Uttar Pradesh

StateCommission

A/336/2022

Dinesh Chaurasiya - Complainant(s)

Versus

Gopal Singh - Opp.Party(s)

Paras Nath Tiwari

26 Jul 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/336/2022
( Date of Filing : 05 May 2022 )
(Arisen out of Order Dated 24/08/2021 in Case No. CC/07/2015 of District Azamgarh)
 
1. Dinesh Chaurasiya
Azamgarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Gopal Singh
Jaunpur
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 26 Jul 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

 

अपील संख्‍या :336/2022

 

दिनेश चौरसिया  उम्र 54 वर्ष पुत्र श्री पुदई निवासी मौजा बनगॉंव पोस्‍ट बनगॉंव तहसील फूलपुर वर्तमान तहसील मार्टीनगंज जिला आजमगढ़।अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

  1. गोपाल सिंह उम्र 62 वर्ष पुत्र मुनावर सिंह प्रोपराइटर अवधेश सीमेन्‍ट इण्‍डस्‍ट्रीज ग्राम सिधवन पोस्‍ट रामपुर तहसील मडि़याहूं  जिला जौनपुर, उ0प्र0।
  2. चन्‍नी सिंह उम्र 33 वर्ष पुत्र गोपाल सिंह, निवासी ग्राम- सिधवन पोस्‍ट रामपुर तहसील मडि़याहूं जिला जौनपुर, उ0प्र0।
  3.  

समक्ष  :-

  1. मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार,     अध्‍यक्ष।
  2. मा0 श्री सुशील कुमार,                  सदस्‍य  

     उपस्थिति :

     अपीलार्थी की ओर से उपस्थित-      श्री पारस नाथ तिवारी।

     प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-        कोई नहीं। 

 

     दिनांक :26-07-2022

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय

 

     परिवाद संख्‍या-07/2015 दिनेश चौरसिया बनाम गोपाल सिंह आदि में जिला उपभोक्‍ता आयोग, आजमगढ़ द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनां‍क 24-08-2021 के विरूद्ध यह अपील उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है:-

 

 

 

-2-

     आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला आयोग ने परिवाद    खारिज करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

     ‘’पत्रावली प्रस्‍तुत। पुकारा करायी गयी। उभयपक्षकार अनुपस्थित हैं। पत्रावली का अवलोकन किया गया। विगत कई तिथियों से पक्षकार उपस्थित नहीं हो रहे हैं तथा परिवादी द्वारा आदेश दिनांक 12-04-2017 के अनुपालन में अभी तक पैरवी नहीं की गयी है ऐसी स्थिति में परिवाद खारिज किया जाना उचित प्रतीत होता है। अत: परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।‘’

     विद्धान जिला आयोग के निर्णय एवं आदेश से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के परिवादी की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की गयी है।

     अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपने मकान पर तीसरी मंजिल बनवाने हेतु विपक्षीगण से सम्‍पर्क किया जिस पर उनके द्वारा बताया गया कि उनका जे0पी0 सीमेण्‍ट के उत्‍पादकगण से संबंध है अत: उनको उचित रेट पर सीमेन्‍ट दी जावेगी अत: विपक्षी की बात पर विश्‍वास करते हुए परिवादी ने विपक्षी से 200 बोरी जे0पी0 गोल्‍ड सीमेन्‍ट क्रय किया और समस्‍त भुगतान चार्जेंज सहित विपक्षीगण को कर दिया जब परिवादी के मकान की तीसरी मंजिल की छत डाली गयी और जब 15 दिन बाद छत खुलवायी गयी तो उपरोक्‍त छत सीमेन्‍ट की गड़बड़ी के कारण गिर गयी और छत गिरने से नीचे बनी दोनों मंजिलों की दीवारों में भी दरारें आ गयी जिससे परिवादी को काफी नुकसार हुआ जिसकी शिकायत परिवादी ने विपक्षी से की और कहा कि आपने कौन सी/कैसी जे0 पी0 गोल्‍ड

 

 

-3-

नामक सीमेन्‍ट दी है जो कि 15 दिन बाद छत खोलते ही गिर गयी जिस कारण परिवादी का बहुत नुकसान हुआ है, जिस पर विपक्षीगण ने कोई ध्‍यान

नहीं दिया जो कि विपक्षी के स्‍तर से सेवा में कमी है। अत: विवश होकर परिवादी ने यह परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है।

     विपक्षीगण की ओर से अपना जवाब दावा प्रस्‍तुत किया गया जिसमें  विपक्षी संख्‍या-1 मे0 अवधेश सीमेण्‍ट इण्‍डस्‍ट्रीज का प्रोपराइटर होना स्‍वीकार किया गया और कथन किया गया कि वह ग्राम सिधवन पोस्‍ट रामपुर जिला जौनपुर के एकमात्र मालिक व प्रोपराइटर हैं तथा अपनी जीविकोपार्जन के लिए सतना, ए0सी0सी0 नाम से सीमेण्‍ट विक्रय का कार्य करते हैं जिसके लिए उसे लाईसेंस आदि प्राप्‍त है और समस्‍त नियमों का अनुपालन करते हुए सवर्था शुद्ध कच्‍च माल का इस्‍तेमाल करते हुए काफी उच्‍च गुणवत्‍ता की सतना, ए0सी0सी0 नाम से सीमेण्‍ट का उत्‍पादन करते हैं जिसके संबंध में कभी किसी ग्राहक या उपभोक्‍ता  ने किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की है, विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा ग्राम सिधवन पोस्‍ट रामपुर जिला जौनपुर स्थिति अपनी फैक्‍टरी से सीधे ग्राहकों को सतना व ए0सी0सी0 नामक सीमेण्‍ट की बिक्री की जाती हैं तथा विपक्षी संख्‍या-1 ने जनपद आजमगढ़ या अन्‍यत्र कहीं भी अपनी कोई शाखा या व्‍यवसायिक केन्‍द्र या गोदमा आदि नहीं बनाया है। विपक्षी संख्‍या-1 केवल अपनी फैक्‍टरी से सीमेण्‍ट की आपूर्ति करते हैं तथा ग्राहक या व्‍यापारी स्‍वयं अपने साधनों से सीमेण्‍ट को अपने गन्‍तव्‍य तक ले जाते हैं। विपक्षी संख्‍या-2 के संबंध में परिवादी ने कोई कथन नहीं किया है व उसके द्वारा वर्णित कथित सीमेण्‍ट की बिक्री में विपक्षी संख्‍या-2 की भागीदारी ही स्‍पष्‍ट की गयी है परन्‍तु अनुतोष दोनों ही विपक्षीगण के विरूद्ध चाहा गया

 

 

-4-

है जिसके कारण वर्तमान परिवाद पोषणीय नहीं है। इसके साथ ही यह भी कथन किया गया कि ट्रक डाइवर श्री ज्ञानेन्‍द्र यादव पुत्र श्री बाबूराम यादव निवासी ग्राम चितरा महमूदपुर जिला आजमगढ़ को वह नहीं जानते हैं न ही दिनांक 28-09-2015 को उनकी फैक्‍टरी से कोई भी सीमेण्‍ट परिवादी या अन्‍य किसी भी व्‍यक्ति को बेंची गयी है।  परिवादी ने बदनीयती एवं गलत बयानी के आधार पर विपक्षी की साख को खराब करने की नियत से यह परिवाद जिला आयोग के समक्ष योजित किया है जो पोषणीय नहीं है।

     अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता श्री पारस नाथ तिवारी उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

     हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों एवं जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया।

     पत्रावली के परिशीलन से यह ज्ञात होता है कि विद्धान जिला आयोग ने परिवाद उभयपक्ष की अनुपस्थिति एवं आदेश दिनांक 12-09-2017 के अनुपालन में पैरवी के अभाव में परिवाद खारिज कर दिया है।   परिवादी ने मे0 अवधेश सीमेण्‍ट इण्‍डस्‍ट्रीज से सीमेण्‍ट खरीदे जाने की रसीद दाखिल की गयी, जिसमें सीमेण्‍ट का नाम जे0पी0 गोल्‍ड अंकित है तथा 200 बोरी सीमेण्‍ट बेचा जाना अंकित है जिसका रेट 260/-रू0 प्रति बोरी भी अंकित किया गया है और उस पर अधिकृत सिग्‍नेचरी के हस्‍ताक्षर भी अंकित है किन्‍तु दाखिल रसीद पर सीमेण्‍ट कम्‍पनी की कोई मोहर अंकित नहीं है साथ ही छत गिरने की छायाप्रतियॉं भी दाखिल की गयी हैं।

     हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क सुने गये तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों का परिशीलन किया गया तथा यह पाया गया कि

 

-5-

विपक्षी द्वारा अपने लिखित कथन में इस तथ्‍य का स्‍पष्‍ट रूप से उल्‍लेख किया गया है कि य‍द्धपि विपक्षी संख्‍या-1 अवधेश सीमेन्‍ट इण्‍डस्‍ट्रीज का मालिक है तथा विपक्षी संख्‍या-2 का उपरोक्‍त अवधेश सीमेन्‍ट से कोई व्‍यापारिक वास्‍ता नहीं है तथा यह कि यद्धपि विपक्षी संख्‍या-1 द्वारा नियमानुसार सतना व ए0सी0सी0 सीमेन्‍ट का व्‍यापार किया जाता है न कि जे0पी0 गोल्‍ड सीमेन्‍ट का, जो प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा खरीदा जाना कहा गया है। यह भी कथन किया गया कि परिवादी द्वारा जो टैक्‍स इन्‍वाइस प्रस्‍तुत अपील में संलग्नित की गयी है वह अविवादित है तथा यह कि चित्र अपील पत्रावली में क्षतिग्रस्‍त छत के प्रस्‍तुत किये गये हैं उनके अवलोकन से किसी प्रकार का कोई तथ्‍य प्रथमदृष्‍टया सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि वह यह चित्र किस स्‍थल एवं किस जगह के हैं तथा उनके अवलोकन से क्‍या निष्‍कर्ष निकलता है। परिवाद जिला आयोग द्वारा ऊपरलिखित आदेश के अनुसार एकपक्षीय रूप से इस तथ्‍य को इंगित करते हुए निरस्‍त किया गया है कि परिवादी को अनेकों अवसर पैरवी हेतु प्रदान किये जाने के उपरांत भी परिवादी द्वारा आदेश दिनांक 12-09-2017 का अनुपालन 04 वर्ष की अवधि व्‍यतीत होने के उपरान्‍त भी नहीं किया गया।

     उपरोक्‍त तथ्‍य स्‍वयं में यह स्‍पष्‍ट करता है कि परिवादी द्वारा परिवाद प्रस्‍तुत करने का मुख्‍य कारण विपक्षी को उत्‍पीडि़त करना एवं उसकी साख को खराब करना है। यह तथ्‍य भी हमारे द्वारा अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता से ज्ञात किये जाने का प्रयास किया गया कि क्‍या उपरोक्‍त दुर्घटना के संबंध में किसी शासकीय विभाग को सूचित किया गया है, उक्‍त के उत्‍तर में अपीलार्थी/परिवादी के विद्धान अधिवक्‍ता द्वारा मात्र समय प्रदान किये जाने की प्रार्थना की गयी जो हमारे विचार से पूर्णतया अनुचित है। तदनुसार

 

-6-

समस्‍त तथ्‍यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है तथा परिवादी पर रू0 10,000/- हर्जाना भी योजित किया जाता है जो अपीलार्थी/परिवादी द्वारा जिला आयोग, आजमगढ़  के सम्‍मुख इस निर्णय से  एक माह की अवधि में जमा की जावेगी और जिला आयोग द्वारा उपरोक्‍त हर्जाना की धनराशि को विधि अनुसार दो माह की अवधि में नारी निकेतन, आजमगढ़ के पक्ष में हस्‍तान्‍तरित किया जावेगा।   

     अपील में उभयपक्ष अपना-अपना वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

     आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

 

 ( न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार )                     (सुशील कुमार)

    अध्‍यक्ष                                  सदस्‍य

 

 

 

 

प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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