राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-67/2020
(सुरक्षित)
प्रशान्त पुत्र कृष्ण कुमार, निवासी-10/312, पंचशील, गोबिन्दपुरम्, पोस्ट-गोबिन्दपुरम्, थाना कविनगर, गाजियाबाद (उ0प्र0)
....................परिवादी
बनाम
1. गो डिजिट जनरल इन्शोरेन्स कम्पनी लिमिटेड, रजिस्टर्ड कार्यालय-स्मार्ट वर्क बिजनेस सेन्टर, न्याति यूनिट, बेस्ट विंग, प्रथम तल, सम्राट अशोक रोड, येरबड़ा, पुणे (महाराष्ट्र) द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर।
2. मेसर्स बजाज कैपिटल, ग्राउण्ड फ्लोर-5, अन्सल सुन्दरम बिल्डिंग, आर0डी0सी0 राजनगर, डिस्ट्रिक्ट सेन्टर, राजनगर, गाजियाबाद द्वारा शाखा प्रबन्धक, नीरज कुमार।
...................विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
2. माननीय श्री गोवर्धन यादव, सदस्य।
3. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : स्वयं।
विपक्षी सं01 की ओर से उपस्थित : श्री दिनेश कुमार,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं02 की ओर से उपस्थित : श्री चंद्र मोहन,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक: 29.12.2020
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह परिवाद परिवादी प्रशान्त ने धारा-17 (1) (a) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विपक्षीगण गो डिजिट जनरल इन्शोरेन्स कम्पनी लिमिटेड और मेसर्स बजाज कैपिटल के विरूद्ध राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया है और
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निम्न अनुतोष चाहा है:-
1. यह कि विपक्षी सं0-1 को यह आदेश दिया जाय कि परिवादी के वाहन रजिट्रेशन सं0-HR-51-Y-0035 की टोटल लॉस क्लेम IDV के तहत बीमित राशि 24,72,479-00 एवं इस पर वाहन दुर्घटना तिथि 06.01.2020 से वास्तविक भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को अदा करें।
2. यह कि विपक्षी सं0-1 को आदेश दिया जाय कि वे मै परिवादी द्वारा उक्त वाहन का स्टीमेट बनाने एवं गैरेज में वाहन खड़ा होने के सम्बन्ध में वाहन वापस लेते समय शिवा मोटरकार्प द्वारा ली गयी धनराशि 53,100-00 रू0 दिनांक 16.01.2020 से वास्तविक भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित परिवादी को अदा करे। ठीक इसी प्रकार प्राची क्रेन सर्विस द्वारा वाहन दुर्घटना स्थल से गैरेज ले जाते वक्त भुगतान की गयी 4,130-00 रू0 एवं दुर्घटना तिथि से वास्तविक भुगतान तिथि तक 18 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित विपक्षी सं0-1 से परिवादी को दिलाया जाय।
3. यह कि विपक्षी सं0-1 से वाहन की सुविधा से वंचित रहने के लिए 1,00,000-00 रू0 की क्षतिपूर्ति तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्ट हेतु भी 1,00,000-00 रू0 परिवादी को दिलाया जाय।
4. यह कि विपक्षी सं0-1 से प्यूनीटिव डैमेजेज के मद में 2,00,000/-रू0 परिवादी को दिलाया जाय।
5. यह कि विपक्षी सं0-2 से गलत प्रचार एवं भ्रमित करने के सम्बन्ध में 50,000-00 रू0 की क्षतिपूर्ति अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस के
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मद में दिलाया जाय।
6. यह कि विपक्षीगण वाद व्यय अधिवक्ता फीस के मद में 50,000/-रू0 परिवादी को दिलाया जाय।
7. यह कि माननीय आयोग की नजर में कोई अन्य अनुतोष जो परिवादी को दिलाया जाना न्यायहित में आवश्यक हो तो उसे भी विपक्षीगण से परिवादी को दिलाया जाय।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि जैगवार (एक्स एफ) कार, जिसका रजिस्ट्रेशन नं0-HR-51-Y-0035 है, का वह स्वामी है और उसने अपनी इस कार का विपक्षी संख्या-2 के माध्यम से विपक्षी संख्या-1 को 63,006/-रू0 की प्रीमियम धनराशि का भुगतान कर दिनांक 06.09.2019 को बीमा कराया, जिसकी बीमा पालिसी सं0-D007571230 है। यह बीमा पालिसी दिनांक 06.09.2019 से दिनांक 05.09.2020 तक प्रभावी थी और बीमा पालिसी में वाहन का बीमित मूल्य 24,72,479/-रू0 था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि बीमा पालिसी की वैधता अवधि में ही दिनांक 06.01.2020 को रात्रि में 10:30 से 11:00 बजे के बीच राजेन्द्र नगर, लोनी रोड गाजियाबाद के पास बाइक को बचाने के प्रयास में परिवादी का उपरोक्त वाहन डिवाइडर से टकराकर ट्रक के पिछले हिस्से में जा घुसा, जिससे परिवादी के वाहन को क्षति हुई और वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। दुर्घटना की सूचना परिवादी ने टोल फ्री नं0-18002585956 पर दिनांक 07.01.2020 को दिया, जिसका क्लेम
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नं0-202000004930 दर्ज किये जाने का परिवादी के मोबाइल पर मैसेज प्राप्त हुआ।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि घटना के समय ही पुलिस गश्ती दल मौके पर पहुँचकर घटना को देखा और परिवादी के दुर्घटनाग्रस्त वाहन को किनारे कराया तथा रोड साइड से वाहन अधिकृत गैरेज में ले जाने का निर्देश दिया। अत: परिवादी ने पुलिस के निर्देशानुसार प्राची क्रेन सर्विस को फोन कर बुलाया और वाहन रात्रि में ही जरिया क्रेन जे. एल. आर. शिवा मोटोकार्प (A unit of Narnoli Apparels Private Limited) नोएडा में ले जाया गया। दुर्घटना की सूचना साहिबाबाद थाने में भी दिनांक 07.01.2020 को परिवादी ने दे दिया था। तदोपरान्त बीमा कम्पनी द्वारा स्पॉट सर्वेयर और फाइनल सर्वेयर नियुक्त किया गया। सर्वेयर के मांगने पर वाहन की मरम्मत हेतु स्टीमेट अधिकृत सर्विस सेन्टर से प्राप्त किया और सर्वेयर को उपलब्ध कराया। स्टीमेट के अनुसार वाहन की मरम्मत का खर्च 91,58,361.82/-रू0 था।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि फाइनल सर्वेयर द्वारा टोटल लॉस का क्लेम मानकर बीमा कम्पनी को रिपोर्ट दी गयी और सारी औपचारिकतायें परिवादी ने पूरी की। फिर भी बीमा कम्पनी ने क्लेम का भुगतान नहीं किया, जबकि सूचना मिलने के 03 दिन से 02 सप्ताह के अन्दर क्लेम देने का प्रचार विपक्षी संख्या-1 द्वारा अपने एजेन्टों के माध्यम से कराया गया
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है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि बीमित राशि से 75 प्रतिशत से अधिक की मरम्मत का स्टीमेट आने पर टोटल लॉस का क्लेम IDV के तहत बीमित धनराशि देने के लिए बीमा कम्पनी जिम्मेदार है।
परिवाद पत्र के अनुसार परिवादी का कथन है कि दिनांक 23.01.2020 को विपक्षी संख्या-1 के माध्यम से 12 बिन्दुओं का पत्र प्राप्त हुआ, जिसके सम्बन्ध में परिवादी ने उत्तर लिखकर ब्लू डॉट कोरियर के माध्यम से दिनांक 27.01.2020 को भेजा और सभी प्रश्नों का उत्तर प्रमाण सहित प्रस्तुत किया। फिर भी विपक्षी संख्या-1 ने वाहन की बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया और पत्र दिनांक 31.01.2020 के द्वारा क्लेम नो क्लेम कर दिया, जिससे परिवादी को आर्थिक क्षति हुई है और मानसिक कष्ट हुआ है। अत: उसने परिवाद राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर उपरोक्त अनुतोष चाहा है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन प्रस्तुत कर परिवाद का विरोध किया गया है, परन्तु परिवादी के प्रश्नगत वाहन का बीमा दिनांक 06.09.2019 से दिनांक 05.09.2020 की अवधि में होना स्वीकार किया गया है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में अभिलेखीय प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया है और जानबूझकर संगत तथ्यों के
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सम्बन्ध में सूचना नहीं दिया है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर इन्वेस्टीगेटर नियुक्त किया गया, परन्तु परिवादी ने इन्वेस्टीगेटर के साथ सहयोग नहीं किया और इन्वेस्टीगेटर को वांछित संगत सूचनायें उपलब्ध नहीं करायी, जिससे परिवादी के बीमा दावा के निस्तारण में विलम्ब हुआ है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने बिल दिनांक 20.01.2020 मै0 प्राची क्रेन सर्विस का प्रस्तुत किया है, परन्तु मै0 प्राची क्रेन सर्विस ने इन्वेस्टीगेटर से जांच में सहयोग नहीं किया है। परिवादी द्वारा कथित दुर्घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट न तो पुलिस ने दर्ज की है और न ही परिवादी ने दर्ज करायी है, जबकि कथित दुर्घटना में तीन वाहन क्षतिग्रस्त होना कहा गया है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवाद के अनुसार परिवादी का प्रश्नगत वाहन जे0एल0आर0- शिवा मोटरकार्प, नोएडा, उत्तर प्रदेश लाया गया, परन्तु जब इन्वेस्टीगेटर द्वारा सत्यापन कराया गया तो वर्कशाप में वाहन नहीं पाया गया। वाहन परिवादी बीमाधारक के स्थान पर पाया गया और वाहन में कथित क्षति परिवादी द्वारा दिये गये वाहन में क्षति के विवरण से मेल नहीं खाती है। इसके साथ ही इन्वेस्टीगेटर ने निरीक्षण के समय पाया कि वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, जो परिवादी बीमाधारक द्वारा pre-inspection के समय प्रस्तुत किया
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गया था उसमें रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट का सीरियल नं0 “HR1500113” अंकित है और ओनर सीरियल नं0 2 अंकित है, परन्तु जो वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट परिवादी बीमाधारक ने बाद में प्रस्तुत किया है उस पर रजिस्ट्रेशन सर्टीफिकेट का सीरियल नं0 “HR3652412” अंकित है और ओनर सीरियल नं0 3 अंकित है, परन्तु परिवादी इस अन्तर के सम्बन्ध में कोई उचित कारण नहीं दिखा सका है, जिससे यह स्पष्ट है कि बीमा पालिसी का अनुचित लाभ उठाने हेतु वाहन बदला गया है।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि प्रश्नगत वाहन के पूर्व स्वामी का जो पता परिवादी द्वारा दिया गया है वह जांच पर Fake पाया गया है और पूर्व स्वामी मौके पर नहीं पाये गये हैं।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से यह भी कहा गया है कि इन्वेस्टीगेटर को pre-inspection और post-inspection के समय दिखाया गया वाहन एक ही वाहन नहीं था। दोनों में भिन्नता थी।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि परिवादी ने इन्वेस्टीगेटर के साथ सहयोग करने के बजाय विपक्षी संख्या-1 के अधिकारियों को धमकी देना शुरू किया, जिससे मजबूर होकर विपक्षी संख्या-1 को दिनांक 31.01.2020 को परिवादी को पत्र भेजना पड़ा। लिखित कथन में कहा गया है कि परिवादी ने विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध मीडिया के माध्यम से
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अपमान जनक तथ्य भी प्रसारित कराये।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-1 की ओर से कहा गया है कि विपक्षी संख्या-1 की सेवा में कोई कमी नहीं है। परिवादी परिवाद पत्र में याचित कोई धनराशि पाने का अधिकारी नहीं है।
विपक्षी संख्या-2 ने भी अपना लिखित कथन प्रस्तुत किया है और कहा है कि वह एक ब्रोकर के रूप में कार्य करता है। उसकी सेवा में कोई कमी नहीं है। उसके विरूद्ध परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।
परिवादी की ओर से परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में परिवादी का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-1 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री राहुल त्रिपाठी, ऑथराइज्ड सिग्नेचरी का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
विपक्षी संख्या-2 की ओर से लिखित कथन के समर्थन में श्री आनन्द महल, ऑथराइज्ड सिग्नेचरी का शपथ पत्र संलग्नकों सहित प्रस्तुत किया गया है।
परिवाद की अन्तिम सुनवाई की तिथि पर परिवादी व्यक्तिगत रूप से उपस्थित आये हैं। विपक्षी संख्या-1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री दिनेश कुमार और विपक्षी संख्या-2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री चंद्र मोहन उपस्थित आये हैं।
हमने उभय पक्ष के तर्क को सुना है और पत्रावली का अवलोकन किया है। हमने उभय पक्ष के लिखित तर्क का भी
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अवलोकन किया है।
परिवादी ने विपक्षी संख्या-2 के विरूद्ध याचित अनुतोष पर बल न देने का कथन सुनवाई के समय किया है। अत: विपक्षी संख्या-1 के विरूद्ध परिवाद पत्र में याचित अनुतोष पर ही विचार किया जाना है।
कथित दुर्घटना के समय परिवादी के प्रश्नगत वाहन का बीमा विपक्षी संख्या-1 की बीमा कम्पनी से होना अविवादित है।
विपक्षी संख्या-1 ने परिवादी का क्लेम पत्र दिनांक 31.01.2020 के द्वारा Repudiate किया है, जिसे परिवादी ने परिवाद पत्र की पत्रावली में पृष्ठ 31 पर संलग्न किया है। इस पत्र के द्वारा परिवादी का क्लेम विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ने निम्न आधारों पर Repudiate किया है;
1. Insurance is a contract of Indemnity and it is based on the principle of “utmost Good faith”, you have made a willful breach of the principle of utmost good faith and the policy terms and conditions to mislead the company at the time of underwriting the risk.
2. You have made a wilful breach of policy Condition No.1 by not co-operating with the company during investigation to enable the company to ascertain the true cause and nature of loss and also resisted the
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investigator to examine the accident vehicle and spot of the accident.
3. You are continuously using illegal means by way of criminal intimidation and threats to pressurize the company to settle your claim.
4. Please note that, the company is not liable for any consequential loss, aggravation damages, parking charges or any other charges of whatsoever nature.
विपक्षी संख्या-1 के वाहन की Preliminary Survey Report दिनांकित 15.01.2020 विपक्षी संख्या-1 के ऑथराइज्ड सिग्नेचरी श्री राहुल त्रिपाठी के शपथ पत्र का संलग्नक DE2 है, जिसमें वाहन की मरम्मत हेतु परिवादी द्वारा प्रस्तुत Estimate का उल्लेख किया गया है। Estimate की धनराशि 89,96,767/-रू0 अंकित है, जबकि वाहन का बीमित मूल्य 24,72,479/-रू0 है। Preliminary Survey Report में वाहन की क्षति की धनराशि 17,52,500/-रू0 आंकलित की गयी है।
विपक्षी संख्या-1 के ऑथराइज्ड सिग्नेचरी श्री राहुल त्रिपाठी के शपथ पत्र का संलग्नक DE8 अन्तिम सर्वेयर आख्या दिनांकित 17.02.2020 है। इसमें भी वाहन का Total loss माना है और Salvage का मूल्य 1,50,000/-रू0 घटाकर क्लेम स्वीकार किये जाने की धनराशि 23,20,479/-रू0 माना है। इस सर्वे रिपोर्ट में सर्वेयर ने उल्लेख किया है कि वाहन के Pre-inspection फोटो में
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और वाहन में थोड़ा अन्तर है।
विपक्षी संख्या-1 के ऑथराइज्ड सिग्नेचरी श्री राहुल त्रिपाठी के शपथ पत्र की धारा 12 में दुर्घटनाग्रस्त वाहन और वाहन के Pre-inspection के फोटोग्राफ में जो कथित अन्तर अंकित है वह ऐसे Parts के सम्बन्ध में है जो वाहन का प्रयोग होने पर समय-समय पर बदले जा सकते हैं। इस अन्तर के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि दुर्घटनाग्रस्त वाहन बीमित वाहन से भिन्न है।
श्री राहुल त्रिपाठी के शपथ पत्र की धारा 12 में कथित अन्तर में यह भी उल्लेख है कि बीमित वाहन की R.C. में ओनर Serial No. 2 अंकित है, जबकि दुर्घटनाग्रस्त वाहन की R.C. में ओनर Serial No. 3 अंकित है।
श्री राहुल त्रिपाठी के शपथ पत्र में यह भी अंकित है कि बीमित वाहन के R.C. का Serial Number H.R. 1500113 और दुर्घटनाग्रस्त वाहन की R.C. का Serial Number H.R. 3652412 है।
परिवादी का कथन है कि बीमाकृत वाहन की R.C. कुत्ता खा गया। अत: दूसरी R.C. प्राप्त की है। दूसरी R.C. परिवहन विभाग ने जारी किया है और R.C. का Serial Number नया अंकित किया है तथा वाहन स्वामी का Serial No.3 अंकित किया है। बीमा कम्पनी ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत नवीन R.C. को कूटरचित नहीं कहा है। न ही कूटरचित दर्शित करने हेतु कोई साक्ष्य दिया है।
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दूसरी R.C. जारी करने में यदि परिवहन विभाग ने कोई त्रुटि की है तो उसका लाभ बीमा कम्पनी को नहीं मिल सकता है। R.C. की प्रविष्टियों में उपरोक्त अन्तर का कारण परिवहन कार्यालय की त्रुटि है।
उपरोक्त विवरण से स्पष्ट है कि अन्तिम सर्वेयर आख्या दिनांकित 17.02.2020 है, जबकि बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम पत्र दिनांक 31.01.2020 के द्वारा Repudiate किया है। सर्वेयर आख्या का इन्तजार किये बिना बीमा क्लेम पत्र दिनांक 31.01.2020 द्वारा अस्वीकार किया जाना बीमा कम्पनी की सेवा में कमी है और पत्र दिनांक 31.01.2020 में उल्लिखित उपरोक्त आधारों पर क्लेम निरस्त किया जाना उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों को देखते हुए उचित नहीं है।
परिवादी ने प्रश्नगत क्लेम के सम्बन्ध में बीमा कम्पनी के अधिकारियों के साथ यदि कोई आपराधिक कृत्य किया है तो उसके लिए उसके विरूद्ध विधि के अनुसार कार्यवाही करने हेतु बीमा कम्पनी या उसके अधिकारी स्वतंत्र हैं।
Preliminary Survey Report में सर्वेयर ने परिवादी के वाहन को हुई क्षति 17,52,500/-रू0 निर्धारित किया है, परन्तु अन्तिम सर्वे में सर्वेयर ने टोटल लॉस माना है और वाहन की आई0डी0वी0 24,72,479/-रू0 से साल्वेज मूल्य 1,50,000/-रू0 और Less Excess Clause 2000/-रू0 घटाकर 23,20,479/-रू0 पर क्लेम सेटेल करने की संस्तुति की है। अन्तिम सर्वे रिपोर्ट
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दिनांकित 17.02.2020 में वाहन की क्षति On Net of Salvage Basis/CTL Without RC निर्धारित करने हेतु सर्वेयर ने वाहन की आई0डी0वी0 24,72,479/-रू0 से Salvage Value without RC की निर्धारित धनराशि 45,000/-रू0 और Less Excess Clause 2000/-रू0 घटाकर देय क्लेम की धनराशि 24,25,479/-रू0 निर्धारित किया है।
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी की ओर से प्रस्तुत लिखित तर्क की धारा 17 में कहा गया है कि बीमा कम्पनी के इन्वेस्टीगेटर ने इन्वेस्टीगेशन में पाया कि परिवादी का पूर्व इतिहास स्वच्छ नहीं है। पहले भी उसके ऐसे प्रकरण पाये गये हैं, जिसमें पाया गया है कि उसने False क्लेम प्रस्तुत कर क्लेम पाने हेतु अधिकारियों पर दबाव डाला है, परन्तु उपरोक्त विवेचना एवं सम्पूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत क्लेम को False मानने हेतु उचित और युक्तिसंगत आधार बीमा कम्पनी दर्शित नहीं कर सकी है।
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने लिखित तर्क के साथ निम्नलिखित न्यायिक निर्णयों को सन्दर्भित किया है:-
1. Khimjibhai and Sons versus NIA Co. Ltd reported in IV (2011) CPJ 458 (NC)
2. NIA Co. Ltd versus Vinay Kumar Pandey reported in I (2014) CPJ 49 (NC)
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3. IFFCO –TOKIO Gen Ins. Co. Ltd versus Beena Raghav reported in III (2015) CPJ 75 (NC)
4. Ashish Kumar Jaiswal versus ICICI Lombard Gen. Ins. Co. Ltd and Ors reported in I (2017) CPJ 529 (NC)
5. United India Insurance Co. Ltd. versus Rajendra Singh passed in Civil Appeal No. 2087 of 2000 decided on 14 March 2000
हमने विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा सन्दर्भित न्यायिक निर्णयों का अवलोकन किया है।
उपरोक्त विवेचना से यह स्पष्ट है कि कथित दुर्घटना के समय परिवादी का प्रश्नगत वाहन विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से 24,72,479/-रू0 मूल्य पर बीमित होना अविवादित है। कथित दुर्घटना भी अविवादित है। स्वयं बीमा कम्पनी के सर्वेयर ने परिवादी का वाहन क्षतिग्रस्त होना पाया है। प्रारम्भिक सर्वेयर ने वाहन की क्षति 17,52,500/-रू0 माना है, जबकि अन्तिम सर्वे रिपोर्ट में वाहन की पूर्ण क्षति मानी गयी है और परिवादी का क्लेम सेटेल करने हेतु 05 प्रकार से धनराशि का निर्धारण किया गया है। पहला Repair Basis पर जिसमें कुल धनराशि 24,17,576/-रू0 निर्धारित की गयी है। दूसरा Repair Basis – with Recondition parts पर जिसमें कुल धनराशि 17,52,500/-रू0 निर्धारित की गयी है। तीसरा Total Loss Basis पर जिसमें कुल
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धनराशि 24,70,479/-रू0 निर्धारित की गयी है। चौथा Net of Salvage Basis/CTL With RC पर जिसमें कुल धनराशि 23,20,479/-रू0 निर्धारित की गयी है। पॉंचवा Net of Salvage Basis/CTL Without RC पर जिसमें कुल धनराशि 24,25,479/-रू0 निर्धारित की गयी है।
अन्तिम सर्वे आख्या को देखने से यह स्पष्ट होता है कि सर्वेयर ने वाहन का टोटल लॉस माना है। अत: हम इस मत के हैं कि सर्वेयर ने जो On Net of Salvage Basis/CTL With RC देय धनराशि 23,20,479/-रू0 निर्धारित किया है उसे मान्यता प्रदान किया जाना उचित है।
सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों और उपरोक्त विवेचना पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी परिवादी का बीमा क्लेम रिपुडिएट करने हेतु उचित, विधिक और युक्तिसंगत आधार दर्शित नहीं कर सकी है। वर्तमान वाद के तथ्यों और साक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में बीमा कम्पनी की ओर से सन्दर्भित उपरोक्त न्यायिक निर्णयों में प्रतिपादित सिद्धान्त का लाभ बीमा कम्पनी को नहीं मिल सकता है।
सम्पूर्ण विवेचना एवं उभय पक्ष के अभिकथन और सम्पूर्ण तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी ने परिवादी का क्लेम रिपुडिएट कर सेवा में कमी की है। अत: परिवादी का क्लेम वाहन के बीमित मूल्य 24,72,479/-रू0 से सर्वेयर द्वारा निर्धारित Salvage
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Value with RC की धनराशि 1,50,000/-रू0 और Less Excess Clause की धनराशि 2000/-रू0 को घटाकर शेष धनराशि 23,20,479/-रू0 पर तय किया जाना उचित है। हमारी राय में परिवादी को विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी से 10,000/-रू0 वाद व्यय भी दिलाया जाना उचित है।
विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को परिवादी के क्लेम की उपरोक्त धनराशि 23,20,479/-रू0 को अदा करने हेतु इस निर्णय की तिथि से दो माह का समय दिया जाना उचित है। यदि इस अवधि में विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी परिवादी को आदेशित धनराशि का भुगतान नहीं करती है तब परिवादी को क्लेम की इस धनराशि 23,20,479/-रू0 पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज दिया जाना उचित है।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है और विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को उसके प्रश्नगत वाहन को दुर्घटना में हुई क्षति की पूर्ति हेतु 23,20,479/-रू0 इस निर्णय की तिथि से दो माह के अन्दर अदा करे। साथ ही उसे 10,000/-रू0 वाद व्यय भी प्रदान करे।
यदि उपरोक्त अवधि में आदेशित धनराशि 23,20,479/-रू0 का भुगतान विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी परिवादी को नहीं करती है तब विपक्षी संख्या-1 बीमा कम्पनी उपरोक्त आदेशित धनराशि
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23,20,479/-रू0 परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज के साथ परिवादी को अदा करेगी।
(विकास सक्सेना) (गोवर्धन यादव) (न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1