Rajasthan

Kota

CC/238/2010

Vijay Singhal - Complainant(s)

Versus

General Manager, Union Of India Owning Pachim Madhya Railway - Opp.Party(s)

Vijay Singhal

06 May 2015

ORDER

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, कोटा (राजस्थान)।

पीठासीन:श्रीएम अनवर आलम,अध्यक्ष ,श्रीमती हेमलताभार्गव व श्री महावीर तंवर सदस्यगण।
प्रकरण संख्या-238/10
विजय सिंघल पुत्र सतीश चन्द्र गुप्ता, आयु 32 साल जाति महाजन निवासी 7, रेल्वे हाउसिंग सोसायटी, बजरंग नगर, पुलिस लाईन, कोटा,राजस्थान।
                                    -परिवादी।
                     बनाम
01.    यूनियन आफॅ इंडिया जरिये जनरल मैनेजर, पश्चिम मध्य रेल्वे,     जबलपुर।
02.    मण्डल रेल्वे प्रबंधक (वाणिज्यिक), पश्चिम मध्य रेल्वे, भोपाल।
03.    वरिष्ठ मण्डल वाणिज्यिक प्रबंधक, पश्चिम मध्य रेल्वे, कोटा।
                                -विपक्षीगण।

       परिवाद अन्तर्गत धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थिति-
1  श्री विजय सिंघल, अधिवक्ता, परिवादी की ओर से।
2  श्री नरेश शर्मा, अधिवक्ता,विपक्षीगण की ओर से। 

    निर्णय                 दिनांक 06.05.2015
(1)       प्रस्तुत परिवाद दिनांक 25-01-2010 को परिवादी ने इन अभिकथनों के साथ पेष किया है कि उसने दिनांक 21.01.09 को भोपाल जंक्शन से कोटा जंक्शन की यात्रा हेतु आरक्षण टिकिट, आरक्षण कार्यालय कोटा से 472/- रूपये में क्रय किये थे, जिसके पी एन आर नं. 4304206317,15820496 थे एवं वेटिंग 25-26 था। यात्रा की दिनांक 09.02.09 तक उक्त टिकिट कन्फर्म नहीं हुये । भोपाल जंक्शन पर टिकिट केन्सिल कराने हेतु आवेदन किया था, परन्तु 4.45 तक टिकिट को केन्सिल नहीं किये। अपितु आप चाहे तो कोटा जंक्शन पर उतर कर भी टिकिट केन्सिल कराकर राशि प्राप्त कर सकते है। दिनांक 10.02.09 को कोटा कार्यालय द्वारा भी टिकिट केन्सिल कर टी डी आर जारी करने में आनाकानी की गई। परिवादी के टिकिट को रिफंड नहीं कर, परिवादी को मानसिक, आर्थिक क्षति पहुंचाई। परिवादी द्वारा दिनांक 04.05.09 को अप्रार्थीगण को नोटिस दिये जाने के बावजूद भी रिफंड के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई और सेवा में कमी की गई। परिवादी ने प्रार्थना की है कि विपक्षीगण से परिवादी को मानसिक संताप की प्रतिकर राशि एवं परिवाद खर्च दिलवाया जावे। 

(2)    विपक्षीगण की ओर से जवाब पेश कर  प्रारंभिक आपत्ति की गई है कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद टिकिट किराया रिफंड से संबंधित है जिससे मामला इस जिला मंच को सुनने का क्षैत्राधिकार एवं श्रवणाधिकार नहीं है एवं सुनवाई का क्षैत्राधिकार,  श्रवणाधिकार रेल्वे ट्रिब्यूनल को है। अतः परिवादी का परिवाद चलने योग्य नहीं है। 

(3)     विपक्षीगण ने परिवाद में उल्लेखित तथ्यों को रिकार्ड की सीमा तक स्वीकार करते हुये, परिवाद में उल्लेखित तथ्यों को अस्वीकार किया है एवं प्रस्तुत परिवाद को सव्यय खारिज करने की प्रार्थना की है। 

(4)    परिवाद के समर्थन में परिवादी ने स्वयं परिवादी का शपथ-पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में प्रदर्श-1 लगायत प्रदर्श-7 पेश किये एवं विपक्षीगण की ओर से अमरदीप सिंह मण्डल वाणिज्य प्रबंधक, पश्चिम मध्य रेल्वे, कोटा का शपथ-पत्र पेश किया गया है। 

(5)    परिवादी की ओर से बहस नहीं करने के कारण विपक्षीगण की बहस सुनी गई। मामले में विचारणीय बिन्दु है कि -

(अ)    क्या प्रस्तुत मामला, इस जिला मंच के क्षैत्राधिकार एवं श्रवणाधिकार     का नही होने से चलने योग्य नहीं है?                                                                                                                            
(ब)    क्या परिवादी, विपक्षीगण का उपभोक्ता है? 
(स)    अनुतोष ?

(6)    विपक्षी की ओर से प्रस्तुत तर्को, उभय पक्षों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजात, शपथ-प़त्रों व पत्रावली का अवलोकन कर विचार किया गया। प्रस्तुत मामलें में जिला मंच के क्षेत्राधिकार के बिन्दु को सर्वप्रथम तय किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। विद्वान अभिभाषक विपक्षीगण का तर्क है कि रेल्वे टिकिट की राशि रेल्वे अधिनियम 1989 की धारा 2(14) के अधीन फेयर की परिधि में आती है एवं फेयर से संबंधित मामलें का क्षैत्राधिकार रेल्वे क्लेम्स ट्रिब्यूनल 1987 की धारा 13 (1)(बी) के अधीन क्लेम ट्रिब्यूनल्स को प्राप्त है तथा इसी अधिनियम की धारा-15 के अधीन किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकारी को अधिकारिता प्राप्त नहीं है। 

(7)    विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत तर्को एवं निर्णयों पर विचार किया। प्रकरण दक्षिण रेल्वे बनाम स्टालीन हेराल्ड, भाग 4 (2012) सी पी जे 634 (एन सी) में माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वारा दिये गये नवीनतम निर्णय के पैरा 4,5 व 6 में यह प्रतिपादित किया गया है कि रेल्वे क्लेम ट्रिब्यूनल एक्ट की धारा 13 (1) (बी) में फेयर के रिफंड के मामलें का क्षैत्राधिकार क्लेम ट्रिब्यूनल को ही प्राप्त है तथा उक्त अधिनियम की धारा 15 के अधीन किसी अन्य न्यायालय या अन्य प्राधिकारी की क्षैत्राधिकार संबंधी अधिकारित का वर्जन है। 

(8)    माननीय राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, दिल्ली द्वारा दिये गये उक्त नवीनतम निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए हमारे विनम्र मत में जिला मंच को प्रस्तुत परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है और मामले के अन्य विवादित बिन्दु को क्षैत्राधिकार के अभाव में विनिश्चय किया जाना आवश्यक नहीं है। 

(9)    उपरोक्त समस्त विवेचन को दृष्टिगत रखतेे हुये हमारे विनम्र मत में प्रस्तुत परिवाद इस जिला मंच में चलने योग्य नही होने से खारिज किये जाने योग्य है। 

                 आदेष   

(10)      परिणामतः परिवादी विजय सिंघल का परिवाद  क्षैेत्राधिकार के अभाव में खारिज किया जाता है। खर्चा मुकदमा पक्षकारान अपना-अपना स्वयं वहन करेगे। 

(महावीर तंवर)         (श्रीमति हेमलता भार्गव)     (मोहम्मद अनवर आलम)  
  सदस्य                   सदस्या                     अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।    प्रतितोष मंच,कोटा।       प्रतितोष मंच, कोटा।
(11)     निर्णय  आज दिनंाक  06.05.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया। 

(महावीर तंवर)          (श्रीमति हेमलता भार्गव)    (मोहम्मद अनवर आलम)  
  सदस्य                     सदस्या                  अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद   जिला उपभोक्ता विवाद    जिला उपभोक्ता विवाद 
प्रतितोष  मंच, कोटा।    प्रतितोष मंच,कोटा।        प्रतितोष मंच, कोटा।                     

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