Uttar Pradesh

StateCommission

A/2008/740

Narendra Singh - Complainant(s)

Versus

General Manager Vidyut Vitran Khand - Opp.Party(s)

T H Naqvi

11 Aug 2023

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2008/740
( Date of Filing : 11 Apr 2008 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Narendra Singh
a
...........Appellant(s)
Versus
1. General Manager Vidyut Vitran Khand
a
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 11 Aug 2023
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

(मौखिक)

अपील संख्‍या-740/2008

श्री नरेन्‍द्र सिंह पुत्र श्री प्रहलाद सिंह

बनाम

जनरल मैनेजर विक्‍टोरिया पार्क द्वारा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व चार अन्‍य

समक्ष:-

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी0एच0 नकवी,  

                            विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

दिनांक: 11.08.2023

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख  जिला उपभोक्‍ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्‍या-297/2003 श्री नरेन्‍द्र सिंह बनाम महाप्रबन्‍धक, विक्‍टोरिया पार्क द्वारा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड व चार अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 04.03.2008 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की गयी है। प्रस्‍तुत अपील विगत लगभग 15 वर्ष से लम्बित है।

मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता              श्री टी0एच0 नकवी को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया। प्रत्‍यर्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।

     संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी के नाम एक विद्युत कनैक्‍शन संख्‍या-0152291960 भार 8.17 अश्‍व शक्ति है, जिसे परिवादी द्वारा निवास स्‍थान 5/3 जागृति विहार, मेरठ से मकान नम्‍बर 507 गली नं0-1 जयदेवी नगर, गढ़ रोड, मेरठ स्‍थानान्‍तरित कराया गया था, जो कार्यरत है। विपक्षी के पत्र दिनांक 19.03.1992 के अनुसार कार्यालय ज्ञापन संख्‍या 8895 दिनांकित 27.01.2001 में कनैक्‍शन स्‍थानान्‍तरित होने की स्‍वीकृति

 

 

-2-

प्राप्‍त करके शिफ्टिंग का एस्‍टीमेट जमा कराकर अनुबन्‍ध पत्र दिनांक 27.02.2002 को भेजा गया था तथा शिफ्टिंग का अंकन 1885/-रू0 जमा करके दिनांक 15.02.2002 को रसीद प्राप्‍त की गयी।

     परिवादी का कथन है कि परिवादी के प्रश्‍नगत विद्युत कनैक्‍शन की बाबत विपक्षीगण की लापरवाही के कारण दिनांक 27.12.2001 से विद्युत वितरण खण्‍ड द्वितीय से विद्युत वितरण खण्‍ड तृतीय में प्रारम्‍भ दिखाकर बिल बनाये गये, जबकि परिवादी का विद्युत कनैक्‍शन दिनांक 30.03.2002 को शिफ्ट किया गया था। उपरोक्‍त पुराना मीटर कार्य न करने के कारण दिनांक 18.03.2002 को जे0ई0 के आदेश पर पुराना मीटर के स्‍थान पर नया मीटर दिनांक 30.03.2002 को लगाया गया, जो ठीक प्रकार से कार्य कर रहा है। लाईनमैन उक्‍त पुराना मीटर उतारकर अपने साथ ले गया तथा परिवादी को कोई सीलिंग रिपोर्ट नहीं दी गयी तथा मीटर उतारते समय लाईनमैन द्वारा परिवादी को मीटर रीडिंग भी नहीं बतायी गयी थी। इस संबंध में परिवादी द्वारा विभिन्‍न तिथियों पर प्रार्थना पत्र दिये जाने के बावजूद परिवादी को न तो सीलिंग रिपोर्ट प्राप्‍त करायी गयी तथा न ही पुराने मीटर की प्रतिभूमि धनराशि वापस की गयी, न ही समायोजित की गयी।

     परिवादी का कथन है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को परेशान करने एवं अवैध वसूली के लिए बिल एन0आर0 के भेजे गये तथा यह कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय में कई बार सम्‍पर्क किये जाने के बावजूद विपक्षीगण द्वारा लापरवाही व मनमाने ढंग से रिकार्ड दुरूस्‍त न करके परिवादी से अवैध बिलों की मांग की गयी तथा दिनांक 05.03.2003 को विपक्षीगण द्वारा परिवादी का विद्युत कनैक्‍शन भी काट दिया गया तथा परिवादी द्वारा जमा धनराशि की विपक्षीगण द्वारा अपने रिकार्ड में प्रविष्टि नहीं की गयी तथा कनैक्‍शन पी0पी0 जमा करके जोड़ा गया।

     परिवादी का कथन है कि नया मीटर लगने  के  दिनांक  से

 

 

-3-

मीटर ठीक प्रकार से चल रहा है तथा मीटर रीडर द्वारा रीडिंग स्‍पष्‍टत: दर्शायी जा रही है, परन्‍तु विपक्षीगण की लापरवाही के कारण परिवादी को बिल एन0आर0 के भेजकर अवैध वसूली कर परेशान किया गया तथा मीटर रीडिंग के अनुसार बिल नहीं भेजे गये। अत: क्षुब्‍ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

     विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण द्वारा वादोत्‍तर दाखिल किया गया तथा मुख्‍य रूप से कथन किया गया कि परिवादी द्वारा दिनांक 14.03.2002 को भुगतान किया गया तथा पुराने परिसर से कनैक्‍शन खत्‍म करके नये पते पर लगाया गया, उस समय मीटर रीडिंग 34,507 थी। परिवादी के नये पते पर दिनांक 30.03.2003 को कनैक्‍शन चालू किया गया। परिवादी द्वारा जनवरी, 2002 का बिल दिनांक 14.03.2003 को जमा किया गया। परिवादी को कुछ बिल एन0आर0 के प्रेषित किये गये। परिवादी के बिल दिनांक 30.01.2003 एवं उसके बाद                   दिनांक 20.08.2004 को एडजैस्‍ट किये गये। उसके बाद अंकन 66,667/-रू0 31 पैसे का असल बिल परिवादी को जिला उपभोक्‍ता  आयोग के आदेश के अनुपालन में जारी किया गया, जिसे परिवादी द्वारा जमा नहीं किया गया। परिवादी द्वारा विद्युत बिलों का भुगतान न किये जाने के कारण उसका विद्युत कनैक्‍शन दिनांक 05.03.2003 को विच्‍छेदित किया गया। जिला फोरम को परिवाद सुनवाई का अधिकार नहीं है। परिवादी द्वारा विपक्षी कार्यालय में सम्‍पर्क करने पर उसका बिल सही कर दिया गया, परन्‍तु परिवादी द्वारा उसे जमा नहीं किया गया। परिवाद निरस्‍त होने योग्‍य              है।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्‍त परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया गया:-

 

 

-4-

''एतद् द्वारा परिवादी का परिवाद स्‍वीकार किया जाता है तथा परिवादी का प्रश्‍नगत संयोजन शिफट होने के बाद से विपक्षीगण द्वारा जारी किये गये समस्‍त बिल/नोटिस निरस्‍त किये जाते है। विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह एक माह के अन्‍दर मीटर रीडिंग के आधार पर परिवादी का संशोधित बिल तैयार करे, तथा उसमें परिवादी द्वारा जमा की गयी समस्‍त धनराशी का समायोजन करे, इसके अतिरिक्‍त विपक्षी परिवादी को बतौर क्षतिपूर्ति तीन हजार रूपये एवं इस परिवाद का व्‍यय दो हजार रूपये एक माह में अदा करें, यदि विपक्षीगण द्वारा इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जाता है तो परिवादी विपक्षीगण के विरूद्ध धारा-25/27 उपभोक्‍ता   संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत कार्यवाही करने के लिये स्‍वतंत्र होगा।''

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने तथा समस्‍त तथ्‍यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्‍ता  आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का सम्‍यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया,

जिसमें किसी प्रकार के हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त‍ की जाती है।

यदि विपक्षीगण द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग के आदेश के अनुपालन में आदेशित धनराशि परिवादी को प्राप्‍त न करायी गयी हो तो उक्‍त धनराशि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को 45 दिन की अवधि में प्राप्‍त करायी जावे।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

     (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)

अध्‍यक्ष

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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