Uttar Pradesh

Shahjahanpur

CC/226/2013

RAMAKANT DIXIT - Complainant(s)

Versus

GENERAL MANAGER UTILITY ENERGY AND ENGINNER P. LTD. AND 2 OTHERS - Opp.Party(s)

RAJ KUMAR MEHROTRA

23 Aug 2018

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/226/2013
( Date of Filing : 08 Nov 2013 )
 
1. RAMAKANT DIXIT
S/O UMA SHANKER DIXIT VILLAGE RAUSAR POST RAUSAR KOTHI TEH SADAR SHAHJAHANPUR
...........Complainant(s)
Versus
1. GENERAL MANAGER UTILITY ENERGY AND ENGINNER P. LTD. AND 2 OTHERS
11246/147 GROUND FLOOR SEC 63 NOIDA 201301
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. ASHOK KUMAR BHARDWAJ PRESIDENT
 HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 23 Aug 2018
Final Order / Judgement

                 उपभोक्ता परिवाद संख्या%&226/2013

             रमाकान्त दीक्षित बनाम रोजा थर्मल पावर आदि          

                    

                          आदेश

दिनांक 23/08/2018

      परिवादी रमाकान्त दीक्षित की ओर से परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण इस आशय से प्रस्तुत किया गया है कि वर्क आर्डर की पूर्ति हेतु वस्तु आपूर्ति एवं कार्य सम्पादित की शेष धनराशि रू0 11,81,108/- तथा ब्याज रू0 2,50,000/- एवं मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति रू0 5,00,000/- दिलाये जाये।

      विपक्षी सं0 03 की ओर से आपत्ति का0 सं0 27 दाखिल की गयी है जिसमें कहा गया है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2 (घ) के अनुसार परिवादी उपभोक्ता नहीं है। परिवादी का परिवाद अपोषणीय है। इस बिन्दु पर उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्तागण को सविस्तारपूर्वक सुना गया। परिवाद में किये गये कथन के आधार पर यह देखना है कि परिवादी विपक्षीगण का उपभोक्ता है अथवा नहीं, परिवाद में किये गये कथन के आधार पर परिवादी द्वारा विपक्षी को वर्क आर्डर में वस्तु की आपूर्ति की गयी तथा कार्य का सम्पादन किया गया है। इस प्रकार परिवाद में किये कथन के आधार पर ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 2(1) (घ) में परिभाषित उपभोक्ता परिधि में परिवादी नहीं आता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अन्तर्गत उपभोक्ता फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत करने का अधिकार मात्र उपभोक्ता को ही है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है बल्कि परिवादी परिवाद में किये गये कथन के आधार पर आपूर्तिकर्ता/ठेकेदार है। सभी तथ्य एवं परिस्थितियों पर विचारोपरान्त पीठ का मत है कि परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया परिवाद अपोषणीय होने के आधार पर खारिज किये जाने योग्य है।

      अतः परिवादी का परिवाद विरूद्ध विपक्षीगण अपोषणीय होने के आधार पर खारिज किया जाता है।

तथ्य एवं परिस्थितियों को देखते हुये पक्षकार अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।

नियमानुसार आदेश की प्रमाणित प्रति अविलंब निःशुल्क पक्षकार को प्रदान की जाये।

      पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।

 

   (प्रमोद कुमार)                                          (अशोक कुमार भारद्वाज)

          सदस्य                                                            अध्यक्ष

 

 

 
 
[HON'BLE MR. ASHOK KUMAR BHARDWAJ]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PRAMOD KUMAR]
MEMBER

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