Uttar Pradesh

StateCommission

A/2001/1889

Manoj Kumar Jain - Complainant(s)

Versus

Ghaziabad Development Authority - Opp.Party(s)

M H Khan

28 Jan 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2001/1889
( Date of Filing : 29 Aug 2001 )
(Arisen out of Order Dated 04/10/2000 in Case No. C/541/1993 of District Ghaziabad)
 
1. Manoj Kumar Jain
a
...........Appellant(s)
Versus
1. Ghaziabad Development Authority
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 28 Jan 2021
Final Order / Judgement

(मौखिक)

 

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-1889/2001

 

मनोज कुमार जैन पुत्र श्री एन0सी0 जैन, निवासी जी-2, पटेल मार्ग, गाजियाबाद, वर्तमान पता 128, हकीकत नगर, माल रोड, किंग्‍सवे कैम्‍प, जिला दिल्‍ली।

अपीलार्थी/परिवादी

                                               बनाम        

गाजियाबाद डेवलेपमेंट अथारिटी, द्वारा वाइस चेयरमैन।

                                                   प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

समक्ष:-                                                   

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सद्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से     : श्री एम0एच0 खान, विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से       : श्री सर्वेश कुमार शर्मा, विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनां:  28.01.2021 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.         परिवाद संख्‍या 541/1993 मनोज कुमार जैन बनाम गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.10.2000 के विरूद्ध यह अपील स्‍वंय परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग, गाजियाबाद द्वारा विपक्षी को निर्देशित किया है कि वह निर्णय के पारित होने के दो माह के अन्‍दर परिवादी को भवन का कब्‍जा उपलब्‍ध करा दे यदि उसके द्वारा जमा समस्‍त राशि 12 प्रतिशत साधारण वार्षिक ब्‍याज सहित अदा कर दी गई हो। विकल्‍प में यह आदेश पारित किया गया कि यदि परिवादी कब्‍जा नहीं लेना चाहता है तब 5 प्रतिशत कटौती के साथ दो माह के अन्‍दर परिवादी द्वारा जमा राशि को वापस कर दी जाए।

-2-

2.         स्‍वंय परिवादी द्वारा इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि परिवादी द्वारा समस्‍त धनराशि जमा कर दी गई है। विपक्षी को मूल्‍य में बढ़ौत्‍तरी करने का कोई अधिकार प्राप्‍त नहीं था। विद्वान जिला उपभोक्‍ता फोरम/आयोग द्वारा साक्ष्‍य भी प्राप्‍त नहीं की गई है और बगैर साक्ष्‍य के ही निर्णय पारित कर दिया गया और 5 प्रतिशत की कटौती का एक अवैध आदेश पारित कर दिया गया। इसी प्रकार 12 प्रतिशत ब्‍याज सहित राशि के साथ समस्‍त किश्‍तें जमा करने का आदेश भी विधि विरूद्ध है।

3.         अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री एम0एच0 खान तथा प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री सर्वेश कुमार शर्मा उपस्थित आए। दोनों विद्वान अधिवक्‍ताओं की मौखिक बहस सुनी गई तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

4.         चूंकि परिवादी को प्रारम्‍भ में जिस भवन का पंजीकरण कराया गया था, उस समय लाट्री के माध्‍यम से आवंटन नहीं हो सका और परिवादी को विकल्‍प दिया गया कि वह भविष्‍य में होने वाले आवंटन में शामिल हो सकता है और इसके लिए अंकन 4,000/- रूपये के ड्राफ्ट की मांग की गई, जिसकी अनुमानित कीमत अंकन 1,40,000/- रूपये बताई गई। परिवादी द्वारा अंकन 6,000/- रूपये की राशि जमा कराई गई और एक मध्‍यम आय वर्ग का भवन आवंटित कर दिया गया, परन्‍तु बाद में दिनांक 15.01.1992 के पत्र द्वारा अंकन 1,40,000/- रूपये से बढ़ाकर भवन की कीमत अंकन 1,50,000/- रूपये कर दी गई। परिवादी को प्रारम्‍भ में अनुमानित मूल्‍य बताया गया था न कि अंतिम मूल्‍य, इसलिए विकास प्राधिकरण द्वारा भवन का जो अंतिम मूल्‍य निर्धारित किया गया है, उसी के अनुसार भुगतान करने का दायित्‍व परिवादी का बनता है, इसलिए विद्वान  जिला  उपभोक्‍ता  फोरम/आयोग ने भवन की बढ़ी हुई कीमत को

-3-

अदा करने के संबंध में जो आदेश पारित किया गया है, वह पूर्णतया विधि सम्‍मत है। यह आदेश भी विधि सम्‍मत है कि यदि परिवादी बढ़ी हुई राशि 12 प्रतिशत साधारण ब्‍याज सहित जमा नहीं करता है तब 5 प्रतिशत की कटौती कर उसके द्वारा जमा की गई राशि उसे वापस लौटाई जाए, इसमें कोई हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अपील तदनुसार निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

5.         प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

6.         अपील में उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

 

                     

     (विकास सक्‍सेना)                           (सुशील कुमार)

            सदस्‍य                                   सदस्‍य

 

 

 

 

 लक्ष्‍मन, आशु0, 

    कोर्ट-2

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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