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जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 209 सन् 2014
प्रस्तुति दिनांक 21.11.2014
निर्णय दिनांक 11.10.2018
दीपक सिंह पुत्र राधेश्याम सिंह संस्थापक “ओ जोन फिटनेश सेन्टर” मेंहनगर वार्ड नंo3 सन्तकबीर नगर, नगर पंचायत- मेंहनगर, जनपद- आजमगढ़।...........................................................................याची।
बनाम
श्री गिरजेश कुमार मिश्र प्रोपराइटर “वर्ल्ड फिटनेश एण्डज हेल्थ इक्वपमेन्ट” कोदिसिया विल्डिंग, इज्जतनगर, जनपद- बरेली।............ .......................................................................................विपक्षी।
उपस्थितिः- अध्यक्ष- कृष्ण कुमार सिंह, सदस्य- राम चन्द्र यादव
निर्णय
अध्यक्ष- “कृष्ण कुमार सिंह”-
परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह कहा है कि उसे मेंहनगर में व्यायामशाला खोलने का विचार 2013 में आया। विपक्षी व्यायामशाला में लगने वाले सामान की बिक्री करता है और परिवादी ने 32 सामानों का लिस्ट बरेली में दिया। विपक्षी ने बताया कि उनके सामानों का कुल मूल्य 3,00,000/- रुपया होता है और एडवांस जमा करने पर 15 दिन के अन्दर सामान पहुंच जाएगा। विपक्षी ने पंजाब नेशनल बैंक से अपने खाता संख्या 0695000100512829 एडवांस जमा करने हेतु पंजाब नेशनल बैंक में दिया। पता करने पर पता लगा कि विपक्षी आजमगढ़ में भी अपना व्यापार करता है। निर्धारित शर्तों के अनुसार परिवादी ने दिनांक 12.08.2013 को 49,000/- रुपया तथा दिनांक 24.08.2013 को 2,51,000/- रुपया एडवांस दिया। इसके बाद परिवादी ने सामानों को लेने के लिए सम्पर्क किया। प्रोपराइटर गिरजेश कुमार मिश्र ने परिवादी को केवल 16 सामान कीमती 1,04,400/- रुपया का बिल ही दिया। शेष सामान नहीं दिया। सामानों का मिलान करने पर सामान कम पाया गया। विपक्षी ने घटिया क्वालिटी का सामान भेजा। जानकारी होने पर परिवादी विपक्षी से लगातार तगादा करता रहा। जब वह नहीं माना तो दिनांक 20.09.2014 को मजूबर होकर उसे नोटिस भेजी गयी।
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परिवाद के समर्थन में शपथ पत्र परिवादी द्वारा प्रस्तुत किया गया है। प्रलेखीय साक्ष्य में पंजाब नेशनल बैंक का दो चेक की फोटो प्रति कागज संख्या 7/2 परिवादी को भेजी गयी सामान की लिस्ट, सहारा फ्रेट बोकर की रसीद नोटिस की कॉर्बन प्रति, रसीद रजस्ट्री प्रस्तुत किया है। विपक्षी द्वारा कागज संख्या 19/1 लगायत 19/3 जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है। जिसमें उसने परिवाद पत्र के पैरा 1 ता 11 के वर्णन को अस्वीकार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने कहा है कि परिवाद संधार्य नहीं है। उसने आगे कहा है कि सारी बात-चीत व लेनदेन बरेली से किया गया है। ऐसी दशा में परिवादी इस फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत नहीं कर सकता है। इस फोरम को इस परिवाद के सुनवाई का क्षेत्राधिकार हासिल नहीं है। विपक्षी ने परिवादी को कुछ सामान दिया और शेष उसका बचा रकम वापस कर दिया। परिवाद केवल हैरान व परेशान करने के उद्देश्य से दाखिल किया गया है। जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र दाखिल किया गया है। सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 11 के अनुसार परिवाद वहाँ दाखिल होना चाहिए, जहाँ विरोधी पक्षकार रहता हो, जहां एक से अधिक विरोधी पक्षकार हों। उनमें से किसी पक्षकार के यहां तथा वहां जहां पर वाद कारण उत्पन्न हुआ हो। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हो रहा है कि विपक्षी बरेली का रहने वाला है और परिवादी ने सामान की लेन-देन हेतु वहीं सम्पर्क किया था। विपक्षी की कोई शाखा आजमगढ़ में नहीं है, न तो परिवादी ने अपने नोटिस में इस बात का कोई उल्लेख किया है। ऐसी स्थिति में मेरे विचार से परिवाद खारिज किए जाने योग्य है।
आदेश
परिवाद खारिज किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
राम चन्द्र यादव कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)