न्यायालय जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ
परिवाद संख्या-879/2013
संतोष कुमार शर्मा -परिवादी
बनाम
प्रबंधक गोल्डरश सेल्स एण्ड सर्विसेज लि0 -विपक्षीगण
समक्ष
श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
श्री गोवर्द्धन यादव, सदस्य
श्रीमती गीता यादव, सदस्य
द्वारा श्री संजीव शिरोमणि, अध्यक्ष
निर्णय
परिवाद अन्तर्गत धारा-12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986
परिवाद पत्र के अनुसार, परिवादी का कथन, संक्षेप में, यह है कि उसने अपने परिवार के व्यक्तिगत उपयोग के लिये टाटा कंपनी की गाड़ी टाटा नैनो सी एक्स माडल हेतु रू0 10,000/-देकर बुक करायी। विपक्षी ने गाड़ी की कीमत रू01,67,607/-बतायी थी । विपक्षी ने गाड़ी की कुल कीमत से रू0 46000/-अधिक बतायी और कहा कि यह फाइनेंन्स चार्ज है आपको देना होगा। विपक्षी ने परिवादी को यह बात पहले नहीं बतायी थी। दि0 20.4.12 को परिवादी के वाहन का रजिस्ट्रेशन व बीमा नाम परिवर्तित करने के लिये भी एक हजार
रु0 अधिक दिये । परिवादी ने जब दि0 28.4.12 को सर्विसिंग करायी तो उसे पता चला कि उसका वाहन किसी प्रयास श्रीवास्तव के नाम से है, जिसे देखकर परिवादी हैरान रह गया और उसने इसकी शिकायत विपक्षी से किया। विपक्षी ने बताया कि ऐसा सिर्फ इसलिये है कि यह गाड़ी पूर्व में श्री प्रयास श्रीवास्तव ने बुक करायी थी लेकिन डिलीवरी नहीं ली, जिस कारण उनका नाम रह गया था। दि0 8.5.12 को परिवादी अपने व्यक्तिगत कार्य से सोनभद्र गया था वहाॅ पर परिवादी की गाड़ी में इंजन चेक का इंडिकेटर जलने लगा और गाड़ी ने लोड लेना बंद कर दिया । परिवादी ने विपक्षी द्वारा उपलब्ध करायी गयी इमरजेंन्सी ब्रेकडाउन सेवा लेने के लिये फोन किया लेकिन परिणाम शून्य। तब परिवादी ने लखनऊ स्थित शोरुम पर बात की तो बताया गया कि कोई मदद यहाॅ से नहीं की जा सकती है। तब परिवादी किसी तरह से अपनी गाड़ी भ्ज्ञठज्ञ डवजवते च्अज स्जकण् जो अधिकृत सर्विस सेंटर है ले गया और वहाॅ भी परिवादी को स्वयं ंभुगतान करके गाड़ी सही करवानी पड़ी । परिवादी ने जब कंपनी के कस्टमर केयर पर बात की तो परिवादी को पता चला कि परिवादी द्वारा लिया गया वाहन प्रयास श्रीवास्तव के नाम से ब्रिकी था, जिससे परिवादी को बहुत मानसिक कष्ट हुआ । विपक्षी ने नया कहकर परिवादी को पुराना वाहन विक्रय किया। ऐसा करके विपक्षी ने सेवा में कमी करते हुये व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी से पुराने खराब वाहन को लेकर नया उसी कीमत का वाहन दिलाये जाने अथवा उसकी कीमत रू0 1,67,607/-जमा की गयी तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक मय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाये जाने तथा मानसिक एवं
शारीरिक कष्ट हेतु रू0एक लाख एवं रू0 25000/-वाद व्यय स्वरुप दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
विपक्षी को नोटिस जारी की गयी। नोटिसोंपरान्त भी विपक्षी न तो उपस्थित हुये और न ही उन्होंने प्रतिवाद पत्र दाखिल किया है ।
परिवादी ने परिवाद पत्र के समर्थन में अपना शपथपत्र दाखिल किया है एवं परिवाद पत्र/शपथपत्र के साथ अभिलेखीय साक्ष्यों की छायाप्रतियाॅ दाखिल किया है।
मंच ने परिवादी के विद्वान अधिवक्ता को श्रवण किया एवं पत्रावली का सम्यक् अवलोकन किया।
परिवादी का तर्क है कि उसने विपक्षी से उक्त वाहन नया क्रय किया , किन्तु विपक्षी ने उसे नया बताकर पुराना वाहन विक्रय कर दिया, ऐसा करके विपक्षी ने सेवा में कमी करते हुये व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है, जिससे क्षुब्ध होकर परिवादी को वर्तमान परिवाद इस जिला मंच में संस्थित करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके माध्यम से उसने विपक्षी से पुराने खराब वाहन को लेकर नया उसी कीमत का वाहन दिलाये जाने अथवा उसकी कीमत रू0 1,67,607/-जमा की गयी तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक मय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाये जाने तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु रू0एक लाख एवं रू0 25000/-वाद व्यय स्वरुप दिलाये जाने की प्रार्थना किया है।
विपक्षी ने दि0 20.4.12 को परिवादी की गाड़ी का रजिस्ट्रेशन व बीमा उसके नाम से करवाया था। परिवादी से उसका बीमा करवाने के नाम पर तथा नाम परिवर्तित करने के लिये उससे रू0 1000/- भी लिया गया। परिवादी को वाहन की सर्विसिंग के दौरान ज्ञात हुआ कि उक्त वाहन किसी प्रयास श्रीवास्तव के नाम से है, जिस पर विपक्षी ने
उसे बताया कि यह गाड़ी पहले प्रयास श्रीवास्तव के नाम से बुक थी इसलिये नाम रह गया है। विपक्षी का यह कृत्य सेवा में कमी को परिलक्षित करता है। दि0 8.5.12 को परिवादी अपने व्यक्तिगत काम से सोनभद्र गया था, जहाॅ गाड़ी चेक का इंडिकेटर जलने लगा और गाड़ी ने लोड लेना बंद कर दिया। परिवादी ने इस संदर्भ में जब इमरजेंन्सी ब्रेकडाउन सेवा लेने के लिये फोन किया तो उसे बताया गया कि उसका डाटा और डिटेल्स कंपनी में मैच नहीं कर रहा है, इसलिये उसे इमरजेंसी सेवा प्रदान नहीं की जा सकती है। विपक्षी का यह कृत्य भी सेवा में कमी को दर्शाता है। तदोपरान्त परिवादी ने लखनऊ स्थित शोरुम पर बात की तो बताया गया कि कोई मदद यहाॅ से नहीं की जा सकती है। तब परिवादी किसी तरह से अपनी गाड़ी भ्ज्ञठज्ञ डवजवते च्अज स्जकण् जो अधिकृत सर्विस सेंटर है ले गया और वहाॅ भी परिवादी को स्वयं ंभुगतान करके गाड़ी सही करवानी पड़ी । परिवादी ने जब कंपनी के कस्टमर केयर पर बात की तो परिवादी को पता चला कि परिवादी द्वारा लिया गया वाहन प्रयास श्रीवास्तव के नाम से ब्रिकी था, जिससे परिवादी को बहुत मानसिक कष्ट हुआ । विपक्षी ने नया कहकर परिवादी को पुराना वाहन विक्रय किया। ऐसा करके भी विपक्षी ने सेवा में कमी किया है।
उपरोक्त पर्यवेक्षणोंपरान्त मंच का यह अभिमत है कि प्रथम दृष्टया विपक्षी द्वारा सेवा में कमी प्रतीत होती है। ऐसा करके विपक्षी ने व्यापार विरोधी प्रक्रिया को अपनाया है चूॅकि विपक्षी उपस्थित नहीं है एवं परिवादी के कथन अकाट्य है। ऐसी स्थिति में मंच के समक्ष परिवादी के कथनों पर विश्वास करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं है।
परिवादी ने बार-बार विपक्षी से संपर्क किया है। परिवादी को विपक्षी के पास जाने आदि में भाग-दौड़ करनी पड़ी है, इससे स्वतः स्पष्ट है कि निश्चित रुप से परिवादी को मानसिक व शारीरिक कष्ट हुआ है, फलस्वरुप परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किये जाने योग्य पाया जाता है।
आदेश
परिवादी का परिवाद आंशिक रुप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षी को आदेशित किया जाता है कि वह इस निर्णय की तिथि सेे छः सप्ताह के अंदर परिवादी को पुराने विक्रय किये गये प्रश्नगत वाहन के ऐवज में नया उसी कीमत व मेक माडल का वाहन उपलब्ध करायें अथवा उसकी कीमत रू01,67,607/- मय ब्याज दौरान वाद व आइंदा बशरह 9 (नौ) प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करंे। इसके अतिरिक्त विपक्षी परिवादी को मानसिक क्लेश हेतु रू010,000/- तथा रू05000/- वाद व्यय अदा करगें, यदि विपक्षी उक्त निर्धारित अवधि के अंदर परिवादी को यह धनराशि अदा नहीं करते है तो विपक्षी को , समस्त धनराशि पर उक्त तिथि से ता अदायेगी तक 12 (बारह) प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर के साथ अदा करना पड़ेगा। नया वाहन लेते समय परिवादी विपक्षी को पुराना विवादित वाहन एवं उससे संबंधित पार्टस वापस करेगा।
(गीता यादव) (गोवर्द्धन यादव) (संजीव शिरोमणि)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
दिनांक 20 जुलाई 2015