(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-911/2008
Oriental Insurance Company through its Regional Manager
Versus
Shri Ghanshyam Das, Husband of Smt. (late) Manju Devi
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री आशुतोष कुमार सिंह, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 1 की ओर से उपस्थित: श्री आलोक कुमार सिंह, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी सं0 2 की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
दिनांक :12.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-175/2005, श्रीमती मंजू देवी बनाम दी ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लि0 व अन्य में विद्वान जिला आयोग, मुजफ्फरनगर द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 02.04.2008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी एवं प्रत्यर्थी सं0 1 के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा क्लेम की अवशेष राशि 74,048.60/-रू0 अदा करने का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि बीमा क्लेम प्राप्त होने पर बीमा कम्पनी द्वारा 49,600/-रू0 की राशि का भुगतान किया जा चुका है, परंतु अवशेष राशि इस आधार पर रोक दी गयी थी कि बीमारी के तथ्य को बीमा पॉलिसी प्राप्त करते समय छिपायी गयी, जिस पर जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया दिया है कि चूंकि आंशिक भुगतान बीमित राशि का किया जा चुका है, इसलिए बीमा कम्पनी द्वारा पॉलिसी की वैधता को स्वीकार कर लिया गया है। इसके बाद अवशेष राशि को नहीं नकारा जा सकता है। तदनुसार बिल की अवशेष राशि 74,048.60/-रू0 अदा करने का आदेश दिया गया है। इस आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है, परंतु इसी के साथ जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा बीमा कम्पनी के उस कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए आदेशित किया गया, जिनके द्वारा क्लेम की राशि पर आपत्ति की गयी है। अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यह आपत्ति आशयपूर्वक या दुर्घटना से ग्रसित होकर नहीं की गयी है, अपितु बीमा कम्पनी कार्यालय को यह ज्ञात हुआ था कि बीमित द्वारा पूर्व मे मौजूद बीमारी के तथ्य को छिपाया गया है। अवशेष बीमा क्लेम भी इसी आधार पर रोका गया है। अत: एक युक्ति-युक्त संदेह उत्पन्न होने पर ही बीमा कम्पनी के संबंधित कर्मचारी द्वारा इस प्रकार की कार्यवाही की गयी है, इसलिए इस संबंध में दिया गया निर्देश अपास्त होने योग्य है। तदनुसार अपील आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि निर्णय/आदेश का यह भाग पुष्ट किया जाता है कि अवशेष राशि अंकन 74,048.60/-रू0 तथा इस राशि पर 06 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज परिवादी को देय होगा। साथ ही वाद व्यय हेतु अंकन 5,000/-रू0 पुष्ट किया जाता है। शेष निर्णय/आदेश अपास्त किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3