(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
परिवाद संख्या-66/2014
डा0 प्रेम शंकर सिंह पुत्र श्री शिव प्रसाद सिंह, निवासी मौजा-विजहरा, पोस्ट-कुसम्ही बाजार, थाना-पिपराईच, जिला-गोरखपुर।
परिवादी
बनाम
1. गो एअर लाइन्स, इंण्डिया लिमिटेड, फस्ट फ्लोरसी वाडिया इण्टर नेशनल सेन्टर, डब्लू0आई0सी0 पाण्डूररेज बुधकर मार्ग, वर्ली मुम्बई 400025, पिन कोड नम्बर-022674100001, द्वारा प्रबन्धक निदेशक।
2. रिप्रेजेन्टेटिव गो एअरवेज इण्डिया लिमिटेड, चौधरी चरण सिंह, एअर पोर्ट लखनऊ, उत्तर प्रदेश।
विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राजेन्द्र सिंह, सदस्य।
2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
परिवादी की ओर से उपस्थित : श्री बी.के. उपाध्याय, विद्वान
अधिवक्ता।
विपक्षीगण की ओर से उपस्थित : प्रशान्त कुमार गुप्ता, विद्वान
अधिवक्ता।
दिनांक: 28.04.2023
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. यह परिवाद, विपक्षीगण विमानन कंपनी के विरूद्ध परिवादी के प्रति अमल में लायी गयी अनुचित व्यापार प्रणाली के कारण मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक प्रताड़ना की मद में अंकन 80 लाख रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में अंकन 50 हजार रूपये प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत किया गया है।
2. परिवाद के तथ्यो के अनुसार दिनांक 19.12.2013 को क्रेडिट कार्ड के जरिए अंकन 4,344/-रू0 अदा कर दिनांक 16.01.2014 के लिए लखनऊ से दिल्ली की एक फ्लाइट नम्बर जी 8-188 में परिवादी द्वारा टिकट बुक कराया गया था। दिनांक 16.01.2014 को लखनऊ में किडनी के मरीजों को देखने का समय निश्चित था। चूंकि परिवादी एक डॉक्टर है और दिल्ली में नियत समय पर मरीजों को देखने का कार्य करते हैं। इसी तिथि को 5:40 बजे दिल्ली से लखनऊ आना था। दिनांक 16.01.2014 को कस्टमर केयर पर फोन करके पूछा गया तब महिला प्रतिनिधि द्वारा बताया गया कि फ्लाइट नम्बर जी 8-188 कैन्सिल हो गई है और अगली फ्लाइट में सीट खाली नहीं है। परिवादी समय पर मरीजों को देखने के लिए नहीं पहुँच सके, जिसके कारण एक मरीज अनिल पाण्डेय की मृत्यु हो गई तथा अन्य मरीज दूसरी जगह चले गए, जिसके कारण परिवादी को आर्थिक एवं मानसिक क्षति कारित हुई, इसलिए क्षतिपूर्ति के उद्देश्य से उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया।
3. परिवाद पत्र के समर्थन में शपथ पत्र तथा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत की गई है, जो संलग्नक 1 लगायत 7 है।
4. विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन में उल्लेख किया गया है कि परिवादी द्वारा वाद कारण रहित भ्रामक उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया गया है, जो संधारणीय नहीं है। अनुचित उद्देश्य से यह परिवाद प्रस्तुत किया गया है, केवल मुम्बई स्थित न्यायालय को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। ऐसा संविदा मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी उचित माना गया है। विपक्षी कंपनी के प्रतिनिधि द्वारा कभी भी असत्य सूचना परिवादी को नहीं दी गई। कस्टमर केयर पर फ्लाइट के स्टेटस की जानकारी उपलब्ध नहीं रहती है, अपितु कॉल सेन्टर पर यह जानकारी उपलब्ध रहती है। यह फ्लाइट निर्धारित समय पर थी, कभी भी यह रद्द नहीं हुई थी और न ही समय में परिवर्तन हुआ था। विपक्षी कंपनी की ओर से कभी भी कोई अनुचित सूचना परिवादी को नहीं दी गई। फ्लाइट रद्द होने की सूचना दिया जाना काल्पनिक है। विपक्षी कंपनी की शाख को क्षति पहुँचाने के उद्देश्य से अनावश्यक रूप से विवाद में घसीटा गया है। उनके स्तर से परिवादी के प्रति सेवा में कोई त्रुटि नहीं की गई है। यदि फ्लाइट में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होता तब यात्री को इसकी सूचना दी जाती। यह संभव हो सकता है कि परिवादी द्वारा फ्लाइट का सही विवरण न दिया गया हो, इसलिए कोई गलत सूचना प्राप्त हुई हो, परन्तु फ्लाइट के निर्धारित समय में कभी भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ और न ही परिवादी को फ्लाइट के रद्द होने की सूचना दी गई, इसलिए परिवादी किसी भी प्रकार की क्षति प्राप्त करने के लिए अधिकृत नहीं है। तदुसार परिवाद खारिज होने योग्य है।
5. लिखित कथन के समर्थन में शपथ पत्र तथा संलग्नक 1 लगायत 3 प्रस्तुत किए गए।
6. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता श्री बी.के. उपाध्याय तथा विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता श्री प्रशान्त कुमार गुप्ता को सुना गया तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।
7. परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि जब परिवादी ने कस्टमर केयर पर फ्लाइट के स्टेटस के बारे में जानकारी प्राप्त की तब विपक्षीगण की एक महिला प्रतिनिधि द्वारा यह बताया गया कि जिस फ्लाइट में परिवादी का टिकट बुक है, वह फ्लाइट रद्द हो गई है तथा अगली फ्लाइट में भी कोई सीट खाली नहीं है, इसलिए परिवादी दिल्ली नहीं जा सका, जिसके कारण एक मरीज की मृत्यु हो गई और अन्य मरीज दूसरी जगह चले गए, जिसके कारण परिवादी की ख्याति को क्षति पहुँची। परिणामत: परिवादी को मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रताड़ना कारित हुई।
8. विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि परिवादी को कभी भी फ्लाइट के रद्द होने की सूचना नहीं दी गई, इसलिए विपक्षीगण के स्तर से परिवादी के प्रति सेवा में कोई कमी नहीं की गई और न ही अनुचित व्यापार प्रणाली अपनाई गई साथ ही में उनका यह भी तर्क है कि इस आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है।
9. पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत तथ्यों, साक्ष्यों एवं बहस को विचार में लेते हुए सर्वप्रथम इस बिन्दु पर निष्कर्ष दिया जा रहा है कि इस आयोग को परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। इस प्रश्न का उत्तर सकारात्मक है, क्योंकि परिवादी द्वारा टिकट लखनऊ में बुक कराया गया और लखनऊ से ही दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़नी थी। अत: इस आयोग को इस उपभोक्ता परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है। विमानन कंपनी की ओर से जिस नजीर का उल्लेख किया गया है, वह व्यापारिक संविदा के संबंध में प्रयुक्त होती है न कि सेवा प्रदाता एवं सेवा ग्राह्यता के संबंध में। सेवा प्रदाता एवं सेवा ग्राह्यता के संबंध में क्षेत्राधिकार का निर्धारण स्वंय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत दिया गया है। चूंकि लखनऊ में वाद कारण उत्पन्न हुआ है। अत: इस आयोग को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
10. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या विपक्षीगण की किसी महिला प्रतिनिधि द्वारा परिवादी को फ्लाइट के रद्द होने की सूचना दी गई। यदि हां तो इस सूचना का प्रभाव और यदि नहीं तब परिवाद की संधारणीयता पर इसका प्रभाव ? परिवादी ने अपने परिवाद पत्र के पैरा संख्या-4 में यह उल्लेख किया है कि उनके द्वारा दिनांक 16.01.2014 को कस्टमर केयर, गो एयर लाइन्स कस्टमर नम्बर 1800-222 पर फोन करके फ्लाइट नम्बर जी 8-188 के स्टेटस के बारे में पूछा गया और तब कैन्सिल होना कहा गया तथा अगली फ्लाइट में भी सीट उपलब्ध न होने का कथन किया गया। परिवादी ने इन तथ्यों की पुष्टि शपथ पत्र से की है। चूंकि परिवादी द्वारा टिकट क्रय करने के बिन्दु पर कोई विवाद नहीं है। अत: इस बिन्दु पर अतिरिक्त निष्कर्ष नहीं दिया जा रहा है, केवल फ्लाइट रद्द होने की सूचना परिवादी को प्राप्त हुई या नहीं, इस बिन्दु पर इस आयोग द्वारा निष्कर्ष दिया जा रहा है, क्योंकि मुख्य विवाद का विषय यही बिन्दु है। परिवादी द्वारा जो भी दस्तावेज पेश किए गए हैं, वे सभी दस्तावेज टिकट बुकिंग, अधिवक्ता द्वारा दिए गए लीगल नोटिस, मरीजों की सूची तथा मरीज अनिल पाण्डेय की बीमारी से संबंधित दस्तावेजों के रूप में उपलब्ध कराए गए हैं। परिवादी ने किस नम्बर से कॉल सेन्टर को कॉल किया, इसका कोई उल्लेख परिवाद पत्र या शपथ पत्र में नहीं है। इसी प्रकार कॉल डिटेल्स से संबंधित साक्ष्य जो सुगमता से प्राप्त की जा सकती थी तथा प्रमाणित प्रतिलिपि के साथ इस आयोग के समक्ष प्रस्तुत की जा सकती थी, भी प्रस्तुत नहीं की गई है। चूंकि कॉल डिटेल्स प्रस्तुत विवाद के निस्तारण के लिए एक आवश्यक दस्तावेज था, इसलिए इस साक्ष्य को प्रस्तुत करना आवश्यक था, परन्तु परिवादी ने परिवाद पत्र में उस दूरभाष या मोबाईल नम्बर तक का उल्लेख नहीं किया, जिसके माध्यम से कस्टमर केयर नम्बर 1800-222 पर पूछताछ की गई, इसलिए यथार्थ में यह तथ्य स्थापित ही नहीं है कि परिवादी द्वारा कस्टमर केयर पर फोन किया गया हो। तदनुसार यह तथ्य स्थापित होने का प्रश्न ही नहीं उठता कि विमानन कंपनी के किसी प्रतिनिधि द्वारा फ्लाइट रद्द होने की सूचना दी गई हो। यथार्थ में फ्लाइट रद्द होने की सूचना, समय परिवर्तन की सूचना किसी भी उपभोक्ता को उस मोबाईल पर उपलब्ध कराई जाती है, जिस मोबाईल नम्बर से टिकट बुक कराया गया है और यदि टिकट किसी एजेन्सी के माध्यम से बुक कराया गया है तब किसी भी यात्री का प्रथम दायित्व है कि वह समय पर ऐयर पोर्ट पहुँचे। यदि समय पर परिवादी एयर पोर्ट पहुँचते तब उन्हें ज्ञात हो जाता कि जिस फ्लाइट की टिकट बुक कराई गई है, वह फ्लाइट समय से संचालित है और परिवादी सुगमता से फ्लाइट में यात्रा कर सकते थे। विपक्षीगण के इस तर्क में बल प्रतीत होता है कि परिवादी द्वारा स्वंय सावधानी नहीं बरती गई और विपक्षीगण के विरूद्ध एक बनावटी आधार परिवाद प्रस्तुत करने के लिए तैयार किया गया। अत: यह परिवाद खारिज होने योग्य है।
आदेश
11. प्रस्तुत परिवाद खारिज किया जाता है।
उभय पक्ष इस परिवाद का व्यय भार स्वंय अपना-अपना वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
निर्णय एवं आदेश आज खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित, दिनांकित होकर उद्घोषित किया गया।
(सुशील कुमार) (राजेन्द्र सिंह)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2