीं है। विद्युत विभाग द्वारा दिनांक 16.6.2012 को मौके पर जॉच करने पर ज्ञात हुआ कि वर्ष-2005 में परिवादी को विद्युत की सप्लाई नहीं दी जा सकी है। परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। अत: परिवादी कोई भी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकारी नहीं है।
उभय पक्ष के अभिवचन और अभिलेखों पर विचार करते हुए जिला मंच द्वारा उपरोक्त वर्णित आदेश पारित किया गया है, जिससे क्षुब्ध होकर विपक्षीगण/अपीलार्थी पक्ष की ओर से वर्तमान अपील योजित की गई है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि जिला मंच ने साक्ष्यों व तथ्यों की अनदेखी करते हुए विधि विरूद्ध आदेश पारित किया है। विद्युत विभाग द्वारा दिनांक 16.6.2012 को मौके पर जॉच करने पर ज्ञात हुआ कि वर्ष-2005 से परिवादी को बिजली की सप्लाई नहीं मिल सकी, परिवादी की सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। जिला मंच ने अपने प्रश्नगत आदेश में बिना किसी उचित साक्ष्य के रू0 1,00,000.00 जो परिवादी को उसके खेतों में सिंचाई के अभाव के कारण क्षतिपूर्ति हेतु दिलाया है, वह बहुत अधिक है। परिवादी/प्रत्यर्थी किसी क्षतिपूर्ति को पाने का अधिकारी नहीं है, अत: अपील स्वीकार करते हुए जिला मंच का प्रश्नगत आदेश निरस्त किये जाने योग्य है।
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परिवादी/प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है जिला मंच ने साक्ष्यों तथा विधि अनुकूल आदेश पारित किया है काफी दिनों के बाद वर्ष-2009 में पुराने तार को बदल कर नई तार लाइन लगाने के मात्र दो दिन प्रत्यर्थी/परिवादी व अन्य नलकूप से काश्तकारों को बिजली मिली इसके बाद इकरार अहमद लाइनमैन ने मुस्तफाबाद से लाइन काट दी, जो आज तक नहीं जोड़ी, इसके सम्बन्ध में विभिन्न तिथियों को कई पत्रों के माध्यम से अपीलार्थी के अधिकारियों को लिखित शिकायत की गई, परन्तु शिकायत के बाद भी तार नहीं जोड़े गये। अपीलार्थी ने अपने लिखित कथन में यह स्वीकार किया है कि वर्ष-2005 से परिवादी/प्रत्यर्थी को विद्युत आपूर्ति नहीं की गई, अत: अपील निरस्त कर जिला मंच के आदेश की पुष्टि की जाये।
पत्रावली का परिशीलन यह दर्शाता है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने अपनी भूमि की सिंचाई हेतु पॉच हार्स पावर का मोटर लगाकर नलकूल के लिए कनेक्शन सं0-24454 अपीलार्थी/विपक्षी से प्राप्त किया था और आंधी के कारण लाइन के तार टूट गये थे, जिसकी शिकायत के बावजूद लाइन नहीं जोड़ी गई, जिससे विद्युत प्रवाह नहीं हो सका, इसके अलावा अपीलार्थी के अवर अभियंता श्री विजय कुमार, बांगरमऊ तहसील सफीपुर, जिला उन्नाव द्वारा यह आख्या प्रस्तुत की गयी कि दिनांक 16.6.2012 को मौके पर जॉच करने पर ज्ञात हुआ कि लगभग वर्ष-2005 से श्री वी0के0 पाण्डेय, अवर अभियंता द्वारा निजी नलकूप का ट्रान्सफार्मर बदलने हेतु उठाया गया, किन्तु पुन: लगाया नहीं जा सका, जो अपीलार्थी/विपक्षी की सेवा में कमी को दर्शाता है तथा जिला मंच ने सभी तथ्यों पर विस्तार से विचार करने के बाद विद्युत बिलों के सम्बन्ध में जो आदेश पारित किया है, वह विधि अनुकूल है तथा विद्युत विभाग द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा सक्षम अधिकारियों को प्रतिवेदन देने के बावजूद विद्युत आपूर्ति बहाल न करने के कारण परिवादी/प्रत्यर्थी के खेतों की सिंचाई के अभाव के कारण कृषि उपज को क्षतिपूर्ति हेतु मुआवजा दिलाया जाना उचित है, परन्तु जिला फोरम ने
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भी मु0 1,00,000.00 (एक लाख रूपये) रू0 दिलाया है। वह हमारी राय में अत्यधिक है। क्षतिपूर्ति की यह धनराशि रू0 25,000.00 निर्धारित करना उचित है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए जिला मंच, उन्नाव द्वारा परिवाद सं0-126/2012 गोपाली बनाम उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड आदि में पारित आदेश दिनांक 28.9.2015 को संशोधित करते हुए क्षतिपूर्ति की धनराशि 1,00,000.00 रू0 के स्थान पर 25,000.00 रू0 की जाती है। जिला फोरम के निर्णय व आदेश का शेष अंश यथावत रहेगा।
उभय पक्ष अपील में अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत जमा धनराशि 25,000.00 रू0 ब्याज सहित जिला फोरम को विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जायेगी।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (बाल कुमारी)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट सं0-1