Uttar Pradesh

StateCommission

A/2004/1081

Union Of India - Complainant(s)

Versus

Gopal Tripathi - Opp.Party(s)

P L Nigam

19 Jan 2015

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2004/1081
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Union Of India
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Gopal Tripathi
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखन

                   अपील संख्‍या- 1081/2004           (मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, कानपुर नगर,  द्वारा परिवाद संख्‍या-441/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-04-2004 के विरूद्ध)

1-यूनियन आफ इंडिया द्वारा सेक्रेटरी मिनिस्‍ट्री आफ कम्‍नीकिएशन न्‍यू दिल्‍ली।

2-भारत संचार निगम लि0 द्वारा जनरल मैनेजर, टेलीकाम, डिस्ट्रिक कानपुर नगर।

                                   ........अपीलकर्तागण/विपक्षीगण

बनाम

गोपाल त्रिपाठी पुत्र श्री एम0के0 त्रिपाठी, निवासी- 127/597, ब्‍लाक (डब्‍लू) साकेत नगर, कानपुर नगर।

                                    ............प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठा0 सदस्‍य।

2. माननीय श्री राज कमल गुप्‍ता, सदस्‍य।

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित      : कोई नहीं।

दिनांक: 27-04-2015

माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्‍य, द्वारा उदघोषित

निर्णय

     अपीलकर्ता ने यह अपील जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर नगर,  द्वारा परिवाद संख्‍या-441/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-04-2004 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है ,जिसके द्वारा जिला मंच द्वारा निम्‍न आदेश पारित किया गया: परिवादी का उपभोक्‍ता वाद स्‍वीकार किया जाता है। विपक्षी परिवादी को दिनांक 14-03-2002 को अवैध रूप से किये गये विच्‍छेदन के लिए 10,500-00 रूपये तथा 500-00 रूपये वाद व्‍यय कुल 11,000-00 रूपये क्षतिपूर्ति में निर्णय के तीन माह के अन्‍दर भुगतान करें अथवा परिवादी के आगामी बिलों में समायोजित करें।

     संक्षेप में केस के तथ्‍य इस प्रकार से है कि परिवादी ने विपक्षी से एक टेलीफोन नं0 278173 अपनी परिसर 127/597 डब्‍लू ब्‍लाक साकेतनगर  में

(2)

प्राप्‍त किया। उस पर कोई बकाया शुल्‍क नहीं था। परिवादी ने समस्‍त बिल को भुगतान किया। दिनांक 08-04-2002 व 15-04-2002 को परिवादी ने शिकायती पत्र भेजा कि उक्‍त फोन बिल भुगतान न करने के कारण काट दिया गया, जो गलत है। दिनांक 19-04-2002 को दोनों ओर से फोन काट दिया गया। परिवादी को उत्‍तर मिला कि बिल जमा न करने के कारण काट दिया गया है, जबकि परिवादी लगातार बिल जमा करता रहा है।

     जिला उपभोक्‍ता फोरम के समक्ष प्रतिवादी उपस्थित होकर अपना प्रतिवाद पत्र दाखिल किया, जिसमें कथन किया है कि परिवादी के फोन पर इस समय कोई बकाया नहीं है, परन्‍तु परिवादी का फोन बिल रूपया 2419-00 जमा न होने के कारण दिनांक 14-03-2002 को काटा गया था, दिनांक 14-03-2002 को टेलीफोन कटने के बाद बिल दिनांक14-03-2002 विभाग में जमा किया गया था, परन्‍तु पुर्नयोजन शुल्‍क 105-00 रूपये का भुगतान नहीं दिया गया। परिवादी द्वारा दिनांक 22-05-2002 को वरिष्‍ठ लेखाधिकारी से सम्‍पर्क किया एवं विशेष अधिकारियों से सम्‍पर्क करने प एवं विशेष अनुरोध पर तथा पुर्ननियोजन शुल्‍क शीघ्र जमा करने के आश्‍वासन पर परिवादी का टेलीफोन जोड़ दिया गया। परिवादी ने आज तक पुर्ननियोजन शुल्‍क जमा नहीं किया है।

     अपीलार्थी व प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रश्‍नगत अपील का अवलोकन किया गया तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश दिनांकित 23-04-2003 का अवलोकन किया गया।

     परिवादी ने यह नहीं साबित किया है कि उसे कितना नुकसान हुआ और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जो क्षतिपूर्ति दिलाया है, उसके बारे में कोई वर्णन नहीं किया गया है। अपील के आधार में कहा गया है कि टेलीफोन दिनांक 14’03-2002को विच्‍छेदित किया गया, इसका बिल दिनांक

(3)

11-01-2002 लम्बित था। परिवादी को पत्र दिनांक15-04-2002 व 19-04-3002 पुर्ननियोजन कनेक्‍शन चार्ज 105-00 जमा करने के लिए कहा गया, लेकिन परिवादी के तरफ से कोई कनेक्‍शन चार्ज  जमा नहीं किया गया। एकाउन्‍ट आफिसर ने दिनांक 22-05-2002 को कनेक्‍शन जोड़ने के लिए आदेश दिया और रीकनेक्‍शन चार्ज भी नहीं दिया गया और रीकनेक्‍शन चार्ज 105-00 रूपये बकाया है और जिला उपभोक्‍ता फोरम ने जो 10,500-00 क्षतिपूर्ति लगाया है, वह कानूनन व विधिक सिद्धान्‍ता के विपरीत है और नुकसान का कोई प्रमाण नहीं दिया गया है।

     केस के तथ्‍यों परिस्थितियों को देखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम के निर्णय/आदेश को देखते हुए हम यह पाते है कि जो 11,000-00 रूपये की क्षतिपूर्ति व वाद व्‍यय परिवादी को दिलाया गया है, वह केस के तथ्‍यों परिस्थितियों में उचित नहीं है, उसका उचित आंकलन नहीं किया गया है और हम यह पाते है कि जिला उपभोक्‍ता फोरम का निर्णय/आदेश दिनांकित 23-04-2003 विधि सम्‍मत् नहीं है, निरस्‍त होने योग्‍य है तथा अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

     अपीलकर्ता की अपील स्‍वीकार की जाती है तथा जिला उपभोक्‍ता फोरम कानपुर नगर,द्वारा परिवाद संख्‍या-441/2002 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 23-04-2004 को निरस्‍त किया जाता है।

     उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वयं वहन करें।

 

 (राम चरन चौधरी)                              (राजकमल गुप्‍ता) 

  पीठासीन सदस्‍य                                  सदस्‍य

आर.सी. वर्मा, आशु. कोर्ट नं0-5

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. Ram Charan Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'BLE MR. Raj Kamal Gupta]
MEMBER

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