सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-312/2009
(जिला मंच, गोण्डा द्वारा परिवाद संख्या-65/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2009 के विरूद्ध)
यूनियन आफ इण्डिया, द्वारा जनरल मैनेजर, एन.ई. रेलवे, गोरखपुर, स्टेशन मास्टर गोण्डा, रेलवे जंक्शन, असिस्टेण्ट स्टेशन मास्टर, श्री राकेश चन्द्र त्यागी एवं श्री सैय्यद अबरार अली।
अपीलार्थीगण/विपक्षीगण
बनाम
गोपाल कृष्ण शुक्ल पुत्र पण्डित शांति शुक्ल, निवासी निकट दुखहरन नाथ मंदिर, सिटी एण्ड डिस्ट्रिक्ट गोण्डा।
प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. माननीय श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य।
अपीलार्थीगण की ओर से : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से : कोई नहीं।
दिनांक : 31.12.2019
मा0 श्री उदय शंकर अवस्थी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला मंच, गोण्डा द्वारा परिवाद संख्या-65/2008 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2009 के विरूद्ध योजित की गयी है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी के कथनानुसार परिवादी ने दिनांक 29.03.2008 को रेलवे स्टेशन गोण्डा जंक्शन के आरक्षण कक्ष से अपने पुत्र मनीष शुक्ल एवं पुत्री श्रीमती शोभा शुक्ला, के नाम से गाड़ी संख्या-4511, नौचंदी एक्सप्रेस में लखनऊ से मुजफ्फर नगर तक की यात्रा हेतु द्वितीय श्रेणी वातानुकूलित कम्पार्टमेंट में दो सीटों का आरक्षण कराया था, जिनका पीएनआर संख्या-214-7270227 था। परिवादी के पुत्र एवं पुत्री को दिनांक 31.03.2008 को सांय लगभग 7.00 बजे ट्रेन संख्या-2555 गोरखपुर एक्सप्रेस से 7 बजे शाम को गोण्डा स्टेशन से लखनऊ जाकर नौचंदी एक्सप्रेस पकड़ना था, जब परिवादी और उसके पुत्र एवं पुत्री गोण्डा रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो ज्ञात हुआ कि गोरखपुर एक्सप्रेस विलम्बित है और रात्रि 8 बजकर 45 मिनट हो गया तब परिवादी ने पूछताछ कार्यालय से ट्रेन के विलम्बित होने के विषय में जानकारी चाही तो बताया गया कि खलीलाबाद रेलवे स्टेशन पर कुछ घटना हो गयी है, जिस कारण सभी गाडि़यां कुछ विलम्ब से आएंगी। नौचंदी एक्सप्रेस 11 बजकर 15 मिनट पर लखनऊ से प्रस्थान करती है, उस गाड़ी को पकड़कर यात्रा करना संभव नहीं रह गया था तब परिवादी ने परिवाद के विपक्षी संख्या-3, श्री अबरार अली, एन.ई. जो बुकिंग काउण्टर संख्या-6 रेलवे स्टेशन, गोण्डा में कार्यरत थे, उनसे सम्पर्क किया। उन्होंने बताया कि टिकट पर स्टेशन अधीक्षक से अनुमति लिखवाकर ले आओ तभी टिकट वापस होगा। परिवादी स्टेशन अधीक्षक के कार्यालय में गया तो स्टेशन अधीक्षक का कार्यभार उस समय विपक्षी संख्या-1 के पास था। परिवादी ए.एस.एम. कार्यालय गया तथा विपक्षी संख्या-1 से सम्पर्क करके टिकट निरस्त करवाकर धनराशि वापस लेने की बात कही। विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी से प्रार्थना पत्र लेकर आने को कहा। परिवादी जब पुन: विपक्षी संख्या-1 के पास गया तो वह क्रोधित हो गया तथा परिवादी का प्रार्थना पत्र तथा टिकट अपनी मेज से फेंक दिया एवं प्रार्थना पत्र पर कुछ लिखने से इंकार कर दिया। अत: टिकट की धनराशि एवं क्षतिपूर्ति के भुगतान हेतु परिवाद जिला मंच के समक्ष योजित किया गया।
अपीलकर्तागण/विपक्षीगण के कथनानुसार आरक्षित टिकट की धनराशि के संबंध में परिवाद उपभोक्ता मंच में पोषणीय नहीं है, इसका क्षेत्राधिकार रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा 13, 15 व 18 के अन्तर्गत रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल को है, उपभोक्ता मंच को नहीं।
जिला मंच ने प्रश्नगत निर्णय द्वारा परिवाद के विपक्षी संख्या-1, 2 व 4 के विरूद्ध परिवाद स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या-1, 2 व 4 को निर्देशित किया कि वह परिवादी को आरक्षित टिकट का मूल्य 1,750/- रूपये तथा इस धनराशि पर दिनांक 01.04.2008 से भुगतान की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज अदा करें एवं साथ ही क्षतिपूर्ति के रूप में 10,000/- रूपये एवं वाद व्यय के रूप में 1,000/- रूपये भुगतान करने हेतु आदेशित किया।
इस निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर यह अपील योजित की गयी है।
हमने अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता श्री एम0एच0 खान के तर्क सुने। प्रत्यर्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत करने हेतु कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलकर्तागण के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा 13(1)(b) में यह प्रावधान किया गया है कि रेलवे के किराये की वापसी हेतु योजित दावे की सुनवाई का क्षेत्राधिकार रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल को होगा। धारा 15 के अन्तर्गत किसी अन्य न्यायालय अथवा अथारिटी को ऐसे विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार नहीं होगा।
प्रस्तुत प्रकारण में विवाद मुख्य रूप से परिवादी तथा उसके परिवाद द्वारा क्रय किये गये टिकट के मूल्य वापसी का है, जिसकी सुनवाई का क्षेत्राधिकार उपभोक्ता मंच को प्राप्त नहीं है, बल्कि रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल को प्राप्त है। अत: प्रश्नगत निर्णय क्षेत्राधिकार के अभाव में पारित होने के कारण अपास्त होने एवं परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है। अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाती है। प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 22.01.2009 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद निरस्त किया जाता है।
उभय पक्ष प्रस्तुत अपील का व्यय-भार स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय एवं आदेश की सत्यप्रतिलिपि नियमानुसार उपलब्ध करा दी जाये।
(उदय शंकर अवस्थी) (गोवर्द्धन यादव)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2