(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2472/2004
परवीन कांत रस्तोगी सेवा केंद्र, ग्राम व पोस्ट रामराज 251320, जिला मुजफ्फरनगर।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
मैनेजर, गोदरेज अप्लाइंसेस लि0, एस-11 सर्विस डिपार्टमेंट पिरोजशाह नगर, विकरोली, मुम्बई 400079 तथा अन्य।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री राजेश चड्ढा, विद्वान अधिवक्ता के
सहायक अधिवक्ता श्री सतीश चंद्र
श्रीवास्तव।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 27.02.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-63/2001, परवीन कांत रस्तोगी बनाम प्रबंधक गोदरेज एपलीएंटेड लि0 तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 22.01.2004 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है।
2. विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादी इस तथ्य को साबित करने में विफल रहा है कि फ्रिज में उत्पादन संबंधी कोई कमी थी, बल्कि केवल यह साबित किया गया कि जब फ्रिज विपक्षी सं0-3 को दिखाया तो उसने रिपेयर आदि की कुछ उपकरण लगाए और उनकी कीमत ली।
3. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं विधि के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है। परिवादी का फ्रिज लगातार खराब रहा।
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4. अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता श्री राजेश चड्ढा के सहायक अधिवक्ता श्री सतीश चंद्र श्रीवास्तव उपस्थित आए, उन्हें सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
5. सर्वप्रथम इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या निर्णय के पश्चात देरी से अपील प्रस्तुत की गई है और क्या अपील में देरी माफ करने का पर्याप्त आधार मौजूद है ?
6. परिवाद पत्र में दिनांक 22.01.2004 को निर्णय/आदेश पारित किया गया, जबकि अपील दिनांक 31.12.2004 को प्रस्तुत की गई है। देरी माफ करने के लिए आवेदन संख्या-3 प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उल्लेख है कि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का मकान का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसमें आफिस की फाईल शिफ्ट की गईं थीं, इसलिए अपील समय पर प्रस्तुत नहीं हो सकी। चूंकि आवेदन में समस्त दायित्व अधिवक्ता के आफिस इंचार्ज पर डाला गया है, परन्तु आफिस इंचार्ज का कोई शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। शपथ पत्र परवीन कांत द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जबकि उन्हें देरी माफी के आवेदन में वर्णित कारणों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है, अत: देरी माफी के तथ्य को स्पष्ट नहीं किया गया है, इसलिए पर्याप्त कारण के अभाव में देरी माफ करने का आवेदन खारिज किया जाता है। तदनुसार प्रस्तुत अपील इसी आधार पर निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील उपरोक्तानुसार निरस्त की जाती है।
उभय पक्ष अपील का व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3