न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, चन्दौली।
परिवाद संख्या 32 सन् 2012ई0
सुषमा देवी पत्नी स्व0ओमप्रकाश सिंह ग्राम दरियापुर पो0 बथावर जिला चन्दौली।
...........परिवादी बनाम
1-मण्डलीय प्रबन्धक, गोल्डेन मल्टी सर्विस क्लब लि0 एस0पी0 मैन्सियन 16 आर एन मुखर्जी रोड कोलकाता 700001
2-प्रबन्धक नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 नई बस्ती मुगलसराय जिला चन्दौली।
3-वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 मण्डलीय कार्यालय द्वितीय तल गोरख बिल्डिग लहुराबीर वाराणसी।
.............................विपक्षीगण
उपस्थितिः-
माननीय श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
माननीया श्रीमती मुन्नी देवी मौर्या सदस्या
माननीय श्री मारकण्डेय सिंह, सदस्य
द्वारा श्री जगदीश्वर सिंह, अध्यक्ष
निर्णय
1- परिवादिनी द्वारा यह परिवाद जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के तहत विपक्षीगण से बीमा धनराशि मु0 1,00000/- शारीरिक,मानसिक क्षति हेतु मु0 50000/- एवं भागदौड एवं वाद खर्च हेतु मु0 10000/-कुल मु0 1,60,000/-दिलाये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
2- परिवाद में परिवादिनी की ओर से संक्षेप में कथन किया गया है कि उसके पति स्व0 ओमप्रकाश सिंह ने विपक्षी संख्या 1 गोल्डेन मल्टी सर्विससेज से जे0पी0एफ0 के तहत मु0 100000/- का बीमा कराया था, जो पालिसी संख्या 100300/42/04/8200012 है। जिसका बीमा दिनांक 23-11-2004 से 22-11-2014 तक वैध व प्रभावी था। प्रश्नगत बीमा में शर्त यह था कि बीमा की अवधि के अन्र्तगत किसी दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर मृतक के परिवार को मु0 1,00000/- का जनता व्यक्तिगत दुर्घटना का लाभ दिया जायेगा। परिवादिनी के पति ओमप्रकाश की मृत्यु दिनांक 17-12-2009 को थाना सकलडीहा जिला चन्दौली के पास वाहन दुर्घटना में हो गयी उनके शव का पंचनामा तथा अन्तय परीक्षण कराया गया। तत्पश्चात परिवादिनी ने जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पालिसी योजना के तहत बीमित राशि प्राप्त करने हेतु सभी अभिलेखों के साथ दिनांक 11-5-2010 को विपक्षी संख्या 1 व 2 के कार्यालय में जाकर अपने पति के मृत्यु की सूचना दिया। उसके बाद विपक्षी संख्या 1 के कार्यालय से दिनांक 24-5-2010 को परिवादिनी को पत्र प्राप्त हुआ कि परिवादिनी मूल पालिसी,मृत्यु प्रमाण पत्र, प्रथम सूचना रिर्पोट,फाइनल रिर्पोट व पोस्टमार्टम रिर्पोट की प्रति विपक्षी को उपलब्ध करावे। परिवादिनी ने विपक्षी द्वारा मांग किये गये उपरोक्त रिर्पोट की प्रतियाॅं दिनांक 27-12-11 को रजिस्टर्ड डाक से उपलब्ध करा दिया। विपक्षीगण परिवादिनी के दावा के भुगतान हेतु आश्वासन देते रहे किन्तु 2 वर्ष व्यतीत होने के बावजूद भुगतान नहीं किये। इस आधार पर परिवादिनी द्वारा परिवाद प्रस्तुत करते हुए उपरोक्त धनराशि दिलाये जाने की प्रार्थना की है।
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3- सभी विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी जिसे उन्होंने प्राप्त किया। तद्नुसार तीनों विपक्षीगण पर नोटिस का तामिला पर्याप्त है। विपक्षी संख्या 2 व 3 न तो उपस्थित हुए और न ही उनकी ओर से कोई जबाबदावा दाखिल किया गया। इसलिए उनके विरूद्ध यह मुकदमा एक पक्षीय सुना गया।
4- विपक्षी संख्या 1 की ओर से जबाबदावा कागज संख्या 8/1 प्रस्तुत करके यह कथन किया गया है कि विपक्षी संख्या 1 एवं नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 विपक्षी संख्या 2 व 3 के बीच एक मेमोरेण्डम आफ अण्डर स्टेन्डिग (एम.ओ.यू.) निष्पादित हुआ था जिसकी छायाप्रति कागज संख्या 9/12 ता 9/28 बतौर संलग्नक-1 दाखिल किया गया है इसके अन्र्तगत बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 2-4-04 से लागू की जा रही जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पालिसी को प्रभावी ढंग से लागू किये जाने का उत्तरदायित्व विपक्षी संख्या 1 को दिया गया था। जनता व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा पालिसी बीमा कम्पनी की ओर से विपक्षी संख्या 1 द्वारा बीमा कराने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता था और बीमा प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता था। इसी प्रमाण पत्र के अन्र्तगत विपक्षी संख्या 1 ने परिवादिनी के पति स्व0 ओम प्रकाश सिंह को बीमा प्रमाण पत्र विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जारी किया था। बीमा पालिसी का नम्बर 100300/42/04/8200012 तथा इन्डोसमेन्ट नम्बर 100300/42/04/82/30129 था। यह बीमा पालिसी मु0 1,00000/- की थी,तथा दिनांक 23-11-04 से 22-11-2014 तक प्रभावी थी। बीमा प्रमाण पत्र की छायाप्रति जबाबदावा के साथ बतौर संलग्नक-2 दाखिल किया गया है। जबाबदावा में आगे कथन किया गया है कि बीमाधारक ओम प्रकाश सिंह की दिनांक 17-12-09 को दुर्घटना में मृत्यु होने का तथ्य फोरम के समक्ष दाखिल पुलिस रिर्पोट एवं पोस्टमार्टम रिर्पोट से स्पष्ट होता है। स्व0 ओम प्रकाश सिंह की मृत्यु के बाद उपरोक्त बीमा पालिसी के अन्र्तगत परिवादिनी का दावा दिनांक 8-5-2010 को प्राप्त हुआ। जिसको पत्र दिनांक 10-5-2010 के माध्यम से बीमा कर्ता नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 को भेज दिया गया इसके उपरान्त आवश्यक प्रलेख दिनांक 20-5-2010 को बीमा कर्ता उपरोक्त बीमा कम्पनी को भेज दिया गया जिसको बतौर संलग्नक-9/3 व 9/44 जबाबदावा के साथ प्रस्तुत किया गया है। बीमा दावा के साथ अन्तिम पुलिस प्रपत्र की सत्यापित प्रति,चार्जशीट की प्रमाणित छायाप्रति,मूल बीमा प्रमाण प्रपत्र व अन्य सभी अभिलेख भेज दिये गये थे जो बतौर संलग्नक 9/5 व 9/6 दाखिल किये गये है। उपरोक्त आधार पर विपक्षी संख्या 1 ने अपने जबाबदावा में कथन किया है कि बीमा दावा के भुगतान की जिम्मेदारी विपक्षी नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 के ऊपर है। विपक्षी संख्या 1 ने मात्र एजेण्ट के रूप में कार्य किया है उसका कोई उत्तरदायित्व नहीं है।
5- जबाबदावा दाखिल करने के बाद विपक्षी संख्या 1 की ओर से अग्रेतर कार्यवाही में कोई हाजिर नहीं हुए इसलिए बादहू मुकदमा इनके विरूद्ध भी एक पक्षीय सुना गया।
6- परिवादिनी की ओर से अपने कथन को साबित करने के लिए फेहरिस्त के साथ साक्ष्य के रूप में प्रथम सूचना रिर्पोट की छायाप्रति कागज संख्या
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4/1,पोस्टमार्टम रिर्पोट की प्रति 4/2,गोल्डेन मल्टी सर्विस का पत्र 4/3ता 4/4,नोटिस की प्रति कागज संख्या 4/10,रजिस्ट्री रसीद की प्रति 4/11दाखिल किया गया है। परिवादिनी की ओर से एक दूसरी सूची से बीमा पालिसी की प्रति कागज संख्या 15/2दाखिल किया गया है।
7- हम लोगों ने परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को भलीभांति सुना, तथा विपक्षी संख्या 2 की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा एवं उसके साथ संलग्न छायाप्रतियों तथा परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों का गम्भीरतापूर्वक परिशीलन किया है।
8- परिवाद पत्र तथा विपक्षी संख्या 1 की ओर से प्रस्तुत जबाबदावा एवं उसके साथ संलग्न प्रलेखों से यह तथ्य प्रमाणित है कि बीमाकर्ता नेशनल इश्योरेंस कम्पनी लि0 ने दिनांक 2-4-2004 से जनता व्यक्तिगत दुर्घटना पालिसी शुरू किया था इस पालिसी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उसने जिम्मेदारी विपक्षी नं0 1गोल्डेन मल्टी सर्विस क्लब लि0 को दिया था। इस संदर्भ में इन दोनों के बीच एम0ओ0यू0 निष्पादित हुआ था। जबाबदावा के साथ प्रस्तुत उक्त एम0ओ0यू0 की छायाप्रति के परिशीलन से पाया जाता है कि बीमा कम्पनी की ओर से चालू की गयी उपरोक्त पालिसी के लिए विपक्षी संख्या 1 को बतौर एजेण्ट नियुक्त किया गया था तथा बीमा कराने वाले व्यक्तियों को बीमा कम्पनी की ओर से बीमा प्रमाण पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया था। इसी आधार पर विपक्षी संख्या 1 ने परिवादी के पति स्व0 ओम प्रकाश सिंह का बीमा उक्त विपक्षी बीमा कम्पनी की ओर से जारी जनता व्यक्तिगत दुर्घटना पालिसी के अन्र्तगत किया गया था और बीमा प्रमाण पत्र जारी किया गया था जो मु0 1,00000/- का था। बीमा की अवधि दिनांक 23-11-04 से 22-11-2014 तक थी बीमा पालिसी की छायाप्रति भी पत्रावली में उपलब्ध है जिसके परिशीलन से पाया जाता है कि बीमा की अवधि में बीमाधारक की मृत्यु किसी दुर्घटना में हो जाने पर बीमाधारक के परिवार को मु0 1,00000/-बीमा राशि प्रदान करने का उत्तरदायित्व बीमा कम्पनी के ऊपर था।
9- पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों से यह तथ्य भी स्पष्ट है कि दिनांक 17-12-09 को ग्राम ताजपुर हरिजन बस्ती के पास थाना सकलडीहा चन्दौली में बीमाधारक की मोटर दुर्घटना में संघातक चोटे आई तथा उसकी मृत्यु हो गयी। इस संदर्भ में मुकदमा अपराध संख्या 215/09 धारा 279,304ए भा0द0वि0 तथा धारा 184 मोटर वाहन अधिनियम के अन्र्तगत दुर्घटना कारित करने वाले वाहन चालक के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत हुआ। मृतक ओम प्रकाश सिंह का पंचायतनामा तथा अन्तय परीक्षण पुलिस द्वारा कराया गया। अन्तय परीक्षण की रिर्पोट पत्रावली में दाखिल की गयी है इसके परिशीलन से पाया जाता है कि मोटर दुर्घटना में आई चोटों के कारण ओम प्रकाश सिंह की मृत्यु हुई। तद्नुसार बीमाधारक की मोटर दुर्घटना में मृत्यु होने का तथ्य सिद्ध है।
10- विपक्षी संख्या 1 द्वारा प्रस्तुत जबाबदावा के कथनों से एवं उसके साथ संलग्न प्रलेखों से यह तथ्य भी सिद्ध है कि बीमाधारक की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी सुषमा देबी परिवादिनी द्वारा बीमा कम्पनी के एजेण्ट विपक्षी संख्या 1 को मृत्यु की
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सूचना दी गयी तथा बीमा पालिसी के अन्र्तगत बीमा धनराशि का दावा प्रस्तुत किया गया। यह तथ्य भी प्रमाणित है कि विपक्षी संख्या 1 ने उपरोक्त बीमा दावा के सभी आवश्यक प्रलेखों यथा मूल बीमा पालिसी,प्रथम सूचना रिर्पोट व पोस्टमार्टम रिर्पोट की छायाप्रति,मूल मृत्यु प्रमाण पत्र, पंचायतनामा, बैंक पासबुक,कुटुम्ब रजिस्टर आदि की प्रमाणित प्रति के साथ भुगतान हेतु पत्र दिनांक मई 24 सन् 2010 द्वारा बीमा कम्पनी को प्रेषित कर दिया था लेकिन बीमा कम्पनी द्वारा मृत्यु दावा पर क्या कार्यवाही की गयी इसका न तो परिवादिनी को कोई सूचना दी गयी और न ही परिवाद की नोटिस प्राप्त करने के बावजूद जिला फोरम को इस बारे में तथ्य से अवगत कराया गया है। उपरोक्त से पाया जाता है कि विपक्षी बीमा कम्पनी ने परिवादिनी के दावे पर विचार अथवा बीमा धनराशि का भुगतान न करके सेवा में गम्भीर कमी किया है। अतः परिवादिनी विपक्षी बीमा कम्पनी से उपरोक्त बीमा पालिसी के अन्र्तगत बीमा धनराशि मु0 1,00000/-व उचित हर्जा, वाद व्यय प्राप्त करने की अधिकारिणी है। तद्नुसार परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत परिवाद स्वीकार किया जाता है विपक्षी बीमा कम्पनी को आदेश दिया जाता है कि इस निर्णय की तिथि से 2 माह के अन्दर वह परिवादिनी को बीमा धनराशि मु0 1,00000/-(एक लाख) तथा शारीरिक मानसिक परेशानी के संदर्भ में हर्जा मु0 10000/-(दस हजार)एवं वाद व्यय मु0 5,000/-(पांच हजार) कुल मु0 115,000/-(एक लाख पन्द्रह हजार) तथा इस पर दावा प्रस्तुतीकरण की तिथि से आइन्दा भुगतान की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक दर से व्याज अदा करें।
(मारकण्डेय सिंह) (मुन्नी देबी मौर्या) (जगदीश्वर सिंह)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांक 06-4-2015